कैसे मैंने प्रभु का स्वागत किया

21 अप्रैल, 2023

1991 में, मैंने प्रभु यीशु में अपनी आस्था की शुरुआत की। आस्था रखने के बाद, मैं अक्सर बाइबल पढ़ती। मैं यह पढ़कर हिल गई कि कैसे मानवजाति को छुटकारा दिलाने के एवज में प्रभु यीशु को सूली चढ़ा दिया गया और पूरे जोश से सभाओं में भाग लेने और उत्सुकता से खुद को प्रभु के लिए खपाने लगी। एक बार सभा के दौरान, एक प्रचारक ने कहा : “प्रभु के आगमन की सभी भविष्यवाणियाँ अब पूरी हो चुकी हैं, प्रभु हमें स्वर्ग के राज्य में आरोहित करने के लिए बादलों पर आएगा। हमें सतर्क रहकर प्रभु के आगमन की तैयारी के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।” यह सुनकर मेरे अंदर जबरदस्त जोश आ गया। प्रभु का स्वागत करना और राज्य में आरोहित होना कितनी अद्भुत आशीष होगी! हर विश्वासी इसी की तो उम्मीद लगाए रखता है! लेकिन 1997 तक भी हमने प्रभु का स्वागत नहीं किया था, कलीसिया वीरान होती जा रही थी। प्रचारकों के सारे उपदेश घिसे-पिटे थे, उनसे कोई नई रोशनी नहीं मिली, विश्वासियों का पोषण न होने के कारण उनका विश्वास डगमगा गया था। कुछ प्रचारक तो काम-धंधे के लिए लौकिक जगत में लौट चुके थे। यह सब देखकर मैं बहुत परेशान हो रही थी। मैं भी दिन में पाप और रात को उसे कबूल कर रही थी, मैं प्रभु के वचनों का अभ्यास नहीं कर पा रही थी, अपने परिवार तक के साथ धैर्य और सहनशीलता का अभ्यास नहीं कर पा रही थी। मेरी सास और पति अगर कभी कुछ ऐसा कर देते, जिससे मुझे ठेस पहुँचती या मेरे हितों को चोट पहुँचती, तो मैं चिढ़ जाती। मुझे फिक्र होने लगी थी—मैं पाप करने और कबूलने के अंतहीन दुष्चक्र में फँस गई थी—प्रभु आने के बाद क्या वह मुझे राज्य में आरोहित करेगा? लेकिन एक प्रचारक ने कहा : “जब तक हम जीवित हैं, हमसे पाप तो होंगे ही, लेकिन प्रभु ने सूली पर चढ़कर हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए हैं। अगर हम प्रभु के सामने पाप स्वीकार कर पश्‍चात्ताप करेंगे, तो हमारे पाप क्षमा कर दिए जाएँगे और जब प्रभु आएगा, तो हम स्वर्गारोहित किए जाएँगे।” परमेश्वर की कही बातों को याद करते हुए मेरे मन में भी शंकाएँ थीं : “इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ(लैव्यव्यवस्था 11:45)। परमेश्वर पवित्र है और स्वर्ग का राज्य पवित्र भूमि है—अगर हम पवित्र नहीं हुए, तो क्या हम वाकई राज्य में प्रवेश कर सकते हैं? मैं बहुत भ्रमित और चिंतित हो गई, लेकिन मुझे खुद को पाप-मुक्त करने का कोई मार्ग नहीं मिल पाया।

उस साल क्रिसमस की सभा में, बहन शिन लू ने मुझे एक किताब दी। मैंने उत्सुकतावश उससे पूछा : “इस पुस्तक में क्या है?” उसने कहा : “इसमें परमेश्वर के वचन हैं। प्रभु यीशु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में लौट आया है। ये वचन सत्य हैं जो परमेश्वर ने अपने वर्तमान देहधारण में व्यक्त किए हैं।” मैं चौंक गई और उत्साहित होते हुए पूछा : “प्रभु लौट आया है? ये परमेश्वर के वचन हैं?” लेकिन थोड़ा भ्रम भी हुआ, मैंने कहा, “यह कैसे हो सकता है? प्रभु तो बादलों पर सवार होकर लौटेगा। वह देहधारण कैसे कर सकता है?” शिन लू ने कहा : “प्रभु का आगमन कोई छोटी घटना नहीं है। हमें इसे सीमांकित नहीं करना चाहिए। अगर तुम्हें कोई भ्रम है, तो हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के भाई-बहनों से पता कर सकते हैं।” प्रभु यीशु ने कहा था, “ढूँढ़ो तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा(मत्ती 7:7)। कुछ दिनों बाद, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की बहनों वांग किंग और ली शुए से मिली और अपनी शंकाएँ जाहिर कीं : “तुम कहते हो कि प्रभु ने देहधारण किया है, लेकिन यह नहीं हो सकता। हमारे प्रचारक तो यह बताते हैं कि परमेश्वर बादलों पर आएगा, जैसा कि प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणियाँ कहती हैं : ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे(प्रकाशितवाक्य 1:7)। तुम कैसे कह सकते हो कि परमेश्वर ने फिर से देहधारण किया है? क्या बाइबल इसका समर्थन करती है?” वांग किंग ने उत्तर दिया : “बाइबल में प्रभु के आगमन के बारे में कई तरह की भविष्यवाणियाँ हैं। उसका बादलों पर आना भी उनमें से एक है। कई ऐसी भविष्यवाणियाँ भी हैं जो कहती हैं कि प्रभु देहधारण कर गुप्त रूप से आएगा, जैसे : ‘क्योंकि जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्‍चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा(मत्ती 24:27)। ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दु:ख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ(लूका 17:24-25)। इन दो शास्त्रों में ‘मनुष्य के पुत्र का आगमन’ का उल्लेख है। तो, यह इंसान का पुत्र कौन है? हम सभी जानते हैं कि प्रभु यीशु ही इंसान का पुत्र है और परमेश्वर का देहधारण भी। तो ‘इंसान का पुत्र’ का मतलब परमेश्वर का देहधारण ही है। इंसान के पुत्र का आगमन प्रभु के लौटने पर उसका देहधारण की कहलाता है। अगर प्रभु अपनी आध्यात्मिक देह में बादलों पर आता, तो उसे देखकर सभी लोग उसके आगे नतमस्तक हो जाते। ऐसे में क्या परमेश्वर कष्ट उठा पाता, क्या यह पीढ़ी उसे नकार पाती? अगर प्रभु इंसान के पुत्र के रूप में देहधारण करे तभी लोग उसे देहधारी परमेश्वर के रूप में पहचानने में नाकाम होंगे, उसकी निंदा कर उसे अस्वीकार करेंगे और तभी परमेश्वर कष्ट उठा पाएगा। इसीलिए, इस बार परमेश्वर अपने कार्य के लिए बादलों पर नहीं आया, बल्कि उसने इंसान के पुत्र के रूप में देहधारण करने का निश्चय किया।” वांग किंग की बातें सुनकर मैं स्तब्ध रह गई। उसकी संगति बाइबल के अनुरूप थी : बाइबल की भविष्यवाणी के अनुसार अंत के दिनों में प्रभु इंसान के पुत्र के रूप में आएगा। मैंने इस बात को पहले क्यों नहीं समझा? लेकिन अगर परमेश्वर प्रकट होकर कार्य करने के लिए अंत के दिनों में देहधारण करता है, तो फिर प्रकाशितवाक्य 1:7 की यह भविष्यवाणी “देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी” कैसे साकार होगी? मैंने अपनी यह उलझन वांग किंग को बताई। उसने संगति जारी रखते हुए कहा : “ये सभी भविष्यवाणियाँ जरूर पूरी होंगी, लेकिन उनके लिए एक निश्चित क्रम है। अंत के दिनों में प्रभु दो तरह से आएगा : पहले वह देहधारण कर गुप्त रूप से आएगा, ताकि वचन व्यक्त कर न्याय-कार्य करे जिससे कि इंसान को शुद्ध कर बचाया जा सके और विजेताओं का एक समूह बना सके। इसके बाद, आपदाएँ आएँगी और परमेश्वर के देहधारण का गुप्त कार्य अपने अंजाम तक पहुँच जाएगा। जब आपदाएँ बीत जाएँगी, तो परमेश्वर बादलों पर सवार होकर, खुले तौर पर आएगा और सभी राष्ट्रों और लोगों के सामने प्रकट होगा। तब प्रकाशितवाक्य की यह भविष्यवाणी साकार होगी : ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे(प्रकाशितवाक्य 1:7)। जब परमेश्वर बादलों पर सवार होकर आएगा, तो पृथ्वी के सारे कुल विलाप क्यों करेंगे? क्योंकि जब परमेश्वर ने कार्य करने के लिए देहधारण किया, तो लोगों ने उसे पहचाना नहीं और उसका विरोध कर उसे नकार दिया। जब परमेश्वर बादलों पर सवार होकर आएगा, तभी उन्हें महसूस होगा कि वे जिसका विरोध और निंदा कर रहे थे, वह अंत के दिनों का मसीह है। तब अगर वे परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य स्वीकार करना भी चाहेंगे, तो बहुत देर हो चुकी होगी, क्योंकि जब परमेश्वर बादलों पर सवार होकर आएगा, तो इंसान को बचाने का उसका कार्य पूरा हो चुका होगा। वह लोगों के परिणाम तय करेगा, दुष्टों को दण्ड और अच्छे लोगों को ईनाम देगा। जिन्होंने अंत के दिनों में परमेश्वर के कार्य का विरोध किया, वे अनंत काल के लिए विपत्तियों का शिकार होंगे, विलाप करेंगे और अपने दाँत पीसेंगे।”

मुझे वांग किंग की संगति रोशनी देने वाली लगी। दरअसल प्रभु के लौटने के दो तरीके हैं। पहले वह गुप्त रूप से देहधारण करता है, फिर वह खुले तौर पर बादलों पर सवार होकर आता है। यह बाइबल के अनुरूप है। लेकिन मैं उनकी इस गवाही से कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है, अभी भी संतुष्ट नहीं हो पाई थी। तो मैंने आगे पूछा : “मैं मानती हूँ कि अंत के दिनों में, परमेश्वर मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारण करता है, लेकिन हम कैसे तय करें कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही देहधारी परमेश्वर है?” सबसे पहले, लि शुए ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाया : “जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर का सार होगा और जो देहधारी परमेश्वर है, उसके पास परमेश्वर की अभिव्यक्ति होगी। चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उस कार्य को सामने लाएगा, जो वह करना चाहता है, और चूँकि परमेश्वर ने देह धारण किया है, इसलिए वह उसे अभिव्यक्त करेगा जो वह है और वह मनुष्य के लिए सत्य को लाने, उसे जीवन प्रदान करने और उसे मार्ग दिखाने में सक्षम होगा। जिस देह में परमेश्वर का सार नहीं है, वह निश्चित रूप से देहधारी परमेश्वर नहीं है; इसमें कोई संदेह नहीं। अगर मनुष्य यह पता करना चाहता है कि क्या यह देहधारी परमेश्वर है, तो इसकी पुष्टि उसे उसके द्वारा अभिव्यक्त स्वभाव और उसके द्वारा बोले गए वचनों से करनी चाहिए। इसे ऐसे कहें, व्यक्ति को इस बात का निश्चय कि यह देहधारी परमेश्वर है या नहीं और कि यह सही मार्ग है या नहीं, उसके सार से करना चाहिए। और इसलिए, यह निर्धारित करने की कुंजी कि यह देहधारी परमेश्वर की देह है या नहीं, उसके बाहरी स्वरूप के बजाय उसके सार (उसका कार्य, उसके कथन, उसका स्वभाव और कई अन्य पहलू) में निहित है। यदि मनुष्य केवल उसके बाहरी स्वरूप की ही जाँच करता है, और परिणामस्वरूप उसके सार की अनदेखी करता है, तो इससे उसके अनाड़ी और अज्ञानी होने का पता चलता है(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। इस अंश को पढ़कर, ली शुए ने कहा : “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बिल्कुल स्पष्ट हैं : हम केवल बाहरी रूप-रंग के आधार पर यह तय नहीं कर सकते कि कोई व्यक्ति देहधारी परमेश्वर है या नहीं। अहम चीज यह समझना है कि क्या उसमें मसीह का सार है। जो मसीह होगा वह सत्य व्यक्त कर मानवजाति के उद्धार का कार्य कर सकता है। प्रभु यीशु को ही ले लो—बाह्य रूप-रंग से वह एक सामान्य व्यक्ति दिखता था, उसे परमेश्वर मानना नामुमकिन था। लेकिन उसके भीतर परमेश्वर का आत्मा था, इसलिए वह स्वयं परमेश्वर का देहधारण था। मानवजाति को पश्चात्ताप का मार्ग देने के लिए वह सत्य व्यक्त कर सकता था, वह मानवजाति को छुटकारा दिलाने के लिए सूली चढ़ गया। उस समय, प्रभु यीशु के शिष्यों ने उसके वचनों और कार्यों के आधार पर उसे परमेश्वर के रूप में पहचान लिया। लेकिन फरीसियों ने सत्य स्वीकार नहीं किया, उन्होंने प्रभु यीशु को उसके बाहरी रूप-रंग के आधार पर एक सामान्य व्यक्ति समझा। उन्होंने बुरी तरह से विरोध कर उसकी निंदा की और आखिरकार उसे सूली पर चढ़ा दिया। तो, यह तय करने के लिए कि कोई अंत के दिनों में परमेश्वर का देहधारण है या नहीं, यह देखना अहम है कि उसके व्यक्त वचन सत्य हैं या नहीं और क्या वे मानवजाति के उद्धार का कार्य कर सकते हैं। मसीह को पहचानने और प्रभु की वापसी का स्वागत करने का यही एकमात्र तरीका है।” इतना कहकर, वांग किंग ने हमसे पूछा : “नबी यशायाह, यहेजकेल, यिर्मयाह और दानिय्येल को मसीह क्यों नहीं कहा जा सकता, जबकि यीशु को मसीह कहा जा सकता है?” इस सवाल ने मुझे स्तब्ध कर दिया था। मैं निरुत्तर थी, मैंने तुरंत उनसे संगति करने को कहा। वांग किंग ने कहा : “हम बस इतना कह रहे थे कि कैसे मसीह स्वयं परमेश्वर का देहधारण है। देखने में वह भले ही एक सामान्य व्यक्ति लगे, लेकिन वह परमेश्वर की आत्मा का मूर्तरूप है और सृजित प्राणियों से एकदम भिन्न है। सामान्य मानवता के साथ-साथ, उसमें पूर्ण दिव्यता भी है। यह इस तथ्य से अभिव्यक्त होता है कि परमेश्वर का देहधारण किसी भी समय सत्य व्यक्त कर सकता है और रहस्य प्रकट कर सकता है, वह परमेश्वर के स्वभाव को, स्वरूप को, उसकी सोच और विचारों को व्यक्त कर सकता है, उसके प्रेम, उसकी सर्वशक्तिमत्ता और ज्ञान से, समस्त मानवजाति परमेश्वर को समझ और पहचान सकती है। यह इस बात को सिद्ध करने के लिए काफी है कि मसीह में पूर्ण दिव्यता है। नबी सृजित प्राणी मात्र हैं—उनमें मानवता तो है लेकिन दिव्यता का अभाव है। वे परमेश्वर के वचन तो सुना सकते हैं, लेकिन सत्य व्यक्त नहीं कर सकते। इसीलिए, केवल परमेश्वर के देहधारण को ही मसीह कहा जा सकता है। जैसा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है, ‘देहधारी परमेश्वर मसीह कहलाता है और मसीह परमेश्वर के आत्मा द्वारा धारण की गई देह है। यह देह किसी भी मनुष्य की देह से भिन्न है। यह भिन्नता इसलिए है क्योंकि मसीह मांस तथा खून से बना हुआ नहीं है; वह आत्मा का देहधारण है। उसके पास सामान्य मानवता तथा पूर्ण दिव्यता दोनों हैं। उसकी दिव्यता किसी भी मनुष्य द्वारा धारण नहीं की जाती। उसकी सामान्य मानवता देह में उसकी समस्त सामान्य गतिविधियां बनाए रखती है, जबकि उसकी दिव्यता स्वयं परमेश्वर के कार्य अभ्यास में लाती है’” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का सार है)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों और बहनों की संगति से मैंने यह जाना कि मसीह में सामान्य मानवता भी है और पूर्ण दिव्यता भी और केवल मसीह ही सत्य व्यक्त कर सकता है, कोई नबी या प्रतिष्ठित व्यक्ति सत्य व्यक्त नहीं कर सकता। ये ऐसे सत्य और रहस्य थे जिन्हें मैंने अपने बरसों के विश्वास में कभी नहीं सुना था। क्या ऐसा हो सकता है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु हो? वरना परमेश्वर के अलावा कौन ऐसे सत्य व्यक्त और ऐसे रहस्य प्रकट कर सकता है?

मेरी उलझन अभी बाकी थी। मैंने उन्हें यह कहते सुना था कि अंत के दिनों में परमेश्वर मानवजाति को पूरी तरह से बचाने के लिए न्याय का कार्य कर रहा है, लेकिन मैंने प्रचारकों को ऐसा कहते भी सुना था कि प्रभु यीशु ने छुटकारे का कार्य किया और हमारे पाप अपने ऊपर ले लिए, हम सभी को क्षमा कर दिया गया था और अब हम पापी नहीं रहे हैं, जब प्रभु आएगा तो हमें सीधे राज्य में आरोहित कर दिया जाएगा। तो न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करने के लिए परमेश्वर फिर से देहधारण क्यों करेगा? मैंने यह उलझन बहनों के सामने रखी। वांग किंग ने कहा : “हम मानते हैं कि हम पापी नहीं हैं, बल्कि हम पाप-मुक्त और पवित्र हो गए हैं? लेकिन क्या हम यकीन से कह सकते हैं कि हम फिर से पाप नहीं करेंगे?” बहन के सवाल ने मुझे अवाक कर दिया। हमें प्रभु यीशु ने छुटकारा दिलाया है, लेकिन हम अब भी दिन में पाप करते हैं और रात को कुबूल कर लेते हैं। असल में हम पाप की बेड़ियों से मुक्त नहीं हुए हैं! वांग किंग ने अपनी बात जारी रखी : “प्रभु यीशु के हमारे पाप लेने और हमें छुटकारा दिलाने के लिए सूली पर चढ़ जाने के बावजूद, कोई नकार नहीं सकता कि हम अब भी पाप करते हैं। हम झूठ और कपट के बिना नहीं रह सकते, परमेश्वर के लिए थोड़ा-सा त्याग करके और खुद को खपाकर, हम अपनी वरिष्ठता का दिखावा करते हैं। जब परमेश्वर का कार्य हमारी धारणाओं से मेल नहीं खाता, तो हम परमेश्वर को दोष देते हैं और उसकी आलोचना करते हैं। हम कहने को तो परमेश्वर में विश्वास रखते हैं, लेकिन पूजा और अनुसरण इंसान का करते हैं। साफ है, हम अभी भी पाप की बेड़ियों से मुक्त नहीं हुए हैं। बाइबल कहती है, ‘इसलिये तुम पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ(लैव्यव्यवस्था 11:45)। ‘मैं तुम से सच सच कहता हूँ कि जो कोई पाप करता है वह पाप का दास है। दास सदा घर में नहीं रहता; पुत्र सदा रहता है(यूहन्ना 8:34-35)। परमेश्वर के वचन एकदम स्पष्ट हैं। जो लोग पाप में रहते हुए अक्सर पाप और परमेश्वर का विरोध करते हैं—वे शैतान जैसे ही हैं, वे उसके राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते। अंत के दिनों में, मानवजाति की पापबुद्धि को दूर करने, उन्हें बचाने और पाप से मुक्ति दिलाने के लिए, परमेश्वर एक बार फिर देहधारण कर सत्य व्यक्त और न्याय-कार्य कर रहा है ताकि मानवजाति को पूरी तरह से शुद्ध कर बचाया जा सके, उसे राज्य में प्रवेश करने के योग्य बनाकर, पूरी तरह से उसका उद्धार किया जा सके।” उसके बाद, वांग किंग ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के दो और अंश पढ़कर सुनाए : “तुम सिर्फ यह जानते हो कि यीशु अंत के दिनों में उतरेगा, परन्तु वास्तव में वह कैसे उतरेगा? तुम लोगों जैसा पापी, जिसे परमेश्वर के द्वारा अभी-अभी छुड़ाया गया है, और जो परिवर्तित नहीं किया गया है, या सिद्ध नहीं बनाया गया है, क्या तुम परमेश्वर के हृदय के अनुसार हो सकते हो? तुम्हारे लिए, तुम जो कि अभी भी पुराने अहम् वाले हो, यह सत्य है कि तुम्हें यीशु के द्वारा बचाया गया था, और कि परमेश्वर द्वारा उद्धार की वजह से तुम्हें एक पापी के रूप में नहीं गिना जाता है, परन्तु इससे यह साबित नहीं होता है कि तुम पापपूर्ण नहीं हो, और अशुद्ध नहीं हो। यदि तुम्हें बदला नहीं गया तो तुम संत जैसे कैसे हो सकते हो? भीतर से, तुम अशुद्धता से घिरे हुए हो, स्वार्थी और कुटिल हो, मगर तब भी तुम यीशु के साथ अवतरण चाहते हो—क्या तुम इतने भाग्यशाली हो सकते हो? तुम परमेश्वर पर अपने विश्वास में एक कदम चूक गए हो : तुम्हें मात्र छुटकारा दिया गया है, परन्तु परिवर्तित नहीं किया गया है। तुम्हें परमेश्वर के हृदय के अनुसार होने के लिए, परमेश्वर को व्यक्तिगत रूप से तुम्हें परिवर्तित और शुद्ध करने का कार्य करना होगा; यदि तुम्हें सिर्फ छुटकारा दिया जाता है, तो तुम पवित्रता को प्राप्त करने में असमर्थ होंगे। इस तरह से तुम परमेश्वर के आशीषों में साझेदारी के अयोग्य होंगे, क्योंकि तुमने मनुष्य का प्रबंधन करने के परमेश्वर के कार्य के एक कदम का सुअवसर खो दिया है, जो कि परिवर्तित करने और सिद्ध बनाने का मुख्य कदम है। और इसलिए तुम, एक पापी जिसे अभी-अभी छुटकारा दिया गया है, परमेश्वर की विरासत को सीधे तौर पर उत्तराधिकार के रूप में पाने में असमर्थ हो(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, पदवियों और पहचान के सम्बन्ध में)। “यद्यपि यीशु ने मनुष्यों के बीच अधिक कार्य किया, फिर भी उसने केवल समस्त मानवजाति की मुक्ति का कार्य पूरा किया और वह मनुष्य की पाप-बलि बना; उसने मनुष्य को उसके समस्त भ्रष्ट स्वभाव से छुटकारा नहीं दिलाया। मनुष्य को शैतान के प्रभाव से पूरी तरह से बचाने के लिए यीशु को न केवल पाप-बलि बनने और मनुष्य के पाप वहन करने की आवश्यकता थी, बल्कि मनुष्य को उसके शैतान द्वारा भ्रष्ट किए गए स्वभाव से मुक्त करने के लिए परमेश्वर को और भी बड़ा कार्य करने की आवश्यकता थी। और इसलिए, अब जबकि मनुष्य को उसके पापों के लिए क्षमा कर दिया गया है, परमेश्वर मनुष्य को नए युग में ले जाने के लिए वापस देह में लौट आया है, और उसने ताड़ना एवं न्याय का कार्य आरंभ कर दिया है। यह कार्य मनुष्य को एक उच्चतर क्षेत्र में ले गया है। वे सब, जो परमेश्वर के प्रभुत्व के अधीन समर्पण करेंगे, उच्चतर सत्य का आनंद लेंगे और अधिक बड़े आशीष प्राप्त करेंगे। वे वास्तव में ज्योति में निवास करेंगे और सत्य, मार्ग और जीवन प्राप्त करेंगे(वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, प्रस्तावना)। परमेश्वर के वचन पढ़ने के बाद, वांग किंग ने संगति करते हुए कहा : “प्रभु यीशु ने मात्र छुटकारे का कार्य किया था। उसने मानवजाति को पूरी तरह से शुद्ध करने और बचाने का कार्य नहीं किया। अगर हम पाप-मुक्त होना, उद्धार पाना और परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना चाहते हैं, तो हमें परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय और शुद्धिकरण के कार्य को स्वीकार करना चाहिए। सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य की नींव पर अंत के दिनों में न्याय-कार्य कर रहा है। वह लाखों वचन व्यक्त कर रहा है, परमेश्वर की छह हजार साल की प्रबंधन योजना के रहस्य, साथ ही परमेश्वर के देहधारण के रहस्य और बाइबल की अंदरूनी कहानी का खुलासा कर रहा है। परमेश्वर ने यह भी उजागर किया है कि शैतान मानवजाति को कैसे भ्रष्ट करता है, परमेश्वर अंत के दिनों में कैसे न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करता है, कैसे वह हर तरह के व्यक्ति के परिणाम और मंजिल वगैरह तय करता है। वचन देह में प्रकट होता है अंत के दिनों में अपने कार्य के दौरान परमेश्वर की ओर से एक अभिव्यक्ति और उसके न्याय-कार्य की गवाही है। परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय-कार्य, सर्वशक्तिमान परमेश्वर की चरवाही और सिंचन का अनुभव कर, परमेश्वर के चुने हुए तमाम लोग देखते हैं कि कैसे देहधारी परमेश्वर का कार्य वाकई व्यावहारिक है। परमेश्वर लोगों के बीच रहकर उन्हें सहारा और पोषण देने के लिए उनकी व्यावहारिक स्थितियों से संबंधित सत्य व्यक्त करता है, उनके विश्वास में त्रुटियों को, अनुसरण पर उनके गलत दृष्टिकोण को और उनके हर तरह के शैतानी स्वभाव को उजागर करता है, ताकि उनमें समझ पैदा हो और वे अपने आपको बदलें। परमेश्वर ने लोगों को अपने इरादों और अपेक्षाओं के बारे में सूचित कर दिया है, वह लोगों को उनके अनुसरण और अभ्यास के सिद्धांतों के लिए सबसे व्यावहारिक और सटीक लक्ष्य दे रहा है, ताकि वे सत्य की वास्तविकता में प्रवेश कर सकें, उद्धार पाकर पाप और शैतान के प्रभाव से मुक्त हो सकें। सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने वाले लोग इस बात को गहराई से महसूस करते हैं कि अगर परमेश्वर देहधारण कर मानवजाति का न्याय और शुद्धीकरण के लिए सत्य व्यक्त न करे, तो इंसान अपने पापी स्वभाव को कभी नहीं पहचान पाएगा, वह पाप की बेड़ियों और बंधनों से तो बिल्कुल भी मुक्त नहीं हो पाएगा। परमेश्वर का न्याय और ताड़ना स्वीकार कर ही इंसान अपने भ्रष्ट स्वभाव को शुद्ध और उद्धार प्राप्त कर सकता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों, कार्य और उसके कार्य से जो कुछ हासिल हुआ है, उसके आधार पर ही हम निश्चित हो सकते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर परमेश्वर का देहधारण और अंत के दिनों का मसीह है।”

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और बहन की संगति सुनकर ही मुझे एहसास हुआ कि प्रभु यीशु ने केवल हमारे पाप ही क्षमा किए थे, हमारा पापी स्वभाव दूर नहीं किया था। इसी कारण हम अभी भी पाप में जी रहे हैं और इसकी बेड़ियों से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय-कार्य को स्वीकार कर ही हम पूरी तरह से पाप-मुक्त हो सकते हैं और उद्धार पाकर स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं। उसके बाद, वांग किंग ने मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के कुछ और अंश पढ़कर सुनाए, उनसे मुझे और भी स्पष्टता मिली। मुझे लगने लगा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर सच में लौटकर आया प्रभु यीशु हो सकता है।

लेकिन जल्दी ही, मेरी मूल कलीसिया के पादरी को पता चल गया कि मैं चमकती पूर्वी बिजली की जाँच-पड़ताल कर रही हूँ। वह दस-बारह सहकर्मियों को लेकर बाधा डालने और मुझे परेशान करने के लिए मेरे घर आ धमका। उसने मुझे दोनों बहनों की मेजबानी न करने को कहा, यहाँ तक कोशिश की कि मैं उन्हें बाहर निकाल दूँ। मैंने पादरी से कहा : “बाइबल कहती है कि हमें अजनबियों के साथ भी प्रेम और सद्भावपूर्ण बर्ताव करना चाहिए। अगर हम उनकी मेजबानी करने के बजाय आधी रात को उन्हें घर से निकाल देते हैं, तो क्या यह प्रेम और सद्भावपूर्ण बर्ताव है? इससे प्रभु की महिमा नहीं बढ़ती! और फिर, प्रकाशित-वाक्य स्पष्ट रूप से कहता है : ‘जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है(प्रकाशितवाक्य 2:7)। अंत के दिनों में, पवित्र आत्मा सभी कलीसियाओं से बात करेगा—अगर लोग नहीं सुनते और जाँच नहीं करते, तो वे कैसे प्रभु की वाणी सुन पाएँगे और उसकी वापसी का स्वागत कर पाएँगे?” लेकिन पादरी ने मेरी एक नहीं सुनी और बहनों को घर से निकालने का दबाव डाला। उनका अड़ियल रवैया देखकर, मुझे चिंता हुई कि यहाँ रहकर बहनें कहीं किसी खतरे में न पड़ जाएँ, यह सोचकर मैंने तुरंत उन्हें घर से विदा किया। उसके बाद, पादरी ने मुझे और शिन लू को अलग कर दिया और हमें धोखा देने के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की बदनामी करने वाली बहुत-सी बातें कहीं। उसने यह भी कहा कि उद्धार का कोई दूसरा कार्य नहीं होगा, और अगर हमने किसी और आस्था में विश्वास रखा, तो यह कलीसिया और प्रभु के साथ विश्वासघात होगा। पिछले कुछ दिनों में जो सत्य सुना था, उस पर मैंने उनके साथ सहभागिता की, लेकिन वे मेरी कोई बात सुनने को तैयार नहीं थे। कई दिनों तक, पादरी और प्रचारक बारी-बारी से यह कहकर हमें परेशान करते रहे कि हम गलत आस्था में विश्वास रख रहे थे, उनकी बातों से हम बेचैन हो गए और हमारा सिर चकरा गया। एक सहकर्मी सभा के दौरान उन्होंने खुलकर हमारी आलोचना भी की और सबके सामने कहा कि हम भटक गए हैं। मैंने तपाक से कहा : “मैं प्रभु यीशु के कथनों के मुताबिक ही सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल कर रही हूँ। मैं कोई गलत काम नहीं कर रही हूँ! प्रभु यीशु ने कहा था, ‘आधी रात को धूम मची : “देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो”(मत्ती 25:6)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया गवाही देती है कि प्रभु लौट आया है। हमें इतनी महत्वपूर्ण चीज की जाँच क्यों नहीं करनी चाहिए? आप हमें लगातार रोकते क्यों हैं?” तब शिन लू ने कहा : “हाँ, इन दिनों हमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के बहुत-से वचन सुने हैं और बहुत-से ऐसे सत्य हैं जिन्हें हम बाइबल पढ़कर पहले समझ नहीं पाए थे। मेरा यह भी मानना है कि यह परमेश्वर की वाणी है और इसकी जाँच होनी चाहिए। आपने प्रभु की वापसी जैसी बड़ी घटना की जाँच और खोज क्यों नहीं की, बल्कि आप हमारा रास्ता भी रोककर खड़े हो गए?” पादरी ने हिकारत से जवाब दिया : “जाँच करने की कोई आवश्यकता नहीं है, तुमने यकीनन गलत रास्ता पकड़ लिया है। अच्छा होगा कि तुम फौरन प्रभु के आगे पश्चात्ताप कर लो! तुम्हारा कोई आध्यात्मिक कद नहीं है, बाइबल की भी कोई समझ नहीं है, इसलिए आसानी से धोखा खा जाते हो। तुम्हारे भले के लिए मैं तुम्हें जाँच नहीं करने दूँगा। अगर तुम्हारे भटकाव के कारण प्रभु ने तुम्हें त्याग दिया, तो तुम्हारा सारा त्याग और प्रयास व्यर्थ हो जाएगा और तुम्हें पछतावे का भी मौका नहीं मिलेगा!” यह सुनकर मैंने सोचा : “अगर मैं वाकई भटक गई जैसा कि पादरी ने कहा है, तो क्या बरसों की मेरी आस्था बेकार नहीं चली जाएगी?” लेकिन फिर मैंने सोचा : “सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सच में असाधारण हैं और परमेश्वर की वाणी प्रतीत होते हैं। अगर मैंने जाँच-पड़ताल नहीं की, तो क्या मैं प्रभु का स्वागत करने का अवसर नहीं गँवा दूँगी?” मैं थोड़ी दुविधा में थी। उसके बाद, उन्होंने सावधानी से योजना बनाकर महीने भर का “निष्ठा प्रशिक्षण सेमिनार” शुरू किया, इसका उद्देश्य हमसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की जाँच-पड़ताल छुड़वाना था। हर दिन लोग हमारी निगरानी कर रहे थे, प्रचारक बार-बार बाइबल की व्याख्या करने आते और हमसे कहते कि अंत के दिनों में अराजकता काफी बढ़ गई है और बहुत-से लोगों में प्रेम और देखभाल की भावना समाप्त हो गई है। उन्होंने जब यह बात कही तो मुझे अचानक एहसास हुआ : “अच्छा, भले ही हमने प्रभु यीशु का छुटकारा पा लिया है, लेकिन फिर भी हर कोई अभी भी पाप में जी रहा है, पाप करने और कबूल करने में फँसा हुआ है। कोई भी पाप की बेड़ियों और बंधनों से मुक्त नहीं हो सकता। यहाँ तक कि पादरी और एल्डरों के बीच भी लगातार आपसी कलह होती रहती है। हमारे कुछ सहकर्मियों का व्यवहार बहुत से अविश्वासियों से भी बुरा है। अगर हम परमेश्वर के अंत के दिनों के न्याय-कार्य को स्वीकार न करें, तो हम पाप-मुक्त होने और पवित्रता प्राप्त करने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? अगर हम शुद्ध नहीं हुए, तो परमेश्वर के राज्य में कैसे प्रवेश करेंगे? क्या हम बर्बाद नहीं हो जाएँगे?” इस बात का एहसास होने पर, मैंने अपना मन बना लिया : मैं प्रभु का स्वागत करने का अवसर नहीं छोड़ सकती थी और मुझे जाँच-पड़ताल जारी रखनी थी। मैंने परमेश्वर से प्रार्थना करके हमारे लिए रास्ता माँगा। उसके बाद, हमें मेजबान के घर से भागने का मौका मिल गया।

लौटकर मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की जाँच करना जारी रखा और उसके वचनों के कई अंश पढ़े। भाई-बहनों की संगति से, मुझे बाइबल के रहस्य, परमेश्वर के नाम और देहधारण समझ में आ गए, परमेश्वर की छह हजार साल की प्रबंधन योजना का उद्देश्य, परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों के रहस्य, मानवजाति का विकास अब तक कैसे हुआ है, शैतान द्वारा इंसान की भ्रष्टता का मूल कारण क्या है और हर तरह के व्यक्ति के परिणाम क्या होंगे—यह सब भी समझ में आ गया। मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन जितने ज्यादा पढ़े, सब-कुछ स्पष्ट होता गया—मुझे पूरा यकीन हो गया था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ही लौटकर आया प्रभु यीशु है। पादरी और प्रचारकों की हरकतों से मुझे याद आया कि प्रभु यीशु ने फरीसियों से क्या कहा था : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो(मत्ती 23:13)। जब प्रभु यीशु कार्य कर रहा था, तो फरीसी घबरा गए कि हर कोई उसका अनुसरण करेगा तो उनका रुतबा और रोजी-रोटी जाती रहेगी, इसलिए उन्होंने प्रभु में कमियाँ ढूँढ़ने की कोशिश की, घोर विरोध और निंदा की, विश्वासियों को उसका अनुसरण करने से रोका और आखिरकार रोमन सरकार के साथ साठ-गाँठ करके उसे सूली पर चढ़ा दिया। संक्षेप में, फरीसी परमेश्वर से घृणा करने वाले, परमेश्वर के खिलाफ जाने वाले मसीह-विरोधी थे। ये पादरी और एल्डर भी फरीसियों की तरह ही थे। उन्होंने देखा कि अंत के दिनों में परमेश्वर देहधारण कर अपना कार्य करने के लिए प्रकट हो चुका है, उसने सत्य व्यक्त कर पूरे धार्मिक जगत को झकझोर कर रख दिया है, लेकिन उन्होंने उसकी जाँच-पड़ताल करने के बजाय, विश्वासियों को सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से रोकने के लिए हर हथकंडा अपनाया और वे परमेश्वर के अंत के दिनों के सुसमाचार का प्रचार कर रही बहनों को भगाने पर आमादा हो गए। वे प्रभु यीशु का विरोध करने वाले फरीसियों जैसे ही थे, लोगों को राज्य में प्रवेश करने से रोकने वाले दुष्ट अनुचर थे। उनकी विघ्न-बाधाओं से, मैंने पादरियों और एल्‍डरों के असली सार को समझा। उसके बाद, उन्होंने मुझे कई बार बाधित करने का प्रयास किया, लेकिन मैं अब विवश महसूस नहीं करती थी। इसके तुरंत बाद, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य स्वीकार लिया और मेमने के नक्शेकदम पर चलना शुरू कर दिया।

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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