316 तुम्हारे दिलों में केवल नाइंसाफ़ी है
1 तुम सब लोग विश्वास करते हो कि तुम सत्य के लिए कीमत चुकाने को तैयार हो, किंतु तुम लोगों में से कितनों ने वास्तव में सत्य के लिए दुःख झेला है? तुम लोगों के हृदय में अधार्मिकता के सिवाय कुछ नहीं है, जिससे तुम लोगों को लगता है कि हर कोई, चाहे वह कोई भी हो, धोखेबाज और कुटिल है—यहाँ तक कि तुम यह भी विश्वास करते हो कि देहधारी परमेश्वर, किसी सामान्य मनुष्य की तरह, दयालु हृदय या कृपालु प्रेम से रहित हो सकता है। इससे भी अधिक, तुम लोग विश्वास करते हो कि कुलीन चरित्र और दयालु, कृपालु प्रकृति केवल स्वर्ग के परमेश्वर में ही होती है। तुम लोग विश्वास करते हो कि ऐसा कोई संत नहीं होता, कि केवल अंधकार एवं दुष्टता ही पृथ्वी पर राज करते हैं, जबकि परमेश्वर एक ऐसी चीज़ है, जिसे लोग अच्छाई और सुंदरता के लिए अपने मनोरथ सौंपते हैं, वह उनके द्वारा गढ़ी गई एक किंवदंती है।
2 तुम लोग स्वर्ग के परमेश्वर की आराधना करते हो। तुम बुलंद छवियों से प्रेम करते हो और उन लोगों का सम्मान करते हो, जो अपनी वाक्पटुता के लिए प्रतिष्ठित हैं। तुम सहर्ष उस परमेश्वर द्वारा नियंत्रित हो जाते हो, जो तुम लोगों के हाथ धन-दौलत से भर देता है, और उस परमेश्वर के लिए बहुत अधिक लालायित रहते हो जो तुम्हारी हर इच्छा पूरी कर सकता है। तुम केवल इस परमेश्वर की आराधना नहीं करते, जो अभिमानी नहीं है; तुम केवल इस परमेश्वर के साथ जुड़ने से घृणा करते हो, जिसे कोई मनुष्य ऊँची नज़र से नहीं देखता। तुम केवल इस परमेश्वर की सेवा करने के अनिच्छुक हो, जिसने तुम्हें कभी एक पैसा नहीं दिया है, और जो तुम्हें अपने लिए लालायित करवाने में असमर्थ है, वह केवल यह अनाकर्षक परमेश्वर ही है। इस प्रकार का परमेश्वर तुम्हारे क्षितिज को विस्तृत करने में, तुम्हें खज़ाना मिल जाने का एहसास करने में सक्षम नहीं बना सकता, तुम्हारी इच्छा पूरी तो बिलकुल नहीं कर सकता। तो फिर तुम उसका अनुसरण क्यों करते हो? क्या तुमने कभी इस तरह के प्रश्न पर विचार किया है?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पृथ्वी के परमेश्वर को कैसे जानें से रूपांतरित