238 इंसान "उद्धारकर्ता यीशु" को स्वर्ग से उतरते कैसे देख सकता है?
इंसान अगर हमेशा ईश्वर को यीशु मसीह कहे,
पर न जाने कि अंत के दिनों में उसने एक नये युग,
नए काम की शुरुआत कर दी है,
अभी भी अगर वो उद्धारक यीशु के आने की राह तके,
तो क्या वो यीशु का स्वर्ग से
आगमन देख सके?
1
ईश्वर ऐसे लोगों को अविश्वासी कहे;
ऐसे लोग ईश्वर को न जानें,
उसमें उनका विश्वास झूठा है।
वे ईश्वर के आगमन का नहीं
यहूदियों के राजा के आने का इंतज़ार करें।
वे नहीं तरसते कि ईश्वर नष्ट करे
उस अशुद्ध दुनिया को जिसमें वे रहें,
वे चाहें कि यीशु लौटे,
वे मानें कि वो छुटकारा दिलाएगा उन्हें
और इंसान को बचाएगा इस भ्रष्ट भूमि से।
ऐसे लोग कैसे हो सकें वे
जो अंत के दिनों में ईश-कार्य पूरा करें?
इंसान अगर हमेशा ईश्वर को यीशु मसीह कहे,
पर न जाने कि अंत के दिनों में उसने एक नये युग,
नए काम की शुरुआत कर दी है,
अभी भी अगर वो उद्धारक यीशु के आने की राह तके,
तो क्या वो यीशु का स्वर्ग से
आगमन देख सके?
2
इंसान की इच्छाएँ पूरी न कर सकें
ईश-इच्छा, न पूरा कर सकें उसका काम।
वे सिर्फ़ उसके पिछले काम से प्यार करें,
बिना ये जाने कि वो स्वयं ईश्वर है
जो कभी पुराना न हो, सदा नया रहे।
इंसान जाने वो है यहोवा, है यीशु,
पर न जाने वो अंत के दिनों का है
ईश्वर जो इंसान का अंत करेगा।
इंसान जो देखे, जो सोचे, बस उतना ही जाने,
उसकी धारणाओं से जन्में उसकी लालसाएँ।
ये ईश-कार्य के अनुरूप नहीं, उसके विपरीत है।
इंसान के ख्यालों से गर ईश्वर चले, तो अंत कब होगा?
कब इंसान विश्राम में प्रवेश करेगा?
कैसे ईश्वर सब्त में, सातवें दिन में प्रवेश कर सकेगा?
ईश्वर अपनी योजना, अपने उद्देश्य से काम करे,
इंसान की इच्छा अनुसार नहीं।
इंसान अगर हमेशा ईश्वर को यीशु मसीह कहे,
पर न जाने कि अंत के दिनों में उसने एक नये युग,
नए काम की शुरुआत कर दी है,
अभी भी अगर वो उद्धारक यीशु के आने की राह तके,
तो क्या वो यीशु का स्वर्ग से
आगमन देख सके?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, उद्धारकर्ता पहले ही एक “सफेद बादल” पर सवार होकर वापस आ चुका है से रूपांतरित