491 ज्ञान वास्तविकता का विकल्प नहीं है
1
ईश-वचन पढ़ने में अधिकतर लोग
बहुत प्रयास करें फिर भी,
क्यों उनके पास सिर्फ ज्ञान है, असली राह नहीं?
क्या तुम्हें लगे ज्ञान का होना सत्य का होना है?
तुम ज्ञान की काफी बातें करते हो,
लेकिन इनमें असली राह नहीं।
तुम किसे बेवकूफ बना रहे हो?
सिद्धांत जितने ऊंचे और कम वास्तविक होते,
उतना ही कम वो लोगों को वास्तविकता दे सकते;
सिद्धांत जितने ऊंचे होते, उतना ही तुम
ईश्वर का विरोध और अवहेलना करते।
ऊंचे-ऊंचे सिद्धांत कीमती खजाने नहीं;
उन्हें ऐसा न समझो,
क्योंकि वे नुकसानदेह और बेकार हैं।
2
लोग सबसे ऊंचे सिद्धांत की बात कर सकते,
लेकिन उसमें कुछ भी असल नहीं,
क्योंकि उनके पास सच्चा अनुभव नहीं,
इसलिए उनके पास अभ्यास का पथ नहीं।
ऐसा इंसान किसी दूसरे को
सही रास्ते पर न ले जा सके।
वो बस दूसरों को गुमराह करे।
सिद्धांत जितने ऊंचे और कम वास्तविक होते,
उतना ही कम वो लोगों को वास्तविकता दे सकते;
सिद्धांत जितने ऊंचे होते, उतना ही तुम
ईश्वर का विरोध और अवहेलना करते।
ऊंचे-ऊंचे सिद्धांत कीमती खजाने नहीं;
उन्हें ऐसा न समझो,
क्योंकि वे नुकसानदेह और बेकार हैं।
3
अगर तुम लोगों की परेशानी दूर न कर सको,
उन्हें प्रवेश पाने में मदद न कर सको,
तो तुम्हारे पास समर्पण नहीं,
तुम ईश्वर के लिए कार्य करने योग्य नहीं।
हर वक्त बड़ी बातें न करो,
लोगों से अपनी बात मनवाने के लिए
गलत तरीकों का इस्तेमाल न करो।
इससे कुछ नहीं होगा, बस लोग उलझन में पड़ेंगे।
इससे नियम बनेंगे और लोग तुमसे नफरत करेंगे।
ये इंसान की कमी है और शर्मनाक है।
इसलिए असल समस्याओं की बात करो।
दूसरे के अनुभवों को अपना मत समझो
और दिखावा करने को उसका प्रदर्शन मत करो।
अभ्यास के तरीके ढूंढ़ो जो बस तुम्हारे ही हों।
तुम सभी को इसे अभ्यास में लाना चाहिए।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, वास्तविकता पर अधिक ध्यान केंद्रित करो से रूपांतरित