अफ़वाहों के फन्‍दे से आज़ादी

29 दिसम्बर, 2019

शिआओयुन, चीन

मैं सेना की एक स्‍त्री अधिकार हुआ करती थी! 1999 में एक दिन एक पादरी ने मुझे प्रभु यीशु के सुसमाचार का उपदेश दिया। मेरे संजीदा उद्यम को देख जल्‍दी ही उस पादरी ने प्रशिक्षण के दौरान अपना पूरा ध्‍यान मुझपर केन्द्रित कर दिया और मैं उसकी मुख्‍य सहयोगी बन गयी। सन 2000 की गर्मियों में, वह पादरी कोरिया की सुसमाचार कलीसिया के एक दर्जन से ज्‍़यादा महाविद्यालयीन छात्रों के साथ धर्म-प्रचार की यात्रा पर युन्‍नान आया था। उसकी इस यात्रा ने सीसीपी सरकार को अप्रत्‍याशित रूप से चौकन्‍ना कर दिया। जिस दौरान हम पादरी के घर पर एक बैठक कर रहे थे, हमें गिरफ़्तार कर लिया गया और फिर पूछताछ के लिए युन्‍नान प्रान्‍त के जन सुरक्षा विभाग में ले जाया गया। कोरियाई विश्‍वविद्यालयीन छात्रों को उसी रात कोरिया वापस भेज दिया गया और कोरियाई पादरी को भी निष्‍कासित कर दिया गया। कलीसिया को सीसीपी सरकार का उत्‍पीड़न भोगना पड़ा और बहुत-से विश्‍वासी डर गये और वे अपना विश्‍वास जारी रखने की हिम्‍मत नहीं जुटा सके। विश्‍वासियों के एक हिस्‍से को थ्री-सेल्‍फ़ कलीसिया में जाने को मजबूर किया गया, और इस तरह से सीसीपी सरकार द्वारा कलीसिया को भंग कर दिया गया। मैं कलीसिया की मुख्‍य सहकर्मी थी और इस बार मुझे सीसीपी सरकार के उत्‍पीड़न की वजह से अपनी नौकरी भी गँवा देनी पड़ी।

मार्च 2005 में मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के राज्‍य का सुसमाचार सुना। जब मुझे पता चला कि प्रभु यीशु वापस आ गये हैं, तो मैं इस क़दर उत्‍तेजना से भर उठी कि खुशी से मेरी आँखों में आँसू उमड़ आये और मुझे अवर्णनीय कृतज्ञता का अहसास हुआ। मैं जल्‍दी-से-जल्‍दी अपने भाइयों और बहनों को परमेश्‍वर के सामने लाना चाहती थी। परमेश्‍वर के मार्गदर्शन में भाइयों और बहनों ने एक-एक कर परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य को स्‍वीकार कर लिया था। लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य की गवाही को सुनने के बाद कलीसिया के एक सबसे प्रतिभाशाली सहकर्मी ने ऐलान कर दिया: "यह मत सही प्रतीत होता है, लेकिन हमें इसके बारे में पहले पादरी से पूछना और यह जानना ज़रूरी है कि वे क्‍या कहते हैं।" इसके बाद जल्‍दी ही पादरी ने मुझे फ़ोन किया और कहा, "इस समय बाहर बहुत गड़बड़ी है। तुमने लम्‍बे अरसे तक परमेश्‍वर में विश्‍वास नहीं किया है और तुम्‍हारा आध्‍यात्मिक क़द छोटा है। तुम जो भी चाहो करो, लेकिन लापरवाही के साथ कलीसिया से बाहर के लोगों के उपदेश मत सुनो, और तभी तुम भटकोगी नहीं। हम सिर्फ़ इस कलीसिया का मार्गदर्शन ही स्‍वीकार कर सकते हैं। दूसरी कलीसियाएँ जिन मार्गों का उपदेश करती हैं उनपर ध्‍यान मत दो।" उनकी बात सुनने के बाद, मैंने शान्तिपूर्वक कहा, "इस दौरान सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य का अध्‍ययन करते हुए, मैंने पाया है कि उनके द्वारा दिया गया प्रत्‍येक चीज़ के उपदेश का बाइबल के साथ मेल बैठता है, उसमें प्रबुद्धता और पवित्र आत्‍मा की रोशनी है और वह सच्‍चा मार्ग है।" मेरे पादरी ने कहा, "वे कितना ही अच्‍छा उपदेश क्‍यों न करते हों, हमें यह समझना चाहिए कि प्रभु यीशु ही सच्‍चा परमेश्‍वर है। हमें प्रभु को नहीं छोड़ना चाहिए!" मैंने दृढ़तापूर्वक कहा, "मैंने प्रभु को नहीं छोड़ा है, लेकिन मैं मेमने के पदचिह्नों पर चल रही हूँ। प्रभु यीशु लौट चुके हैं। उचित यही है कि हम बुद्धिमान क्‍वाँरियों की ही तरह प्रभु का स्‍वागत करें।" पादरी ने कठोरतापूर्वक कहा, "यह कैसे मुमकिन है कि कोरियाई कलीसिया को इस बात की जानकारी न हो कि प्रभु लौट आया है?" मैंने कहा, "यह कोई ऐसी चीज़ नहीं है जिसे कुछ शब्‍दों में समझाया जा सकता हो।" पादरी ने वाग्मितापूर्ण ढंग बल देते हुए कहा, "वे दरअसल चमकती पूर्वी बिजली में विश्‍वास करते हैं, जो सीसीपी सरकार की कठोर कार्रवाई के निशाने पर थी। इसे इंटरनेट पर एकदम साफ़ तौर पर स्‍पष्‍ट कर दिया गया है। तुम्‍हें ऑनलाइन दिख जाएगा। इसे जाँचने के लिए तुम्‍हें ऑनलाइन होना होगा...।" फ़ोन रखने के बाद मेरा चित्‍त देर तक शान्‍त नहीं हो सका। पादरी के शब्‍द मेरे कानों में बजते रहे। मैं ख़ासतौर से यह बात ठीक-ठीक जानना चाहती थी कि ऑनलाइन क्‍या कहा जा रहा है।

पता लगाने के लिए मैं फुर्ती से एक इंटरनेट कैफ़े की ओर भागी। जैसे ही मैंने वेबसाइट्स खोलीं, मैं हक्‍का–बक्‍का रह गयी। वेबसाइट्स सीसीपी सरकार की ईश-निन्‍दा और परमेश्‍वर की भर्त्‍सना से, और सत्‍ता की धार्मिक शख्सियतों द्वारा लगाये गये लांछनों और उनकी ईश-निन्‍दा से भरी पड़ी थीं। मेरे मन में कुछ शंकाएँ थीं: सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचन चाहे जिस व्‍यक्ति द्वारा नहीं बोले जा सकते। वे सत्‍य की आत्‍मा की अभिव्‍यक्ति हैं। यह ऐसा तथ्‍य है जिसे विभिन्‍न सम्‍प्रदायों के उन बहुत सारे लोगों द्वारा मान्‍य किया गया है जो संजीदा ढंग से प्रभु में विश्‍वास करते हैं और सत्‍य को जानने को लालायित हैं। लेकिन ये वेबसाइट्स लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर से इन्‍कार करने को प्रेरित करने के लिए अफ़वाहें क्‍यों फैलाती हैं? इनमें बहुत सारे प्रसिद्ध पादरी भी हैं जो खुद भी सीसीपी सरकार के साथ ईश-निन्‍दा और परमेश्‍वर की भर्त्‍सना में शामिल हैं। यहाँ यह चल क्‍या रहा है? यह सारा नकारात्‍मक प्रचार देखकर मैं सहसा अनिश्‍चयों से भर उठी। इसके बाद मैंने पवित्र आत्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये एक मनुष्‍य पर ऑनलाइन हमला होते देखा। एकबार फिर से मेरा दिल बैठ गया। क्‍या मैं वाक़ई इन्‍सान में विश्‍वास करती हूँ? मैं जैसे-जैसे इण्‍टरनेट पर दी गयी जानकारी देखती गयी, उतनी ही मेरी घबराहट बढ़ती गयी और मैं मुझे इस क़दर हैरानी और उलझन महसूस होने लगी कि अन्‍त में मुझे यह भी याद नहीं रहा कि मैं कैसे वह इण्‍टरनेट कैफ़े छोड़कर चली गयी।

घर लौटते हुए मैं रास्‍ते भर उस पूरे वक्‍़त को याद करती रही जो मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य की तलाश और पड़ताल करने में बिताया था। जब भी कभी मैं कोई सवाल खड़े करती थी, सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया के भाई और बहन मुझे परमेश्‍वर के वचन पढ़कर सुनाते थे। हर समस्‍या एक-के-बाद एक हल होती जाती थी, और मुझे पूरी तरह यक़ीन हो गया था। पूरे ग्‍यारह दिन की बहस और पड़ताल के बाद ही मुझमें यह दृढ़ विश्‍वास पैदा हुआ था कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ही वापस लौटा प्रभु यीशु है। मैंने परमेश्‍वर के कुछ वचन भी पढ़े थे। परमेश्‍वर ने अपने कार्य के तीन चरणों के सारे रहस्‍यों को और छह हज़ार वर्षों की प्रबन्‍धन योजना को उजागर किया था, और उसने अन्‍दरूनी सचाई और बाइबल के सार जैसे सत्‍यों को भी स्‍पष्‍ट किया था, और यह भी कि कौन-से वचन परमेश्‍वर के हैं और कौन-से मनुष्‍यों के हैं, और लोगों को बाइबल को किस तरह बरतना चाहिए। जब मैंने ये सारी बातें पढ़ी थीं, तो सब कुछ स्‍पष्‍ट हो गया था और मैं बहुत अधिक लाभान्वित हुई थी। परमेश्‍वर के इन वचनों से मैंने यह जाना था कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ही वापस लौटा प्रभु यीशु होना चाहिए। लेकिन इंटरनेट का यह सारा-का-सारा प्रचार नकारात्‍मक क्‍यों है? जितना ही मैंने उन अफ़वाहों के बारे में सोचा उतना ही मेरा मन उदास और भारी होता गया, और सड़क पार करते हुए मैं एक कार से लगभग टकराते-टकराते बची।

घर लौटने के बाद मेरा चित्‍त जरा भी शान्‍त नहीं हो सका और इण्‍टरनैट की वे अफ़वाहें रह-रह कर मेरे दिमाग़ में उभर उठतीं और वहीं मँडराती रहतीं। मैं एक-के-बाद-दूसरी बात सोचती जाती जिससे मेरा चित्‍त पूरी तरह आक्रान्‍त हो गया। मैं उस रात सो नहीं सकी, और मैंने सोचा: "अगर मैं ग़लत रास्‍ता पकड़ लेती हूँ तो क्‍या मेरी आस्‍था अकारथ नहीं जाएगी? नहीं, मुझे तुरन्‍त वापिस मुड़ना होगा। लेकिन अगर सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ही वापस लौटा प्रभु यीशु हुआ तो? तब क्‍या मैं प्रभु का स्‍वागत करने के सुअवसर से वंचित नहीं रह जाऊँगी और अपने बचे रहने का अवसर नहीं खो दूँगी?" इसी ऊहापोह में मैं इस प्रार्थना के साथ परमेश्‍वर के समक्ष गयी: "हे परमेश्‍वर! जब से मैंने कार्य का यह चरण स्‍वीकार किया है, मैंने अपने मन में हमेशा निश्चिन्‍त महसूस किया है, और परमेश्‍वर के वचनों को पढ़ना मुझे हमेशा आनन्दित करता रहा है और मेरी आत्‍मा अत्‍यन्‍त पोषित महसूस करती रही है। लेकिन इण्‍टरनैट पर कुछ नकारात्‍मक प्रचार देखने के बाद मैं शान्‍त नहीं रह पा रही हूँ। मेरे हृदय की रखवाली कर। हे परमेश्‍वर! मेरा आध्‍यात्मिक क़द छोटा है और मैं इन चीज़ों के बीच फ़र्क करना नहीं जानती। अगर तू ही वह सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर है जो वापस लौट आया है, तो मैं तुझसे याचना करती हूँ कि मेरा मार्गदर्शन कर ताकि मैं बिना किसी बाधा के तेरे कार्य में दृढ़तापूर्वक विश्‍वास कर सकूँ। और अगर ऐसा नहीं है तो मैं तुझसे याचना करती हूँ कि मेरा मार्गदर्शन कर ताकि मेरे भीतर सही-ग़लत के बीच फ़र्क करने का विवेक पैदा हो सके...।" प्रार्थना करने के बाद मेरे मन में एक विचार आया: सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचनों को फुर्ती से पढ़ डालने का विचार, जिससे यह तय हो सके कि वह परमेश्‍वर की वाणी है या नहीं। उस रात मैं पूरे समय परमेश्‍वर के वचनों को पढ़ती रही और न जाने कब मैं मेज़ पर ही सो गयी।

अगले दिन, बिल्‍कुल सुबह-सुबह मैं दरवाज़ा खटखटाये जाने से जागी और मैं उनींदी-सी दरवाज़ा खोलने पहुँची। देखा, तो सामने बहन वु थीं जिन्‍होंने मुझे सिंचित किया था। उन्‍होंने मुझे उस उनींदी हालत में देख चिन्तित भाव से पूछा कि मुझे क्‍या हुआ है। मैंने कहा, "कल मैं ऑनलाइन थी और वहाँ मैंने ऐसी बहुत-सी चीज़ें देखी हैं जो परमेश्‍वर का प्रतिरोध और ईश-निन्‍दा करती हैं, और अब मैं बेहद अन्‍तर्द्वन्‍द्व महसूस कर रही हूँ...।" यह सुनकर बहन वु ने मुझे संगत दी: "बहन, तुम ईसाइयों के प्रति सीसीपी सरकार के रवैये से अच्‍छी तरह से वाकिफ़ हो। उन्‍होंने असंख्‍य ईसाइयों को गिरफ़्तार किया है और उनपर अत्‍याचार किये हैं। यह जानी-मानी बात है। ये ऑनलाइन अफ़वाहें सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया को उत्‍पीडि़त करने सीसीपी सरकार द्वारा गढ़ी गयी हैं। उनका उद्देश्‍य परमेश्‍वर के कार्य का दमन करना और चीन को एक नास्तिक क्षेत्र में बदलना तथा लोगों को परमेश्‍वर का अनुसरण या आराधना करने की छूट न देना है। बहन, सीसीपी एक नास्तिक सरकार है। क्‍या वे जो कहते हैं उसपर हम विश्‍वास कर सकते हैं?" बहन की वह टिप्‍पणी एक सही वक्‍़त पर मिली चेतावनी थी। ठीक है! सीसीपी नास्तिक है। ये वे लोग हैं जो परमेश्‍वर से सबसे ज्‍़यादा नफ़रत करते हैं और उसका प्रतिरोध करते हैं। वे जो कुछ कहते हैं उसपर कोई भी कैसे विश्‍वास कर सकता है? सीसीपी सरकार "धर्म की आज़ादी" के बैनर की आड़ में काम करती है, लेकिन परदे के पीछे वे उन लोगों को धमकाते हैं और उनको गिरफ़्तार करते हैं जो परमेश्‍वर में विश्‍वास करते हैं। मैंने सोचा कि सीसीपी सरकार ने किस तरह पहले हमारी कलीसिया के लोगों को धमकाया और कुचला था और कितने भाइयों और बहनों ने अपनी आस्‍था गँवा दी थी और विश्‍वास जारी रखने की हिम्‍मत नहीं जुटायी थी, और मैंने सोचा कि किस तरह इसी वजह से मैंने अपनी नौकरी भी गँवा दी थी—क्‍या यह उन लोगों के प्रति सीसीपी सरकार की बदसुलूकी ही नहीं थी जो परमेश्‍वर में विश्‍वास करते हैं? धार्मिक विश्‍वास को नियन्त्रित करने के लिए सीसीपी सरकार ने थ्री-सेल्‍फ़ कलीसिया की स्‍थापना की थी और लोगों से कहा था कि वे पहले "राज्‍य से प्रेम करें" फिर "धर्म से प्रेम करें"। उनका उद्देश्‍य लोगों को सख्‍़ती से नियन्त्रित करना और लोगों की विश्‍वास करने की स्‍वतन्‍त्रता को सीमित करना है। जब मैंने यह सोचा, तो मुझमें सीसीपी सरकार के घृणित इरादों के बारे में कुछ विवेक जागा। सीसीपी सरकार ने हमेशा धार्मिक विश्‍वासों पर अत्‍याचार किया है और सच्‍चे मार्ग की भर्त्‍सना की है। इसलिए उनके द्वारा अफ़वाहों का गढ़ा जाना और सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य की भर्त्‍सना क्‍या उनकी परमेश्‍वर से नफ़रत करने वाली और परमेश्‍वर-विरोधी शैतानी प्रकृति का बहुत बड़ा परदाफ़ाश नहीं है?

बहन वु ने मेरे साथ अपनी संगत जारी रखी: "सीसीपी सरकार एक नास्तिक शैतानी हुकूमत और परमेश्‍वर की शत्रु है। लोगों पर स्‍थायी नियन्‍त्रण करने की अपनी वहशी महत्‍वाकांक्षा को पूरा करने के उद्देश्‍य से वे सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया की भर्त्‍सना करने और उसको लांछित करने के लिए विकृत ढंग से स्‍याह को सफ़ेद में बदल देते हैं। हम इसमें बहुत अच्‍छी तरह फ़र्क कर सकते हैं। लेकिन परमेश्‍वर का प्रतिरोध करने, उसकी भर्त्‍सना करने, और ईश-द्रोह करने में धर्मप्राण पादरी और एल्‍डर इस नास्तिक हुकूमत का अनुसरण कैसे कर सकते हैं? ज्‍़यादातर लोग इस समस्‍या को समझ नहीं पाते। दरअसल, यह चीज़ धर्मिक नेताओं की प्रकृति से और परमेश्‍वर के प्रतिरोध तथा सत्‍य से घृणा के उनके सार से सम्‍बन्‍ध रखती है। दो हज़ार साल पहले के बारे में सोचें तो, जब प्रभु यीशु ने मानव-जाति के उद्धार का कार्य नहीं किया था, तब उनको मुख्‍य पादरियों, शास्त्रियों और फरीसियों के विरोध तथा अत्‍याचार का सामना करना पड़ा था। यह इसलिए हुआ था क्‍योंकि प्रभु यीशु ने उस समय जिस तरह उपदेश दिये थे और चमत्‍कार किये थे उनने समूचे जूडिया में सनसनी पैदा कर दी थी। बहुत-से साधारण लोग प्रभु के वचनों से आकर्षित हो गये थे और एक-एक कर वे प्रभु यीशु की ओर मुड़ गये थे। मुख्‍य पादरियों, शास्त्रियों और फरीसियों ने इसे अपने आध्‍यात्मिक क़द और आजीविका के सामने उपस्थित ख़तरे की तरह देखा, और उन्‍होंने प्रभु यीशु का प्रतिरोध करने और उनको अपराधी ठहराने के लिए रोमन सरकार के साथ मिलकर षडयन्‍त्र रचा था। उन्‍होंने अफ़वाहें फैलायीं, प्रभु के कार्य को लांछित किया और प्रभु यीशु को सलीब पर लटका दिया। आज वही दो हज़ार साल पुराना इतिहास स्‍वयं को दोहरा रहा है। धार्मिक नेता सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य को लोगों द्वारा बढ़ती हुई तादाद में अपनाये जाते देखते हैं और वे तुरन्‍त ही ईर्ष्‍या से भर उठते हैं और परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य का प्रतिरोध और उसकी भर्त्‍सना करने के लिए सीसीपी सरकार के साथ जा मिलते हैं। यह चीज़ पूरी तरह से इस बात को दर्शाती है कि ज्‍़यादातर धार्मिक नेता मसीह-विरोधी हैं जो सत्‍य से नहीं बल्कि अपनी आध्‍यात्मिक हैसियत से प्रेम करते हैं। 'प्राचीन काल से ही, सच्‍चे मार्ग का हमेशा दमन किया जाता रहा है।' इसलिए यह आश्‍चर्य की बात नहीं कि सीसीपी सरकार और धार्मिक समुदाय की दुराचारी ताक़तों द्वारा सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य का सख्‍़त विरोध किया जा सका है, उसकी भर्त्‍सना की जा सकी है।" हाँ, फरीसी, मुख्‍य याजक और शास्‍त्री धर्मिक समुदाय के बीच प्रभुत्‍वशाली शख्सियतें थीं, लेकिन वे परमेश्‍वर में सच्‍चा विश्‍वास रखने वाले और सत्‍य से प्रेम करने वाले लोग नहीं थे। वे जानते थे कि प्रभु यीशु के वचनों में प्रभुत्‍व और बल था, लेकिन उन्‍होंने किसी भी चीज़ की तलाश या पड़ताल नहीं की। इसकी बजाय, अपने आध्‍यात्मिक क़द और आजीविका को क़ायम रखने के लिए उन्‍होंने प्रभु की भर्त्‍सना की और ईश-निन्‍दा की। दरअसल परमेश्‍वर का प्रतिरोध करना और उसके प्रति शत्रुता बरतना उनकी प्रकृति में ही था। आजकल, धर्मिक समुदाय के पादरी और एल्‍डर प्रभु के द्वितीय आगमन के सन्‍दर्भ में जिस तरह का आचरण कर रहे हैं वह वैसा ही है जैसा फरीसियों ने किया था। यह बात ज़ाहिर हो चुकी है कि वे परमेश्‍वर-द्रोही, सत्‍य-द्रोही मसीह-शत्रु हैं! जब बाइबल में प्रभु यीशु की वापसी की भविष्‍यवाणी की गयी है, तो उसमें कहा गया है, "परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:25)। आज सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर अपना कार्य करने आ चुका है, तब भी धर्मिक समुदाय और नास्तिक सीसीपी हुकूमत द्वारा उसका प्रतिरोध किया जा रहा है, भर्त्‍सना की जा रही है। क्‍या इस तरह प्रभु की भविष्‍यवाणी सही साबित नहीं हो रही है? उस क्षण मेरा हृदय रोशन हो उठा था। बहन वु ने अपना वार्तालाप जारी रखा: "इंटरनैट पर सीसीपी सरकार और धार्मिक समुदाय द्वारा किये गये नकारात्‍मक प्रचार का उद्देश्‍य मुख्‍यत: परमेश्‍वर के कार्य को नष्‍ट करना और उसमें व्‍यवधान डालना है। लोगों को छलने तथा भ्रमित करने और उनको परमेश्‍वर के प्रति सन्‍देह, तिरस्‍कार और विश्‍वासघात करने को उकसाने के लिए शैतान ने हमेशा झूठों का सहारा लिया है। अन्‍त में इन लोगों को परमेश्‍वर द्वारा दण्डित किया जाएगा और नर्क भेज दिया जाएगा, और वे परमेश्‍वर द्वारा बचाये जाने का अवसर हमेशा-हमेशा के लिए गँवा देंगे। हमें उनकी अफ़वाहों को समझ सकना चाहिए और इन अफ़वाहों को फैलाने के पीछे निहित पापपूर्ण इरादों और घृणित उद्देश्‍यों को समझ सकना चाहिए। अन्‍यथा हम बहकावे में आ जाएँगे और परमेश्‍वर द्वारा बचाये जा सकने का अवसर खो देंगे।" मैंने सहमत होते हुए सिर हिलाया और महसूस किया कि मुझे आखि़री पलों में उस बहन की संगत और मदद मिल गयी। मैं उनकी बात सुनना जारी रखने का इन्‍तज़ार नहीं कर सकती थी ...

बहन वु ने परमेश्‍वर के वचनों की पुस्‍तक निकाली और मुझसे कहा: "बहन, हम सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचनों का एक अंश पढ़ते हैं! सर्वशक्मिान परमेश्‍वर ने कहा था: 'मेरी योजना में, शैतान ने हमेशा हर कदम का बहुत तेजी से पीछा किया है, और मेरी बुद्धि की विषमता के रूप में, हमेशा मेरी वास्तविक योजना को बिगाड़ने के लिए उसने तरीके और संसाधनों को खोजने की कोशिश की है। परन्तु क्या मैं उसकी धोखेबाज़ योजनाओं से परास्त हो सकता हूँ? सभी जो स्वर्ग में और पृथ्वी पर हैं मेरी सेवा करते हैं—क्या शैतान की कपटपूर्ण योजनाएँ कुछ अलग हो सकती हैं? यह निश्चित रूप से मेरे ज्ञान का प्रतिच्छेदन है, यह निश्चित रूप से वह है जो मेरे कर्मों के बारे में चमत्कारिक है, और यही वह सिद्धांत है जिसके द्वारा मेरी पूरी प्रबंधन योजना चलती है। राज्य के निर्माण के दौरान भी मैं शैतान की कपटपूर्ण योजनाओं से बचता नहीं हूँ, बल्कि उस कार्य को करता रहता हूँ जो मुझे करना होता है। ब्रह्मांड में सभी वस्तुओं के बीच, मैंने अपनी विषमता के रूप में शैतान के कर्मों को चुना है। क्या यह मेरी बुद्धि नहीं है? क्या यह निश्चित रूप से वह नहीं है जो मेरे कार्यों के बारे में अद्भुत है?' ("वचन देह में प्रकट होता है" में संपूर्ण ब्रह्मांड के लिए परमेश्वर के वचन के "अध्याय 8")।"

परमेश्‍वर के वचनों को पढ़ने के बाद बहन ने वार्तालाप जारी रखते हुए कहा: "सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के इन वचनों से हमें यह बात समझ में आती है कि परमेश्‍वर के कार्य के हर चरण में परमेश्‍वर की इच्‍छा, बुद्धि और विलक्षणता रूपायित होती है। परमेश्‍वर का कार्य आदि से अन्‍त तक शैतान की चालबाज़ी से विचलित नहीं होता, बल्कि वह शैतान की चालबाजि़यों का परमेश्‍वर के कार्य के हित में इस्‍तेमाल करता है, ताकि सच्‍चे अर्थों में परमेश्‍वर में विश्‍वास करने वाले लोगों को पूर्ण किया जा सके और मानव-जाति को बचाने की परमेश्‍वर की योजना के प्रबन्‍ध को पूर्णता प्रदान की जा सके। ऊपरी तौर पर, शैतान परमेश्‍वर का प्रतिरोध करने के अपने अहंकार में फूला दिखायी देता है, लेकिन परमेश्‍वर की बुद्धि शैतान की चालबाजि़यों के आधार पर प्रयोग में लायी गयी होती है। शुरू में, शैतान ने मानव-जाति को भ्रष्‍ट कर दिया था, लेकिन परमेश्‍वर ने उसको सीधे-सीधे नष्‍ट नहीं किया था। इसकी बजाय, परमेश्‍वर मानव-जाति की रक्षा के लिए अपने कार्य के तीन चरणों का प्रयोग करता है और, मानव-जाति की रक्षा करने के दौरान परमेश्‍वर शैतान को उपद्रव करने तथा व्‍यवधान डालने की छूट देता है, जिसके पीछे उसका उद्देश्‍य मानव-जाति को भ्रष्‍ट और भ्रमित करने, परमेश्‍वर का आवेशपूर्ण प्रतिरोध करने और परमेश्‍वर का शत्रु होने के पीछे निहित शैतान के वास्‍तविक चेहरे को सामने लाना है, ताकि मानव-जाति शैतान के घिनौने चेहरे और पापपूर्ण सार को उसके वास्‍तविक रूप में देख सके। ऐसा करने से लोग शैतान को त्‍याग कर परमेश्‍वर की ओर लौट सकने को उत्‍प्रेरित होते हैं, और इससे शैतान पूरी तरह से अपमानित और पराजित हो जाएगा। यह शैतान के खि़लाफ़ सबसे सशक्‍त गवाही है, और यह परमेश्‍वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्‍ता को प्रकट करती है। यह वैसा ही है कि बावजूद इसके कि जॉब एक परमेश्‍वर-भीरु इन्‍सान थे जिन्‍होंने दुरात्‍मा को त्‍याग दिया था, तब भी परमेश्‍वर ने शैतान को जॉब को पीड़ा पहुँचाने की छूट दी थी और अन्‍तत: उसने शैतान को अपमानित करने परीक्षण के दौरान जॉब की गवाही का इस्‍तेमाल किया था और यह साबित किया था कि परमेश्‍वर द्वारा किया गया जॉब का मूल्‍यांकन पूरी तरह सही था। यह थी परमेश्‍वर की बुद्धि। इसके अलावा, परमेश्‍वर अन्‍त के दिनों में जो कार्य करता है वह लोगों को बचाने और पूर्णता प्रदान करने का कार्य है। यह लोगों को उनकी प्रकृतियों के मुताबिक़ अलगाने और युग का अन्‍त करने का कार्य भी है। परमेश्‍वर सीसीपी सरकार और धार्मिक समुदाय द्वारा किये जा रहे अत्‍याचारों का इस्‍तेमाल इसलिए करता है ताकि लोग विभिन्‍न किस्‍म की कठोर परीक्षाओं से गुज़रने का अनुभव करें। जो लोग परमेश्‍वर में सच्‍चा विश्‍वास करते हैं वे सत्‍य को समझ सकते हैं और पीड़ाओं के अनुभव के माध्‍यम से विवेक विकसित कर सकते हैं, वे परमेश्‍वर की सर्वशक्तिमत्‍ता और बुद्धि को पहचान सकते हैं, शैतान की दुष्‍टता की असलियत को पहचान सकते हैं, और अन्‍त में शैतान का पूरी तरह तिरस्‍कार कर परमेश्‍वर का उद्धार हासिल कर सकते हैं। लेकिन जो लोग कायर हैं, जिनमें सच्‍चे विश्‍वास का अभाव है, जो सत्‍य से ऊबे हुए हैं और जो दुष्‍टात्‍मा सत्‍य से नफ़रत करते हैं उन सबकी कठोर परीक्षाओं के दौरान कलई खुल जाती है, और वे उखाड़ कर फेंक दिये जाते हैं। इस तरह बकरियाँ भेड़ों से, खरपतवार गेहूँ से, बुरे नौकर भले नौकरों से और मूर्ख क्‍वाँरियाँ अक्‍़लमन्‍द क्‍वाँरियों से अलगा दी जाती हैं, क्‍योंकि सभी अपनी-अपनी प्रकृतियों के मुताबिक़ अलगाये जाते हैं। यही परमेश्‍वर की बुद्धि और सर्वशक्तिमत्‍ता है।" बहन वु की वार्ता सुनने के बाद मैं दो हज़ार साल पहले के उस समय के बारे में सोचे बिना नहीं रह सकी जब प्रभु यीशु को यहूदी फरीसियों और रोमन सरकार द्वारा सूली पर लटका दिया गया था। मनुष्‍य के दृष्टिकोण से, प्रभु यीशु का कार्य नाकामयाब रहा था, लेकिन प्रभु यीशु ने कहा था, "पूरा हुआ।" यह शैतान द्वारा किया गया अत्‍याचार और सलीबीकरण ही था जिसके माध्‍यम से परमेश्‍वर ने मानव-जाति के उद्धार का कार्य पूरा किया था। आज अन्‍त के दिनों में सीसीपी सरकार और धार्मिक समुदाय द्वारा की जा रही भर्त्‍सना और बदनामी ने उन लोगों को पूर्णता प्रदान करने में परमेश्‍वर की मदद ही की है जो उसमें सच्‍चा विश्‍वास करते हैं, और वे परमेश्‍वर के लिए वे साक्ष्‍य भी बन गये हैं जिनके सहारे वह उन लोगों को अपराधी ठहरायेगा। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहता है: "शैतान की युक्तियों के आधार पर मेरी बुद्धि प्रयुक्त की जती है" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "विजयी कार्यों का आंतरिक सत्य (1)")। बाइबल में यह दर्ज़ किया गया है: "आहा! परमेश्‍वर का धन और बुद्धि और ज्ञान क्या ही गंभीर है! उसके विचार कैसे अथाह, और उसके मार्ग कैसे अगम हैं!" (रोमियों 11:33)। इसके बारे में विचार करते हुए मैंने पाया कि परमेश्‍वर का कार्य अत्‍यन्‍त बुद्धिमत्‍तापूर्ण और अद्भुत है, और मैंने सच्‍चे मन से परमेश्‍वर की सराहना की।

बहन वु की संगत के माध्‍यम से मुझे परमेश्‍वर के कार्य की कुछ समझ हासिल हुई और मैं परमेश्‍वर के कार्य के प्रति सीसीपी सरकार तथा धर्मिक समुदाय के सार को भी किसी हद तक समझ सकी, लेकिन एक मनुष्‍य पर हमारे विश्‍वास करने के बारे में, यानी पवित्र आत्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये मनुष्‍य में विश्‍वास करने के बारे में, इंटरनैट पर जो कुछ कहा गया था, वह मुझे अभी भी समझ में नहीं आया था। मैंने बहन वु से पूछा: "इंटरनैट पर कहा गया है कि हम एक मनुष्‍य में विश्‍वास करते हैं। क्‍या ऐसा है?" बहन वु ने इस प्रश्‍न के बारे में वार्तालाप करते हुए कहा: "आपकी समस्‍या यह है कि आप परमेश्‍वर के कार्य और मनुष्‍य के कार्य के बीच के फ़र्क से सम्‍बन्धित सत्‍य के बारे में स्‍पष्‍ट नहीं हैं। हम सबसे पहले सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचनों के दो अंशों को पढ़ते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर कहता है: 'स्वयं परमेश्वर के कार्य में सम्पूर्ण मनुष्यजाति का कार्य समाविष्ट है, और यह सम्पूर्ण युग के कार्य का भी प्रतिनिधित्व करता है। कहने का तात्पर्य है कि, परमेश्वर का स्वयं का कार्य पवित्र आत्मा के सभी कार्य की चाल और प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है, जबकि प्रेरितों का कार्य परमेश्वर के स्वयं के कार्य का अनुसरण करता है और युग की अगुवाई नहीं करता है, न ही यह सम्पूर्ण युग में पवित्र आत्मा के कार्य करने की प्रवृत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। वे केवल वही कार्य करते हैं जो मनुष्य को अवश्य करना चाहिए, जो प्रबंधन कार्य को बिलकुल भी समाविष्ट नहीं करता है। परमेश्वर का स्वयं का कार्य प्रबंधन कार्य के भीतर एक परियोजना है। मनुष्य का कार्य केवल उपयोग किए जा रहे मनुष्यों का कर्तव्य है और इसका प्रबंधन कार्य से कोई सम्बन्ध नहीं है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य)। 'जिस कार्य को परमेश्वर करता है वह उसके देह के अनुभव का प्रतिनिधित्व नहीं करता है; जिस कार्य को मनुष्य करता है वह मनुष्य के अनुभव का प्रतिनिधित्व करता है। हर कोई अपने व्यक्तिगत अनुभव के बारे में बात करता है। परमेश्वर सीधे तौर पर सत्य को व्यक्त कर सकता है, जबकि मनुष्य केवल सत्य का अनुभव करने के पश्चात् ही तदनुरूप अनुभव को व्यक्त कर सकता है। ... यह बताने के लिए कि क्या यह परमेश्वर का अपना कार्य है या मनुष्य का कार्य है तुम्हें बस उनके बीच अन्तर की तुलना करनी है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य)। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचन हमें इस बात को समझने की गुंजाइश देते हैं कि परमेश्‍वर का कार्य नये युग में प्रवेश का कार्य है। यह वह कार्य है जो समूची मानव-जाति की रक्षा करता है। मनुष्‍य किसी भी युग में प्रवेश की राह नहीं दिखा सकता, न ही वह मानव-जाति की रक्षा का कार्य कर सकता है। मनुष्‍य का कार्य तो परमेश्‍वर के कार्य की बुनियाद पर मनुष्‍य के कर्तव्‍य का निर्वाह करना है। वह सिंचन, पूर्ति, और लोगों को परमेश्‍वर के वचनों की वास्‍तविकता में प्रवेश के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य है और वह परमेश्‍वर के सहयोग से किया जाता है, लेकिन मनुष्‍य का कार्य स्‍वयं परमेश्‍वर के कार्य की जगह क़तई नहीं ले सकता, न ही उसको परमेश्‍वर के कार्य की कोटि में रखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, अनुग्रह के युग को ही लें, जब प्रभु यीशु ने मानव-जाति को एक नये युग में ले जाते हुए अनुग्रह के युग की शुरुआत की थी और व्‍यवस्‍था के युग का अन्‍त किया था। जब प्रभु यीशु ने अपना कार्य पूरा कर लिया था, तो पीटर और अन्‍य शिष्‍यों ने कलीसिया की अगुआई करते हुए और रास्‍ता दिखाते हुए तथा प्रभु के मार्ग के अनुसरण के लिए भाइयों और बहनों की अगुआई करते हुए प्रभु यीशु के कार्य को जारी रखने की शुरुआत की थी। यह पूरी तरह से प्रभु यीशु के कार्य से मेल रखता था। उस समय, कलीसिया के लोगों ने पीटर के मार्गदर्शन और अगुआई को स्‍वीकार किया था, लेकिन किसी ने भी यह नहीं कहा था कि वे पीटर या अन्‍य किसी शिष्‍य में विश्‍वास कर रहे थे। यह एक तथ्‍य है। इसी तरह से अन्‍त के दिनों का सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर आ चुका है और उसने अनुग्रह के युग का अन्‍त कर दिया है और राज्‍य के युग का रास्‍ता दिखा दिया है; वह परमेश्‍वर के घर के साथ शुरुआत करते हुए न्‍याय का कार्य करता है और मानव-जाति का शुद्धीकरण करने और उसको बचाने के लिए सारे सत्‍यों को व्‍यक्‍त करता है। अगर हम इन सत्‍यों का अभ्‍यास कर सकें, इनको समझ सकें और इनमें प्रवेश कर सकें, तो हम वे लोग होंगे जो सच्‍चा उद्धार हासिल कर सकेंगे और पूर्ण कर दिये जाएँगे। लेकिन चूँकि हमारी क्षमताएँ कमतर हैं, इसलिए खुद ही परमेश्‍वर के वचनों को पढ़कर और परमेश्‍वर के वचनों को अनुभव कर सच्‍चा उद्धार हासिल करना एक मुश्किल और धीमी प्रक्रिया है। इसलिए परमेश्‍वर ने हमारी अगुआई के लिए पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये पुरुष को कार्य में लगाया है। पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये पुरुष को पहले से ही परमेश्‍वर द्वारा तैयार और पूर्ण कर दिया गया है। उसने परमेश्‍वर के कार्य का अनुभव करते हुए उद्धार और पूर्णता हासिल करने का अनुभव प्राप्‍त किया है। वह परमेश्‍वर के वचनों के अपने अनुभव का इस्‍तेमाल करते हुए परमेश्‍वर के वचनों को जानने और परमेश्‍वर के वचनों में प्रवेश करने के लिए हमारा मार्गदर्शन करता है। इससे हमें मार्ग से कम विचलित होने में मदद मिलती है। अगर हम पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये पुरुष की अगुआई और सिंचन को स्‍वीकार करते हैं और उसकी आज्ञा का पालन करते हैं, तभी हम परमेश्‍वर में विश्‍वास और वास्‍तविक उद्धार हासिल करने के सच्‍चे मार्ग पर चल सकते हैं। यह पूरी तरह से हमारे प्रति परमेश्‍वर की कृपा और आशीर्वाद है। पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किया गया पुरुष हमारा उत्‍कर्ष करता है, हमें परमेश्‍वर का गवाह बनाता है तथा परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करने और उसकी आराधना करने में हमारा मार्गदर्शन करता है। उसने हमसे कभी नहीं कहा कि हम उसको परमेश्‍वर की तरह बरतें, न ही उसने कभी यह माँग की है कि हम उसमें विश्‍वास करें। परमेश्‍वर के सारे प्रिय लोगों के मन में यह बात स्‍पष्‍ट है: परमेश्‍वर द्वारा इस्‍तेमाल किया गया पुरुष सिर्फ़ हमारा भाई है और अगुआ है, और हम अन्त के दिनों के मसीहा, सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में विश्‍वास करते हैं, न कि उस पुरुष में जिसे पवित्रात्‍मा इस्‍तेमाल करता है। इंटरनैट पर यह अफ़वाह फैलायी गयी है कि हम पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये पुरुष में विश्‍वास करते हैं। यह तथ्‍यों को पूरी तरह से तोड़-मरोड़ कर पेश करना और सही तथा ग़लत के बीच भ्रम पैदा करना है। यह शैतान का भुलावा है और लोगों को बहकाने वाला झूठ है। आप सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया में जाकर, वहाँ के भाइयों और बहनों के बीच चल-फिर कर, उनकी बातों को सुन और सच्‍चे अर्थों में समझकर खुद ही इसकी ताईद कर सकती हैं। तब आप देखेंगी कि हम सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के वचनों को पढ़ते हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर का नाम लेकर प्रार्थना करते हैं और स्‍वयं देहधारी परमेश्‍वर, यानी, सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर, अन्‍त के दिनों के मसीह, में विश्‍वास करते हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर की कलीसिया पर पूरी तरह से मसीह का वर्चस्‍व है। ये परमेश्‍वर के वचन हैं जिनका वर्चस्‍व है। तब मुझे बताइये कि हम एक मनुष्‍य में विश्‍वास करते हैं या परमेश्‍वर में? क्‍या यह बात ज़ाहिर नहीं है?" बहन का वार्तालाप सुनने के बाद मुझे परमेश्‍वर के कार्य और मनुष्‍य के कार्य के बारे में थोड़ी-सी जानकारी हासिल हुई, और पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये पुरुष को काम में लगाने के पीछे परमेश्‍वर के इरादे की भी थोड़ी-सी समझ मुझे हासिल हुई। मैं यह भी जानती थी कि हम देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में विश्‍वास करते हैं, न कि एक मनुष्‍य में। मैं मन-ही-मन यह सोचे बिना नहीं रह सकी: हमने परमेश्‍वर के कार्य और परमेश्‍वर के वचनों की पूर्ति को स्‍वीकार किया है। हम सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर में विश्‍वास करते है; हम किसी मनुष्‍य का अनुसरण नहीं करते न उसमें विश्‍वास करते हैं। लगता है कि वे ऑनलाइन अफ़वाहें वाक़ई लोगों को बहकाने के इरादे से शैतान द्वारा फैलाये गये झूठ और मिथ्‍या प्रचार हैं। आरम्‍भ में, हमारे पहले पूर्वज आदम और हौवा शैतान की चालबाजि़यों द्वारा छले गये थे; उन्‍होंने पाप किया था और वे अदन-वाटिका से निष्‍कासित कर दिये गये थे क्‍योंकि उन्‍होंने शैतान के झूठों पर ध्‍यान दिया था। प्रभु यीशु के सलीबीकरण में फरीसियों के साथ शामिल हुए यहूदियों ने भी अफ़वाहों पर ध्‍यान दिया था और वे भी शैतान की चालबाजि़यों द्वारा छले गये थे और परमेश्‍वर के प्रति शाश्‍वत पापी बन गये थे। मुझे इन पिछली भूलों से सबक़ लेना चाहिए। मुझे अब कभी शैतान के बहकावे में नहीं आना चाहिए!

जब बहन वु जाने लगीं, तो उन्‍होंने मुझसे परमेश्‍वर के वचनों को और अधिक पढ़ने का आग्रह किया तथा वे मुझे पढ़ने के लिए पवित्रात्‍मा की वार्ता भी छोड़ गयीं। एक दिन मैंने उस वार्ता में एक अंश देखा: "इस महत्वपूर्ण अंतिम क्षण में, लोगों की अपने अभ्यासों में पहली प्राथमिकताएं ये होनी चाहिए: परमेश्वर के वचनों को खाना और पीना, चाहे परमेश्वर उन्हें कुछ भी सौंपे, अपने कर्तव्यों को पूरा करना, परमेश्वर को संतुष्ट करना और परमेश्वर की महिमा करना। परमेश्वर के प्रति निष्ठा का अभ्यास करने के ये एकमात्र तरीके हैं। पिछले संतों ने अक्सर कहा, 'हमारे लाभ और हानि से कोई फ़र्क नहीं पड़ता; हमें परमेश्वर की इच्छा पर ध्यान देना चाहिए।' यह सभी लोगों का आदर्श होना चाहिए। विशिष्ट अभ्यास इस प्रकार हैं: यदि शैतान का हस्तक्षेप होता है, तो पहला कार्य है परमेश्वर की गवाही और परमेश्वर के काम की रक्षा करना और शैतान को हराने के लिए सत्य का उपयोग करना; अगर कोई पाप या प्रलोभन का सामना करता है, तो परमेश्वर की महिमा करना सबसे पहला काम है, और कोई परमेश्वर के विरूद्ध पाप नहीं कर सकता और उसका अपमान नहीं कर सकता है; अगर अपने कर्तव्यों की पूर्ति करने में लोग, मुद्दे या चीज़ें बाधा डालती हैं, तो परमेश्वर उन्हें जो सौंपें वह पहले आता है और उन्हें सभी उलझनों से मुक्त होना चाहिए और परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए; अगर और जब किसी के व्यक्तिगत हितों के महत्वपूर्ण मामले सामने आते हैं, तो परमेश्वर के परिवार के हित पहले आते हैं। अपने व्यक्तिगत हितों को छोड़ना और परमेश्वर के दिल के बारे में चिंताशील होना महत्वपूर्ण है। यदि सांसारिक मामलों में उलझनें और बाधाएं आती हैं, तो अपना कर्तव्य पूरा करना और परमेश्वर को संतुष्ट करना पहले आना चाहिए और उन्हें दूसरी हर बात को अलग रख देना चाहिए और परमेश्वर के लिए स्वंय को अर्पित करना चाहिए" (जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति)। पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये पुरुष की इस वार्ता से मुझे यह बात समझ में आयी कि मुझे परमेश्‍वर की इच्‍छा को पूरा करने के लिए वास्‍तविक जीवन में किस तरह व्‍यवहार करना चाहिए और परमेश्‍वर के प्रति वफ़ादार बने रहने के लिए क्‍या करना चाहिए। मुझे लगा कि पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किया गया पुरुष सचमुच परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करने, सत्‍य में भागीदारी करने और परमेश्‍वर की इच्‍छा पूरी करने के लिए हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। मैंने इस बात को पहचाना कि परमेश्‍वर ने हमारे लिए जिस "व्‍याख्‍याकार" की व्‍यवस्‍था की है वह सचमुच अच्‍छा है! मुझे और भी साफ़ तौर महसूस हुआ कि परमेश्‍वर ने पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये किसी व्‍यक्ति को पहले से ही तैयार कर दिया है ताकि वह सत्‍य को और अधिक शीघ्रता से समझने और परमेश्‍वर को जानने के लिए हमारा मार्गदर्शन करे। ये हमारे प्रति परमेश्‍वर का सच्‍चा प्रेम है! इस मुकाम पर मेरे सामने उन अफ़वाहों की पूरी तरह से कलई खुल गयी और मैंने उनका तिरस्‍कार कर दिया जो ऑनलाइन फैलायी गयी थीं और जो परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य की भर्त्‍सना करती थीं और पवित्रात्‍मा द्वारा इस्‍तेमाल किये गये पुरुष पर हमला करती थीं। अन्‍तत: मैं अत्‍यन्‍त उद्विग्‍नता की स्थिति से सहज स्थिति में आ सकी। मुझे सचमुच विश्‍वास हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर ही वापस लौटा प्रभु यीशु है। सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य को स्‍वीकार कर, मैं मेमने के क़दमों से क़दम मिलाती हुई चलती हूँ, मेमने के विवाह-भोज में शामिल होती हूँ और परमेश्‍वर के सिंहासन के सम्‍मुख खड़ी हूँ!

शैतान द्वारा फैलायी गयी इस अशान्ति से गुज़रने के बाद मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य पर और भी ज्‍़यादा यक़ीन हो गया था। आज मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर का अनुसरण करते हुए एक दशक से ज्‍़यादा समय हो चुका है। मैं पीछे मुड़कर सोचती हूँ उन तमाम अवधारणाओं के बारे में जो मेरे मन में तब बनी हुई थीं जब मैंने परमेश्‍वर के अन्‍त के दिनों के कार्य को अभी स्‍वीकार ही किया था, फिर जब मैंने कुछ सत्‍यों को समझा था और मेरे सामने सीसीपी सरकार तथा धार्मिक समुदाय की अफ़वाहों की कलई खुली थी जिससे मुझे अपनी उन अवधारणाओं से और बहकावों में आने से मुक्ति मिली थी, फिर जब मैं सत्‍य की खोज के लिए जूझ रही थी और रचे गये प्राणी के रूप में अपने कर्तव्‍यों का पालन कर रही थी तथा परमेश्‍वर के प्रेम का प्रतिदान कर रही थी और दृढ़ निश्‍चय के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर का अनुसरण करने लगी थी। इस सब ने मुझे परमेश्‍वर के इन वचनों के प्रति सराहना के भाव से भर दिया: "देहधारी परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते में, मनुष्य विरोध से आज्ञाकारिता की ओर, प्रताड़ना से स्वीकृति की ओर, धारणा से ज्ञान की ओर, और तिरस्कार से प्रेम की ओर प्रगति करता है। ये देहधारी परमेश्वर के कार्य के प्रभाव हैं" ("वचन देह में प्रकट होता है" में "भ्रष्ट मनुष्यजाति को देहधारी परमेश्वर के उद्धार की अधिक आवश्यकता है")। शुक्र है परमेश्‍वर का!

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