25. मेरे परिवार द्वारा मेरा दमन : सबक देने वाला एक अनुभव
मैंने 2016 में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का सुसमाचार स्वीकारा और अपने पति के साथ सुसमाचार साझा किया। मेरे परमेश्वर में आस्था रखने के बाद, उन्होंने देखा कि मेरा पूरा व्यवहार ही बदल गया था, और मैं कहीं अधिक शांत इंसान बन गई थी। मेरे पति को लगा कि परमेश्वर में विश्वास रखना वाकई अच्छी बात है, और उन्होंने मेरी आस्था का समर्थन किया। मगर उन्होंने कहा कि उनके पास स्वयं परमेश्वर में विश्वास रखने के लिए समय नहीं है, और वे बस पैसे कमाना चाहते हैं। फिर एक दिन काम से घर लौटने पर उन्होंने मुझसे पूछा, “तुम ‘चमकती पूर्वी बिजली’ में विश्वास रखती हो, है न? आज मैंने माइक को घर छोड़ा, रास्ते में उन्होंने बताया कि उनकी कलीसिया के सभी पादरी और एल्डर कहते हैं कि चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग नहीं है, वे बड़े-बड़े उपदेश देते हैं जिनसे कोई भी आसानी से गुमराह हो सकता है। माइक ने कहा कि मैं तुम्हें चमकती पूर्वी बिजली के उपदेश न सुनने के लिए आगाह कर दूं।” माइक मेरे पति के वरिष्ठ थे, जो काफी समय से प्रभु के विश्वासी और काफी प्रतिभाशाली इंसान थे। मेरे पति उनकी काफी प्रशंसा करते थे। मैंने देखा कि मेरे पति को माइक की बातों पर विश्वास था, तो मैंने उनसे कहा, “आप परमेश्वर में आस्था को नहीं समझते, इसलिए आप दूसरों की बातें नहीं दोहरा सकते।” वे एक पल के लिए संकोच में पड़ गए, फिर कुछ नहीं कहा।
कुछ वक्त बीतने के बाद, एक दिन मेरे पति ने बहुत गंभीर होकर कहा, “मैंने ऑनलाइन थोड़ा रिसर्च करके यह समझा है कि जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर तुम विश्वास रखती हो वह वही चमकती पूर्वी बिजली है जिस पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) कड़ी कार्रवाई कर रही है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बारे में ऑनलाइन कई तरह की राय मौजूद है जिनमें कहा गया है कि वह एक इंसान है, परमेश्वर नहीं, और लोगों से पैसे ऐंठने के लिए उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में लाया जाता है। इसलिए, अब से तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के लोगों से मिलने-जुलने की इजाज़त नहीं है। मुझे डर है कहीं तुम धोखा न खा जाओ।” अपने पति के मुंह से ऐसी बातें सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया, मैंने कहा, “इनमें से कई ऑनलाइन अफवाहें सीसीपी द्वारा गढ़ी और फैलायी गई हैं। आपने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं पढ़े, आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को नहीं समझते, इसलिए आपको ऑनलाइन अफवाहों के आधार पर मनमाने ढंग से कोई राय नहीं बनानी चाहिए। आप जानते हैं कि सभी ईसाई प्रभु यीशु में विश्वास रखते हैं और यह मानते हैं कि वही सच्चा परमेश्वर है। हालांकि, दो हजार साल पहले जब प्रभु यीशु अपना कार्य करने आया था, तब भी कई लोगों ने उसकी निंदा कर उसे ठुकराया था। उन्होंने कहा था कि वह सिर्फ एक साधारण इंसान है, एक बढ़ई का बेटा है। प्रभु यीशु बाहर से भले ही एक साधारण इंसान की तरह दिखता था, पर उसमें एक दिव्य सार था, सत्य व्यक्त करने और मानवजाति को छुटकारा दिलाने की क्षमता थी। वह देह का वस्त्र धारण किए परमेश्वर का आत्मा, मानवजाति का मुक्तिदाता था। सीसीपी के अनुसार, ऐसा कोई भी व्यक्ति जो एक साधारण इंसान जैसा दिखता है, परमेश्वर नहीं है। क्या यह प्रभु यीशु मसीह को भी ठुकराना नहीं है? प्रभु यीशु की ही तरह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर भी एक साधारण इंसान जैसा दिखता है, पर वह सत्य व्यक्त कर सकता है, जो परमेश्वर की वाणी है। वह इस धरती पर आया उद्धारक है। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से वचन पढ़े हैं। वह बाइबल के अनेक रहस्यों का खुलासा करता है, और यह दिखाता है कि कैसे शैतान लोगों को भ्रष्ट करता है, कैसे परमेश्वर मानवजाति को बचाता है, दुनिया में समस्त अंधकार और बुराई की जड़ क्या है और मानवजाति की भ्रष्टता का सच क्या है। उसके वचन हमें पाप से मुक्त होने, परमेश्वर का उद्धार पाने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने का मार्ग भी दिखाते हैं। कोई भी मशहूर या महान व्यक्ति ऐसे सत्य नहीं व्यक्त कर सकता। पूरी मानवजाति में, कौन सत्य व्यक्त कर सकता है? कौन मानवजाति को छुटकारा दिलाकर बचा सकता है? कोई नहीं। इससे साबित होता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में परमेश्वर का आत्मा है जो देहधारी होकर मानव संसार में आया है, और वही एकमात्र सच्चा परमेश्वर है। ऑनलाइन, कुछ लोग कहते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर एक इंसान है, परमेश्वर नहीं। लेकिन ऐसी सभी बातें असल में अफवाहें और दानवी शब्द हैं जो परमेश्वर का तिरस्कार करती हैं।” मैंने अपने पति को यह भी बताया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने कभी अंशदान की माँग नहीं की है। परमेश्वर के वचन की सभी किताबें जो हम पढ़ते हैं, वे मुफ्त में बाँटी जाती हैं। सीसीपी का दावा है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया लोगों से पैसे ऐंठती है, ये सभी अफवाहें और लांछन हैं। मैंने उनसे कहा कि ऐसी कपटी बकवास पर विश्वास न करें। मगर मेरी बात सुनने के बाद, वे बिना कुछ कहे बाहर निकल गए।
एक बार जब मैं सुसमाचार साझा करके घर लौटी, तो मेरे पति नाराज दिखे, उन्होंने कहा, “मैंने ऑनलाइन थोड़ी और खोजबीन की तो पता चला कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने वाले अपने परिवारों को छोड़ देते हैं। इन दिनों तुम काफी बाहर जाने लगी हो। क्या तुम हमें छोड़कर भाग जाना चाहती हो?” मैंने कहा, “मैं हमारे घर का इतना अच्छे से ख्याल रखती हूँ। मैं इसे कैसे छोड़ सकती हूँ? मैं सुसमाचार साझा करने बाहर जाती हूँ, ताकि लोग यह जानें कि उद्धारकर्ता आ गया है और वे उसके उद्धार को स्वीकार सकें। इसका मतलब यह कैसे हुआ कि मैं अपने परिवार को छोड़ दूंगी? आपने देखा है कि कैसे लोग अधिक से अधिक भ्रष्ट होते जा रहे हैं, सभी बुरी प्रवृत्तियों के पीछे भागते हैं और पाप में जीते हैं। अपने दोस्तों को ही देखिए—वे सभी या तो जुआ खेलते हैं या फिर वेश्याओं के पास जाते हैं। दुनिया कितनी बुरी हो गई है। मानवजाति परमेश्वर का विरोध करती और उसे ठुकराती है, और भ्रष्टता अपने चरम पर है। बाइबल की भविष्यवाणी है कि अंत के दिनों में भीषण आपदाएं आएंगी जो भ्रष्ट मानवजाति को नष्ट कर देंगी। आज के दौर में, आपदाएं अधिक से अधिक गंभीर होती जा रही हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकारने, पाप और भ्रष्टता को त्यागने से ही मानवजाति परमेश्वर द्वारा बचायी जा सकती है, आपदा के बीच जीवित रह सकती है और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश कर सकती है। हममें से जो लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, मानवजाति को बचाने की उसकी तात्कालिक इरादे को समझ पाते हैं; हम देह-सुख को त्यागकर परमेश्वर के राज्य का सुसमाचार फैलाते हैं और उसकी गवाही देते हैं। यही सही और उचित है! लेकिन सीसीपी लोगों को परमेश्वर में विश्वास रखने, उसकी गवाही देने या सुसमाचार साझा करने की अनुमति नहीं देती। सीसीपी पागलों की तरह ईसाइयों को गिरफ्तार कर सता रही है, जिसके कारण बहुत से ईसाइयों ने अपने परिवारों को छोड़ दिया, वे वापस जाने में असमर्थ हैं और कुछ लोगों को तो गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया है या फिर यातनाएं देकर मार डाला गया है। क्या यह सब ईसाइयों पर सीसीपी के अत्याचार का परिणाम नहीं है? लेकिन सीसीपी पीड़ितों के बारे में झूठे आरोप लगाती है, कहती है कि परमेश्वर में विश्वास रखने वाले अपने परिवारों को छोड़ देते हैं। क्या यह तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश करना और सच को उलट कर रख देना नहीं है? सीसीपी दुष्ट है और वह झूठ के सिवाय कुछ नहीं कहती है। न केवल आप सीसीपी से घृणा नहीं करते हैं, बल्कि उसके दानवी शब्दों पर विश्वास भी करते हैं। यह कहते हुए आप बस सीसीपी का साथ दे रहे हैं कि परमेश्वर में विश्वास रखने वाले हम लोग अपने परिवारों को छोड़ देते हैं। यह तो गलत को सही समझना है।” लेकिन मेरे पति सीसीपी के झूठों से धोखा खा चुके थे, वे मेरी कोई भी बात सुनना नहीं चाहते थे। वे काफी गुस्सा हो गए और कहा, “मुझे परवाह नहीं। तुम जिसमें चाहे विश्वास रखो, पर तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने की इजाज़त नहीं है।” उनका बेहद कठोर रवैया देखकर मैं घबरा गई। हमारी शादी को दस साल हो गये, और हमने साथ मिलकर बहुत-सी कठिनाइयों का सामना किया। जैसी भी समस्याएं आईं, हमने साथ मिलकर चर्चा की, बिना किसी बड़े विवाद के एक दूसरे का पूरा सहयोग किया। लेकिन अब वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में मेरी आस्था के कारण इतने अधिक गुस्से में थे। मुझे बहुत बुरा लगा, तो मैंने मन-ही-मन प्रार्थना की, इस उम्मीद में कि वह अपना इरादा समझने में मेरा मार्गदर्शन करेगा। प्रार्थना के बाद, मुझे परमेश्वर के ये वचन याद आए : “परमेश्वर द्वारा मनुष्य के भीतर किए जाने वाले कार्य के प्रत्येक चरण में, बाहर से यह लोगों के मध्य अंतःक्रिया प्रतीत होता है, मानो यह मानव-व्यवस्थाओं द्वारा या मानवीय विघ्न से उत्पन्न हुआ हो। किंतु पर्दे के पीछे, कार्य का प्रत्येक चरण, और घटित होने वाली हर चीज, शैतान द्वारा परमेश्वर के सामने चली गई बाजी है, और लोगों से अपेक्षित है कि वे परमेश्वर के लिए अपनी गवाही में अडिग बने रहें” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल परमेश्वर से प्रेम करना ही वास्तव में परमेश्वर पर विश्वास करना है)। परमेश्वर के वचन से मुझे यह समझने में मदद मिली कि देखने में भले ही ऐसा लगता हो कि मेरे पति, परमेश्वर में मेरी आस्था में बाधा बनकर खड़े थे, लेकिन असल में, इन सबके पीछे शैतान का हस्तक्षेप था। शैतान लोगों को अपने वश में करके हमेशा के लिए उन पर शासन करना चाहता है, वह मुझे परमेश्वर में विश्वास रखने और उसका अनुसरण करने से रोकने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा था। शैतान ने मेरे पति को गुमराह करने के लिए अफवाहों और असत्यों का सहारा लिया, ताकि वे मुझे रोकें और सताएं; ताकि मैं अपने पति को लेकर अपने स्नेह के आगे बेबस हो जाऊं और सच्चे मार्ग को त्यागकर परमेश्वर को धोखा दूं। शैतान इतना अधिक धूर्त और दुष्ट है! यह बात समझ आने पर, मैंने संकल्प लिया कि चाहे शैतान कैसे भी हस्तक्षेप करे, मैं परमेश्वर में विश्वास रखने और उसका अनुसरण करने पर अडिग रहूँगी और कभी शैतान से समझौता नहीं करूंगी। फिर मैंने अपने पति से कहा, “मैं परमेश्वर में विश्वास रखती हूँ और उसका अनुसरण करती हूँ। यही जीवन का सच्चा मार्ग है। यह मेरा फैसला है और आपको हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है!” मेरे पति कुछ भी नहीं बोल पाए। गुस्से से तमतमाये वे बाहर निकल गए।
एक दिन जब मेरे पति ने मुझे परमेश्वर के वचनों के भजन सुनते देखा, तो फौरन मुँह बनाकर गुस्से से कहा, “क्या मैंने तुमसे कहा नहीं था कि तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने की इजाज़त नहीं है? तुम सुनती क्यों नहीं? माइक कई सालों से प्रभु के विश्वासी रहे हैं और वे एक समर्पित ईसाई हैं। उन्होंने मुझे बताया कि चमकती पूर्वी बिजली सच्चा मार्ग नहीं है। अगर तुम परमेश्वर में विश्वास रखना चाहती हो, तो माइक की कलीसिया जा सकती हो। यह बड़ी और प्रतिष्ठित कलीसिया है। अगर तुम जाना चाहो, तो मैं साथ चल सकता हूँ। हम दोनों हर हफ्ते वहां जा सकते हैं और माइक तुम्हारी मदद के लिए अपने पादरी से बात कर सकते हैं।” मैंने उनसे कहा, “आप माइक की बातों पर यकीन क्यों करते हैं, उन पादरी का इतना आदर क्यों करते हैं? आप बस यही देखते हैं कि पादरी के पास अच्छी साख और रुतबा है, पर यह नहीं देखते कि वे असल में क्या उपदेश देते हैं। वे बस बाइबल के ज्ञान और सिद्धांतों की बातें करते हैं, वही पुरानी बातें दोहराते हैं। लेकिन जब प्रभु के वचनों पर अमल करने या पाप में जी रहे लोगों की समस्याएं हल करने की बात आती है, तो उनके पास कहने को कुछ नहीं होता। उस कलीसिया में जाकर मुझे कुछ भी हासिल नहीं होगा। मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की सभाओं से आनंद और पोषण मिलता है, मैं सत्य के बारे में ज्यादा समझ पाती हूँ और सामान्य मानवता वाला जीवन जीने का तरीका जान पाती हूँ। आपने ही कहा था कि परमेश्वर में आस्था रखने के बाद मुझमें थोड़ा बदलाव आया था। फिर आप तथ्यों के आधार पर बातें क्यों नहीं करते, अफवाहों पर विश्वास करना और मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने से रोकना बंद क्यों नहीं करते?” वे इसके विरुद्ध तर्क नहीं दे सकते थे, तो उन्होंने मुझे धमकाते हुए कहा : “मैंने तुम्हें मनाने की कोशिश की, पर तुम सुनना ही नहीं चाहती। अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने पर जोर देती रहोगी, अपने सारे पैसे और बैंक की बचत मेरे हवाले कर दो, जो घर तुम्हारे नाम पर है उसे मेरे नाम कर दो।” उन्हें ऐसा कहते सुनकर मेरे दिल पर मानो छुरी चल गई। हमारी शादी के इतने सालों में, मैंने हमेशा कम खर्च किए और पैसे कमाने के लिए कड़ी मेहनत करती रही। किसी तरह साथ मिलकर डाउन पेमेंट का इंतजाम करना और घर खरीदना इतना आसान नहीं था। मैं तो नए कपड़े भी नहीं खरीदना चाहती थी। मैं पूरी तरह से अपने घर के प्रति समर्पित थी, मैंने कभी नहीं सोचा था कि मेरे पति मुझसे ऐसी निष्ठुर बातें कहेंगे। सिर्फ परमेश्वर में मेरी आस्था के कारण वे पति-पत्नी के रूप में साथ मिलकर बिताए दिनों को कैसे अनदेखा कर सकते हैं? अगर उन्होंने मुझे निकाल दिया तो पैसे या संपत्ति के बिना मैं क्या करूंगी? जब मैंने इन सभी चीजों के बारे में सोचा, तो लगा मेरे दिल में नश्तर चुभो दिया हो। मैं बेडरूम में जाकर रोने लगी, परमेश्वर से प्रार्थना करते हुए कहा, “हे परमेश्वर, मैं कमजोर और पीड़ा में हूँ। मुझे नहीं पता कि ऐसे हालात से कैसे उबरूं। कृपा करके अपना इरादा समझने में मेरा मार्गदर्शन करो।” प्रार्थना के बाद मैंने परमेश्वर के इन वचनों को याद किया : “अतीत में सभी लोग अपने संकल्प करने परमेश्वर के सामने आते थे और कहते थे : ‘अगर कोई अन्य परमेश्वर से प्रेम न भी करे, तो भी मुझे परमेश्वर से प्रेम करना चाहिए।’ परंतु अब तुम पर शोधन आता है, और चूँकि यह तुम्हारी धारणाओं के अनुरूप नहीं है, इसलिए तुम परमेश्वर में विश्वास खो देते हो। क्या यह सच्चा प्रेम है? तुमने अय्यूब के कर्मों के बारे में कई बार पढ़ा है—क्या तुम उनके बारे में भूल गए हो? सच्चा प्रेम केवल विश्वास के भीतर ही आकार ले सकता है। तुम जिन शोधनों से गुजरते हो, उनके माध्यम से ही परमेश्वर के लिए वास्तविक प्रेम विकसित करते हो, और अपने विश्वास के माध्यम से ही तुम अपने वास्तविक अनुभवों में परमेश्वर के इरादों के प्रति विचारशील हो पाते हो, और विश्वास के माध्यम से ही तुम अपने देह-सुख के खिलाफ विद्रोह करते हो और जीवन का अनुसरण करते हो; लोगों को यही करना चाहिए। अगर तुम ऐसा करते हो, तो तुम परमेश्वर के क्रियाकलाप देखने में समर्थ हो सकोगे, परंतु अगर तुम में विश्वास का अभाव है, तो तुम परमेश्वर के क्रियाकलाप देखने में या उसके कार्य का अनुभव करने में समर्थ नहीं होगे” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जिन्हें पूर्ण बनाया जाना है उन्हें शोधन से गुजरना होगा)। परमेश्वर के वचनों ने मुझे हिम्मत दी। परमेश्वर चाहता है कि दबाव और मुश्किलों का सामना करते हुए हम उस पर सच्ची आस्था रखें और उससे प्रेम करें। हम चाहे कैसे भी हालात का सामना करें, कितना भी कष्ट उठाएं, हम परमेश्वर से दूर नहीं जा सकते। मैं बहुत खुशकिस्मत थी कि मुझे अंत के दिनों में परमेश्वर की वाणी सुनने को मिली, मैंने प्रभु की वापसी का स्वागत किया, परमेश्वर के प्रकटन की गवाही दी और इतने सारे सत्यों के पोषण का आनंद उठाया। यह परमेश्वर का उद्धार था। मसीह का अनुसरण करने के लिए कष्ट उठाने की अहमियत और मायने हैं। यह धार्मिकता की खातिर तकलीफ सहना है। मैंने प्रभु यीशु के प्रेरितों और शिष्यों के बारे में सोचा, जिन्होंने परमेश्वर का अनुसरण किया और उसके लिए गवाही दी। रोमन सरकार ने उन पर बेरहमी से अत्याचार किया, उन्हें धार्मिक अगुआओं की आलोचना और दमन का सामना करना पड़ा, यहाँ तक कि वे अपने जीवन का बलिदान कर प्रभु के लिए शहीद हो गए। अतीत के संतों की तुलना में, आज की मेरी पीड़ा तो जिक्र करने लायक भी नहीं है। मुझे खुद पर अफसोस नहीं करना चाहिए, बल्कि कितनी भी बड़ी तकलीफ हो, उनसे सीख लेकर अंत तक परमेश्वर का अनुसरण करना चाहिए। इन चीजों के बारे में सोचकर मैंने अपने आंसू पोछ डाले, बेडरूम से बाहर निकली और अपने पति से कहा : “हमारी शादी को करीब दस साल हो गए, और मैं हमारे घर के प्रति समर्पित रही हूँ। अब आप मेरे सारे पैसे और संपत्ति लेकर मुझे आर्थिक रूप से काबू में करना चाहते हैं, ताकि मैं सच्चे मार्ग को छोड़ने के लिए मजबूर हो जाऊं। मगर मैं आपकी बात नहीं मानूँगी। मुझे परमेश्वर में विश्वास रखना ही होगा!” मुझे ऐसा कहते सुनकर मेरे पति गुस्से से भड़क उठे, मानो उनकी सोचने-समझने की शक्ति ही खत्म हो गई हो। उन्होंने मेरा एमपी3 प्लेयर छीन लिया और मेरी सभी निजी चीजें तोड़-फोड़ डाली। उन्होंने मेरी पहचान के दस्तावेज, सोने-चांदी के गहने, मेरे बैंक के कार्ड और नकदी, सब कुछ छीन लिए। उन्होंने मेरा फोन अपने कब्जे में लेकर उसे फर्श पर फेंक दिया, फिर एक स्टूल से मार-मारकर फोन तोड़ डाला, जिससे वह चकनाचूर हो गया। उन्होंने ऐसा बाहर की दुनिया से मेरा संपर्क ख़त्म कर देने के लिए किया। फिर उन्होंने मेरे माता-पिता, बहनों और देवर को बुलाया और वे सब मिलकर मेरे पीछे पड़ गए।
मेरे परिवार के सदस्य नियमित रूप से चीनी समाचार मीडिया की खबरें देखा करते थे, उन्हें सीसीपी की कोई समझ नहीं थी। वे बिना सोचे-समझे सीसीपी की बातों को पूरी तरह मान लेते थे। मेरी बहनों को ऑनलाइन बहुत-सी झूठी अफवाहें मिली थीं जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के बारे में सीसीपी ने गढ़ी थी, उन्होंने झाओयुआन मामले के बारे में सीसीपी द्वारा फैलाई गई अफवाहें मुझे दिखाईं। मैंने उनसे कहा, “मुझे सब मालूम है। झाओयुआन मामले की सुनवाई सीसीपी की अदालत में हुई थी, और सभी अपराधियों से इस बात से इनकार किया था कि वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का हिस्सा थे। अदालत में, उन्होंने साफ-साफ कहा था कि उनका सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया से कभी कोई संपर्क नहीं रहा, मगर सीसीपी के जज जोर देकर कहते रहे कि वे कलीसिया के सदस्य थे। क्या यह कलीसिया के खिलाफ साजिश कर उसे बदनाम करना नहीं है? क्या यह सीसीपी द्वारा बनाया गया झूठा कानूनी मामला नहीं है? आप सब जानते हैं कि सीसीपी एक नास्तिक राजनीतिक पार्टी है जिसने सत्ता में आने के बाद से लगातार धार्मिक आस्थाओं पर अत्याचार किया है। फिर आप सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के खिलाफ सीसीपी की कही किसी भी बात पर यकीन कैसे कर सकती हैं?” मगर मेरी दोनों बहनें सीसीपी के धोखे में आ चुकी थीं और उन्होंने सीसीपी की फैलाई अफवाहों पर कोई सोच-विचार नहीं किया। उन्होंने कहा, “अगर अनेक जानी-मानी समाचार एजेंसियां ऐसा कहती हैं, तो यह गलत कैसे हो सकता है?” मैंने कहा, “चीनी समाचार मीडिया की सभी एजेंसियां सीसीपी सरकार के नियंत्रण में हैं—वे सीसीपी की जबान बोलती हैं। वे वही कहती हैं जो सीसीपी उन्हें बोलने को कहती है, वे वास्तविक तथ्यों की रिपोर्ट करने की हिम्मत नहीं करतीं। सीसीपी ने बहुत-सी विदेशी मीडिया एजेंसियों को भी खरीद लिया है, और वे भी सीसीपी की ही जबान बोलती हैं। क्या ये बातें आपको मालूम नहीं हैं? तथ्यों की गूँज शब्दों से अधिक होती है, मैं कहती हूँ कि आप अपनी आँखें खोलकर देखें और सुनी-सुनाई अफवाहों पर आँखें मूंदकर विश्वास न करें।” मेरी बात खत्म होने पर, उनके पास कहने को कुछ नहीं रहा। मेरी माँ को गुस्सा आ गया, उन्होंने कहा, “हममें से कई लोगों ने तुमसे बात करने की कोशिश की, पर तुम सुनना ही नहीं चाहती। क्या तुम्हारे लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर को त्यागना वाकई इतना मुश्किल है? तुम्हारी आस्था के कारण पूरे परिवार को तुम्हारी फिक्र हो रही है। तुम हमारी सलाह मानने से इनकार क्यों करती हो?” इतना कहकर वह रोने लगी। अपनी माँ को इतना दुखी देखना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। उसने अकेले हम तीनों की परवरिश की थी और काफी तकलीफ उठाई थी। अब वह बूढ़ी हो चुकी थी, फिर भी मैंने उसे चिंता में डाल दिया था। यह सोचकर मैं रूआँसी हो गई। फिर मेरी छोटी बहन ने कहा, “क्या आप हमारी माँ को गुस्सा दिलाना चाहती हैं? आपको माँ चाहिए या सर्वशक्तिमान परमेश्वर?” मेरी दूसरी बहन ने बेरुखी से कहा, “अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने पर अड़ी रही, तो फिर मत कहना कि हम तुम्हारे साथ परिवार के सदस्य जैसा व्यवहार क्यों नहीं कर रहे। हम पुलिस में तुम्हारी रिपोर्ट कर देंगे और कह देंगे कि तुमने लोगों को धोखा देकर उनके पैसे ऐंठे हैं। फिर वे तुम्हें चीन भेज देंगे। यह मत भूलो कि तुम कनाडा आने के लिए आवेदन सिर्फ इसलिए कर पाई थी क्योंकि मैंने तुम्हारी सिफारिश की थी।” यह सुनकर मुझे काफी गुस्सा आया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि वे मुझे धमकाने के लिए ऐसे दुर्भावनापूर्ण और नीच हथकंडे अपनाने पर उतर आएंगे और मुझे परमेश्वर में अपनी आस्था त्यागने पर मजबूर करेंगे। मगर वे मुझे बेवकूफ नहीं बना सकते। मैं अब कनाडा की नागरिक बन चुकी थी, तो अब वे मनमाने ढंग से मुझ पर किसी अपराध का आरोप लगाकर चीन नहीं भेज सकते। अपने ही परिवार को इस तरह अपना दमन करते देखना बहुत ही पीड़ादायक था। मैं अपने आंसुओं को नहीं रोक पाई। मगर तभी मुझे कलीसिया का एक भजन याद आया, “पूरे सफर में तुम मेरे साथ हो” : “तुम्हारे वचन और कार्य दिखाते हैं मुझे रास्ता, और तुम्हारा प्रेम मुझे खींचता है तुम्हारे पीछे चलने को। मैं खाता, पीता और आनंद लेता हूं तुम्हारे वचनों का हर रोज़, तुम हो मेरे निरंतर साथी। जब मैं होता हूं नकारात्मक और कमज़ोर, तुम्हारे वचन होते हैं मेरा सहारा और ताक़त। जब मैं नाकामयाबी और विफलता का करता हूं सामना, तुम्हारे वचन होते हैं वे हाथ जो पकड़ कर खड़ा करते हैं मुझे। जब शैतान कब्ज़ा करता है मुझ पर, तुम्हारे वचन देते हैं मुझे साहस और बुद्धि। जब मैं गुज़रता हूं परीक्षणों और शुद्धिकरण से, अपनी गवाही में अडिग रहने के लिए तुम्हारे वचन मेरा मार्गदर्शन करते हैं। तुम्हारे वचन साथ देते हैं मेरा और दिखाते हैं मुझे रास्ता, और मेरा दिल है स्नेह और चैन से भरा। तुम्हारा प्रेम है बहुत वास्तविक, और मेरा दिल भरा हुआ है आभार से” (मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ)। भले ही मेरा परिवार मुझे नहीं समझता था और मुझे दबाता था, मगर परमेश्वर हमेशा मेरे साथ था, उसने अपने वचनों से मुझे प्रबुद्ध किया और रास्ता दिखाया, शैतान की चालों को समझने में मेरी मदद की। परमेश्वर ने अपने वचनों का इस्तेमाल कर मुझे सहारा दिया, मुझे आत्मविश्वास और हिम्मत दी। इस तरह से सोचने पर मैंने उतना दुखी नहीं महसूस किया। मैंने परमेश्वर के इन वचनों को याद किया : “निराश न हो, कमज़ोर न बनो, मैं तुम्हारे लिए चीज़ें स्पष्ट कर दूँगा। राज्य की राह इतनी आसान नहीं है; कुछ भी इतना सरल नहीं है! तुम चाहते हो कि आशीष आसानी से मिल जाएँ, है न? आज हर किसी को कठोर परीक्षणों का सामना करना होगा। बिना इन परीक्षणों के मुझे प्यार करने वाला तुम लोगों का दिल और मजबूत नहीं होगा और तुम्हें मुझसे सच्चा प्यार नहीं होगा। यदि ये परीक्षण केवल मामूली परिस्थितियों से युक्त भी हों, तो भी सभी को इनसे गुज़रना होगा; अंतर केवल इतना है कि परीक्षणों की कठिनाई हर एक व्यक्ति के लिए अलग-अलग होगी। ... जो लोग मेरी कड़वाहट में हिस्सा बँटाते हैं, वे निश्चित रूप से मेरी मिठास में भी हिस्सा बँटाएँगे। यह मेरा वादा है और तुम लोगों को मेरा आशीष है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, आरंभ में मसीह के कथन, अध्याय 41)। परमेश्वर के वचनों पर विचार करके मैं समझ गई कि स्वर्ग के राज्य का रास्ता मुश्किलों से भरा है, जिससे कोई नहीं बच सकता। मेरे परिवार के दमन और हमलों ने मुझे शैतान के सामने परमेश्वर की गवाही देने, परमेश्वर का मार्गदर्शन और प्रबोधन पाने, उसमें आस्था रखने और उसे समझने का एक मौका दिया। ऐसी चीजें मुझे एक आरामदायक वातावरण में कभी नहीं मिल पातीं। यह तकलीफ मूल्यवान भी थी और सार्थक भी! चूंकि मुझे पक्का यकीन था कि यही सच्चा मार्ग और परमेश्वर का कार्य है, इसलिए मैं चाहे कितनी भी तकलीफों और दमन का सामना करूँ, मैं उसका अनुसरण करती रहूँगी।
यह देखकर कि मैं कोई समझौता नहीं करूँगी, मेरे पति बहुत नाराज हो गए। उन्होंने बेहद आक्रामक लहजे में कहा, “मैं जानता हूँ कि तुम्हारी दोस्त ने ही तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने के लिए राजी किया है। वह तुम्हें कलीसिया लेकर गई ताकि तुम्हें धोखा देकर तुम्हारे पैसे ऐंठ सके। मैं उससे दिल की गहराइयों से नफरत करता हूँ। मानो या न मानो, चाहे मुझे जेल में ही क्यों न रहना पड़े, मैं उसे मार डालूँगा।” उनके मुँह से ऐसी बातें सुनना खौफनाक और हैरान करने वाला था, मैं डर से कांपने लगी। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि जिस आदमी के साथ करीब दस सालों से रही, वह अचानक इतना बदल सकता है, इतना दुष्ट हो सकता है। वह मेरा पति कैसे हो सकता है? वह साफ तौर पर एक शैतान था जो परमेश्वर और सत्य से नफरत करता था! वह मुझे परमेश्वर में विश्वास रखने से रोकने के लिए ऐसी दुर्भावनापूर्ण बातें भी कह सकता है। अपने पति का दुष्ट चेहरा देखने के बाद मुझे डर लगा कि कहीं वह सच में मेरी दोस्त को मार ही न डाले। इस झटके से मैं संभल भी नहीं पाई थी कि मेरी माँ ने कहा, “लगता है तुम दोनों लड़ते ही रहोगे। अपने कपड़े निकालो और कुछ दिन मेरे यहाँ आकर रहो। बाहर के लोगों से कोई संपर्क मत रखो या काम पर भी मत जाओ। बस घर पर रहकर सोचो कि तुमने क्या किया है।” अपनी माँ की ऐसी बातें सुनकर मुझे चिंता हुई। कहने की जरूरत नहीं कि मेरे पति पागल होकर क्या कर बैठेंगे। मेरा फोन टूटकर बेकार हो गया था, अपनी माँ के घर पर मैं किसी से भी संपर्क नहीं कर सकती थी या काम पर भी नहीं जा सकती थी। क्या यह मुझे घर में नजरबंद करने जैसा नहीं था? मैं अपनी दोस्त को कैसे सचेत कर पाऊँगी, कलीसिया से संपर्क कैसे कर पाऊँगी या कलीसिया का जीवन कैसे जी पाऊँगी? मैंने फौरन परमेश्वर को पुकारा और उससे मुझे रास्ता दिखाने को कहा। फिर मुझे याद आया कि पश्चिमी देशों में धार्मिक आस्थाओं की रक्षा की जाती है, वे लोगों की आस्था की आजादी में दखल नहीं देते हैं। मेरे परिवार ने कहा कि वे पुलिस में मेरी रिपोर्ट कर मुझे बदनाम करना चाहते हैं। मगर मैं भी तो पुलिस में रिपोर्ट कर सकती हूँ, जिससे मेरी दोस्त की रक्षा होगी और पुलिस को शामिल कर लेने से मेरा परिवार जल्दबाजी में कुछ करने की हिम्मत भी नहीं कर पाएगा। मैंने अपनी माँ से कहा, “मैं आपके घर नहीं जाना चाहती। मैं पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराना चाहती हूँ।” यह सुनकर वे अवाक रह गए। मैं झट से निकल गई और पुलिस थाने जाकर अधिकारियों से कहा कि परमेश्वर में आस्था रखने के कारण मेरा परिवार मुझे सता रहा है। मेरी कहानी सुनकर पुलिस को यकीन ही नहीं हो रहा था कि किसी पश्चिमी देश में ऐसा कुछ हो सकता है। वे सहानुभूति दिखाते हुए मुझे घर वापस ले आए। पुलिस ने मेरे पति और मेरे परिवार को चेतावनी देते हुए कहा, “पश्चिमी देशों में धार्मिक आस्था रखने की आजादी है। तुम लोग उसकी आस्था में दखल नहीं दे सकते या उसकी व्यक्तिगत आजादी में बाधा नहीं बन सकते। अगर वह काम पर जाना चाहती है, तो तुम लोग उसे नहीं रोक सकते। इतना ही नहीं, पहचान के दस्तावेज निजी संपत्ति होते हैं, वे दस्तावेज उसे वापस लौटा दो।” पुलिस की बातें सुनने के बाद, उन्होंने मुझे दबाने की हिम्मत नहीं की। मैं परमेश्वर की बहुत आभारी थी, मुझे रास्ता दिखाने के लिए मैंने उसे तहेदिल से धन्यवाद दिया।
मेरे पति कानून से बंधे हुए थे, उन्होंने सीधे तौर पर मुझे दबाने या परमेश्वर में आस्था रखने से रोकने की हिम्मत नहीं की। मगर वे बहुत जिद्दी थे, वे परमेश्वर में मेरी आस्था छुड़वाने को मजबूर करने के तरीके सोचते रहे। दो दिन बाद, उन्होंने मकान को अपने नाम ट्रांसफर करने के लिए मुझ पर दबाव बनाया। जब उन्होंने ऐसा कहा, तो मैं थोड़ी चिंता में पड़ गई। दो दिन पहले ही तो उन्होंने मेरी सारी नकदी, सोने-चांदी के गहने वगैरह जब्त कर लिए थे, अब वे मकान को अपने नाम पर ट्रांसफर कराना चाहते थे। अगर उन्होंने मुझे घर छोड़ने पर मजबूर किया, तो मेरे पास कुछ भी नहीं रहेगा। मेरे माता-पिता और बहनें भी मुझे अपने यहाँ नहीं रहने देंगी। यह सब सोचकर बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया, मगर फिर मैंने परमेश्वर के वचनों को याद किया : “जब परमेश्वर कार्य करता है, किसी की देखभाल करता है, उस पर नजर रखता है, और जब वह उस व्यक्ति पर अनुग्रह करता और उसे स्वीकृति देता है, तब शैतान करीब से उसका पीछा करता है, उस व्यक्ति को गुमराह करने और नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है। अगर परमेश्वर इस व्यक्ति को पाना चाहता है, तो शैतान परमेश्वर को रोकने के लिए अपने सामर्थ्य में सब-कुछ करता है, वह परमेश्वर के कार्य को प्रलोभित करने, उसमें विघ्न डालने और उसे खराब करने के लिए विभिन्न दुष्ट हथकंडों का इस्तेमाल करता है, ताकि वह अपना छिपा हुआ उद्देश्य हासिल कर सके। क्या है वह उद्देश्य? वह नहीं चाहता कि परमेश्वर किसी भी मनुष्य को प्राप्त कर सके; परमेश्वर जिन्हें पाना चाहता है, वह उन पर कब्जा कर लेना चाहता है, वह उन पर नियंत्रण करना, उनको अपने अधिकार में लेना चाहता है, ताकि वे उसकी आराधना करें, ताकि वे बुरे कार्य करने और परमेश्वर का प्रतिरोध करने में उसका साथ दें। क्या यह शैतान का भयानक उद्देश्य नहीं है?” (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IV)। “यदि वे बचाए जाना चाहते हैं, और परमेश्वर द्वारा पूरी तरह प्राप्त किए जाना चाहते हैं, तो उन सभी को जो परमेश्वर का अनुसरण करते हैं शैतान के बड़े और छोटे दोनों प्रलोभनों और हमलों का सामना करना ही चाहिए। जो लोग इन प्रलोभनों और हमलों से उभरकर निकलते हैं और शैतान को पूरी तरह परास्त कर पाते हैं ये वे लोग हैं जिन्हें परमेश्वर द्वारा बचा लिया गया है। कहने का तात्पर्य यह, वे लोग जिन्हें परमेश्वर पर्यंत बचा लिया गया है ये वे लोग हैं जो परमेश्वर की परीक्षाओं से गुजर चुके हैं, और अनगिनत बार शैतान द्वारा लुभाए और हमला किए जा चुके हैं। वे जिन्हें परमेश्वर पर्यंत बचा लिया गया है परमेश्वर के इरादों और अपेक्षाओं को समझते हैं, और परमेश्वर की संप्रभुता और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पण कर पाते हैं, और वे शैतान के प्रलोभनों के बीच परमेश्वर का भय मानने और बुराई से दूर रहने के मार्ग को नहीं छोड़ते हैं। वे जिन्हें परमेश्वर पर्यंत बचा लिया गया है वे ईमानदारी से युक्त हैं, वे उदार हृदय हैं, वे प्रेम और घृणा के बीच अंतर करते हैं, उनमें न्याय की समझ है और वे तर्कसंगत हैं, और वे परमेश्वर की परवाह कर पाते और वह सब जो परमेश्वर का है सँजोकर रख पाते हैं। ऐसे लोग शैतान की बाध्यता, जासूसी, दोषारोपण या दुर्व्यवहार के अधीन नहीं होते हैं, वे पूरी तरह स्वतंत्र हैं, उन्हें पूरी तरह मुक्त और रिहा कर दिया गया है। अय्यूब बिल्कुल ऐसा ही स्वतंत्र मनुष्य था, और ठीक यही परमेश्वर द्वारा उसे शैतान को सौंपे जाने का महत्व था” (वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर II)। अय्यूब परमेश्वर में सच्ची आस्था रखता था, वह आज्ञाकारी था और परमेश्वर का भय मानता था, यही वजह थी कि वह शैतान के प्रलोभनों के बीच अडिग रह पाया, और खुद को शैतान के बंधनों और आरोपों से मुक्त किया। अय्यूब का मानना था कि सभी चीजों पर परमेश्वर का राज है, और उसके पास जो भी चीजें हैं वे सभी परमेश्वर ने उसे दी हैं। इसलिए, परमेश्वर चाहे उसे कुछ दे या उससे छीन ले, अय्यूब उसे स्वीकार कर समर्पित होने में सक्षम था। जब अय्यूब ने अपनी संपत्ति और बच्चों को खो दिया, और यहाँ तक कि जब उसके पूरे शरीर में फोड़े निकल आये, फिर भी उसने परमेश्वर से शिकायत नहीं की, बल्कि पहले की तरह उसके नाम का गुणगान करता रहा। अय्यूब की पत्नी ने उससे कहा, “क्या तू अब भी अपनी खराई पर बना है? परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा” (अय्यूब 2:9)। तब अय्यूब ने उसे यह कहकर फटकार लगाई, “तू एक मूढ़ स्त्री की सी बातें करती है, क्या हम जो परमेश्वर के हाथ से सुख लेते हैं, दुःख न लें?” (अय्यूब 2:10)। अय्यूब की गवाही ने मुझे काफी प्रेरित किया और मैं उसका अनुकरण करना चाहती थी। मेरे पति मुझे चाहे कितना भी दबाएं, मेरी कितनी भी संपत्ति मुझसे छीन लें, यहाँ तक कि वे मुझे घर से निकाल दें और मेरे पास कुछ भी न रहे, तब भी मैं परमेश्वर का अनुसरण करने की अपनी आस्था पर निर्भर रहूँगी, और अपनी गवाही में अडिग रहकर शैतान को नीचा दिखाऊंगी।
अगले दिन जब हम मकान के गिरवी रखने के कागजात ट्रांसफर करने के लिए बैंक गए, तो बैंक के कर्मचारी ने बताया कि हमने जो गिरवी रखा था वह असल में एक नया लोन था। ऐसे में, अगर हम उसे फिर से गिरवी रखना चाहते हैं, तो इसकी प्रक्रिया बहुत जटिल होगी और हमें काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। बैंक के कर्मचारी ने सुझाव दिया कि अगर मुमकिन हो, तो हमें और पांच सालों तक और इंतजार करना चाहिए। फिर जब असली भुगतान की अवधि ख़त्म हो जाएगी, तब हम उसे ट्रांसफर कर सकते हैं। मेरे पति के पास कोई विकल्प नहीं था, तो वे मान गये। इसके बाद, मैं फिर से अपने भाई-बहनों के संपर्क में आई। जब मेरे पति को पता चला तो उन्होंने पूछा, “क्या तुम अब भी सभाओं में हिस्सा लेने जाती हो?” मैंने जवाब दिया, “क्या आप अब भी मुझे सभाओं में जाने से रोकना चाहते हैं? अगर ऐसा है, तो मैं कहीं और जाकर रह सकती हूँ। क्या आपको हमेशा इस बात की फिक्र नहीं रहती है कि अगर मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखूँगी, तो किसी के झांसे में आकर अपने परिवार को त्याग दूंगी? जब से मैं विश्वासी बनी हूँ, क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया ने कभी मुझसे एक भी पैसे का धोखा किया है? क्या मैंने अपने परिवार को त्याग दिया, जैसा कि विश्वासियों के बारे में उड़ाई गई अफवाहों में दावा किया जाता है?” मेरे पति अवाक रह गए। कुछ पल बाद उन्होंने कहा, “तुम्हारी बात सही है। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को कभी तुमसे एक भी पैसे का धोखा करते नहीं देखा है, और तुमने अपना परिवार भी नहीं त्यागा है। मैं बेवकूफ था जो उन अफवाहों पर विश्वास कर लिया, मैं तुम्हें सिर्फ इसलिए रोकना चाहता था क्योंकि मुझे डर था कि तुम धोखा खा जाओगी। अब से, तुम जैसे चाहो, परमेश्वर में विश्वास रख सकती हो।” मैं बहुत खुश थी कि मेरे पति अब कभी परमेश्वर में मेरी आस्था को काबू में करने या मुझे सभाओं में जाने से रोकने की कोशिश नहीं करेंगे। बाद में, उन्हें लगने लगा कि पैसों का अच्छे से प्रबंधन नहीं कर पाते थे, और हमारे आर्थिक मामलों की देखरेख में काफी समय और मेहनत लगती थी, तो उन्होंने हमारे सारे पैसे मुझे देकर उनके प्रबंधन की जिम्मेदारी भी मुझे सौंप दी। और फिर उन्होंने घर को अपने नाम ट्रांसफर करने का भी जिक्र भी कभी नहीं किया।
अपने परिवार के दमन का अनुभव करते हुए, मैंने देखा कि सीसीपी असल में कितनी दुष्ट है। सीसीपी चीन में ईसाइयों का अंधाधुंध दमन, उत्पीड़न और गिरफ्तारी ही नहीं करती है, बल्कि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को कलंकित करने के लिए जानबूझकर ऑनलाइन अफवाहें भी गढ़ती है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर से शत्रुता रखने के लिए सीसीपी पूरी दुनिया को गुमराह करना चाहती है, ताकि लोग उसका पक्ष लेकर परमेश्वर का विरोध करें और उसके साथ ही निंदित और दंडित होकर नरक के भागी बनें। सीसीपी एक राक्षसी है, एक दुष्ट आत्मा है जो परमेश्वर का विरोध करती है, लोगों को गुमराह करती और निगल जाती है। शैतान भले ही दुष्ट और घृणित हो, परमेश्वर की बुद्धि शैतान की साजिशों के आधार पर काम करती है। शैतान मेरे परिवार के दमन का इस्तेमाल कर मुझसे परमेश्वर को धोखा दिलवाना चाहता था, ताकि मैं बचाए जाने का मौका गँवा दूं, पर उसने कभी सोचा नहीं था कि मैं उस अनुभव का इस्तेमाल अपनी समझ को विकसित करने और शैतान के कुरूप चेहरे को पहचानने में करूंगी। मैंने अपने दिल से शैतान को धिक्कारा और उसे त्याग दिया, इससे परमेश्वर में मेरी आस्था और मजबूत हो गई। परमेश्वर का धन्यवाद!