583 ऐसा व्यक्ति बनो जो परमेश्वर को संतुष्ट करे और उसके मन को चैन दे
1
ईश्वर जाने, तुम्हारी निष्ठा और ईमानदारी हैं दोनों केवल अस्थायी,
तुम्हारी चाहत और जो कीमत तुम चुकाओ
वो है अभी के लिए, बाद के लिए नहीं।
तुम जो सुंदर मंज़िल पाना चाहते हो,
उसके लिए बस आख़िरी कोशिश करना चाहते हो।
2
तुम्हारा मकसद केवल सौदेबाज़ी है, सत्य के प्रति कृतज्ञ होने से बचना नहीं।
ईश्वर ने जो कीमत चुकाई है ये उसे अदा करने के लिए नहीं है।
तुम जो चाहो उसे युक्ति से पाना चाहते हो,
उसके लिए (खुला) युद्ध नहीं चाहते।
ख़ुद को मत छिपाओ, न ही मंज़िल के लिए इतना दिमाग खपाओ
कि न खा पाओ, न सो पाओ।
क्या तुम्हारा नतीजा तय न हो चुका होगा?
अगर तुम अपने ज़मीर की सुनो, सर्वस्व दे दो,
ईश-कार्य के लिए कोई कसर न छोड़ो, पूरा जीवन दे दो,
उसके सुसमाचार-कार्य के लिए पूरे प्रयास करो,
तो क्या उसका दिल तुम सबके लिए ख़ुशी से न उछलेगा?
क्या उसका मन तुम्हारी ओर से बेफिक्र न होगा?
3
पूरे दिल से अपना फर्ज़ निभाओ, उसके लिए कुछ भी करने को तैयार रहो।
जो उसके लिए दुख उठाएगा, कीमत चुकाएगा,
वक्त आने पर, ईश्वर उनके साथ बुरा बर्ताव न करेगा।
इस तरह के निश्चय पर कायम रहो। इसे न भूलो तो, ईश्वर बेफिक्र रहेगा।
अगर तुम ये न कर पाए, तो ईश्वर का मन कभी बेफिक्र न होगा,
तुम सदा उसकी घृणा के पात्र रहोगे।
अगर तुम अपने ज़मीर की सुनो, सर्वस्व दे दो,
ईश-कार्य के लिए कोई कसर न छोड़ो, पूरा जीवन दे दो,
उसके सुसमाचार-कार्य के लिए पूरे प्रयास करो,
तो क्या उसका दिल तुम सबके लिए ख़ुशी से न उछलेगा?
क्या उसका मन तुम्हारी ओर से बेफिक्र न होगा?
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, गंतव्य के बारे में से रूपांतरित