788 इंसान को परमेश्वर की इच्छा की कोई समझ नहीं है
चाहे लोग ईश्वर का अनुसरण करें
और भले ही रोज़ उससे प्रार्थना करें, रोज़ ईश्वर के वचनों को पढ़ें,
पर असल में वो न समझें ईश-इच्छा, ईश-इच्छा, ईश-इच्छा,
ईश-इच्छा, ईश-इच्छा, ईश-इच्छा।
1
गर कोई समझे ईश्वर के दिल को, गर वो समझें ईश्वर को क्या पसंद है,
वो किससे घृणा करे, क्या चाहे, क्या न चाहे,
किनसे प्रेम करे, किन्हें नापसंद,
गर वो ईश्वर की मनुष्य से मांग के मानकों को समझे,
गर वो मनुष्य को पूर्ण बनाने में ईश्वर के दृष्टिकोण को समझे,
फिर भी क्या वो अपने विचार रखेगा?
एक सामान्य मनुष्य की आराधना करेगा?
चाहे लोग ईश्वर का अनुसरण करें
और भले ही रोज़ उससे प्रार्थना करें, रोज़ ईश्वर के वचनों को पढ़ें,
पर असल में वो न समझें ईश-इच्छा, ईश-इच्छा, ईश-इच्छा,
ईश-इच्छा, ईश-इच्छा, ईश-इच्छा।
2
जब कोई ईश्वर की इच्छा समझे, वो विवेक से और भर जाये,
वो मनमाने ढंग से भ्रष्ट आदमी को न पूजे।
और जब वो सत्य का अभ्यास करने के मार्ग पर चले,
तो ये ना सोचे, नियमों से चिपकना सत्य के अभ्यास की जगह ले सके।
चाहे लोग ईश्वर का अनुसरण करें
और भले ही रोज़ उससे प्रार्थना करें, रोज़ ईश्वर के वचनों को पढ़ें,
पर असल में वो न समझें ईश-इच्छा, ईश-इच्छा, ईश-इच्छा,
ईश-इच्छा, ईश-इच्छा, ईश-इच्छा।
—वचन, खंड 2, परमेश्वर को जानने के बारे में, परमेश्वर का स्वभाव और उसका कार्य जो परिणाम हासिल करेगा, उसे कैसे जानें से रूपांतरित