63 इंसान को पूर्ण बनाने के लिए न्याय परमेश्वर का मुख्य तरीका है
ईश्वर इंसान को पूर्ण कैसे बनाता? वो अपने धार्मिक स्वभाव से पूर्ण बनाता!
धार्मिकता और प्रताप, रोष, न्याय और शाप,
ये शामिल हैं ईश्वर के स्वभाव में। वो न्याय से इंसान को पूर्ण बनाता।
1
समझते नहीं कुछ लोग, फिर पूछते हैं क्यों,
क्यों ईश्वर न्याय और शाप से ही,
न्याय और शाप से ही इंसान को पूर्ण बना सकता?
अगर शाप दे ईश्वर, तो क्या मर न जाएगा इंसान?
2
वे पूछें, "अगर न्याय करे ईश्वर, क्या दोषी सिद्ध न होगा इंसान?"
फिर कैसे पूर्ण बनाया जा सके इंसान?
जाने न जो ईश्वर-कार्य, ऐसे सवाल करते वो इंसान।
ईश्वर इंसान को पूर्ण कैसे बनाता? वो अपने धार्मिक स्वभाव से पूर्ण बनाता!
धार्मिकता और प्रताप, रोष, न्याय और शाप,
ये शामिल हैं ईश्वर के स्वभाव में। वो न्याय से इंसान को पूर्ण बनाता।
3
ईश्वर इंसान की अवज्ञा को शाप देता है,
वो इंसान के सारे पापों का न्याय करता है।
हालाँकि वो कठोरता, प्रचंडता से बोलता है,
इन वचनों से मगर, वो इंसान के सार को खोलता है।
ऐसा न्याय इंसान को उसकी देह का सार दिखाता है,
वो आज्ञाकारी बन ईश्वर के आगे झुकता।
ईश्वर इंसान को पूर्ण कैसे बनाता? वो अपने धार्मिक स्वभाव से पूर्ण बनाता!
धार्मिकता और प्रताप, रोष, न्याय और शाप,
ये शामिल हैं ईश्वर के स्वभाव में। वो न्याय से इंसान को पूर्ण बनाता।
इंसान की देह पापी है, शैतान की है, हठी है, ईश्वर-ताड़ना लायक है।
इंसान जाने खुद को इसलिए ज़रूरी है, ईश्वर के न्याय के वचन से गुज़रे इंसान।
हर तरह के शुद्धिकरण का इस्तेमाल ज़रूरी है।
तभी ईश्वर-कार्य का फल मिल सकता है।
न्याय इंसान को पूर्ण बनाने का ईश्वर का मुख्य तरीका है।
ईश्वर इंसान को पूर्ण कैसे बनाता? वो अपने धार्मिक स्वभाव से पूर्ण बनाता!
धार्मिकता और प्रताप, रोष, न्याय और शाप,
ये शामिल हैं ईश्वर के स्वभाव में। वो न्याय से इंसान को पूर्ण बनाता।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पीड़ादायक परीक्षणों के अनुभव से ही तुम परमेश्वर की मनोहरता को जान सकते हो से रूपांतरित