991 अपने वचनों और कार्यों को कैसे समझना चाहिये तुम्हें

1

क्या परमेश्वर के वचनों में, प्रतिकार में विश्वास है तुम्हें?

कि सज़ा देगा वो उन्हें जो कपट करते हैं, धोखा देते हैं उसे?

तुम चाहते हो वो दिन जल्दी आए या बाद में?

क्या ख़ौफ खाते हो तुम सज़ा से,

या सज़ा है, ये जानकर भी परमेश्वर का विरोध करोगे?

और जब आएगा वो दिन तो रोओगे या ख़ुशियाँ मनाओगे तुम?

आशावान हो या भयभीत हो तुम कि पूरे होंगे परमेश्वर के सभी वचन?

अगर उम्मीद है तुम्हें परमेश्वर शीघ्र प्रस्थान करेगा, अपने वचनों को पूरा करने,

तो कैसे समझना चाहिये अपने शब्दों और कामों को तुम्हें?

अगर इसके होने की उम्मीद नहीं तुम्हें,

तो विश्वास ही क्यों करते हो तुम परमेश्वर में?


2

किस तरह के अंत की कामना है तुम्हें?

परमेश्वर में विश्वास है या शक है तुम्हें?

क्या विचारे हैं वो नतीजे और अंत तुमने, जो लाएंगे काम और बर्ताव तुम्हारे?

आशावान हो या भयभीत हो तुम कि पूरे होंगे परमेश्वर के सभी वचन।

अगर उम्मीद है तुम्हें परमेश्वर शीघ्र प्रस्थान करेगा, अपने वचनों को पूरा करने,

तो कैसे समझना चाहिये अपने शब्दों और कामों को तुम्हें?

अगर इसके होने की उम्मीद नहीं तुम्हें,

तो विश्वास ही क्यों करते हो तुम परमेश्वर में?


3

क्या जानते हो क्यों करते हो अनुसरण परमेश्वर का तुम?

अपने ज्ञान की सीमाओं को बढ़ाने के लिये करते हो अगर,

फिर ज़रूरी नहीं सहो इन परेशानियों को तुम।

लेकिन धन्य होने, आपदा से बचने के लिये करते हो अगर,

तो फिर चिंतित क्यों नहीं हो तुम अपने आचरण को लेकर?

क्यों नहीं पूछते हो ख़ुद से तुम,

क्या पूरा कर सकते हो परमेश्वर की माँगों को तुम?

या भविष्य की आशीषों को पाने के लायक हो तुम?

अगर उम्मीद है तुम्हें परमेश्वर शीघ्र प्रस्थान करेगा, अपने वचनों को पूरा करने,

तो कैसे समझना चाहिये अपने शब्दों और कामों को तुम्हें?

अगर इसके होने की उम्मीद नहीं तुम्हें,

तो विश्वास ही क्यों करते हो तुम परमेश्वर में?


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, एक बहुत गंभीर समस्या : विश्वासघात (2) से रूपांतरित

पिछला: 990 पश्चाताप-रहित लोग जो पाप में फँसे हैं उद्धार से परे हैं

अगला: 992 परमेश्वर द्वारा मनुष्य की दी गयी तीन चेतावनियाँ

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

418 प्रार्थना के मायने

1प्रार्थनाएँ वह मार्ग होती हैं जो जोड़ें मानव को परमेश्वर से,जिससे वह पुकारे पवित्र आत्मा को और प्राप्त करे स्पर्श परमेश्वर का।जितनी करोगे...

420 सच्ची प्रार्थना का प्रभाव

1ईमानदारी से चलो,और प्रार्थना करो कि तुम अपने दिल में बैठे, गहरे छल से छुटकारा पाओगे।प्रार्थना करो, खुद को शुद्ध करने के लिए;प्रार्थना करो,...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में I सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें