823 परमेश्वर के कर्मों को जानकर ही उसकी सच्ची गवाही दी जा सकती है
1
जो भी परमेश्वर ने बनाया
उसमें उसके कर्म न देख पाओ तो
उनकी गवाही नहीं दे पाओगे तुम।
गर तुम ईश्वर की गवाही न देकर
उस छोटे ईश्वर के बारे में बोलते हो,
जिसे तुम जानते हो, जो ख़यालों में सीमित है,
जिसका अस्तित्व है सिर्फ तुम्हारे मन में,
तो ईश्वर नहीं स्वीकारेगा आस्था तुम्हारी।
अगर एकमात्र सच्चे ईश्वर की
सच्ची गवाही देना चाहो
और उसकी इच्छा के अनुरूप गवाही देना चाहो,
तो उसके कर्मों से उसके स्वरूप को जानो,
सभी चीजों पर उसके नियंत्रण में
उसका अधिकार देखो,
वह सभी इंसानों का पोषण
कैसे करता इसका सत्य देखो।
2
अगर तुम सिर्फ इसकी गवाही देते
कि ईश्वर तुम्हें क्या देता है,
कैसे तुम उसके अनुग्रहों का आनंद लेते,
कैसे उसका अनुशासन और ताड़ना स्वीकारते,
तो यह उसे जरा भी संतुष्ट नहीं करेगा।
अगर एकमात्र सच्चे ईश्वर की
सच्ची गवाही देना चाहो
और उसकी इच्छा के अनुरूप गवाही देना चाहो,
तो उसके कर्मों से उसके स्वरूप को जानो,
सभी चीजों पर उसके नियंत्रण में
उसका अधिकार देखो,
वह सभी इंसानों का पोषण
कैसे करता इसका सत्य देखो।
अगर तुम बस ये मानते
कि तुम्हारी रोज़ की जरूरतें
पूरी होतीं सीधे ईश्वर से,
पर ये सत्य न देख पाते
कि अपनी सृजित सभी चीजों से
वो इंसानों का पोषण करे,
सभी चीजों पर अपने शासन द्वारा
इंसानों की अगुआई करे,
तो तुम कभी ईश्वर की गवाही नहीं दे सकते।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, स्वयं परमेश्वर, जो अद्वितीय है IX से रूपांतरित