44  पतरस जानता था परमेश्वर को सबसे अच्छी तरह

1

बरसों रहा पतरस परमेश्वर का वफ़ादार,

फिर भी दिल उसका नहीं था कभी शिकायती।

अय्यूब तक नहीं था उसके बराबर

युगयुगांतर में संत तो और भी थे पीछे।

न केवल इच्छा की परमेश्वर को जानने की उसने,

बल्कि जाना परमेश्वर को जब रचा षडयंत्र शैतान ने।

बरसों की सेवा, परमेश्वर के हृदय के मुताबिक,

शैतान कर न सका शोषण उसका।

पतरस जानता था, पतरस जानता था, परमेश्वर को सबसे अच्छी तरह।

पतरस जानता था, पतरस जानता था, परमेश्वर को सबसे अच्छी तरह।

सबसे अधिक था ज्ञान उसका परमेश्वर के बारे में।


2

पतरस ने अय्यूब की आस्था को अपनाया,

बल्कि और भी कई बातें सीखीं उसने, जो अय्यूब ने न समझी थीं।

अय्यूब की आस्था महान थी हालाँकि, आत्मिक जगत का ज्ञान उसका कम था।

कहे उसने वचन बहुत से जो ठीक सच के अनुरूप नहीं थे।

ज्ञान अभी सतही था उसका, पूर्णता में असमर्थ था, असमर्थ था।

पतरस जानता था, पतरस जानता था, परमेश्वर को सबसे अच्छी तरह।

पतरस जानता था, पतरस जानता था, परमेश्वर को सबसे अच्छी तरह।

सबसे अधिक था ज्ञान उसका परमेश्वर के बारे में।


3

पतरस सदा आत्मा की समझ को पाने की ताक में था।

आत्मिक जगत की गतिशीलता पर ध्यान था उसका।

न सिर्फ़ समझ पाया वो परमेश्वर की इच्छा को,

बल्कि शैतान की कुछ साज़िशों को भी समझ लिया उसने।

पतरस जानता था, पतरस जानता था, परमेश्वर को सबसे अच्छी तरह।

पतरस जानता था, पतरस जानता था, परमेश्वर को सबसे अच्छी तरह।

सबसे अधिक था ज्ञान उसका परमेश्वर के बारे में।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 8 से रूपांतरित

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