84  क्या तुमने ईश्वर में विश्वास के सही रास्ते में प्रवेश कर लिया है?

1

ईश्वर में विश्वास करें कई,

लेकिन न जानें ईश्वर क्या चाहे।

ईश्वर में विश्वास करें कई,

लेकिन न जानें शैतान क्या चाहे।

आँख मूँदे भीड़ के पीछे चलें वे,

बिना सामान्य मसीही जीवन के।

उनका उचित रिश्ता नहीं

लोगों और ईश्वर के साथ।

साफ़-साफ़ ये दिखाये

इंसान की गलतियाँ और परेशानियाँ।

साफ़-साफ़ ये दिखाये

कई बातें जो ईश-इच्छा को नाकाम कर सकें।

ये काफी है दिखाने को

इंसान दूर है ईश्वर में आस्था के सही रास्ते से।

ये काफी है दिखाने को

इंसान को असल ज़िंदगी का अनुभव नहीं।


ईश्वर में आस्था के सही रास्ते का मतलब

है कि तुम ईश्वर के सामने

अपना दिल शांत करते सदा,

बात करते उससे और थोड़ा-थोड़ा करके

ईश्वर को, अपनी कमियों को अधिक जान पाते।

हर दिन तुम पाते नया प्रबोधन,

तुम्हारी तड़प बढ़ती,

तुम सत्य में प्रवेश करना चाहते,

तुम नया ज्ञान पाते, और इस तरह

छूट जाओगे शैतान के चंगुल से,

मजबूत हो जाओगे जीवन में।


2

क्या तुम हो सही रास्ते पर?

किन बातों में तोड़ीं तुमने शैतान की बेड़ियाँ?

क्या तुम हो सही रास्ते पर?

किन बातों में बचे हो शैतान की ताकत से?

अगर नहीं हो तुम सही रास्ते पर,

तो शैतान से तुम्हारे बंधन अभी टूटे नहीं।

अगर नहीं हो तुम सही रास्ते पर,

तो क्या ईश्वर के लिए तुम्हारा

प्यार हो सके शुद्ध और सच्चा?


तुम कहते तुम्हें है प्यार ईश्वर से,

फिर भी बंधे हो शैतान की बेड़ियों से।

तुम कहते तुम्हें है प्यार ईश्वर से,

लेकिन क्या उसे बेवकूफ़ नहीं बना रहे तुम?

ईश्वर को प्राप्त होने को,

उसके लोगों में गिने जाने को,

ईश्वर को शुद्धता से प्रेम करने को,

पहले खुद को सही रास्ते पर रखो।


ईश्वर में आस्था के सही रास्ते का मतलब

है कि तुम ईश्वर के सामने

अपना दिल शांत करते सदा,

बात करते उससे और थोड़ा-थोड़ा करके

ईश्वर को, अपनी कमियों को अधिक जान पाते।

हर दिन तुम पाते नया प्रबोधन,

तुम्हारी तड़प बढ़ती,

तुम सत्य में प्रवेश करना चाहते,

तुम नया ज्ञान पाते, और इस तरह

छूट जाओगे शैतान के चंगुल से,

मजबूत हो जाओगे जीवन में।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, विश्वासियों को क्या दृष्टिकोण रखना चाहिए से रूपांतरित

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