632 परमेश्वर की ताड़ना और न्याय प्रेम हैं ये जान लो
1
इंसान को पापों का दंड देना न्याय औऱ ताड़ना का लक्ष्य है।
इन कामों का लक्ष्य नहीं है इंसान की देह को निंदित करना या मिटा देना।
वचन के कठोर ख़ुलासे हैं कि तुम सही राह पाओ।
तुमने ख़ुद महसूस किया है परमेश्वर के काम को,
गलत राह नहीं दिखाता है ये तुम्हें।
2
परमेश्वर का कार्य बना देता है सहज जीवन तुम्हारा,
कर सकते हो इसे हासिल तुम।
कोई भारी बोझ नहीं डाला जाता,
काम होता है तुम्हारी ज़रूरतों के आधार पर।
विजय कार्य के मायने जान लो तुम।
अब इसे साफ़ तौर पर समझ लेना चाहिए तुम्हें।
जान लो न्याय के मायने तुम, मत रखो अब ढेर सारे ख़्याल तुम।
विजय कार्य के मायने जान लो तुम।
3
अगर इस काम को तुम समझ नहीं पाए,
तो आगे नहीं बढ़ पाओगे तुम,
उद्धार में तुम दिलासा पाओ, जागो और होश में आओ।
हालाँकि अभी साफ़ तौर तुम समझ नहीं पाते हो,
लगता है परमेश्वर कठोर है तुम पर,
न्याय करता है तुम्हारा, चूँकि नफ़रत करता है तुमसे।
नहीं, ये प्रेम है परमेश्वर का, सुरक्षा कवच है तुम्हारा।
विजय कार्य के मायने जान लो तुम।
अब इसे साफ़ तौर पर समझ लेना चाहिए तुम्हें।
जान लो न्याय के मायने तुम, मत रखो अब ढेर सारे ख़्याल तुम।
विजय कार्य के मायने जान लो तुम।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विजय के कार्य की आंतरिक सच्चाई (4) से रूपांतरित