48  देहधारी परमेश्वर को कोई नहीं जानता

1 मनुष्य ने प्रकाश में मुझे कभी नहीं पहचाना, उसने मुझे सिर्फ अन्धकार के संसार में ही देखा है। क्या आज तुम लोग बिल्कुल वैसी ही स्थिति में नहीं हो? यह बड़े लाल अजगर के हिंसात्मक व्यवहार की चरम सीमा का समय था जब मैंने अपने कार्य को करने के लिए औपचारिक रूप से देह धारण किया। जब बड़े लाल अजगर ने पहली बार अपना असली रूप प्रकट किया तब मैंने अपने नाम की गवाही दी। जब मैं मनुष्यों के मार्गों पर चलता-फिरता था, तब एक भी प्राणी, एक भी व्यक्ति चौंक कर नहीं जागा, इसलिए जब मैंने मानव-जगत में देहधारण किया, तो किसी को भी पता नहीं चला। किन्तु जब मैंने देह में अपना कार्य करना आरम्भ किया, तब मानवजाति जाग उठी और मेरी गरजती हुई वाणी से अपने स्वप्नों से चौंक कर बाहर आयी, और इसी क्षण से मेरे मार्गदर्शन में उन्होंने अपने जीवन का आरंभ किया।

2 बात सिर्फ इतनी नहीं है कि मनुष्य मुझे मेरी देह में नहीं जानता; उससे भी ज़्यादा यह कि वह देह में निवास करने वाले निज रूप को भी समझने में असफल रहा है। कई वर्षों से, मनुष्य मेरे साथ एक मेहमान की तरह व्यवहार करते हुए, मुझे धोखा देते आ रहे हैं। कई बार उन्होंने मुझे "अपने घर के दरवाज़े" पर रोक दिया है; कई बार उन्होंने मेरे सामने खड़े रह कर, मुझ पर कोई ध्यान नहीं दिया है; कई बार उन्होंने दूसरे लोगों के बीच मेरा परित्याग किया है; कई बार उन्होंने शैतान के सामने मुझे नकार दिया है; और कई बार उन्होंने अपने झगड़ालू मुँह से मुझ पर शाब्दिक हमला किया है। फिर भी मैं मनुष्य की कमज़ोरियों का हिसाब नहीं रखता और न ही मैं उसकी अवज्ञा के कारण उससे बदला लेता हूँ। मैंने बस उसकी लाइलाज बीमारियों के उपचार हेतु उसकी बीमारियों की दवा की है, जिससे उसका स्वास्थ्य पुनः बहाल हो जाए, ताकि वह मुझे जान सके।

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन, अध्याय 12 से रूपांतरित

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