क्या आकाश की ओर देखकर तुम वाकई प्रभु का स्वागत कर सकते हो?
बहुत-से विश्वासी प्रभु यीशु के बादल पर सवार होकर नीचे उतरने की प्रतीक्षा कर रहे हैं, ताकि वे विपत्तियाँ आने से पहले परमेश्वर के राज्य में ले जाए जा सकें। लेकिन इस दौरान, वे विपत्तियों को तो बढ़ते देख रहे हैं, मगर प्रभु यीशु अब भी बादल पर सवार होकर नहीं आया। बहुत-से लोगों की आस्था डगमगाने लगी है। कुछ लोग कहते हैं, प्रभु अपनी मर्ज़ी से आयेगा, हमें बस प्रतीक्षा करनी चाहिए। दूसरे कहते हैं, अगर वह विपत्तियों के आने से पहले नहीं आया, तो हो सकता है वह विपत्तियों के दौरान या उनके बाद आये। इन बयानों से क्या पता चलता है? क्या ये नहीं दिखाते कि उनकी आस्था बिल्कुल सतही है? उन्होंने आस्था गँवा दी है, वे न इसे खोज रहे हैं और न ही इस पर गौर कर रहे हैं, बल्कि सिर्फ विपत्तियों के आने का इंतज़ार कर रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि और क्या करें। वे वर्षों से आकाश की ओर टकटकी लगाये देख रहे हैं, मगर अभी तक प्रभु का स्वागत नहीं कर पाये। क्या वाकई यही तरीका सही है? प्रभु का स्वागत करने के लिए सबसे अहम क्या है? मुझे याद है प्रभु यीशु ने कहा : "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं" (यूहन्ना 10:27)। "देख, मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूँ; यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा, तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूँगा और वह मेरे साथ" (प्रकाशितवाक्य 3:20)। प्रकाशित वाक्य में भी कई जगहों पर यह भविष्यवाणी की गयी है : "जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है" (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। ये पद दिखाते हैं कि प्रभु के आने का स्वागत करने की कुंजी है आत्मा द्वारा कलीसियाओं से कही गयी बातों को खोजना, और परमेश्वर की वाणी को सुनना। जो लोग परमेश्वर की वाणी को सुनते हैं, वे प्रभु का स्वागत करते हैं, वे ही बुद्धिमान कुँवारियाँ हैं। मैं इस सत्य को पहले नहीं समझ पाया था, मगर अपनी धारणाओं और कल्पनाओं के भरोसे रहा, बस आकाश की ओर टकटकी लगाये देखता रहा। जब मैंने किसी व्यक्ति को गवाही देते सुना कि प्रभु यीशु पहले ही वापस आ चुका है और कई सत्य व्यक्त कर रहा है, तो मैंने न तो उसे खोजा, न ही उसकी जांच-पड़ताल की, मैंने प्रभु का स्वागत करने और स्वर्गारोहण का अपना मौक़ा लगभग गँवा दिया।
मेरी पुरानी कलीसिया में, पादरी हमेशा इस बारे में बताया करते, प्रेरितों 1:11 : "हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।" वे कहते कि प्रभु बादल पर सवार होकर वापस आयेगा, इसलिए हमें चौकस रहना होगा और प्रभु का स्वागत करने के लिए प्रार्थना करनी होगी। मैं हर दिन बाइबल पढ़ता और प्रार्थना करता, इस उम्मीद में कि प्रभु बादल पर सवार होकर आयेगा और किसी दिन मुझे अपने राज्य में ले जाएगा।
एक दिन, मैं एक मित्र के घर गया, वह चीनी पद्धति का फिज़ियोथेरेपी उपचार करवा रहा था। बातचीत के दौरान मुझे पता चला कि फिज़ियोथेरेपिस्ट झांग एक ईसाई है, इसलिए हमारी चर्चा बाइबल पर आकर टिक गयी। भाई झांग ने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का थोड़ा ज़िक्र किया, और बाइबल का एक पद सुनाया : "पिता किसी का न्याय नहीं करता, परन्तु न्याय करने का सब काम पुत्र को सौंप दिया है" (यूहन्ना 5:22)। फिर उसने मुझसे कहा, "प्रभु यीशु, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में पहले ही वापस आ चुका है। वह देहधारी होकर आया है और अंत के दिनों में न्याय-कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त कर रहा है।" जब मैंने सुना कि प्रभु वापस आ चुका है, मैं रोमांचित होने के साथ-साथ चौंक भी गया, यह सोच कर कि "कितना कमाल है कि प्रभु यीशु वापस आ गया! मैं वर्षों से इसके लिए हर दिन तरसा हूँ—आखिरकार वह आ गया!" मैं खुश हो रहा था, मगर अचानक मुझे एहसास हुआ कि भाई झांग ने "देहधारी होकर" कहा है। उसी पल मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा क्योंकि पादरी और एल्डरों ने हमेशा कहा कि प्रभु बादल पर सवार होकर आयेगा, उसके देहधारी होकर आने की कोई भी ख़बर गलत ही है, हमें इसे नहीं मानना चाहिए। मैं भाई झांग से सतर्क हो गया। मैंने सोचा, मैं वर्षों से विश्वासी रहा हूँ, बाइबल को बहुत पढ़ा है, लेकिन कभी भी प्रभु के देहधारी होकर आने के बारे में कुछ नहीं देखा। इसलिए मैंने उससे कहा, "यह कैसे संभव है कि प्रभु देहधारी होकर वापस आ गया है? प्रेरितों 1:11 में कहा गया है : 'हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा।' ओर प्रेरितों 1:7 में कहा गया है : 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे।' इन पदों में हम देख सकते हैं कि प्रभु बादल पर रवाना हो चुका है, इसलिए जब वह आयेगा, तो बादल पर सवार होकर ही आयेगा। तुम्हारा कहना कि प्रभु देहधारी होकर आ गया है, बाइबल की भविष्यवाणियों के विपरीत है।"
फिर उसने मुस्करा कर मुझसे कहा, "भाई, बाइबल में प्रभु के बादल पर आने का ज़िक्र ज़रूर है, लेकिन प्रभु के आने के तरीके के बारे में सिर्फ एक ही भविष्यवाणी नहीं है। उसके अंत के दिनों में गुप्त रूप से देहधारी होकर मनुष्य के पुत्र के रूप में आने की भी बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं।" उसने कुछ और पदों का भी ज़िक्र किया : "मैं चोर के समान आ जाऊँगा" (प्रकाशितवाक्य 3:3)। "उस दिन या उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता, न स्वर्ग के दूत और न पुत्र; परन्तु केवल पिता" (मरकुस 13:32)। "आधी रात को धूम मची : 'देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो'" (मत्ती 25:6)। और ये पद भी हैं "क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ" (लूका 17:24-25)। फिर उसने बाइबल के इन सभी पदों के बारे में संगति की, और कहा कि भविष्यवाणियों में कहे गये "चोर के समान" और "कोई नहीं जानता" का अर्थ यह है कि प्रभु किसी के जाने बिना, लोगों के देखने के बावजूद पहचाने बिना गुप्त रूप से आता है। भविष्यवाणियों में मनुष्य के पुत्र के आने का भी ज़िक्र है। मनुष्य के पुत्र के किसी भी संदर्भ का अर्थ है कि वह मनुष्य की संतान है, वह हाड़-मांस का बना है और उसमें सामान्य इंसानियत है। प्रभु यीशु को मसीह यानी मनुष्य का पुत्र कहा गया। बाहर से वह किसी भी दूसरे इंसान की तरह दिखाई देता था। उसका खान-पान, वेष-भूषा, जीवन-यापन सब आम इंसान के जैसा ही था। अगर वह पुनर्जीवन के बाद परमेश्वर का आत्मा या प्रभु यीशु का आध्यात्मिक शरीर होता, तो उसे मनुष्य का पुत्र नहीं कहा जाता। इसलिए मनुष्य के पुत्र के आने का ज़िक्र होने का अर्थ है कि प्रभु देहधारी होकर वापस आता है। प्रभु का बादल पर सवार होकर आना एक शानदार नज़ारा होगा, जो दुनिया में तूफ़ान मचा देगा। हर इंसान ज़मीन पर गिर पड़ेगा, कोई उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं करेगा। लेकिन प्रभु की इस भविष्यवाणी के बारे में सोचो: 'परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ।' भला यह कैसे पूरी होगी? अगर परमेश्वर मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी होकर प्रकट हो और कार्य करे, तो वह इस पीढ़ी के हाथों सिर्फ दुख पा सकता है, ठुकराया जा सकता है। यह ठीक वैसा ही है जैसे प्रभु यीशु का प्रकट होकर कार्य करना। जो लोग परमेश्वर की वाणी को नहीं सुन पाये और प्रभु यीशु के दिव्य सार को पहचान नहीं पाये, वे अपनी धारणाओं से चिपके रहे, उसका विरोध और उसकी निंदा करते रहे। उन लोगों ने आखिरकार उसे सूली पर चढ़वा दिया। इसलिए जब इन भविष्यवाणियों में, मनुष्य के पुत्र के 'एक चोर के समान' आने का और 'इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ' का ज़िक्र होता है, तो इन सबका संदर्भ प्रभु के देहधारी होकर गुप्त रूप से मनुष्य के पुत्र के रूप में वापस आने से है।" यह संगति मेरे लिए वाकई चौंकाने वाली रही। मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि प्रभु के मनुष्य के पुत्र के रूप में वापस आने को लेकर बाइबल में इतनी सारी भविष्यवाणियाँ हैं। मैंने सोचा, "बाइबल को इतनी बार पढ़ने के बाद भी मैं ये सब पहले क्यों नहीं देख पाया? पादरी और एल्डरों ने अपनी बाइबल वार्ताओं में कभी भी इनमें से किसी का ज़िक्र क्यों नहीं किया?" मुझे मानना पड़ा कि भाई झांग द्वारा प्रचारित बातें उत्कृष्ट हैं, उसे बाइबल की काटी न जा सकनेवाली समझ है। लेकिन मैंने सोचा कि बाइबल में यह कैसे कहा गया है कि प्रभु बादल पर सवार होकर आता है, पादरी और एल्डर कैसे हमेशा कहते हैं कि बाकी सब झूठ है। मैंने अंदाज़ा लगाया कि वे बाइबल को अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए वे उसे गलत नहीं समझ सकते। मगर भाई झांग की संगति भी बाइबल के अनुरूप ही है। मैं वाकई नहीं जान सका कि क्या सही होगा। यह मेरी समझ से बाहर था, यह सब सोच-सोच के मैं और भी ज़्यादा पशोपेश में पड़ गया। मैं इस संगति को बीच में ही सुनना छोड़ कर किसी बहाने से बाहर चला गया।
मैं घर वापस चला गया, मगर मेरी उलझन कम नहीं हुई। भाई झांग की संगति मेरे मन में बार-बार गूँज रही थी। मुझे फ़िक्र हो गयी : "अगर प्रभु वास्तव में वापस आ गया है और मैंने उस पर गौर नहीं किया, तो क्या मैं उसका स्वागत करने का अपना मौक़ा नहीं गँवा दूंगा?" फिर मैं बाइबल के इस वचन के बारे में सोचने लगा कि वह बादल पर सवार होकर आयेगा, और धार्मिक वर्ग भी यही कहता है। मुझे डर था कि मैं अपनी आस्था में भटक जाऊंगा। मैं जानता था कि यह कोई मामूली बात नहीं है। उसके बाद भाई झांग ने मुझे कई बार अपनी कलीसिया में आने का न्योता दिया। मैं पशोपेश में पड़ कर तय नहीं कर पाया। मैंने घर पर किसी काम का बहाना बना दिया, मगर मुझे लगा कि यह प्रभु की इच्छा के अनुरूप नहीं है, मुझे सुकून नहीं मिल पाया। मैंने प्रभु से प्रार्थना की, उससे विवेक और मार्गदर्शन देने की विनती की। मुझे यह देख कर हैरानी हुई कि कुछ दिन बाद भाई झांग मुझसे मिलने मेरे घर आ गया। भाई झांग को कई बार मना कर देने को लेकर मुझे बहुत बुरा लगा, इसलिए मैंने उसे अपनी समस्या बतायी। मैंने कहा, "भाई झांग, पिछली बार जो तुमने प्रभु के मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी होकर गुप्त रूप से वापस आने के बारे में बताया, मुझे लगा कि वह बाइबल के अनुरूप है, लेकिन कुछ ऐसा है जो मैं नहीं समझ पाया। बाइबल में स्पष्ट कहा गया है कि प्रभु एक बादल पर वापस आयेगा। प्रकाशित वाक्य में कहा गया है, 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे' (प्रकाशितवाक्य 1:7)। अगर तुम्हारे कहे अनुसार प्रभु देहधारी होकर वापस आ चुका है, तो फिर बादल पर सवार होकर उसके आने और सबके उसे देखने के बारे में यह भविष्यवाणी कैसे पूरी होगी? आपकी बात से यह कहाँ मेल खाता है?"
भाई झांग ने जवाब में मुस्करा कर कहा, "प्रभु के वापस आने के बारे में सारी भविष्यवाणियाँ पूरी होंगी। कोई भी विरोधाभास नहीं है। सिर्फ घटनाएं सिलसिलेवार ढंग से होंगी। परमेश्वर पहले मनुष्य के पुत्र के रूप में गुप्त रूप से देहधारी बनता है, फिर वह खुले तौर पर बादल पर सवार होकर प्रकट होता है। परमेश्वर गुप्त रूप से देहधारी होकर कार्य करता है, वह परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय-कार्य करने के लिए सत्य व्यक्त करता है। जो लोग उसकी वाणी को सुनते हैं और उसके अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार करते हैं, वे बुद्धिमान कुँवारियां हैं, वे उसके सिंहासन के सामने उठाये जाते हैं। वे परमेश्वर के वचनों के न्याय को स्वीकार करते हैं और परमेश्वर विपत्तियों के आने से पहले उन्हें विजेता बना देता है। फिर वह विपत्तियाँ बरसाता है, नेक लोगों को इनाम देता है और दुष्टों को दंडित करता है। विपत्तियों के ख़त्म होने के बाद, वह खुले तौर पर बादल पर सवार होकर प्रकट होगा, फिर जिन लोगों ने अंत के दिनों के मसीह का विरोध और उसकी निंदा की, वे देखेंगे कि जिस सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उन्होंने निंदा की वह कोई और नहीं बल्कि वापस आया हुआ प्रभु यीशु है। वे सब अपनी छाती पीटेंगे, रोयेंगे, दांत पीसेंगे। इससे प्रकाशित वाक्य की यह भविष्यवाणी पूरी हो जाएगी : 'देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे' (प्रकाशितवाक्य 1:7)।" फिर उसने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कुछ वचन पढ़ कर सुनाये। "बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और दुष्ट को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि 'ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है' अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन का सच्चा मार्ग बताता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। ... यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के ख़िलाफ़ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए, जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन का पालन करता हो और सत्य की खोज के लिए लालायित हो; सिर्फ़ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को नया बना चुका होगा)। परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद, भाई झांग ने कहा: "प्रभु के आगमन की प्रतीक्षा करते समय, हमें बुध्दिमान कुँवांरियां बन कर परमेश्वर की वाणी को सुनना होगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अंत के दिनों में न्याय का कार्य करता है और संपूर्ण सत्य व्यक्त करता है, जो इंसान को शुद्ध कर उसे बचाता है। हमें इसकी खोज और जांच-पड़ताल करनी होगी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ कर देखना होगा कि क्या वे सत्य हैं, क्या वे परमेश्वर की वाणी हैं। इस बारे में हम सिर्फ अपनी धारणाओं के भरोसे नहीं रह सकते। यहूदी फरीसी अपनी धारणाओं के भरोसे रहे, आँखें बंद करके मसीहा का इंतज़ार करते रहे, और उन्होंने प्रभु यीशु द्वारा व्यक्त सत्य को नहीं खोजा। उन्होंने उसका विरोध कर उसकी निंदा की और उसे सूली पर चढ़वा दिया। उन्होंने परमेश्वर के स्वभाव का अपमान किया और उसके द्वारा शापित हुए। प्रभु के आने की जांच-पड़ताल करते समय अगर हम भी अपनी धारणाओं के भरोसे रहे, अड़े रहे कि उसे तो सिर्फ बादल पर सवार होकर आना है और बाकी हर बात झूठी है, परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का विरोध करने और उसकी निंदा करने के लिए धार्मिक वर्ग का साथ देते रहे, तो हम भी वही ग़लती करेंगे जो फरीसियों ने की और एक जघन्य पाप कर बैठेंगे। फिर हम रोयें और दांत पीसें तो क्या, बहुत देर हो चुकी होगी।"
उसकी संगति के बाद, मैं समझ पाया कि प्रभु का आगमन चरणों में होता है। वह पहले देहधारी होकर न्याय-कार्य करता है विजेताओं का एक समूह बनाता है, फिर वह खुले तौर पर एक बादल पर सवार होकर आता है। प्रभु के आगमन की सभी भविष्यवाणियाँ एक के बाद एक पूरी हो जाएँगी। इस बिंदु पर मुझे लगा कि मैं निहायत बेवकूफ़ और अंधा रहा हूँ। अनेक वर्षों की आस्था के बावजूद मैं बाइबल को नहीं समझ पाया, बल्कि सिर्फ़ धार्मिक वर्ग की और अपनी धारणाओं का अनुसरण करता रहा। मैंने प्रभु की वाणी सुनने और उसका स्वागत करने के लिए खोज नहीं की, मगर सौभाग्य से परमेश्वर ने भाई झांग को प्रेरणा दी कि वह मेरे साथ बार-बार सुसमाचार साझा करे। वरना मैं अपनी कल्पनाओं से चिपके रह कर प्रभु के वापस आने के बारे में जानने से चूक गया होता। अंत में मैं हटा दिया गया होता। मैंने भाई झांग से कहा, "तुम्हारी संगति ने मुझे दिखाया है कि परमेश्वर का कार्य कितना बुद्धिमत्तापूर्ण और व्यावहारिक है। देहधारी परमेश्वर का गुप्त रूप से आना वास्तव में हमारा उद्धार है। लेकिन अभी भी कुछ ऐसा है जो मैं नहीं समझ पा रहा हूँ। तुम गवाही देते हो कि प्रभु देहधारी होकर वापस आया है। वास्तव में देहधारण क्या होता है? तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही वास्तव में देहधारी परमेश्वर है?"
भाई झांग ने मुझे परमेश्वर के वचनों के कुछ अंश पढ़ कर सुनाये। "'देहधारण' परमेश्वर का देह में प्रकट होना है; परमेश्वर सृष्टि के मनुष्यों के मध्य देह की छवि में कार्य करता है। इसलिए, परमेश्वर को देहधारी होने के लिए, सबसे पहले देह बनना होता है, सामान्य मानवता वाला देह; यह सबसे मौलिक आवश्यकता है। वास्तव में, परमेश्वर के देहधारण का निहितार्थ यह है कि परमेश्वर देह में रह कर कार्य करता है, परमेश्वर अपने वास्तविक सार में देहधारी बन जाता है, वह मनुष्य बन जाता है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। "सामान्य मानवता वाला मसीह ऐसा देह है जिसमें आत्मा साकार हुआ है, जिसमें सामान्य मानवता है, सामान्य बोध है और मानवीय विचार हैं। 'साकार होने' का अर्थ है परमेश्वर का मानव बनना, आत्मा का देह बनना; इसे और स्पष्ट रूप से कहें, तो यह तब होता है जब स्वयं परमेश्वर सामान्य मानवता वाले देह में वास करके उसके माध्यम से अपने दिव्य कार्य को व्यक्त करता है—यही साकार होने या देहधारी होने का अर्थ है" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर द्वारा धारण किये गए देह का सार)। "देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है और मसीह परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण की गई देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है; वह आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण दिव्यता दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियां बनाए रखती है, जबकि उसकी दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य अभ्यास में लाती है। चाहे यह उसकी मानवता हो या दिव्यता, दोनों स्वर्गिक परमपिता की इच्छा को समर्पित हैं। मसीह का सार पवित्र आत्मा, यानी दिव्यता है। इसलिए, उसका सार स्वयं परमेश्वर का है; यह सार उसके स्वयं के कार्य में बाधा उत्पन्न नहीं करेगा और वह संभवतः कोई ऐसा कार्य नहीं कर सकता, जो उसके स्वयं के कार्य को नष्ट करता हो, न ही वह ऐसे वचन कहेगा, जो उसकी स्वयं की इच्छा के विरुद्ध जाते हों" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का सार है)।
फिर भाई झांग ने कहा, "विश्वासियों के रूप में, हम सब जानते हैं कि प्रभु यीशु, देहधारी परमेश्वर था, लेकिन कोई भी इंसान सही मायनों में देहधारण के सत्य को नहीं जानता। अब अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने हमारे सामने देहधारण के सत्य और रहस्य को प्रकट किया है। हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों से समझ सकते हैं कि देहधारण, परमेश्वर के आत्मा का इंसानों के बीच कार्य करने के लिए सामान्य इंसानी देह धारण कर आना है। देहधारी परमेश्वर आम इंसान जैसा ही दिखाई देता है। वह अलौकिक नहीं दिखता, दूसरे लोगों की तरह ही खाता-पीता और ज़िंदगी बिताता है। उसमें भी आम इंसान जैसी भावनाएं होती हैं, और लोग उसके करीब जा सकते हैं, लेकिन देहधारी परमेश्वर का सार दिव्य होता है। इसीलिए मसीह कहीं भी कभी भी सत्य व्यक्त कर सकता है। वह परमेश्वर के स्वभाव, बुद्धि, और उसके स्वरूप को व्यक्त करता है, और वह परमेश्वर का अपना कार्य करता है। यह ऐसी चीज़ है जिसे कोई भी इंसान हासिल नहीं कर सकता। ऐसे ही बाहर से बिल्कुल सामान्य लगने वाला प्रभु यीशु इंसानों के बीच असली ज़िंदगी जीता था। लेकिन प्रभु यीशु ने कई सत्य व्यक्त किये और इंसान को प्रायश्चित का मार्ग दिया। उसने लोगों के पाप माफ़ कर दिये और परमेश्वर के प्रेमपूर्ण कृपालु और दयावान स्वभाव को व्यक्त किया। उसने अनेक संकेत और चमत्कार भी दिखाये, जैसे कि पांच रोटियों और दो मछलियों से 5,000 लोगों का पेट भरना, हवाओं और समुद्रों को शांत करना, मृत लोगों को पुनर्जीवित करना और ऐसे ही कई और चमत्कार। इससे परमेश्वर के अधिकार और सामर्थ्य का पूरा प्रकटन हुआ। आखिरकार, इंसान के छुटकारे के कार्य को पूरा करने के लिए प्रभु यीशु को सूली पर चढ़ा दिया गया। इससे पता चलता है कि प्रभु यीशु के कार्य और वचन परमेश्वर के अपने कार्य और वचन थे, वह देहधारी परमेश्वर था। इसलिए हम देहधारी परमेश्वर को पहचानने के लिए उसके बाहरी स्वरूप पर नहीं जा सकते, बल्कि हमें परमेश्वर की वाणी को सुनना होगा। मसीह के कार्य और वचन हमें दिखा सकते हैं कि सत्य, परमेश्वर का स्वभाव, उसकी बुद्धिमत्ता, सर्वशक्तिमत्ता और उसका स्वरूप स्वभाव क्या है। इसी तरह से हम सुनिश्चित हो सकते हैं कि ये देहधारी परमेश्वर का कार्य और वचन हैं।"
उसकी संगति ने कुछ हद तक मुझे स्पष्टता दी। मुझे एहसास हुआ कि मसीह आम इंसान की तरह दिखाई देता है, महान या अलौकिक नहीं, लेकिन उसमें परमेश्वर का सार होता है। वह सामान्य शरीर में आया परमेश्वर का आत्मा है। वर्षों की अपनी आस्था के बावजूद मैं इन सत्यों और रहस्यों को समझ नहीं पाया था।
भाई झांग ने अपनी संगति जारी रखी : "सर्वशक्तिमान परमेश्वर, देहधारण के संपूर्ण सत्य और रहस्यों को हमारे सामने प्रकट करता है। अगर सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अंत के दिनों में ये वचन नहीं बोले होते, तो भ्रष्ट इंसान देहधारण के पीछे के सत्य को समझे बिना सदा-सदा के लिए प्रभु में विश्वास करता रहता, और कोई भी इंसान कभी भी इसे समझ नहीं पाता। सर्वशक्तिमान परमेश्वर और प्रभु यीशु दोनों एक ही हैं। बाहर से, दोनों बिल्कुल सामान्य लगते हैं, साधारण से बिल्कुल भी अलग नहीं, लेकिन सर्वशक्तिमान परमेश्वर संपूर्ण सत्य व्यक्त करता है, जो इंसान को शुद्ध कर बचाता है, वह परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य कर रहा है। उसने प्रकट किया है कि परमेश्वर की 6,000 साल की प्रबंधन योजना के रहस्य और उसके कार्य के उद्देश्य क्या हैं, इंसान को बचाने के परमेश्वर के तीन चरणों के कार्य के लक्ष्य और महत्व क्या हैं, देहधारण और परमेश्वर के नामों का रहस्य क्या है, बाइबल के पीछे की कहानी क्या है, शैतान इंसान को कैसे भ्रष्ट करता है, शैतान द्वारा इंसान को भ्रष्ट करने का सत्य और सार क्या है, लोगों द्वारा परमेश्वर का विरोध और पाप करने की जड़ में क्या है, परमेश्वर इंसान को पूरी तरह शुद्ध करके बचाने के लिए न्याय-कार्य कैसे करता है, परमेश्वर इंसान को उसकी किस्म के मुताबिक़ कैसे अलग करता है, प्रत्येक व्यक्ति की मंज़िल और परिणाम वह कैसे तय करता है, और भी बहुत-कुछ। परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय-कार्य में, वह अपमान न सहने वाले अपने धार्मिक स्वभाव को पूरी तरह से प्रकट करता है।" इस बिंदु पर, भाई झांग ने मुझसे पूछा, "परमेश्वर के सिवाय और कौन उसकी योजना के रहस्यों को प्रकट कर सकता है? कौन सत्य और परमेश्वर के धार्मिक स्वभाव को व्यक्त कर सकता है? कौन सदा के लिए इंसान को शुद्ध करके बचाने वाला न्याय-कार्य कर सकता है?" मैंने कहा, "ज़ाहिर है, केवल परमेश्वर ही कर सकता है।" उसने कहा, "हाँ। केवल देहधारी परमेश्वर ही इतने व्यावहारिक तरीके से इंसान को बचाने के लिए वचन बोल कर कार्य कर सकता है! यह मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी परमेश्वर द्वारा किया गया कार्य है। कि लोग सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को जितना पढ़ेंगे और उसके कार्य का जितना अनुभव करेंगे, उन्हें उतना ही यकीन होगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त सभी वचन सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कथन इस बात का पर्याप्त सबूत हैं कि वह अंत के दिनों का मसीह है, एक सच्चे परमेश्वर का प्रकटन है!"
मैं बहुत रोमांचित महसूस कर रहा था। मैंने कहा, "भाई, अब मैं समझ गया हूँ कि परमेश्वर का देहधारण सत्य का महानतम रहस्य है! देहधारी परमेश्वर मुख्य रूप से संपूर्ण सत्य व्यक्त करता है, परमेश्वर का कार्य करता है, इसलिए यह बहुत अहम है कि हम प्रभु का स्वागत करने के लिए परमेश्वर की वाणी को सुनें। जो कोई सत्य व्यक्त कर सकता है और परमेश्वर का कार्य कर सकता है, वह देहधारी परमेश्वर है। परमेश्वर की वाणी को सुनकर और उसके नये कार्य को स्वीकार करके, हम प्रभु का स्वागत करते हैं और प्रभु के सामने ले जाए जाते हैं।" उसने कहा, "तुम्हें जो एहसास हुआ वह पूरी तरह से पवित्र आत्मा की प्रबुद्धता के कारण है!" मैंने वो तमाम मौके याद किये जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को ठुकराया था, इतना अंधा और बेवकूफ़ होने होने के लिए मैं खुद से घृणा करने लगा। वर्षों से विश्वास रखने के बावजूद मैं प्रभु को नहीं जान पाया। इसके बजाय मैं अपनी धारणाओं से चिपका रहा, प्रभु की वाणी को सुने बिना बेवकूफ़ी के साथ प्रभु का स्वागत करने के लिए उसके बादल पर सवार होकर आने की प्रतीक्षा करता रहा। जब मैंने किसी को यह गवाही देते हुए सुना कि प्रभु वापस आ चुका है, सत्य व्यक्त करते हुए अंत के दिनों में न्याय का कार्य कर रहा है, तो मैंने इस पर गौर नहीं किया। मैंने प्रभु के सामने लगभग दरवाज़ा बंद ही कर दिया। फिर मुझे पूरी तरह यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर जिसने संपूर्ण सत्य और रहस्य व्यक्त किये हैं, वह वापस आया हुआ प्रभु यीशु है—वह देहधारी परमेश्वर है। मैं वाकई परमेश्वर का धन्यवाद करता हूँ। परमेश्वर ने मेरी विद्रोहशीलता के कारण मुझे छोड़ नहीं दिया, बल्कि भाई झांग को प्रेरित किया कि वह मेरे साथ सुसमाचार को बार-बार साझा करे, ताकि मैं परमेश्वर की वाणी को सुन सकूं और मेमने के कदमों के साथ कदम मिला सकूं। यह वाकई परमेश्वर का मेरे प्रति असीम प्रेम का प्रदर्शन है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद!
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?