96 परमेश्वर को बेहतर जान सकते हैं लोग वचनों के कार्य के ज़रिये
1
अंत के दिनों का परमेश्वर मुख्यतः
प्रयोग करता है वचन पूर्ण करने के लिए इंसान को,
न कि संकेतों या चमत्कारों का, उसे दबाने या मनाने के लिए,
क्योंकि ज्ञात नहीं होती इनसे सामर्थ्य परमेश्वर की।
अगर परमेश्वर दिखाता संकेत और चमत्कार केवल,
तो नामुमकिन होता समझाना परमेश्वर की वास्तविकता को।
और नामुमकिन होता इस तरह पूर्ण करना इंसान को।
परमेश्वर पूर्ण नहीं करता इंसान को संकेतों या चमत्कारों से,
बल्कि सींचता है, चरवाही करता है वचनों से,
ताकि इंसान आज्ञाकारी बन सके, परमेश्वर को जान सके।
यही है लक्ष्य परमेश्वर के कार्य और वचनों का।
परमेश्वर पूर्ण करने के लिए इंसान को,
नहीं करता प्रयोग संकेतों, चमत्कारों का।
बल्कि वो प्रयोग करता है वचनों और कई तरह के कामों का,
जैसे शुद्धिकरण, व्यवहार, कांटछांट, और वचनों के प्रावधान का।
परमेश्वर इंसान को पूर्ण करने के लिये,
अपने कार्य, बुद्धि और चमत्कार का और ज़्यादा ज्ञान देने के लिए,
अलग-अलग नज़रियों से बोलता है।
2
परमेश्वर का आज का किया कार्य है वास्तविक कार्य,
न संकेत हैं, न चमत्कार हैं जिसमें,
क्योंकि इनसे अस्त-व्यस्त हो जाएंगे उसके असली कार्य,
और नहीं कर पाएगा वो और ज़्यादा कार्य।
क्या ज़ाहिर हो सकती है इससे, सच्ची है या नहीं आस्था इंसान की,
अगर कहता वो, इस्तेमाल करेगा वचन, पूर्ण करने के लिये इंसान को,
मगर संकेत और चमत्कार भी दिखाता वो इंसान को?
नहीं करता है इसलिये ऐसे काम परमेश्वर।
3
इंसान के अंदर धर्म कुछ ज़्यादा ही भरा है।
अंत के दिनों में परमेश्वर आया है,
इंसान की धार्मिक धारणाओं, नकली चीजों को निकालने,
और उसे परमेश्वर की वास्तविकता से वाकिफ कराने के लिए।
वो आया है परमेश्वर की उस छवि को हटाने के लिए
जो अमूर्त है, काल्पनिक है और जो मौजूद नहीं है।
इसलिए वास्तविकता का ज्ञान ही कीमती चीज़ है
इस समय तुम्हारे लिए।
परमेश्वर में अपनी आस्था में सत्य की खोज
और संकेतों, चमत्कारों की बजाय जीवन का अनुसरण,
परमेश्वर के विश्वासियों का यही लक्ष्य होना चाहिए।
परमेश्वर पूर्ण करने के लिए इंसान को,
नहीं करता प्रयोग संकेतों, चमत्कारों का।
बल्कि वो प्रयोग करता है वचनों और कई तरह के कामों का,
जैसे शुद्धिकरण, व्यवहार, कांटछांट, और वचनों के प्रावधान का।
परमेश्वर इंसान को पूर्ण करने के लिये,
अपने कार्य, बुद्धि और चमत्कार का और ज़्यादा ज्ञान देने के लिए,
अलग-अलग नज़रियों से बोलता है, अलग-अलग नज़रियों से बोलता है,
अलग-अलग नज़रियों से बोलता है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के वचन के द्वारा सब-कुछ प्राप्त हो जाता है से रूपांतरित