310 तुममें मसीह के प्रति अविश्वास के बहुत ज्यादा तत्व हैं
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आज तुम्हारे भीतर बहुत अविश्वास बना हुआ है।
अपने भीतर झाँको, जवाब ज़रूर मिलेगा।
फिर करोगे स्वीकार कि नहीं ईश्वर में विश्वास तुम्हें।
देते तुम धोखा उसे, करते निंदा
और विश्वासघात उसके साथ।
तुम उसके प्रति निष्ठावान नहीं।
तभी देखोगे तुम मसीह ईश्वर है, इंसान नहीं।
जब ऐसा होगा तो तुम,
मसीह से श्रद्धा और प्रेम करोगे, उसका भय मानोगे।
अभी तुम सबके दिल के एक तिहाई हिस्से में ही
आस्था है, संदेह भरा है बाकी हिस्से में।
ईश्वर तुम सबको कम करके न आँके।
तुममें है बहुत अविश्वास,
विश्लेषण के लिए हैं कई अशुद्ध चीज़ें।
ये चीज़ें दिखाएँ तुममें आस्था नहीं।
ये हैं चिह्न तुम्हारे मसीह को त्यागने के,
ये तुम्हें विश्वासघाती ठहराएँ।
वे तुम्हें मसीह को जानने नहीं देते,
तुम्हारे मसीह द्वारा प्राप्त होने में बाधा हैं,
एक रोड़ा जो तुम्हें उसके असंगत बनाए,
हैं सबूत कि मसीह न स्वीकारे तुम्हें।
2
जो भी मसीह कहे या करे उससे
तुम लोगों में धारणाएँ और राय बनें
जो जन्में तुम्हारे पूर्ण अविश्वास से।
तुम स्वर्ग के अनदेखे ईश्वर का आदर करते,
उसका भय मानते,
पर धरती के जीवित मसीह का आदर नहीं करते।
तो क्या यह तुम्हारा अविश्वास नहीं?
अतीत में जिस परमेश्वर ने काम किया,
तुम बस उसके लिए तरसते,
पर आज के मसीह के सामने भी नहीं आते।
तुम सबके दिल की है यह मिश्रित "आस्था",
वो आस्था जिसे आज के मसीह में विश्वास नहीं।
ईश्वर तुम सबको कम करके न आँके।
तुममें है बहुत अविश्वास,
विश्लेषण के लिए हैं कई अशुद्ध चीज़ें।
ये चीज़ें दिखाएँ तुममें आस्था नहीं।
ये हैं चिह्न तुम्हारे मसीह को त्यागने के,
ये तुम्हें विश्वासघाती ठहराएँ।
वे तुम्हें मसीह को जानने नहीं देते,
तुम्हारे मसीह द्वारा प्राप्त होने में बाधा हैं,
एक रोड़ा जो तुम्हें उसके असंगत बनाए,
हैं सबूत कि मसीह न स्वीकारे तुम्हें।
अब है समय अपने जीवन के हर हिस्से को जाँचने का!
ऐसा करने से होगा फायदा तुम सबको हर तरह से!
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, क्या तुम परमेश्वर के सच्चे विश्वासी हो? से रूपांतरित