328 इंसान ने ईश्वर को अपना दिल नहीं दिया है

1

भले ही ईश्वर को अपने दिल में झाँकने देता हो इंसान,

इसके मायने नहीं कि ईश-व्यवस्था का पालन करता इंसान,

या अपनी नियति, अपना सब-कुछ किया ईश्वर के हवाले इंसान ने।

ईश्वर के आगे तुम कोई भी शपथ लो, कुछ भी ऐलान करो,

ईश्वर की नज़र में तुम्हारा दिल अभी भी बंद है उसके लिए,

क्योंकि तुम इस पर काबू करने नहीं देते उसे।


इंसान को ईश्वर में आस्था तो है, मगर उसका दिल ईश्वर से खाली है।

वो जानता नहीं उसे कैसे प्रेम करें, उसे प्रेम करना चाहता भी नहीं,

उसका दिल ईश्वर की ओर खिंचता नहीं; टालने की कोशिश करता उसे।

इसलिए इंसान का दिल बहुत दूर है ईश्वर से।


2

तुमने दिया नहीं दिल अपना ईश्वर को,

उसे सुनाने के लिए बस चिकनी-चुपड़ी बातें करते हो।

तुम उससे अपने कपट-भरे इरादे छिपाते हो,

अपनी साज़िशों, योजनाओं से, अपने भविष्य को हाथों में जकड़ते हो,

डरते हो कि ईश्वर दूर ले जाएगा उन्हें।

तभी ईश्वर नहीं देख पाता इंसानी ईश-निष्ठा।


इंसान को ईश्वर में आस्था तो है, मगर उसका दिल ईश्वर से खाली है।

वो जानता नहीं उसे कैसे प्रेम करें, उसे प्रेम करना चाहता भी नहीं,

उसका दिल ईश्वर की ओर खिंचता नहीं; टालने की कोशिश करता उसे।

इसलिए इंसान का दिल बहुत दूर है ईश्वर से।


3

हालाँकि ईश्वर देखता इंसान के दिल की गहराई को,

देख सकता इंसान की सोच और इच्छा को,

और इंसान के दिल में रखी चीज़ों को, मगर इंसान का दिल ईश्वर का नहीं।

ईश्वर को हक है नज़र रखने का, मगर नहीं हक उसे काबू में करने का।

आत्म-परक चेतना में, इंसान नहीं चाहता, छोड़ना खुद को ईश्वर की दया पर।


इंसान ने खुद को, केवल ईश्वर से विमुख नहीं किया है,

ऐसे भी हैं जो तरीके सोचते हैं

अपने दिलों को ढकने के, झूठी धारणा बनाने के लिए

चिकनी-चुपड़ी बातें करते हैं,

ईश्वर से अपना असली चेहरा छिपाते हैं,

ये मनुष्य का हृदय है जिसे ईश्वर देखता है।


इंसान को ईश्वर में आस्था तो है, मगर उसका दिल ईश्वर से खाली है।

वो जानता नहीं उसे कैसे प्रेम करें, उसे प्रेम करना चाहता भी नहीं,

उसका दिल ईश्वर की ओर खिंचता नहीं; टालने की कोशिश करता उसे।

इसलिए इंसान का दिल बहुत दूर है ईश्वर से।


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II से रूपांतरित

पिछला: 327 अपने गंतव्य की खातिर मनुष्य द्वारा परमेश्वर को प्रसन्न करने की कुरूपता

अगला: 329 परमेश्वर चाहता है सच्चा दिल मनुष्य का

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

418 प्रार्थना के मायने

1प्रार्थनाएँ वह मार्ग होती हैं जो जोड़ें मानव को परमेश्वर से,जिससे वह पुकारे पवित्र आत्मा को और प्राप्त करे स्पर्श परमेश्वर का।जितनी करोगे...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें