76 परमेश्वर के प्रति मेरा प्रेमपूर्ण लगाव
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अपने दिल के दरवाजे पर दस्तक देने वाली एक परिचित आवाज सुनकर मैं देखता हूँ कि यह मनुष्य का पुत्र है, जो अपने वचन कह रहा है।
उसके दयालु वचन मेरे दिल को स्नेह की उष्णता देते हैं, उसकी निष्कपट पुकारें मुझे मेरे सपने से जगाती हैं।
मैं प्रतिष्ठा और हैसियत के लिए कड़ी मेहनत करता था, और प्रभु के प्रति अपने प्रेम के संदर्भ में केवल जबानी जमाखर्च ही किया करता था।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों की ताड़ना और न्याय पाने के बाद ही मेरा हठी और विरोधी हृदय पलटा।
बहुत सारी असफलताओं, पतनों, परीक्षणों और शोधनों के माध्यम से मुझे धीरे-धीरे आज के दिन तक लाया गया है, परमेश्वर के वचनों को धन्यवाद हो।
मेरे मन में परमेश्वर के कथनों की परिस्थितियाँ अभी भी ज्वलंत हैं, मैं उसके प्रति प्रेमपूर्ण लगाव से भर गया हूँ।
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न तो समय के उलटफेर और न ही दुनिया की बदलती घटनाएँ परमेश्वर के प्रति मेरे लगाव को मिटा सकती हैं।
उत्पीड़न और विपत्ति से गुजरते समय परमेश्वर के वचन मेरे साथ होते हैं और शैतान पर विजय पाने के लिए बार-बार मेरी अगुआई करते हैं।
किसी समय मैं अपने देह की चिंता करता था और इस पर दुखभरे आँसू बहाता था, लेकिन परमेश्वर ने मुझे मार्गदर्शन देने और प्रबुद्ध करने के लिए वचनों का उपयोग किया है।
परमेश्वर के इरादों की समझ मेरे लिए एक आंतरिक शक्ति लेकर आई है, और कठिनाई से गुजरकर मैं अपनी आस्था में अधिक कृतसंकल्प ही हुआ हूँ।
यह परमेश्वर ही है जिसने विपत्ति से गुजरते समय गुप्त रूप से मेरी सुरक्षा की है; उसके प्रेम का इतना गहरा आस्वादन करके मुझे उससे और भी लगाव हो गया है।
आगे का मार्ग उथल-पुथल और ख़तरनाक होने के बावजूद मैं परमेश्वर के प्रेम का ऋण चुकाने के लिए अपना कर्तव्य पूरा करूँगा।