219  सत्य पर और अमल करो, परमेश्वर का और आशीष पाओ

परमेश्वर करे धन्य उन्हें जिनमें हो दर्शन,

हो सत्य और ज्ञान भी, और करें उससे सच्चा प्रेम।


1

परमेश्वर का प्रेम देखने के लिए तुम्हें जीवन में करना होगा अमल सत्य पर,

दर्द पीना होगा, त्यागना होगा प्रिय चीज़ों को उसे खुश करने के लिए।

बहते आँसुओं के बावजूद तुम्हें उसके हृदय को संतुष्ट करना होगा।

तुम धन्य हो जाओगे और तुम्हारा दर्द पवित्र आत्मा का कार्य लाएगा।

वास्तविक जीवन और ईश्वर के वचनों के,

अनुभव से लोग उसकी मनोहरता देख सकते हैं।

उसके प्रेम को जान कर ही कर सकते हैं उससे सच्चा प्यार।


तुम जितना ज़्यादा सच का अभ्यास करोगे,

उतना ही अधिक उसका आशीष पाओगे।

जितना ज़्यादा तुम सत्य पर करोगे अमल,

उतना ही सत्य होगा तुममें।

तुम जितना ज़्यादा सच का अभ्यास करोगे,

उतना ही अधिक परमेश्वर के प्रेम से भर जाओगे।


2

जो ऐसे करोगे अमल सदा, खुद में ईश्वर प्रेम देखोगे।

जानोगे उसे पतरस की तरह

कि परमेश्वर में है बुद्धि

रचने की स्वर्ग धरती सब कुछ और उससे भी अधिक है,

लोगों में वास्तविक कार्य करने की भी बुद्धि उसमें।

पतरस ने कहा ईश्वर लोगों के प्रेम के योग्य है

क्योंकि उसने बनाईं स्वर्ग, धरती और सभी चीज़ें।

क्योंकि उसने इंसान बनाया, वह उसे बचा सके, पूर्ण कर सके।

वह इंसान को अपना प्यार देता है। बहुत कुछ है उसमें प्रेम करने के लिए।

वास्तविक जीवन और ईश्वर के वचनों के,

अनुभव से लोग उसकी मनोहरता देख सकते हैं।

उसके प्रेम को जान कर ही कर सकते हैं उससे सच्चा प्यार।


तुम जितना ज़्यादा सच का अभ्यास करोगे,

उतना ही अधिक उसका आशीष पाओगे।

जितना ज़्यादा तुम सत्य पर करोगे अमल,

उतना ही सत्य होगा तुममें।

तुम जितना ज़्यादा सच का अभ्यास करोगे,

उतना ही अधिक परमेश्वर के प्रेम से भर जाओगे।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर से प्रेम करने वाले लोग सदैव उसके प्रकाश के भीतर रहेंगे से रूपांतरित

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