140 हे परमेश्वर, मुझे तेरी याद आती है
1
खामोशी से तेरे लिए तड़पूँ मैं;
तेरे वचन पढ़ूँ तो पछतावे से भर जाऊँ।
आँखों में आँसू लिए,
तुझसे फिर से मिलने को तरसूँ मैं।
जानती हूँ मैं विद्रोही थी, मैंने दुख दिया है तुम्हें।
बहुत गलतियाँ कीं, उन्हें सही किया जा सकता नहीं।
तुझे न देखूँ तो, मेरा दिल दर्द से तड़पे।
हर मौसम तेरा इंतज़ार करूँ मैं,
मेरे दिन-रात हैं पछतावे से भरे।
मेरा कर्ज़ और दर्द इतना है कि आँसू नहीं रुकते।
कितनी चाहत है, अपनी गलतियाँ सुधारूँ,
तुझसे अपने दिल की बात कहूँ।
कहाँ है तू, मेरे प्यारे?
मेरा दिल तुझे देखने को तरसे।
कहाँ है तू, मेरे प्यारे?
तेरी बाँहों में समाने को दिल मेरा तरसे।
हम एक-दिल, एक-मन हैं,
हम सदा साथ रहेंगे।
हम एक-दिल, एक-मन हैं,
प्यार के गीत साथ लिखते हैं।
2
याद करूँ अक्सर तेरी आवाज़ और मुस्कुराहट,
वे खुशनुमा दिन याद करूँ।
तेरे सच्चे वचन गूँजते मेरे कानों में,
गूँजते रहेंगे जब तक जियूँगी मैं।
तन्हाई के ये साल दर्द देते रहे हैं,
इन्हें सहना कठिन है।
वक्त को पीछे करना चाहती हूँ;
तेरे साथ होने को कितना तरसती हूँ।
कहाँ है तू, मेरे प्यारे?
मेरा दिल तुझे देखने को तरसे।
कहाँ है तू, मेरे प्यारे?
तेरी बाँहों में समाने को दिल मेरा तरसे।
हम एक-दिल, एक-मन हैं,
हम सदा साथ रहेंगे।
हम एक-दिल, एक-मन हैं,
प्यार के गीत साथ लिखते हैं।