252 परमेश्वर के प्रकटन की खोज के लिए तुम्हें राष्ट्रीयता और जातीयता की धारणाओं को तोड़ना होगा
1
अपनी राष्ट्रीयता से, बाहर निकलो तुम ख़ुद से पार जाओ तुम।
बाहर निकलो तुम अपने बंधनों से निकलो ईश-कार्य देखो जीव की नज़र से।
सीमा में न बांधोगे ईश्वर के पदचिह्नों को तुम।
खोजने को ईश-प्रकटन राष्ट्र और इंसानी नस्ल के विचार त्यागो तुम।
विचार त्यागो तुम ताकि उन्हीं में न बँधो तुम, ईश्वर-प्रकटन का स्वागत करो तुम।
वरना, अंधकार में रहकर ईश-स्वीकृति न पाओगे।
खोजो ईश्वर-प्रकटन ! खोजो ईश्वर-प्रकटन !
2
इसे नामुमकिन समझें बहुत से लोग—किसी ख़ास देश में, ईश्वर प्रकट होगा।
ईश-कार्य के मायने कितने गहरे, ईश-प्रकटन कितना ज़रूरी
इंसान की धारणा, सोच कैसे पाए थाह उसकी?
खोजने को ईश-प्रकटन राष्ट्र और इंसानी नस्ल के विचार त्यागो तुम।
विचार त्यागो तुम ताकि उन्हीं में न बँधो तुम,
ईश्वर-प्रकटन का स्वागत करो तुम।
वरना, अंधकार में रहकर ईश-स्वीकृति न पाओगे।
खोजो ईश्वर-प्रकटन ! खोजो ईश्वर-प्रकटन !
3
किसी देश की संपत्ति नहीं, वो मानवजाति का ईश्वर है।
वो योजना से काम करे, कोई रूप, देश उसमें बाधा न बने।
शायद ये रूप न सोचा तुमने, या तुम्हारा रवैया इसे नकारना है,
या ईश्वर प्रकट हो जहाँ, सबसे ज़्यादा ठुकराए लोग होते वहाँ।
पर ईश्वर बुद्धिमान है।
महान सामर्थ्य, सत्य, अपने स्वभाव से उसने,
पा लिया वो समूह जो उससे एक मन है,
उसी को वो पूर्ण बनाएगा जो जीत लिए गए हैं, मुसीबत और
इम्तहान सहे जिन्होंने, जो अंत तक करें अनुसरण उसका।
खोजने को ईश-प्रकटन राष्ट्र और इंसानी नस्ल के विचार त्यागो तुम।
विचार त्यागो तुम ताकि उन्हीं में न बँधो तुम, ईश्वर-प्रकटन का स्वागत करो तुम।
वरना, अंधकार में रहकर ईश-स्वीकृति न पाओगे।
खोजो ईश्वर-प्रकटन ! खोजो ईश्वर-प्रकटन ! खोजो ईश्वर-प्रकटन !
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 1: परमेश्वर के प्रकटन ने एक नए युग का सूत्रपात किया है से रूपांतरित