251 ईश्वर के प्रकटन को परिसीमित करने के लिए कल्पना पर भरोसा न करो
1
जब ईश्वर प्रकट होता, कोई अड़चन नहीं आती
उसे कार्य करने में अपनी योजनानुसार,
जैसे ईश्वर यहूदिया में देह बना और सूली पर चढ़कर सबको छुटकारा दिलाया।
यहूदियों को लगता था, ईश्वर देह बनकर यीशु का रूप नहीं ले सकता।
उसी आधार पर उन्होंने ईश-निंदा की, जो इस्राएल को पतन की ओर ले गई।
आज भी कई लोग वैसी ही गलतियाँ करते,
कहते ईश्वर प्रकट होगा, साथ ही इसकी निंदा भी करते।
उनका ''असंभव'' उसके प्रकटन को सीमित करे उनकी कल्पना में।
जहाँ भी ईश्वर प्रकट होता, वहाँ सत्य व्यक्त होता, और वहाँ ईश-वाणी होगी।
उसे सिर्फ़ सत्य को स्वीकारने वाले ही सुन पाएँगे,
सिर्फ़ वे ही ईश्वर को देख पाएँगे।
2
कई लोग ईश-वचन पाकर ठहाके लगाते हैं।
क्या ये यहूदियों की ईश-निंदा से अलग है?
तुम सत्य की मौजूदगी में श्रद्धावान नहीं हो,
तरसते बिलकुल नहीं, सिर्फ़ अध्ययन और इंतज़ार करते।
इस तरह अध्ययन और इंतज़ार करके तुम्हें क्या हासिल होगा?
क्या तुम्हें ईश्वर से निजी मार्गदर्शन मिलेगा?
गर तुम ईश-वचनों को न पहचान पाओ,
तो तुम उसका प्रकटन देखने के योग्य कैसे हो?
जहाँ भी ईश्वर प्रकट होता, वहाँ सत्य व्यक्त होता, और वहाँ ईश-वाणी होगी।
उसे सिर्फ़ सत्य को स्वीकारने वाले ही सुन पाएँगे,
सिर्फ़ वे ही ईश्वर को देख पाएँगे।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 1: परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है से रूपांतरित