93  परमेश्वर उन्हीं को पूर्ण बनाता है जो प्रेम करते हैं उसे

1

गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,

तो अच्छी हो या बुरी, हर चीज़ का अब अनुभव लेना सीखो।

जिन चीज़ों का भी सामना करो, उनमें प्रबुद्ध होना सीखो।

लाभ होना चाहिये इससे तुम्हें।

गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,

तो देखना ये कभी निष्क्रिय न बना दे तुम्हें।

परमेश्वर की तरफ़ खड़े हो जाओ, और इस पर विचार करो।

इसे इंसानी नज़रिये से न देखो।

गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,

तो अनुभव के इस तरीके को आज़माकर देखो,

हो जाएगा दिल बोझिल तुम्हारा जीवन के लिये,

रहोगे तुम सदा उसकी मौजूदगी की रोशनी में,

भटकोगे नहीं आसानी से तुम कभी अपने अभ्यास में।

खुल जाएँगी विशाल संभावनाएँ तुम लोगों के लिये।

तुम लोगों को परमेश्वर से अगर सच्चा प्रेम है,

तो उसके द्वारा तुम्हें पूर्ण किये जाने के बहुत से अवसर हैं।

गर परमेश्वर द्वारा प्राप्त और पूर्ण किये जाने के,

उसकी आशीष और विरासत को पाने के,

तुम्हारे इरादे अटल हैं तो परमेश्वर द्वारा पूर्ण किये जाने की अनेक संभावनाएँ हैं।


2

गर चाहते हो पूर्ण बनाए तुम लोगों को परमेश्वर,

तो केवल संकल्प होना कभी काफ़ी नहीं है।

अभ्यास में गलतियों से बचने के लिये, ज्ञान भी होना चाहिये तुम्हें।

ज़्यादातर लोगों ने महज़ परमेश्वर के अनुग्रह के

आनंद तक ही सीमित कर लिया है ख़ुद को।

वो लोग ऊँचे प्रकटन नहीं, सिर्फ़ थोड़े-से दैहिक सुख ही

पाना चाहते हैं परमेश्वर से।

ये दिखाता है दिल अभी उनका बाहर ही है।

पूर्ण किये जाने की उन्हें परवाह नहीं है।

जीवन उनका पतनशील और अशिष्ट है।

वो एकदम थोड़े में गुज़ारा करते हैं, भटकते हैं, बेमकसद अस्तित्व लेकर,

उन्हें जीवन में ज़रा-सा भी बदलाव हासिल नहीं है।

कुछ ही हैं जो अधिक समृद्धदायक चीज़ों को पाने के लिये,

उसके घर में अधिक ऊँचा वैभव पाने वाला बनने

और उसका अधिक आशीष पाने के लिये,

जिन चीज़ों का वे सामना करते हैं उनमें,

परमेश्वर के वचन में प्रवेश की खोज करते हैं।

हर चीज़ में पूर्ण और प्रबुद्ध होने की खोज करते हो अगर,

तो तुम लायक और पात्र हो परमेश्वर द्वारा पूर्ण किये जाने के लिये।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रतिज्ञाएँ उनके लिए जो पूर्ण बनाए जा चुके हैं से रूपांतरित

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