374  मनुष्य की सोच बहुत रूढ़िवादी है

1

ईश्वर का कार्य हमेशा आगे बढ़ता है।

उसका उद्देश्य कभी नहीं बदलता, कार्य करने के तरीके बदलते रहते,

इसलिए उसके अनुयायी भी बदलते रहते।

ईश्वर जितना ज्यादा कार्य करे, इंसान उतना ज्यादा उसे जान पाए।

ईश-कार्य के जरिये मनुष्य का स्वभाव भी बदले।


2

चूँकि ईश्वर का कार्य बदलता रहे,

इसलिए पवित्रात्मा के कार्य से अनजान लोग और वे बेतुके लोग भी,

जो सत्य को नहीं जानते, ईश-विरोध शुरू कर देते।

उसका कार्य इंसान की धारणा का विरोध करे,

उसका कार्य हमेशा नया रहे, कभी पुराना न पड़े।


ईश्वर अपना पुराना कार्य न दोहराए, बल्कि हमेशा आगे बढ़ता जाए।

इंसान उसके मौजूदा कार्य को उसके पिछले कार्य से आँके।

ईश्वर के लिए मुश्किल हो गया है कार्य का हर चरण नए युग में करना।

इंसान की बहुत समस्याएँ हैं। उसकी सोच बहुत रूढ़िवादी है!

ईश-कार्य को सच में कोई ना जाने, फिर भी सब उसे सीमा में बांधे।


3

इंसान जब ईश्वर को पीछे छोड़े, वो जीवन और सत्य खो देता;

उससे ईश्वर के आशीष ले लिए जाते।

इंसान ईश्वर की दी इन सब चीजों को नकारे।

इंसान समझे, ईश्वर केवल व्यवस्था के अधीन ईश्वर हो सके

और इंसान के लिए सूली पर चढ़ा ईश्वर हो सके।


4

उन्हें लगे, ईश्वर नहीं जा सकता और न उसे जाना चाहिए बाइबल के परे,

इसलिए वे रहते पुरानी व्यवस्थाओं से बँधे,

पुराने, मृत नियमों की बेड़ियों से जकड़े।

कुछ ऐसे भी हैं जो मानते ईश्वर का जो भी नया कार्य हो,

वो पुष्ट किया जाए भविष्यवाणियों से।


उन्हे लगता, नए कार्य के हर चरण में,

उन सभी को जो "सच्चे" मन से अनुसरण करें

प्रकाशन जरूर दिखाए जाएँ, वर्ना वो कार्य ईश-कार्य न हो सके।


5

ईश्वर को जानना मुश्किल है इंसान के लिए।

ये और इंसान का बेतुका दिल और उसका आत्म-गौरव

नए ईश-कार्य को स्वीकारना मुश्किल बनाएँ।

इंसान उस पर गहराई से न सोचे, न उसे विनम्रता से स्वीकारे;

बल्कि उसे सिर्फ अवमानना से देखे।


वो ईश्वर से प्रकाशन और मार्गदर्शन का इंतज़ार करे।

क्या ये विद्रोहियों का आचरण नहीं?

ऐसे लोग ईश्वर का अनुमोदन कैसे पा सकें?


ईश्वर अपना पुराना कार्य न दोहराए, बल्कि हमेशा आगे बढ़ता जाए।

इंसान उसके मौजूदा कार्य को उसके पिछले कार्य से आँके।

ईश्वर के लिए मुश्किल हो गया है कार्य का हर चरण नए युग में करना।

इंसान की बहुत समस्याएँ हैं। उसकी सोच बहुत रूढ़िवादी है!

ईश-कार्य को सच में कोई ना जाने, फिर भी सब उसे सीमा में बांधे।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, वो मनुष्य, जिसने परमेश्वर को अपनी ही धारणाओं में सीमित कर दिया है, किस प्रकार उसके प्रकटनों को प्राप्त कर सकता है? से रूपांतरित

पिछला: 373  क्या तुम लोगों ने पवित्र आत्मा को बोलते सुना है?

अगला: 375  सच्चे मार्ग की तलाश के सिद्धांत

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

संबंधित सामग्री

610  मानवता में परमेश्वर के कार्य का तरीक़ा और सिद्धांत

1जब परमेश्वर देहधारी न था, तो उसके वचन इंसान समझ न पाता था,क्योंकि उसकी दिव्यता से आये थे वचन।न समझ पाता था वो उनका प्रसंग या दृष्टिकोण।वे...

396  उद्धार-कार्य के अधिक उपयुक्त है देहधारी परमेश्वर

1 अन्त के दिनों में, परमेश्वर देहधारी रूप में प्रकट होकर अपना न्याय का कार्य करता है। क्योंकि जिसका न्याय किया जाता है वह मनुष्य है, मनुष्य...

परमेश्वर का प्रकटन और कार्य परमेश्वर को जानने के बारे में अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन मसीह-विरोधियों को उजागर करना अगुआओं और कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारियाँ सत्य के अनुसरण के बारे में सत्य के अनुसरण के बारे में न्याय परमेश्वर के घर से शुरू होता है अंत के दिनों के मसीह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अत्यावश्यक वचन परमेश्वर के दैनिक वचन सत्य वास्तविकताएं जिनमें परमेश्वर के विश्वासियों को जरूर प्रवेश करना चाहिए मेमने का अनुसरण करो और नए गीत गाओ राज्य का सुसमाचार फ़ैलाने के लिए दिशानिर्देश परमेश्वर की भेड़ें परमेश्वर की आवाज को सुनती हैं परमेश्वर की आवाज़ सुनो परमेश्वर के प्रकटन को देखो राज्य के सुसमाचार पर अत्यावश्यक प्रश्न और उत्तर मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 1) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 2) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 3) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 4) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 5) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 6) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 7) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 8) मसीह के न्याय के आसन के समक्ष अनुभवात्मक गवाहियाँ (खंड 9) मैं वापस सर्वशक्तिमान परमेश्वर के पास कैसे गया

सेटिंग

  • इबारत
  • कथ्य

ठोस रंग

कथ्य

फ़ॉन्ट

फ़ॉन्ट आकार

लाइन स्पेस

लाइन स्पेस

पृष्ठ की चौड़ाई

विषय-वस्तु

खोज

  • यह पाठ चुनें
  • यह किताब चुनें

WhatsApp पर हमसे संपर्क करें