218 एक उड़ाऊ पुत्र की घर वापसी

1

परमेश्वर में बरसों विश्‍वास करने के बाद भी, तुम ऐसे क्यों हो?

तुम न्याय और ताड़ना से ऐसे भागते हो मानो तुम्हें परवाह ही नहीं।

तुम्हारा पतित चेहरा तुम्हारे बेपरवाह रवैये को दर्शाता है,

मानो कि तुम्हारे साथ कोई बहुत बड़ा अन्याय हुआ हो, और अब तुम्हारा दिल परमेश्वर का अनुसरण नहीं करना चाहता।

ओ पतित उड़ाऊ पुत्र, ऐसे अड़ियलपन के साथ तुम किधर जा रहे हो?

तुम परमेश्वर के आयोजनों के आगे झुकते दिखायी देते हो और अपने लिए कोई विकल्प नहीं चुनते हो।

तुम चौराहों पर अटकते हो और शुरू में तुम्हारे अंदर जो "आस्था" थी, वह अब समाप्त हो गई है।

तुम दृढ़ता से मौत से नज़रें मिलाते हो और किसी अस्पष्ट भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहे हो।


2

लगता है जैसे किसी भ्रम में तुम्हारे मन में यह "अटूट आस्था" है कि

परमेश्वर तुम्हारा त्याग नहीं करेगा, इसलिए तुम जैसा चाहते हो, वैसा करते हो ।

तुम्हारी फ़िज़ूल की इच्छाएँ तुम्हारे व्यक्तिपरक प्रयासों का स्थान ले रही हैं।

तुम नकारात्मकता के बोझ से लदे हुए हो, और तुम्हें अभी तक कोई सहारा नहीं मिल पाया है।

तुम्हारा ज़मीर और विवेक कहाँ चले गए? तुम अभी तक भी नहीं जागे हो।

तुम वाकई एकदम बेकार और अयोग्य हो।

तुम्हें लगता है कि तुम्हारा नेक चरित्र पवित्र और अलंघनीय है।

यहाँ तक कि देहधारी परमेश्वर भी दीन है, तो एक भ्रष्ट इंसान श्रेष्ठ कैसे हो सकता है?


3

विडम्बना यह है कि मैं अपने आपको बिल्कुल भी नहीं जानता।

मेरे रोबदार बाहरी रूप के भीतर एक दुष्ट इंसान छिपा है।

अहंकारी और दंभी, सत्य से रहित, मैं खुद को शर्मिंदा करता हूँ।

जब मेरा भ्रष्ट स्वभाव ज़रा-सा भी नहीं बदला, तो मैं अपना कर्तव्य निभाने की बात कैसे कर सकता हूँ?

न्याय से गुज़रे बिना मैं सत्य और जीवन मैं कैसे पा सकता हूँ?

परमेश्वर का कार्य जल्द ही समाप्त हो जाएगा, और मैं भयभीत हूँ;

मैं भयभीत हूँ कि मैं आपदाओं में पड़ जाऊंगा, बस विलाप करूंगा और दाँत पीसूंगा।

इसलिए, अब मैं खुद को संभालकर परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करूँगा; तभी मैं होनहार बनूँगा।

पिछला: 217 मैं पछतावे से भरा हूँ

अगला: 219 हे परमेश्वर! मैं सचमुच तेरे प्रेम का हकदार नहीं हूँ

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

610 प्रभु यीशु का अनुकरण करो

1पूरा किया परमेश्वर के आदेश को यीशु ने, हर इंसान के छुटकारे के काम को,क्योंकि उसने परमेश्वर की इच्छा की परवाह की,इसमें न उसका स्वार्थ था, न...

420 सच्ची प्रार्थना का प्रभाव

1ईमानदारी से चलो,और प्रार्थना करो कि तुम अपने दिल में बैठे, गहरे छल से छुटकारा पाओगे।प्रार्थना करो, खुद को शुद्ध करने के लिए;प्रार्थना करो,...

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें