960 कैसे परमेश्वर के स्वभाव का अपमान न करें
1
परमेश्वर के द्वारा कहे गए हर वाक्य में है उसका स्वभाव।
इसलिए उसके वचनों पे ग़ौर से विचार करो,
तुम अवश्य ही बहुत लाभ पाओगे।
और हाँ, ईश्वर के तत्व को समझना बड़ा है कठिन,
पर तुम सब के पास होगा कुछ ज्ञान ईश्वर के स्वभाव का।
ईश्वर आशा करता है कि तुम सब ऐसे कार्य,
करोगे और उसे दिखाओगे,
जो उसके स्वभाव का अपमान न करें।
तब जाकर उसे भरोसा होगा।
2
तुम्हें ईश्वर को दिल में रखना सीखना चाहिए, उसे रखो वहीं हमेशा।
जब तुम करो कार्य तो करो उसके वचनों के अनुसार।
हर बात में उसका इरादा खोजो।
हर उस चीज़ को करने से बचो जिससे
उसका अपमान या अनादर हो।
उसे मन के कोने में न रखो केवल
अपने भविष्य के खालीपन को भरने के लिए।
ऐसा करके तुम ईश्वर के स्वभाव का अपमान करोगे।
ईश्वर आशा करता है कि तुम सब ऐसे कार्य,
करोगे और उसे दिखाओगे,
जो उसके स्वभाव का अपमान न करें।
तब जाकर उसे भरोसा होगा।
3
यदि तुम कभी भी ईश निन्दा न करो,
न ही ईश्वर के खिलाफ जीवन भर शिकायत करो,
जो भी उसने माँगा है तुमसे, उसे ठीक से करो,
उसके वचनों के प्रति जीवन भर समर्पण करो।
तब तुम कामयाबी से प्रशासनिक आदेशों के उल्लंघन से बच गये होगे।
ईश्वर आशा करता है कि तुम सब ऐसे कार्य,
करोगे और उसे दिखाओगे,
जो उसके स्वभाव का अपमान न करें।
तब जाकर उसे भरोसा होगा।
परमेश्वर के द्वारा कहे गए हर वाक्य में है उसका स्वभाव।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के स्वभाव को समझना बहुत महत्वपूर्ण है से रूपांतरित