102  विश्वास रखो कि ईश्वर इंसान को निश्चित रूप से पूर्ण बनाएगा

ईश्वर यहीं और अभी तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है।

ईश्वर सचमुच तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है, कुछ भी हो, कैसे भी हो।

कैसे भी इम्तहान आएँ, घटे कोई भी घटना,

कोई भी आए आपदा, ईश्वर तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है।


1

तुम्हारे आज के काम से तय होगा भविष्य तुम्हारा,

दुआएँ मिलें या बद्दुआएँ तुम्हें।

अगर पूर्ण बनना है तुम्हें, तो वक़्त है यही; ये मौका फिर न मिलेगा तुम्हें।

जिस ऊँचाई पर आज पहुँचे हैं ईश्वर के वचन कभी पहुँचे नहीं

पीढ़ियों में, युगों-युगों में।

पहुँचे हैं ये सबसे ऊँचे क्षेत्र में। पहुँचे हैं ये सबसे ऊँचे क्षेत्र में।

बेमिसाल है इंसानों के बीच पवित्र आत्मा का काम।


ईश्वर यहीं और अभी तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है।

ईश्वर सचमुच तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है, कुछ भी हो, कैसे भी हो।

कैसे भी इम्तहान आएँ, घटे कोई भी घटना,

कोई भी आए आपदा, ईश्वर तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है।


2

बहुत कम लोगों ने अतीत में, अनुभव किया है

पवित्र आत्मा के इस काम को।

यीशु के वक्त में भी, न तो इतने विशाल थे प्रकाशन,

न पहुँचे थे इतनी ऊँचाई तक।

जो वचन बोले हैं तुमसे ईश्वर ने, जिन बातों को समझते हो तुम,

जिन चीज़ों का अनुभव तुमने किया है, हैं चरम ऊँचाई पर आज वो।

सचमुच पूर्ण बनाना चाहता है ईश्वर तुम्हें,

ये महज़ बोलने का अंदाज़ नहीं है।


परीक्षणों, ताड़नाओं में तुम बीच में छोड़कर नहीं जाते हो,

काफ़ी है ये साबित करने के लिए नयी महिमा पा ली है ईश्वर के काम ने।

इंसान न इसे बना सकता, न संभाल सकता है; स्वयं ईश्वर का ये काम है।

देख सकते हो ईश्वर के काम से, इंसान को पूर्ण बनाना चाहता है वो,

यकीनन तुम्हें पूर्ण बनाने के काबिल है ईश्वर।

ईश्वर यहीं और अभी तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है।

ईश्वर सचमुच तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है, कुछ भी हो, कैसे भी हो।

कैसे भी इम्तहान आएँ, घटे कोई भी घटना,

कोई भी आए आपदा, ईश्वर तुम्हें पूर्ण बनाना चाहता है।

ये पक्का है, निस्संदेह सच्चाई है। ये पक्का है, निस्संदेह सच्चाई है।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सभी के द्वारा अपना कार्य करने के बारे में से रूपांतरित

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