195 सभी चीज़ों में परमेश्वर के आयोजन को मैं सर्मपित हो जाऊँगा
1
परमेश्वर, तूने बनाए मानव,
तेरी प्रभुता उन पर राज करे।
तूने चुना मुझे और सक्षम किया
लौटने को तेरे सिंहासन के समक्ष।
तेरे न्याय और शुद्धिकरण द्वारा,
मैं साफ देख सकता हूँ तेरा सच्चा प्यार।
तू सब करता है शुद्ध करने और बचाने को।
हालांकि मैंने सहा, तेरी सद्भावना मैं देखता हूँ।
तू है प्यार, चाहता हूँ मैं मानना तेरी आज्ञा
तेरे सब आयोजन में।
परमेश्वर, तेरी इच्छा समझता हूँ मैं।
चाहे तू दे न्याय, ताड़ना, या दे अनुग्रह,
जो भी तू करता है, जो भी तू करता है मानव को बचाने के लिए है।
परमेश्वर, तू कितना प्यारा है,
मैं सच्चे मन से तुझे अनुसरण करने को दृढ़ हूँ।
चाहे कुछ भी सामना करूँ, चाहे कुछ भी मैं सहूँ,
मैं जीता हूँ सिर्फ पाने के लिए सत्य और जीवन।
2
परमेश्वर, तेरा न्याय शुद्ध मुझे करे।
जब गुज़रता हूँ, रहमत देखता हूँ।
जब तू करता है न्याय, ताड़ना और परीक्षा,
तू ही मेरे संग रहता है।
जब हो दर्द मुझे, तू साथ रहे,
दे आराम मुझे और अगुवाई करे।
लोगों और चीजों का उपयोग कर मुझे करे पूर्ण,
ताकि जान सकूँ मैं सच और तुझ को।
तेरा न्याय है मोहब्बत,
ये रहमत प्रकट करता है तेरी प्रज्ञा और सामर्थ्य।
परमेश्वर, तेरी इच्छा समझता हूँ मैं।
चाहे तू दे न्याय, ताड़ना, या दे अनुग्रह,
जो भी तू करता है, जो भी तू करता है मानव को बचाने के लिए है।
परमेश्वर, तू कितना प्यारा है,
मैं सच्चे मन से तुझे अनुसरण करने को दृढ़ हूँ।
चाहे कुछ भी सामना करूँ, चाहे कुछ भी मैं सहूँ,
मैं जीता हूँ सिर्फ पाने के लिए सत्य और जीवन।
3
चाहे मुझको सौंपा जाता शैतान के शासन में,
फिर भी मैं बनता गवाह और तेरी प्रशंसा करता।
परमेश्वर है पवित्र और धार्मिक,
और मैं उसकी हमेशा स्तुति करूंगा।
परमेश्वर, तेरी इच्छा समझता हूँ मैं।
चाहे तू दे न्याय, ताड़ना, या दे अनुग्रह,
जो भी तू करता है, जो भी तू करता है मानव को बचाने के लिए है।
परमेश्वर, तू कितना प्यारा है,
मैं सच्चे मन से तुझे अनुसरण करने को दृढ़ हूँ।
चाहे कुछ भी सामना करूँ, चाहे कुछ भी मैं सहूँ,
मैं जीता हूँ सिर्फ पाने के लिए सत्य और जीवन।
पाने को सत्य और जीवन।