464 परमेश्वर स्वयं के लिए इंसान की सच्ची आस्था और प्रेम पाने की करता है आशा

1

परमेश्वर करता है आशा, जब तुम समझो, उसके सच्चे रूप को,

तुम हो जाओगे उनके और करीब;

सच्चे दिल से समझोगे उनके प्रेम को,

इंसानियत के लिए उनकी चिंता की करोगे सच्ची तारीफ़;

अपने दिल को सौंप दोगे उनके हाथ में,

न रहे शंका न होगा कोई संदेह उनके बारे में,

इंसान के लिए वो सब कुछ करते हैं, लेकिन चुपके से,

उनकी सच्चाई, निष्ठा और प्यार मिलता है इंसान को चुपके से।

वह अपने किये पर कभी नहीं पछताता है,

न इंसान से मांगता है नेकी का बदला

और न करता है उनसे कुछ मिलने की आशा।

वह जो कुछ भी करता उसमें

सच्ची आस्था और प्यार ही उसकी इकलौती मुराद है।


2

जब तुम्हारा दिल सच में पहचानता है परमेश्वर का स्वभाव

और उसके सार के लिए तुममें हो बड़ी सराहना,

तुम महसूस करोगे परमेश्वर को बिल्कुल अपने करीब,

तुम महसूस करोगे परमेश्वर को बिल्कुल अपने करीब।

ये ही है सच्चाई!


—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का कार्य, परमेश्वर का स्वभाव और स्वयं परमेश्वर I से रूपांतरित

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