बाइबल के अलावा क्या परमेश्वर ने दूसरे वचन बोले हैं?

28 अक्टूबर, 2020

सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "यदि तुम व्यवस्था के युग के कार्य को देखना चाहते हो, और यह देखना चाहते हो कि इस्राएली किस प्रकार यहोवा के मार्ग का अनुसरण करते थे, तो तुम्हें पुराना विधान पढ़ना चाहिए; यदि तुम अनुग्रह के युग के कार्य को समझना चाहते हो, तो तुम्हें नया विधान पढ़ना चाहिए। पर तुम अंतिम दिनों के कार्य को किस प्रकार देखते हो? तुम्हें आज के परमेश्वर की अगुआई स्वीकार करनी चाहिए, और आज के कार्य में प्रवेश करना चाहिए, क्योंकि यह नया कार्य है, और किसी ने पूर्व में इसे बाइबल में दर्ज नहीं किया है। आज परमेश्वर देहधारी हो चुका है और उसने चीन में अन्य चयनित लोगों को छाँट लिया है। परमेश्वर इन लोगों में कार्य करता है, वह पृथ्वी पर अपना काम जारी रख रहा है, और अनुग्रह के युग के कार्य से आगे जारी रख रहा है। आज का कार्य वह मार्ग है जिस पर मनुष्य कभी नहीं चला, और ऐसा तरीका है जिसे किसी ने कभी नहीं देखा। यह वह कार्य है, जिसे पहले कभी नहीं किया गया—यह पृथ्वी पर परमेश्वर का नवीनतम कार्य है। इस प्रकार, जो कार्य पहले कभी नहीं किया गया, वह इतिहास नहीं है, क्योंकि अभी तो अभी है, और वह अभी अतीत नहीं बना है। लोग नहीं जानते कि परमेश्वर ने पृथ्वी पर और इस्राएल के बाहर पहले से बड़ा और नया काम किया है, जो पहले ही इस्राएल के दायरे के बाहर और नबियों के पूर्वकथनों के पार जा चुका है, वह भविष्यवाणियों के बाहर नया और अद्भुत, और इस्राएल के परे नवीनतर कार्य है, और ऐसा कार्य, जिसे लोग न तो समझ सकते हैं और न ही उसकी कल्पना कर सकते हैं। बाइबल ऐसे कार्य के सुस्पष्ट अभिलेखों को कैसे समाविष्ट कर सकती है? कौन आज के कार्य के प्रत्येक अंश को, बिना किसी चूक के, अग्रिम रूप से दर्ज कर सकता है? कौन इस अति पराक्रमी, अति बुद्धिमत्तापूर्ण कार्य को, जो परंपरा के विरुद्ध जाता है, इस पुरानी घिसी-पिटी पुस्तक में दर्ज कर सकता है? आज का कार्य इतिहास नहीं है, और इसलिए, यदि तुम आज के नए पथ पर चलना चाहते हो, तो तुम्हें बाइबल से विदा लेनी चाहिए, तुम्हें बाइबल की भविष्यवाणियों या इतिहास की पुस्तकों के परे जाना चाहिए। केवल तभी तुम नए मार्ग पर उचित तरीके से चल पाओगे, और केवल तभी तुम एक नए राज्य और नए कार्य में प्रवेश कर पाओगे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों ने मुझे दिखाया कि बाइबल सिर्फ़ व्यवस्था और अनुग्रह के युग में परमेश्वर के वचनों और कार्य का एक अभिलेख है, अंत के दिनों में उसके वचनों और कार्य का नहीं। अगर हम बाइबल से चिपके रहें और अंत के दिनों में कलीसियाओं से पवित्र आत्मा क्या कहता है उसकी खोज न करें, तो हम मेमने के कदम से कदम नहीं मिला पायेंगे और प्रभु की वापसी का स्वागत नहीं कर पायेंगे। हमारे प्रभु का स्वागत करने लायक बनने के लिए यह सत्य अहम है।

जनवरी 2018 में एक दिन, बहन शी और बहन चेन से मेरी ऑनलाइन मुलाक़ात हुई, मैंने उनमें बाइबल की अनोखी और गहरी समझ देखी। उनकी संगतियाँ बहुत व्यावहारिक और रोशनी से भरपूर थीं। उन्होंने मुझे बहुत-सी बातें बतायीं, जैसे कि कलीसियाएं वीरान क्यों हैं, कैसे बुद्धिमान कुँवारी बनें और प्रभु का स्वागत करें, फरीसियों ने प्रभु यीशु का प्रतिरोध क्यों किया, और प्रकाशितवाक्य में की गयी भविष्यवाणी के मुताबिक़ अंत के दिनों में परमेश्वर कौन-सा कार्य करेगा वगैरह। उन्होंने मेरे साथ कई दिनों तक संगति की और 10 साल से भी ज़्यादा समय से पादरी को सुनकर जितना जाना था, मैं उससे ज़्यादा समझ पायी। सब-कुछ बिल्कुल ताज़ा और नया लगा, मैंने हैरानी से सोचा, इन्होंने बाइबल से इतनी ज़्यादा रोशनी कैसे हासिल की? मैंने अधिक सत्य और रहस्य जानने, और प्रभु को बेहतर ढंग से समझने के लिए उनकी सभाओं में भाग लेना शुरू कर दिया।

इनमें से एक सभा में, बहन शी ने मुझे खुशी से बताया, "मेरे पास एक बहुत बड़ी ख़बर है! प्रभु वापस आ गया है और अंत के दिनों में सत्य व्यक्त कर न्याय का कार्य कर रहा है।" यह सुन कर मैं बहुत खुश हुई, लेकिन इस बात पर यकीन करना मुश्किल लग रहा था, इसलिए मैंने पूछा, "क्या यह सच है?" बहन चेन ने कहा, "हाँ, सच है। प्रभु सर्वशक्तिमान परमेश्वर के रूप में वापस आ गया है। वह वचन बोल कर न्याय का कार्य कर रहा है।" मुझे अचानक फेसबुक की एक पोस्ट की याद आयी, जिसमें लिखा था कि चमकती पूर्वी बिजली गवाही दे रही है कि प्रभु वचन बोलने और न्याय-कार्य करने के लिए वापस आ गया है, और उसके प्रचार की बातें बाइबल से बाहर की होती हैं। मैंने एकाएक सतर्क होकर फ़ौरन बहन चेन से पूछ लिया, "क्या आप चमकती पूर्वी बिजली में विश्वास रखती हैं?" उन्होंने बेबाकी से कहा, "हाँ।" मैं थोड़ा घबरा गयी, सोचने लगी, पादरी और एल्डर तो हमेशा बताया करते हैं कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में हैं, प्रभु में आस्था बाइबल पर आधारित होनी चाहिए, और बाइबल से दूर होना धर्मभ्रष्ट होना है। ये बहनें जो प्रचारित कर रही हैं, वे बाइबल से बाहर की बातें है। क्या ये प्रभु के मार्ग से भटक नहीं गयी हैं? इसलिए मैंने कहा, "आप जो प्रचारित कर रही हैं, वह पादरी और एल्डर की बातों से अलग है। शायद अब मैं आप लोगों से नहीं मिल पाऊँगी।" फिर मैंने एकाएक लाइन काट दी। लेकिन प्रभु की वापसी की ख़बर से लंबे समय तक मेरे मन में खलबली मची रही। मैंने सोचा, बहनों की संगति बहुत प्रबुद्ध करने वाली और व्यावहारिक थी। मैं बाइबल के रहस्यों और परमेश्वर की इच्छा के बारे में कितना कुछ समझ सकी। मैंने सोचा : "क्या चमकती पूर्वी बिजली परमेश्वर से आयी है? अगर मैं न सुनूँ और प्रभु के स्वागत का मौक़ा गँवा दूँ, तो पछतावे के लिए काफ़ी देर हो चुकी होगी।" लेकिन जब मैं पादरी-वर्ग की बातों को याद करती, तो मुझे फ़िक्र होती कि कहीं ये लोग मुझे भटका न दें। लगा जैसे मेरे दिल के साथ रस्साकशी हो रही है, इसलिए मैंने प्रभु से ईमानदारी के साथ प्रार्थना की, सही विकल्प चुनने का रास्ता दिखाने की विनती की।

अगली सुबह मुझे बहनों के साथ एक और ऑनलाइन विचार-विमर्श करना था। यह सोच कर कि वे हमेशा कितनी स्नेही और धैर्यवान रहती हैं, मुझे लगा कि भाग न लेने के बारे में उन्हें न बताना रूखापन होगा। इसलिए मैं हमेशा की तरह ऑनलाइन हो गयी, उनसे संपर्क होते ही मैंने कहा, "आपकी संगतियाँ बहुत प्रबुद्ध करने वाली हैं और आपने जो मुझे पढ़ कर सुनाया वह वाकई व्यावहारिक है। लेकिन आप कहती हैं कि प्रभु यीशु वापस आकर नया कार्य कर रहा है, नये वचन व्यक्त कर रहा है। यह बाइबल से बाहर की बात है और प्रभु के मार्ग से अलग है। पादरी और एल्डर कहते हैं कि परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में हैं। बाइबल से बाहर परमेश्वर के नये वचन कैसे हो सकते हैं?"

फिर बहन शी ने सब्र के साथ कहा, "पादरी और एल्डर हमेशा कहते हैं, 'परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में हैं, वे इसके अलावा कहीं और नहीं मिल सकते।' लेकिन क्या यह नज़रिया सच्चाई और परमेश्वर के वचनों के अनुरूप है? क्या प्रभु यीशु ने कभी ऐसा कहा? क्या पवित्र आत्मा ने कहा? अगर यह परमेश्वर के वचनों या सत्य पर आधारित नहीं है, तो यह नज़रिया महज़ इंसान की धारणाओं में से एक है और इसमें कोई सच्चाई नहीं। बाइबल को अच्छी तरह जानने वालों को मालूम है कि जिन लोगों ने पुराने नियम का संकलन किया, उन्होंने कुछ बातें छोड़ दीं, इसलिए नबियों द्वारा बताये गये यहोवा परमेश्वर के कुछ वचनों को पुराने नियम में दर्ज नहीं किया गया। उदाहरण के लिए, एज्रा की भविष्यवाणियाँ बाइबल में शामिल नहीं की गयीं, यह एक जानी-पहचानी सच्चाई है। प्रभु यीशु ने कार्य करते समय, सिर्फ चार सुसमाचारों में दर्ज सीमित वचन ही नहीं बोले। जैसा कि यूहन्ना के सुसमाचार में कहा गया है, 'और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं' (यूहन्ना 21:25)। अगर हम पादरियों और एल्डरों के नज़रिये पर चले, तो क्या हम परमेश्वर के उन वचनों को नकार कर उनकी निंदा नहीं करेंगे, जिन्हें बाइबल में दर्ज नहीं किया गया? इसके अलावा, प्रभु यीशु ने स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की : 'मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा' (यूहन्ना 16:12-13)। प्रकाशितवाक्य में भी कई बार यह भविष्यवाणी की गयी है : 'जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है' (प्रकाशितवाक्य अध्याय 2, 3)। फिर मेमने द्वारा खोली जाने वाली पुस्तक और सात गर्जनाओं की गड़गड़ाहट भी है। ये वचन हमें बताते हैं कि अंत के दिनों में आने पर प्रभु और भी वचन बोलेगा, और ये वचन पहले से बाइबल में दर्ज नहीं किये जा सकते। अगर परमेश्वर के वचन सिर्फ बाइबल में मिल सकते हैं, तो फिर ये भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हो सकेंगी? परमेश्वर सृजनकर्ता है, हमेशा बहते रहने वाले जीवन-जल का सोता है, वह बाइबल में दर्ज ये थोड़े-से वचन ही कैसे बोल सकता है? पादरी-वर्ग के अनुसार 'परमेश्वर के सभी कार्य और वचन बाइबल में हैं और ये किसी दूसरी जगह नहीं मिल सकते,' लेकिन क्या यह बात लौटकर आये प्रभु यीशु के कार्य और वचनों को नकार कर उसकी निंदा नहीं करती?"

उनकी संगति को सुनने के बाद, मैंने सोचा, "हाँ, प्रभु ने भविष्यवाणी की थी कि वह वापस आयेगा और नये वचन बोलेगा, और ये वचन ज़रूर बाइबल से बाहर होने चाहिए।" लेकिन बाइबल से दूर जाने का ख़याल मुझे परेशान कर रहा था, मैंने सोचा, "पादरी और एल्डर हमेशा कहते हैं कि बाइबल से दूर जाना धर्मभ्रष्ट होना है। अगर मैं अपनी आस्था में भटक गयी तो? मैंने प्रभु में लंबे अरसे से विश्वास रखा है, हमेशा बाइबल को पढ़ा है। दुनिया भर के ईसाइयों की आस्था बाइबल पर ही आधारित होती है। बाइबल हमारी आस्था का आधार-स्तंभ है। इससे दूर जाकर कोई प्रभु में आस्था कैसे रख सकता है?" यह विचार कौंधते ही मैं चुप हो गयी।

मुझे चुप देख कर बहन चेन ने संगति बंद कर दी। हमारा संपर्क टूट जाने के बाद, उन्होंने एक वीडियो क्लिप भेजा और देखने को कहा—क्या परमेश्वर बाइबल के अनुसार कार्य करता है? यह बाइबल से बाहर निकलें नामक एक सुसमाचार फिल्म से लिया गया था। मैंने लिंक खोली, इसमें मुख्य किरदार वांग युए एक पादरी के साथ संगति कर रही थीं। इसने तुरंत मेरा ध्यान खींचा। उन्होंने कहा, "आपने अभी-अभी कहा कि परमेश्वर बाइबल के बाहर अपना उद्धार कार्य नहीं करता, और बाइबल से बाहर की हर बात धर्मभ्रष्टता है। तो मेरा आपसे एक सवाल है : पहले क्या आया, बाइबल या परमेश्वर का कार्य? परमेश्वर ने शुरुआत में सभी चीज़ों का सृजन किया। उसने दुनिया को सैलाब में डुबो दिया, सदोम और अमोरा को जला दिया। जब परमेश्वर ने ये कार्य किये, तब क्या पुराना नियम मौजूद था? अनुग्रह के युग में कार्य करने के लिये प्रभु यीशु के आने के समय क्या नया नियम मौजूद था? पुराना और नया नियम दोनों ही, लोगों द्वारा दर्ज परमेश्वर के पूरे किये गये कार्य के आधार पर संकलित किये गये थे। परमेश्वर बाइबल के अनुसार कार्य नहीं करता, वह उसकी सीमा में नहीं बंधा रहता, क्योंकि वह अपनी प्रबंधन योजना और इंसान की ज़रूरतों के अनुसार कार्य करता है। फिर हम परमेश्वर के कार्य को बाइबल तक सीमित नहीं रख सकते, या परमेश्वर के कार्य को सीमित करने के लिए बाइबल का इस्तेमाल नहीं कर सकते, क्योंकि परमेश्वर को अधिकार है कि वह अपना कार्य करे।" बहन वांग की संगति से मेरे दिल रोशन हो गया। मैंने सोचा, "जब प्रभु यीशु कार्य करने आया, तब नया नियम मौजूद नहीं था, जब परमेश्वर ने सारी चीज़ें रचीं और व्यवस्थाएं जारी कीं, तब पुराना नियम मौजूद नहीं था। बेशक! मैं इस बारे में पहले क्यों नहीं सोच पायी?"

वीडियो की संगति जारी रही : "अगर हम कहें कि बाइबल से बाहर की हर बात धर्मभ्रष्टता है, तो क्या हम पूरे इतिहास के दौरान परमेश्वर के सभी वचनों और कार्य की निंदा नहीं कर रहे हैं? प्रभु यीशु ने अपना कार्य पुराने नियम के अनुसार नहीं किया। उसने प्रायश्चित के मार्ग का प्रचार किया, रोगियों का इलाज किया, दानवों का नाश किया, सब्त को कायम नहीं रखा, लोगों को सत्तर गुना सात बार माफ़ किया—इनमें से एक भी बात पुराने नियम में नहीं है। फरीसियों, मुख्य याजकों और शास्त्रियों ने इन बातों का प्रयोग प्रभु के विरुद्ध किया और उसके कार्य को धर्मभ्रष्टता कह कर उसकी निंदा की। परमेश्वर में विश्वास रखने के बावजूद उन्होंने उसे ठुकराया।"

फिर बहन ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के दो अंश पढ़े। "बाइबल की इस वास्तविकता को कोई नहीं जानता कि यह परमेश्वर के कार्य के ऐतिहासिक अभिलेख और उसके कार्य के पिछले दो चरणों की गवाही से बढ़कर और कुछ नहीं है, और इससे तुम्हें परमेश्वर के कार्य के लक्ष्यों की कोई समझ हासिल नहीं होती। बाइबल पढ़ने वाला हर व्यक्ति जानता है कि यह व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग के दौरान परमेश्वर के कार्य के दो चरणों को लिखित रूप में प्रस्तुत करता है। पुराने नियम सृष्टि के समय से लेकर व्यवस्था के युग के अंत तक इस्राएल के इतिहास और यहोवा के कार्य को लिपिबद्ध करता है। पृथ्वी पर यीशु के कार्य को, जो चार सुसमाचारों में है, और पौलुस के कार्य नए नियम में दर्ज किए गए हैं; क्या ये ऐतिहासिक अभिलेख नहीं हैं?" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (4))। "यीशु के समय में, यीशु ने अपने भीतर पवित्र आत्मा के कार्य के अनुसार यहूदियों की और उन सबकी अगुआई की थी, जिन्होंने उस समय उसका अनुसरण किया था। उसने जो कुछ किया, उसमें उसने बाइबल को आधार नहीं बनाया, बल्कि वह अपने कार्य के अनुसार बोला; उसने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया कि बाइबल क्या कहती है, और न ही उसने अपने अनुयायियों की अगुआई करने के लिए बाइबल में कोई मार्ग ढूँढ़ा। ठीक अपना कार्य आरंभ करने के समय से ही उसने पश्चात्ताप के मार्ग को फैलाया—एक ऐसा मार्ग, जिसका पुराने विधान की भविष्यवाणियों में बिलकुल भी उल्लेख नहीं किया गया था। उसने न केवल बाइबल के अनुसार कार्य नहीं किया, बल्कि एक नए मार्ग की अगुआई भी की, और नया कार्य किया। उपदेश देते समय उसने कभी बाइबल का उल्लेख नहीं किया। व्यवस्था के युग के दौरान, बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने के उसके चमत्कार करने में कभी कोई सक्षम नहीं हो पाया था। इसी तरह उसका कार्य, उसकी शिक्षाएँ, उसका अधिकार और उसके वचनों का सामर्थ्य भी व्यवस्था के युग में किसी भी मनुष्य से परे था। यीशु ने मात्र अपना नया काम किया, और भले ही बहुत-से लोगों ने बाइबल का उपयोग करते हुए उसकी निंदा की—और यहाँ तक कि उसे सलीब पर चढ़ाने के लिए पुराने विधान का उपयोग किया—फिर भी उसका कार्य पुराने विधान से आगे निकल गया; यदि ऐसा न होता, तो लोग उसे सलीब पर क्यों चढ़ाते? क्या यह इसलिए नहीं था, क्योंकि पुराने विधान में उसकी शिक्षाओं, और बीमारों को चंगा करने और दुष्टात्माओं को निकालने की उसकी योग्यता के बारे में कुछ नहीं कहा गया था? उसका कार्य एक नए मार्ग की अगुआई करने के लिए था, वह जानबूझकर बाइबल के विरुद्ध लड़ाई करने या जानबूझकर पुराने विधान को अनावश्यक बना देने के लिए नहीं था। वह केवल अपनी सेवकाई करने और उन लोगों के लिए नया कार्य लाने के लिए आया था, जो उसके लिए लालायित थे और उसे खोजते थे। ... लोगों को ऐसा प्रतीत हुआ, मानो उसके कार्य का कोई आधार नहीं था, और उसमें बहुत-कुछ ऐसा था, जो पुराने विधान के अभिलेखों से मेल नहीं खाता था। क्या यह मनुष्य की ग़लती नहीं थी? क्या परमेश्वर के कार्य पर सिद्धांत लागू किए जाने आवश्यक हैं? और क्या परमेश्वर के कार्य का नबियों के पूर्वकथनों के अनुसार होना आवश्यक है? आख़िरकार, कौन बड़ा है : परमेश्वर या बाइबल? परमेश्वर का कार्य बाइबल के अनुसार क्यों होना चहिए? क्या ऐसा हो सकता है कि परमेश्वर को बाइबल से आगे निकलने का कोई अधिकार न हो? क्या परमेश्वर बाइबल से दूर नहीं जा सकता और अन्य काम नहीं कर सकता? यीशु और उनके शिष्यों ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया? यदि उसे सब्त का पालन करना होता और पुराने विधान की आज्ञाओं के अनुसार अभ्यास करना होता, तो आने के बाद यीशु ने सब्त का पालन क्यों नहीं किया, बल्कि इसके बजाय क्यों उसने पाँव धोए, सिर ढका, रोटी तोड़ी और दाखरस पीया? क्या यह सब पुराने विधान की आज्ञाओं में अनुपस्थित नहीं है? यदि यीशु पुराने विधान का सम्मान करता, तो उसने इन सिद्धांतों को क्यों तोड़ा? तुम्हें पता होना चाहिए कि पहले कौन आया, परमेश्वर या बाइबल" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))

बहन वांग ने फिर अपनी बात जारी रखी : "बाइबल बस व्यवस्था और अनुग्रह के युगों में परमेश्वर के कार्य के दो चरणों का ही अभिलेख है। यह परमेश्वर के दो चरणों के कार्य की गवाही है, जिनमें उसने तमाम चीज़ों और इंसान का सृजन करने के बाद इंसान को रास्ता दिखा कर उसे छुटकारा दिलाया। यह इंसान को बचाने के परमेश्वर के संपूर्ण कार्य का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकता। परमेश्वर का कार्य हमेशा आगे बढ़ता है। परमेश्वर अंत के दिनों में एक नया युग शुरू करता है और नया कार्य करता है। वह इंसान को ऐसा और भी अधिक सत्य देता है, जो हमें सदा-सदा के लिए पाप से मुक्त करता है, ताकि हम शुद्ध होकर पूरी तरह बचाये जा सकें और उसके राज्य में प्रवेश कर सकें। यानी परमेश्वर बाइबल में दर्ज अपने पुराने कार्य के आधार पर इंसान का मार्गदर्शन नहीं करता, वह ख़ास तौर से उस कार्य को भी नहीं दोहराता, जो वह पूरा कर चुका है। परमेश्वर सृजन और बाइबल दोनों का ही प्रभु है। उसे बाइबल से बाहर निकल कर अपनी प्रबंधन योजना के अनुसार नया कार्य करने का अधिकार है। इसीलिए परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में हैं और बाइबल से दूर जाना धर्मभ्रष्टता है' जैसे दावे को नहीं माना जा सकता, जो परमेश्वर को सीमा में बाँध कर उसका तिरस्कार करता है। जो कोई भी यह कहता है, वह परमेश्वर के कार्य को नहीं जानता और परमेश्वर का प्रतिरोध करता है। परमेश्वर अपनी योजना के अनुसार कार्य करता है, बाइबल के अनुसार नहीं। प्रभु यीशु ने प्रायश्चित के मार्ग का प्रचार किया, दानवों को नष्ट किया और रोगियों का इलाज किया, उसने सब्त का पालन नहीं किया, और लोगों को हमेशा क्षमा करना सिखाया—क्या यह सब बातें पुराने नियम से बाहर की नहीं हैं? उसने पुराने नियम की व्यवस्थाओं को भी तोड़ा, फिर भी क्या यह परमेश्वर का कार्य नहीं था?" मैंने प्रभु में एक लंबे अरसे से विश्वास रखा और हमेशा पादरी-वर्ग की बातों पर यकीन कर उनसे चिपकी रही, कि "परमेश्वर के सभी वचन और कार्य बाइबल में हैं और बाइबल से दूर जाना धर्मभ्रष्टता है।" क्या मैं परमेश्वर के कार्य की निंदा नहीं कर रही थी? अब मैं समझ सकती हूँ कि मैं कितनी बेवकूफ़ थी, उलझन में फंसी हुई थी!

इसके बाद जब कभी मुझे समय मिलता, मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया द्वारा निर्मित सुसमाचार फिल्में और वीडियो यूट्यूब पर देखा करती। एक दिन, मैंने परमेश्वर और बाइबल के बीच क्या संबंध है? नामक एक फिल्म क्लिप पर क्लिक किया। इस क्लिप में परमेश्वर के वचनों ने मुझे बहुत अधिक प्रेरित किया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहते हैं, "बाइबल के समय से प्रभु में लोगों का विश्वास, बाइबल में विश्वास रहा है। यह कहने के बजाय कि लोग प्रभु में विश्वास करते हैं, यह कहना बेहतर है कि वे बाइबल में विश्वास करते हैं; यह कहने के बजाय कि उन्होंने बाइबल पढ़नी आरंभ कर दी है, यह कहना बेहतर है कि उन्होंने बाइबल पर विश्वास करना आरंभ कर दिया है; और यह कहने के बजाय कि वे प्रभु के सामने लौट आए हैं, यह कहना बेहतर होगा कि वे बाइबल के सामने लौट आए हैं। इस तरह से, लोग बाइबल की आराधना ऐसे करते हैं मानो वह परमेश्वर हो, मानो वह उनका जीवन-रक्त हो और उसे खोना अपने जीवन को खोने के समान हो। लोग बाइबल को परमेश्वर जितना ही ऊँचा समझते हैं, और यहाँ तक कि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उसे परमेश्वर से भी ऊँचा समझते हैं। यदि लोगों के पास पवित्र आत्मा का कार्य नहीं है, यदि वे परमेश्वर को महसूस नहीं कर सकते, तो वे जीते रह सकते हैं—परंतु जैसे ही वे बाइबल को खो देते हैं, या बाइबल के प्रसिद्ध अध्याय और उक्तियाँ खो देते हैं, तो यह ऐसा होता है, मानो उन्होंने अपना जीवन खो दिया हो" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, बाइबल के विषय में (1))। "वे मेरा अस्तित्व मात्र बाइबल के दायरे में ही सीमित मानते हैं, और वे मेरी बराबरी बाइबल से करते हैं; बाइबल के बिना मैं नहीं हूँ, और मेरे बिना बाइबल नहीं है। वे मेरे अस्तित्व या क्रियाकलापोंपर कोई ध्यान नहीं देते, बल्कि पवित्रशास्त्र के हर एक वचन पर परम और विशेष ध्यान देते हैं। बहुत सेलोग तो यहाँ तक मानते हैं कि अपनी इच्छा से मुझे ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जो पवित्रशास्त्र द्वारा पहले से न कहा गया हो। वे पवित्रशास्त्र को बहुत अधिक महत्त्व देते हैं। कहा जा सकता है कि वे वचनों और उक्तियों को बहुत महत्वपूर्ण समझते हैं, इस हद कि हर एक वचन जो मैं बोलता हूँ, वे उसे मापने और मेरी निंदा करने के लिए बाइबल के छंदों का उपयोग करते हैं। वे मेरे साथ अनुकूलता का मार्ग या सत्य के साथ अनुकूलता का मार्ग नहीं खोजते, बल्कि बाइबल के वचनों के साथ अनुकूलता का मार्ग खोजते हैं, औरविश्वास करते हैं कि कोई भी चीज़ जो बाइबल के अनुसार नहीं है, बिना किसी अपवाद के, मेरा कार्य नहीं है। क्या ऐसे लोग फरीसियों के कर्तव्यपरायण वंशज नहीं हैं? यहूदी फरीसी यीशु को दोषी ठहराने के लिए मूसा की व्यवस्था का उपयोग करते थे। उन्होंने उस समय के यीशु के साथ अनुकूल होने की कोशिश नहीं की, बल्कि कर्मठतापूर्वक व्यवस्था का इस हद तक अक्षरशः पालन किया कि—यीशु पर पुराने विधान की व्यवस्था का पालन न करने और मसीहा न होने का आरोप लगाते हुए—निर्दोष यीशु को सूली पर चढ़ा दिया। उनका सार क्या था? क्या यह ऐसा नहीं था कि उन्होंने सत्य के साथ अनुकूलता के मार्ग की खोज नहीं की? उनके दिमाग़ में पवित्रशास्त्र का एक-एक वचन घर कर गया था, जबकि मेरी इच्छा और मेरे कार्य के चरणों और विधियों पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। वे सत्य की खोज करने वाले लोग नहीं, बल्कि सख्तीसे पवित्रशास्त्र के वचनों से चिपकने वाले लोग थे; वे परमेश्वर में विश्वास करने वाले लोग नहीं, बल्कि बाइबल में विश्वास करने वाले लोग थे। दरअसल वे बाइबल की रखवाली करने वाले कुत्ते थे" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, तुम्हें मसीह के साथ अनुकूलता का तरीका खोजना चाहिए)

इस क्लिप को देखने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि बाइबल को अच्छी तरह जानना और परमेश्वर को सही मायनों में जानना या उसकी आज्ञा मानना एक समान नहीं हैं। यहूदी फरीसी बाइबल के बारे में बहुत बढ़िया व्याख्यान देते थे, फिर भी उन्होंने प्रभु यीशु को सूली पर चढ़वा दिया। यह दिखाता है कि बाइबल को समझने का अर्थ परमेश्वर को समझना नहीं है, अगर कोई इंसान बाइबल का पालन करता है, इसका अर्थ यह नहीं कि वह प्रभु के मार्ग का अनुसरण करता है। मुझे एहसास हुआ कि भले ही मैं वर्षों से बाइबल पढ़ रही हूँ और उसके बारे में थोड़ा जानती हूँ, फिर भी मैं प्रभु को बिल्कुल भी नहीं जानती। मेरा यह विश्वास ग़लत है कि बाइबल प्रभु का प्रतिनिधित्व करता है, बाइबल में आस्था रखना प्रभु में आस्था रखना है, बाइबल का पालन करना प्रभु के मार्ग का पालन करना है। जब बहन शी ने गवाही दी कि परमेश्वर प्रकट होकर अंत के दिनों में कार्य कर रहा है, तो मैंने उस पर गौर करने की हिम्मत नहीं की। फिर, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को पढ़ने के बाद, दिल से यह जानकर भी कि उसके वचन सत्य और परमेश्वर की वाणी हैं, मुझे उसे स्वीकार करना बहुत मुश्किल लगा, सिर्फ़ इसलिए कि वे वचन बाइबल में दर्ज नहीं हैं। मैं बाइबल की आराधना करते हुए उसी से चिपकी रही, परमेश्वर के नये वचनों और कार्य को स्वीकार करने से इनकार किया। मैं उन फरीसियों से अलग कैसे थी, जो प्रभु यीशु का प्रतिरोध करते थे? इस विचार ने मुझे डरा दिया। मैंने सोचा, "मुझे अपनी धारणाओं को छोड़ देना चाहिए। मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों को और अधिक पढ़ना चाहिए।"

अगली सभा में, मैंने बहनों को बताया कि उन सुसमाचार फिल्मों को देखकर मैंने क्या पाया और क्या समझा। उन्हें बेहद खुशी हुई, उन्होंने परमेश्वर के वचनों का एक और अंश पढ़कर सुनाया। "अंत के दिनों का मसीह जीवन लेकर आता है, और सत्य का स्थायी और शाश्वत मार्ग लेकर आता है। यह सत्य वह मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य जीवन प्राप्त करता है, और यह एकमात्र मार्ग है जिसके द्वारा मनुष्य परमेश्वर को जानेगा और परमेश्वर द्वारा स्वीकृत किया जाएगा। यदि तुम अंत के दिनों के मसीह द्वारा प्रदान किया गया जीवन का मार्ग नहीं खोजते हो, तो तुम यीशु की स्वीकृति कभी प्राप्त नहीं करोगे, और स्वर्ग के राज्य के फाटक में प्रवेश करने के योग्य कभी नहीं हो पाओगे, क्योंकि तुम इतिहास की कठपुतली और कैदी दोनों ही हो। वे लोग जो नियमों से, शब्दों से नियंत्रित होते हैं, और इतिहास की जंजीरों में जकड़े हुए हैं, न तो कभी जीवन प्राप्त कर पाएँगे और न ही जीवन का शाश्वत मार्ग प्राप्त कर पाएँगे। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास, सिंहासन से प्रवाहित होने वाले जीवन के जल की बजाय, बस मैला पानी ही है जिससे वे हजारों सालों से चिपके हुए हैं" (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)

फिर बहन शी ने यह कह कर अपनी संगति साझा की, "अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर राज्य का युग शुरू करता और अनुग्रह के युग को समाप्त करता है। वह सत्य व्यक्त करता है और सदा-सदा के लिए इंसान को शुद्ध कर बचाने के लिए परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय-कार्य करता है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने लाखों वचन बोले हैं। इनमें से ज़्यादातर राज्य के युग की बाइबल—वचन देह में प्रकट होता है में मिल जाएंगे। उसने बाइबल के अहम रहस्यों को प्रकट किया है जैसे कि बुद्धिमान कुंवारियों द्वारा प्रभु का स्वागत करना, स्वर्गारोहण क्या होता है, विपत्तियों के आने से पहले विजेता बनाया जाना, परमेश्वर की 6,000-वर्षीय प्रबंधन योजना के रहस्य, उसके तीन चरणों के कार्य की अंदरूनी कहानी, तीनों चरणों के कार्य के बीच आपसी संबंध, और उनके परिणाम, देहधारण के रहस्य और अंत के दिनों का न्याय, बाइबल की सच्चाई, और भी बहुत कुछ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर अपना अपमान न सहने वाला धार्मिक, प्रतापी स्वभाव भी प्रकट करता है। वह शैतान द्वारा इंसान की भ्रष्टता के सत्य को उजागर कर उसका न्याय भी करता है, लोग परमेश्वर की अवज्ञा और उसका प्रतिरोध क्यों करते हैं, इसके मूल कारण का विश्लेषण करता है, हमें बताता है कि इंसान से उसकी इच्छा और अपेक्षाएं क्या हैं। इसमें ये बातें भी शामिल हैं कि परमेश्वर में सच्ची आस्था क्या है, परमेश्वर का आज्ञापालन करने, उसका भय मानने और उसकी गवाही देने का अर्थ क्या है, सत्य का अभ्यास कैसे करें और ईमानदार कैसे बनें, सार्थक जीवन कैसे जियें, और भी बहुत कुछ। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन बहुतायत में हैं और हमारी ज़रूरत की हर चीज़ इनमें है। यह सत्य परमेश्वर द्वारा अंत के दिनों में इंसान को दिये गये अनंत जीवन का मार्ग है। यह हमें शुद्ध कर बदल सकता है, पाप मुक्त कर सकता है, हमें पूरी तरह बचा कर परमेश्वर के राज्य में ले जा सकता है।"

बहन की संगति ने सब-कुछ बिल्कुल स्पष्ट कर दिया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर सत्य के अनेक पहलू व्यक्त करता है, वह सही मायनों में जीवन-जल का अनंत सोता है! मेरा दिल जान गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर की वाणी हैं, वह लौट कर आया हुआ प्रभु यीशु है। मैंने इतने वर्ष परमेश्वर में विश्वास रखा, लेकिन सचमुच कभी उसे जान नहीं पायी, इसके बजाय मैंने पादरी और एल्डरों की बातों पर यकीन किया। मैंने परमेश्वर के वचनों और कार्य को बाइबल तक ही सीमित रखा, परमेश्वर के राज्य के सुसमाचार को स्वीकार नहीं किया। फिर भी परमेश्वर ने मेरा त्याग नहीं किया, बल्कि मुझे बार-बार सुसमाचार प्रचारित करने के लिए बहनों का प्रयोग किया। मैं बहुत सौभाग्यशाली थी कि परमेश्वर की वाणी को सुनकर प्रभु की वापसी का स्वागत कर पायी, और सिंहासन से बहने वाले जीवन-जल के पोषण का आनंद ले पायी। यही मेरे लिए परमेश्वर का अनुग्रह है। मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर की अत्यंत आभारी हूँ!

परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?

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