225  जब पवित्र आत्मा मनुष्य पर कार्य करता है

1

पवित्रात्मा का काम इंसान को प्रबुद्ध कर राह दिखाये सकारात्मकता से।

ये उसे नकारात्मक न होने दे।

ये इंसान को दिलासा दे, आस्था और संकल्प दे,

जिससे इंसान ईश्वर द्वारा पूर्ण होने का प्रयास करे।

जब पवित्र आत्मा काम करे, तो इंसान सक्रिय रूप से प्रवेश करे;

वो निष्क्रिय या मजबूर नहीं होता, वो सक्रिय और सकारात्मक बने।

जब पवित्र आत्मा काम करे तो इंसान ख़ुश और इच्छुक होता;

वो खुशी से आज्ञा माने, विनम्र बने।


2

भले ही वो दुर्बल हो, पर सहयोग करे, ख़ुशी से दुख सहे।

वो आज्ञाकारी है, इंसानी विचारों, इच्छाओं से बेदाग़ है।

जब इंसान पवित्रात्मा के काम का अनुभव करे, तो वो भीतर से पवित्र बने।

पवित्र आत्मा के काम से युक्त इंसान ईश-प्रेम को जिए,

अपने भाई-बहनों से प्रेम करे, ईश्वर की तरह प्रेम और घृणा करे।

जब पवित्रात्मा काम करे, तो वो राह दिखाए, प्रबुद्ध करे,

इंसान को उसकी ज़रूरत के मुताबिक पोषण दे।


इंसान की कमियों के आधार पर वो उसे राह दिखाए, प्रबुद्ध करे।

उसका काम इंसान की आम ज़िंदगी के नियमों के अनुरूप होता।

इंसान असल ज़िंदगी में ही आत्मा का काम देख पाए।

जिसे पवित्र आत्मा का काम छू ले,

उसमें होती सामान्य मानवता, खोजता वो सत्य सदा।


3

उसका काम है सामान्य और व्यवहारिक

इंसान के सामान्य जीवन के अनुरूप है।

वो इंसान को उसकी खोज के अनुरूप प्रबुद्ध करे, राह दिखाए।

अगर इंसान सकारात्मक स्थिति में हो,

उसके जीवन में सामान्य आध्यात्मिकता हो,

तो उसमें पवित्रात्मा का काम होगा।

जब वो ईश-वचनों को खाए-पिए, तो उसमें आस्था आए।

वो प्रार्थना में प्रेरित हो, किसी घटना से निष्क्रिय न बने।

देख सके वो सबक जो ईश्वर चाहे कि वो सीखे,

वो दुर्बल या निष्क्रिय न बने।

मुश्किलों के बावजूद, वो ईश-व्यवस्थाओं को माने।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पवित्र आत्मा का कार्य और शैतान का कार्य से रूपांतरित

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