100 परमेश्वर का प्रेम प्रतीक्षा कर रहा है
तूने देहधारण किया है और तू इंसान को बचाने के लिए सत्य को व्यक्त करता है।
तेरे सभी वचन सत्य हैं, वे इंसान के दिलों को जगाते हैं।
तू दिन-रात निगाह रखता है, आँधी-तूफ़ान में भी हमेशा हमारे साथ रहता है।
तूने अपने दिल का खून उँड़ेल दिया है ताकि इंसान को बचाया जा सके।
तू बिना किसी शिकायत या पछतावे के हमारे विद्रोह और गलतफ़हमियों को सहन करता है।
लेकिन कितने लोग तेरे दिल को समझते हैं?
और कितने लोगों ने जागकर तुझे अपना दिल दिया है?
तू कितनी चिंताओं, बेचैनियों और आहों से भरा है।
कितनी मुश्किलें हैं, कड़वाहट है, तू अकेले ही इन सब चीज़ों को झेलता है।
तेरे वचन लोगों का न्याय करते, उन्हें उजागर करते हैं, और वे तेरे प्रेम को प्रकट करते हैं।
तूने इंसान को बचाने के लिए भयंकर अपमान सहा है।
कितने सालों की निगरानी? कितने साल का इंतज़ार?
यह केवल ऐसे लोगों के एक समूह को प्राप्त करने के लिए है जो तुझसे से सच्चा प्रेम करते हों।
तेरे नेक इरादे और सच्चे प्रेम ने
मेरे संवेदनहीन हृदय को फिर से ज़िंदा कर दिया है।
मैं फिर से विद्रोही कैसे हो सकता हूँ? मैं फिर से मायूस कैसे हो सकता हूँ या कैसे पीछे मुड़ सकता हूँ?
तू पहले ही बहुत उम्मीद कर चुका है, बहुत इंतजार कर चुका है।
मैं तेरा और अधिक इंतज़ार करना, तुझे और आहत करना कैसे बर्दाश्त कर सकता हूँ?
इस आख़िरी पड़ाव में, मैं तेरे करीब रहकर निरंतर अनुसरण करना चाहता हूँ।
मैं सत्य का अनुसरण करने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ ताकि मैं सत्य और जीवन को पा सकूँ।
उत्पीड़न और कष्ट चाहे जितने भी गंभीर हों, चाहे कितने ही बड़े हों, मैंने पूरी तरह से तेरा अनुसरण करने का संकल्प ले लिया है।
इस जीवन में मेरी दिली इच्छा है कि मैं तुझे प्रेम करने के योग्य बन पाऊँ, तेरी अच्छी गवाही दे पाँऊ।