311 आदमी का सच्चा यक़ीन मसीह में नहीं है
1
तारीफ़ तुम करते हो जिसकी वो मसीह की विनम्रता नहीं,
बल्कि विशिष्ट झूठे चरवाहों की है।
तुम पसंद नहीं करते मसीह की सुन्दरता या बुद्धि,
बल्कि पसंद करते हो नीच संसार से जुड़े उधमियों को।
अब भी तुम्हारा दिल उनकी तरफ़ मुड़ता है,
सभी शैतानों के दिल में उनकी स्थिति की तरफ़,
उनके प्रभाव और अधिकार की तरफ़।
तुम मसीह के कार्य को नकारते, विरोध करते हो।
ईश्वर कहता है, तुम्हें मसीह को स्वीकारने का यक़ीं नहीं।
2
तुम मसीह के दुख पे हँसते हो, जिसके पास आराम की जगह नहीं,
पर उन मुर्दों की तारीफ़ करते हो जो भेंट चुराते और बुराई में जीते हैं।
तुम मसीह के संग कष्ट सहने को तैयार नहीं,
पर प्रसन्नता से जाओगे बाहों में उन धृष्ट मसीह विरोधियों की,
वे हालांकि तुम्हें देते हैं देह, शब्द और नियंत्रण।
अब भी तुम्हारा दिल उनकी तरफ़ मुड़ता है,
सभी शैतानों के दिल में उनकी स्थिति की तरफ़,
उनके प्रभाव और अधिकार की तरफ़।
तुम मसीह के कार्य को नकारते, विरोध करते हो।
ईश्वर कहता है, तुम्हें मसीह को स्वीकारने का यक़ीं नहीं।
3
तुमने अनुसरण किया उसका क्योंकि तुम थे मजबूर,
तुम्हारा दिल महान छवियों से भरा है, उनके प्रभावी वचनों और हाथों से।
वे हैं, तुम्हारे दिल में, हमेशा परम नायक।
लेकिन यह ऐसा नहीं आज के मसीह के लिए।
अब भी तुम्हारा दिल उनकी तरफ़ मुड़ता है,
सभी शैतानों के दिल में उनकी स्थिति की तरफ़,
उनके प्रभाव और अधिकार की तरफ़।
तुम मसीह के कार्य को नकारते, विरोध करते हो।
ईश्वर कहता है, तुम्हें मसीह को स्वीकारने का यक़ीं नहीं।
हमेशा ही तुच्छ है मसीह तुम्हारे दिल में, हमेशा ही आदर के अयोग्य,
क्योंकि वह बहुत साधारण है, कम प्रभावी है क्योंकि वह उच्चता से बहुत दूर है।
इसीलिए, ईश्वर कहता है, तुम्हें मसीह को स्वीकारने का यक़ीं नहीं।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम परमेश्वर के सच्चे विश्वासी हो? से रूपांतरित