535  मानव जाति के भाग्य की ओर ध्यान दो

1

परमेश्वर सभी जातियों, देशों और उद्योगों के लोगों से करता है आग्रह:

सुनो परमेश्वर की आवाज़, देखो उसका काम;

इंसानियत की तक़दीर की ओर दो ध्यान, ओर दो ध्यान;

परमेश्वर को बनाओ सबसे पवित्र और सम्माननीय,

आराधना के लिए उच्चतम और एकमात्र बिंदु;

परमेश्वर के आशीष में जीने दो पूरी इंसानियत को,

जैसे इब्राहीम के वंशज जीते थे यहोवा के वादे में,

जैसे परमेश्वर की रचनाएं, आदम और हव्वा, रहते थे अदन के बाग़ में।


2

परमेश्वर का काम है उमड़ती हुई लहरों की तरह;

कोई रोक नहीं सकता उसे, कोई रोक नहीं सकता उसके कदम।

सिर्फ़ उसके वचनों को सुनकर, सिर्फ़ उसके पीछे चलकर,

चला जा सकता है उसके कदमों पर,

पाया जा सकता है उसके वादे को, वादे को।

बाकी सभी को सामना करना होगा कुल विनाश,

प्राप्त करनी होगी उनकी योग्य सज़ा, उनकी योग्य सज़ा।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है से रूपांतरित

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