मुझे तुम्हारी देखरेख नहीं चाहिए
जब मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य स्वीकार किया, तो कुछ ही समय बाद ही पादरी ली को इस बात का पता चल गया। एक दिन, उसने मुझे कलीसिया आने को कहा। मैंने सोचा कि वह बाइबल का अच्छा जानकार है, कई वर्षों से प्रभु की सेवा कर रहा है और निष्ठावान जीवन जी रहा है। इसके अलावा, वह हमेशा हमें प्रभु की वापसी के लिए सतर्क रहकर प्रतीक्षा करने के लिए कहा करता था, और मैं उसके साथ सुसमाचार साझा कर बताना चाहती थी कि प्रभु यीशु लौट आया है। मुझे लगा कि यह अच्छा मौका है। लेकिन जब हम मिले, तो मुझे बड़ी हैरानी हुई, उसने मुझे तिरस्कार से देखते हुए पूछा, “मिल्ड्रेड, एक उपयाजक के रूप में, तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास कैसे कर सकती हो? उसे स्वीकारने से पहले तुमने मुझसे सलाह क्यों नहीं ली? मैं उसकी जाँच-पड़ताल कर तुम्हें बताता! तुम्हारे अंदर बाइबल का जरा भी ज्ञान नहीं है, अगर हम निगरानी न रखें, तुम आसानी से गुमराह हो सकती हो।” पादरी ली की बात सुनकर मैं असहज हो गई। मैंने सोचा, “सच्चे रास्ते की जाँच-पड़ताल करना मेरी निजी आजादी है—उसमें तुम्हारी स्वीकृति या निरीक्षण की क्या आवश्यकता है? और फिर, प्रभु में मेरी आस्था को दो दशक हो गए, माना कि बाइबल के बारे में मुझे उतना ज्ञान नहीं है जितना तुम्हें है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मेरे अपने विचार और राय नहीं है! मैं पिछले तीन महीनों से पूरी कर्मठता से इसकी जाँच-पड़ताल कर रही हूँ, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कई वचन पढ़े हैं और जब मुझे यकीन हो गया कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन परमेश्वर की वाणी हैं, तभी मैंने उन्हें स्वीकार किया है।” तो मैंने कहा दिया : “पादरी ली, यह जानने के लिए कि वह लौटकर आया प्रभु यीशु है या नहीं, केवल सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ने आवश्यक हैं।” फिर मैंने अपने फोन पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का ऐप खोला और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “पूरे ब्रह्मांड में मैं अपना कार्य कर रहा हूँ, और पूरब में असंख्य गर्जनाएँ निरंतर जारी हैं और सभी राष्ट्रों और संप्रदायों को झकझोर रही हैं। यह मेरी वाणी है, जो सभी मनुष्यों को वर्तमान में ले आई है। मैं अपनी वाणी से सभी मनुष्यों को जीत लेता हूँ, उन्हें इस धारा में बहाता हूँ और उनसे अपने आगे घुटने टेकवाता हूँ, क्योंकि मैंने बहुत पहले पूरी पृथ्वी से अपनी महिमा वापस लेकर उसे नए सिरे से पूरब में जारी किया है। भला कौन मेरी महिमा देखने के लिए लालायित नहीं होता? कौन बेसब्री से मेरे लौटने का इंतज़ार नहीं करता? किसे मेरे पुनः प्रकटन की प्यास नहीं है? कौन मेरी सुंदरता के लिए नहीं तरसता? कौन प्रकाश में नहीं आएगा? कौन कनान की समृद्धि नहीं देखेगा? किसे उद्धारकर्ता के लौटने की लालसा नहीं है? कौन उसकी आराधना नहीं करता, जो सामर्थ्य में महान है? मेरी वाणी पूरी पृथ्वी पर फैल जाएगी; मैं अपने चुने हुए लोगों के सामने आकर उनसे और अधिक वचन बोलूँगा, जैसे शक्तिशाली गर्जन जो पर्वतों और नदियों को हिला देता है। पूरे ब्रह्मांड के लिए और पूरी मानवजाति के लिए अपने वचन बोलता हूँ। इस प्रकार, मेरे मुँह से निकले वचन मनुष्य का खजाना बन गए हैं, और सभी मनुष्य मेरे वचनों को सँजोते हैं। बिजली पूरब से चमकते हुए दूर पश्चिम तक जाती है। मेरे वचन ऐसे हैं, जिन्हें मनुष्य छोड़ना नहीं चाहता और साथ ही उनकी थाह भी नहीं ले पाता, फिर भी उनमें और अधिक आनंदित होता है। एक नवजात शिशु की तरह, सभी मनुष्य खुशी और आनंद से भरे हैं और मेरे आने की खुशी मनाते हैं। अपनी वाणी के माध्यम से मैं सभी मनुष्यों को अपने समक्ष ले आऊँगा। उसके बाद, मैं औपचारिक रूप से मनुष्यों की जाति में प्रवेश करूँगा, ताकि वे मेरी आराधना करने लगें। स्वयं द्वारा विकीर्ण महिमा और अपने मुँह से निकले वचनों से मैं ऐसा करूँगा कि सभी मनुष्य मेरे समक्ष आएँगे और देखेंगे कि बिजली पूरब से चमकती है और मैं भी पूरब में ‘जैतून के पर्वत’ पर अवतरित हो चुका हूँ। वे देखेंगे कि मैं बहुत पहले से पृथ्वी पर मौजूद हूँ, अब यहूदियों के पुत्र के रूप में नहीं, बल्कि पूरब की बिजली के रूप में। क्योंकि बहुत पहले मेरा पुनरुत्थान हो चुका है, और मैं मनुष्यों के बीच से जा चुका हूँ, और फिर अपनी महिमा के साथ लोगों के बीच पुनः प्रकट हुआ हूँ। मैं वही हूँ, जिसकी आराधना अब से असंख्य युगों पहले की गई थी, और मैं वह शिशु भी हूँ जिसे अब से असंख्य युगों पहले इस्राएलियों ने त्याग दिया था। इसके अलावा, मैं वर्तमान युग का संपूर्ण-महिमामय सर्वशक्तिमान परमेश्वर हूँ!” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, सात गर्जनाएँ गरजती हैं—भविष्यवाणी करती हैं कि राज्य का सुसमाचार पूरे ब्रह्मांड में फैल जाएगा)। उसने मेरी बात भी खत्म नहीं होने दी और बीच में ही टोक कर बोला, “आगे पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है। मैं बहुत पहले इस ऐप को डाउनलोड करके सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ चुका हूँ। वे गवाही देते हैं कि उसके वचन परमेश्वर के वचन हैं, लेकिन यह संभव नहीं है! परमेश्वर के सारे वचन बाइबल में हैं। उसके बाहर परमेश्वर के कोई वचन नहीं हो सकते। भले ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में अधिकार हो, मैं फिर भी उस पर विश्वास नहीं करूँगा!” उसकी यह बात सुनकर मैं हैरान रह गई। एक पादरी के रूप में, वह कैसे कह सकता है कि वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास नहीं करेगा, भले ही उसके वचनों में अधिकार हो? क्या वह विश्वासी नहीं है? मैंने प्रतिवाद किया, “पादरी ली, क्या तुम यह बात पूरे यकीन से कह सकते हो कि परमेश्वर के सारे वचन बाइबल में हैं? तुमने स्वयं यूहन्ना 21:25 अक्सर साझा किया है, ‘और भी बहुत से काम हैं, जो यीशु ने किए; यदि वे एक एक करके लिखे जाते, तो मैं समझता हूँ कि पुस्तकें जो लिखी जातीं वे संसार में भी न समातीं।’ प्रभु यीशु ने साढ़े तीन साल धरती पर कार्य और प्रचार किया। तुम्हें क्या लगता है, उसने हर दिन कितने वचन कहे होंगे? उसने अपने हर उपदेश में कितने वचन बोले होंगे? उन साढ़े तीन वर्षों में, प्रभु यीशु ने बहुत सारे उपदेश दिए होंगे, बहुत-सी बातें कही होंगी—वे असंख्य होंगी! चार सुसमाचारों में जो दर्ज किया गया है वह केवल एक छोटा-सा, सीमित हिस्सा है, ऊँट के मुँह में जीरे के बराबर। इसलिए यह दावा करना कि बाइबल के बाहर परमेश्वर के कोई वचन नहीं हैं, सच्चाई से मुँह फेरना है। इसके अलावा, प्रभु यीशु ने बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी : ‘मुझे तुम से और भी बहुत सी बातें कहनी हैं, परन्तु अभी तुम उन्हें सह नहीं सकते। परन्तु जब वह अर्थात् सत्य का आत्मा आएगा, तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा’ (यूहन्ना 16:12-13)। प्रकाशितवाक्य की पुस्तक में भी भविष्यवाणी की गई है कि प्रभु अंत के दिनों में लौटकर पुस्तक खोलेगा और कलीसियाओं से बात करेगा। ये सभी अंत के दिनों में परमेश्वर द्वारा कहे गए नए वचन होंगे और उन्हें पहले से ही बाइबल में दर्ज करने का कोई तरीका नहीं था। इसलिए अगर बाइबल के बाहर परमेश्वर का कोई कार्य या वचन मौजूद नहीं हैं, तो वे भविष्यवाणियाँ कैसे पूरी हो सकती थीं? अंत के दिनों में, सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने वे सभी सत्य व्यक्त किए हैं जो मानवजाति को शुद्ध कर बचाते हैं और यही वह पुस्तक है जिसकी भविष्यवाणी प्रकाशितवाक्य में की गई थी कि पुस्तक मेमने द्वारा खोला जाएगा। ‘जिसके कान हों वह सुन ले कि आत्मा कलीसियाओं से क्या कहता है’ (प्रकाशितवाक्य 2:7)। में इसी बात का हवाला दिया गया है। हमें खुले दिल से खोज करनी चाहिए। प्रभु की वापसी का स्वागत करने का यही एकमात्र तरीका है।” जब मैंने अपनी बात खत्म कर ली, तो पादरी ली ने तिरस्कारपूर्वक कहा, “इस विषय पर तुम्हें काफी ज्ञान है, लगता है तुमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के काफी वचन पढ़े हैं! लेकिन हम अपनी आस्था में बाइबल से नहीं भटक सकते। अगर तुम भटकती हो, तो अपने आपको प्रभु का विश्वासी कैसे कह सकती हो? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन कितने भी अद्भुत हों, भले ही वे सत्य हों, लेकिन मैं बाइबल से बाहर की किसी भी बात को न कभी मानूँगा और न ही स्वीकार करूँगा। मैं तुमसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपना विश्वास त्यागने का आग्रह करता हूँ। वरना, कलीसिया में सेवा करने की तुम्हारी अनुमति रद्द कर दी जाएगी और तुम्हें इसके लिए पछताना पड़ेगा!” मैंने कहा, “पादरी ली, क्या हम विश्वासी, इस बात की प्रतीक्षा नहीं कर रहे कि प्रभु आए और हमें ले जाए? अब जबकि प्रभु लौट आया है और उसने इतने सारे सत्य व्यक्त किए हैं, तो क्या हमें इस पर अच्छी तरह से गौर नहीं करना चाहिए? अगर हम खुले दिमाग से खोज करने के बजाय केवल अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहकर, प्रभु की वापसी का स्वागत करने का मौका चूक जाएँगे, तो हमें पछतावे का अवसर भी नहीं मिलेगा!” मुझे हैरानी हुई जब वह गुस्से में बोला, “बस! मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास नहीं करूँगा। मैं तुम्हें इस पर विचार करने के लिए थोड़ा और समय देता हूँ, अगर फिर भी तुमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपना विश्वास बनाए रखा, तो मैं तुम्हें कलीसिया से निकाल दूंगा।” यह कहकर वह चला गया और पलटकर भी नहीं देखा। पादरी का ऐसा व्यवहार देखकर मैं चौंक गई। वह हमेशा कहा करता था कि जो खुले दिमाग से सत्य खोजते हैं, उन्हें ही प्रभु स्वीकारेगा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि प्रभु के आगमन जैसी महत्वपूर्ण बात के सामने, वह न केवल कोई खोज नहीं करेगा, बल्कि हमें इसकी जाँच-पड़ताल करने से भी रोकेगा और कलीसिया से निकाल देने की धमकी देगा। क्या यह कथनी और करनी में अंतर नहीं है, पाखंडी होना नहीं है? वह प्रभु के प्रकटन के लिए तरसने वाला व्यक्ति नहीं है!
मैं रविवार को कलीसिया गई, तो पादरी होंग ने कहा, “मैंने सुना है कि तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की जाँच कर रही हो? वे लोग बाइबल से बाहर की बातों का प्रचार करते हैं, जबकि हमारा विश्वास बाइबल पर आधारित है। बाइबल से विमुख होना प्रभु को धोखा देना है। तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपने विश्वास को त्याग देना चाहिए!” मैंने उससे पूछा, “जब प्रभु यीशु कार्य करने आया, तो क्या उसने पुराने नियम का अनुसरण किया था? उसने पश्चात्ताप के मार्ग का प्रचार किया, बीमारों को चंगा किया और दुष्टात्माओं को निकाला। वह मानवजाति की पापबलि के रूप में सूली पर चढ़ गया। प्रभु यीशु की कही ये सारी बातें पूरी तरह से बाइबल से परे थीं और पुराने नियम में नहीं थीं। क्या तुम प्रभु यीशु को सच्चा परमेश्वर नहीं मानोगे, क्या उसका कार्य सच्चा मार्ग नहीं है? क्या तुम प्रभु यीशु में विश्वास रखने को यहोवा परमेश्वर को धोखा देना कहोगे? क्या तुम यह दावा कर सकते हो कि परमेश्वर का कार्य और वचन बाइबल से बाहर नहीं हो सकते? क्या यह परमेश्वर का परिसीमन और विरोध करने के लिए बाइबल का दुरुपयोग करना नहीं है?” उसने गुस्से में मेरी बात काटकर कहा : “बस! अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने पर जोर दोगी, तो तुम्हें पछताना पड़ेगा।” ऐसा कहकर वह उपेक्षापूर्वक खिसियाता हुआ चला गया। उसके चेहरे के हाव-भाव देखकर मैं थोड़ी डर गई—मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उसका अगला कदम क्या होगा। मुझे हैरानी हुई, जब सेवा शुरू होने पर पादरी होंग ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा करने वाले कुछ वीडियो डाले—इन आधारहीन वीडियो की मनगढ़ंत बातों से मुझे गुस्सा आ गया। पादरी और एल्डर कई वर्षों से प्रभु की सेवा कर रहे थे और लगता था कि वे बहुत निष्ठावान हैं, लेकिन मैंने कभी सोचा नहीं था कि उनमें परमेश्वर का भय वाला एकदम बुनियादी हृदय भी नहीं होगा। यह कैसा विश्वासी होना है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने इतने सारे सत्य व्यक्त किए हैं जो सभी सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन उपलब्ध हैं, ताकि लोग उनकी खोज और जाँच-पड़ताल कर सकें। तुम उन्हें स्वीकार करो या न करो, लेकिन तुम्हें उनका अपमान कर झूठे दावे नहीं करने चाहिए और खास तौर पर दूसरों को सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल करने से नहीं रोकना चाहिए। पादरियों का व्यवहार उन फरीसियों से कैसे भिन्न हुआ, जो उस जमाने में प्रभु यीशु का विरोध करते थे? वीडियो के बाद, पादरी होंग ने मंच से उठकर बाइबल से पौलुस के शब्दों का एक अंश पढ़ा : “मुझे आश्चर्य होता है कि जिसने तुम्हें मसीह के अनुग्रह में बुलाया उससे तुम इतनी जल्दी फिर कर और ही प्रकार के सुसमाचार की ओर झुकने लगे। परन्तु वह दूसरा सुसमाचार है ही नहीं : पर बात यह है कि कितने ऐसे हैं जो तुम्हें घबरा देते, और मसीह के सुसमाचार को बिगाड़ना चाहते हैं। परन्तु यदि हम, या स्वर्ग से कोई दूत भी उस सुसमाचार को छोड़ जो हम ने तुम को सुनाया है, कोई और सुसमाचार तुम्हें सुनाए, तो शापित हो” (गलातियों 1:6-8)। फिर बोला, “हम पहले से ही प्रभु यीशु में विश्वास रखते हैं, हमें प्रभु के नाम और उसके मार्ग पर निष्ठापूर्वक कायम रहना चाहिए। हम कोई भी प्रचारित बकवास नहीं सुन सकते, इसके अलावा, हम अन्य कोई सुसमाचार स्वीकार नहीं कर सकते। फिलहाल, हम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को इस बात की गवाही देते हुए नहीं सुन सकते कि प्रभु यीशु पहले ही लौट आया है। यह अपनी आस्था से भटकना और उसके खिलाफ जाना होगा। अगर कोई भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर को स्वीकार करता हुआ पाया गया, तो उसे तुरंत कलीसिया से बाहर निकाल दिया जाएगा! अगर कोई तुमसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सुसमाचार साझा करता है, तो मुझे तुरंत सूचित करो, वरना इसे प्रभु को धोखा देना माना जाएगा!” यह कहकर, उसने मुझे घूरकर देखा। उसे खुश देखकर, मुझे मंदिर के फरीसी याद आ गए, जो विश्वासियों को गुमराह कर उन्हें प्रभु यीशु को नकारने के लिए उकसाते थे। पादरी होंग की बात सुनकर, सबको डरा हुआ देख, मुझे बहुत गुस्सा आया, उससे वहाँ के सभी लोग डरे हुए लग रहे थे। पादरी होंग को बाइबल का अच्छा ज्ञान था—क्या उसे यह नहीं पता कि ऐसा कहने के पीछे पौलुस की क्या वजह थी? दरअसल पौलुस का कहना था कि अनुग्रह के युग के लिए केवल एक ही सुसमाचार है जो कि प्रभु यीशु के छुटकारे के कार्य का सुसमाचार था। अनुग्रह के युग में किसी अन्य सुसमाचार को सुनना प्रभु के साथ विश्वासघात होता। लेकिन जब पौलुस ने यह कहा, तो परमेश्वर ने अंत के दिनों में अपना कार्य अभी तक किया नहीं था और कोई भी राज्य का सुसमाचार साझा नहीं कर रहा था। इसलिए यहाँ “अन्य सुसमाचार” कहने का मतलब अंत के दिनों में प्रभु की वापसी का सुसमाचार बिल्कुल नहीं रहा होगा। पौलुस ने कभी नहीं कहा कि प्रभु के लौटने पर राज्य के सुसमाचार का प्रचार करना गलत है, इसके अलावा, उसने कभी नहीं कहा कि प्रभु यीशु की वापसी के सुसमाचार को स्वीकार करना प्रभु के साथ विश्वासघात है। पादरी होंग मनमाने ढंग से उस बात को लागू कर रहा था जो पौलुस ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य के बारे में कही थी। क्या यह अंश को संदर्भ से अलग ले जाकर लोगों को भटकाने के लिए बाइबल की गलत व्याख्या करना नहीं है? सेवा के बाद, पादरी होंग ने मुझे एक बार फिर चेतावनी दी कि मैं सर्वशक्तिमान परमेश्वर का सुसमाचार किसी भी भाई-बहन के साथ साझा न करूँ। मैंने सोचा, “भाई-बहन सभी परमेश्वर के झुंड के हैं और परमेश्वर की भेड़ें उसकी वाणी सुनती हैं। पादरी होंग कह रहा है कि मैं उनके साथ सुसमाचार साझा न करूँ, वह उन्हें परमेश्वर की वाणी सुनने और परमेश्वर की ओर मुड़ने से रोकने के लिए अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रहा है। क्या यह उनके स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के मार्ग को अवरुद्ध करना नहीं है?” इस चीज ने मुझे उस बात पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया जो प्रभु यीशु ने फरीसियों की निंदा करते हुए कही थी : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो” (मत्ती 23:13)। “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम एक जन को अपने मत में लाने के लिये सारे जल और थल में फिरते हो, और जब वह मत में आ जाता है तो उसे अपने से दूना नारकीय बना देते हो” (मत्ती 23:15)। प्रभु की वापसी की गवाही सुनकर, याजक-वर्ग ने न केवल स्वयं खोज नहीं की, बल्कि उन्होंने परमेश्वर की भेड़ों को उसकी वाणी सुनने और प्रभु का स्वागत करने से भी रोका। वे पूरी तरह से फरीसी जैसे ही थे—वे सभी दुष्ट सेवक थे जो दूसरों को स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने से रोकते थे। पादरी मुझे विवश नहीं कर सकते थे, मुझे भाई-बहनों के साथ सुसमाचार साझा करने के किसी भी अवसर का लाभ उठाकर उन्हें पादरियों द्वारा और अधिक गुमराह होने से बचाना था और प्रभु की वापसी का स्वागत करने का अवसर नहीं गँवाने देना था।
उसके कुछ समय बाद ही, पादरी ली ने अचानक मुझे कलीसिया आने को कहा। जब मैं पहुँची, तो उसके अलावा वहाँ पाँच लोग और थे जिनमें उपयाजक और व्यवस्थापक शामिल थे। पादरी ली ने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा, “तो तुमने क्या सोचा?” मैंने गंभीरता से कहा, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने बहुत से सत्य व्यक्त किए हैं और वह अंत के दिनों में न्याय का कार्य कर रहा है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़कर मुझे यकीन हो चुका है कि वह लौटकर आया प्रभु यीशु है। पाप की बेड़ियों को काटने और शुद्ध होने का एकमात्र तरीका अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय कार्य को स्वीकार करना है। तभी हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने योग्य होंगे। मैं हमेशा सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखूँगी, चाहे कुछ हो जाए।” मेरी बात खत्म भी नहीं हुई थी कि एक उपयाजक खड़ा हुआ और गुस्से से मेरी ओर इशारा करते हुए बोला, “चूँकि अब तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की विश्वासी हो गई हो, तो कल से तुम्हें संडे स्कूल में पढ़ाने और कलीसिया का वित्त प्रभार संभालने की भी अनुमति नहीं होगी!” पादरी ली ने उपयाजक को हाथ से इशारा किया और फिर मुझसे कहा, “प्रभु यीशु में आस्था के कारण हमारे पाप पहले ही क्षमा कर दिए गए हैं। अब प्रभु यीशु को मानवजाति का न्याय करने और उसे शुद्ध करने का कार्य करने की कोई आवश्यकता नहीं है। वह वापस आकर सीधे हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाएगा।” मैंने कहा, “यह सच है कि प्रभु यीशु ने सूली पर चढ़कर हमारे पाप क्षमा कर दिए थे, लेकिन क्या पाप क्षमा कर दिए जाने का यह मतलब है कि हम अब पाप नहीं करते और शुद्ध हो गए हैं? पाप क्षमा किए जाने का अर्थ है प्रभु यीशु द्वारा छुटकारा प्राप्त करना ताकि व्यवस्था के तहत हम तिरस्कृत न किए जाएँ। इसका अर्थ यह नहीं है कि हम अब पाप नहीं करते या हम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने योग्य हो गए हैं। हम प्रभु में और पापों को क्षमा किए जाने में विश्वास रखते हैं, लेकिन हमारी पापी प्रकृति खत्म नहीं हुई है—यानी हम अब भी लगातार पाप करते हैं, उसे स्वीकार करते हैं और फिर पाप करते हैं, हम अपना अहंकारी और धोखेबाज शैतानी स्वभाव प्रकट करते हैं, प्रसिद्धि और धन के लिए लड़ते हैं, सत्ता के लिए होड़ करते हैं और परमेश्वर का विरोध और उससे विद्रोह करते हैं। हम पाप के बंधन से निकल नहीं पाते। बाइबल कहती है : ‘पवित्रता के बिना कोई प्रभु को कदापि न देखेगा’ (इब्रानियों 12:14)। प्रभु पवित्र है और हम मलिनता से भरे हुए हैं, ऐसे में हम प्रभु के दर्शन करने और स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने योग्य कैसे हो सकते हैं? यही कारण है कि प्रभु यीशु ने हमसे वादा किया था कि वह अंत के दिनों में सत्य व्यक्त करने, मानवजाति का न्याय और उसे शुद्ध करने की खातिर एक और चरण का कार्य करने के लिए लौटकर आएगा। हम तब तक परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने योग्य नहीं होंगे जब तक कि हम अंत के दिनों में परमेश्वर का न्याय स्वीकार कर अपनी भ्रष्टता दूर नहीं कर लेते।” पादरी ली ने तिरस्कारपूर्वक कहा, “हम उस प्रभु यीशु की प्रतीक्षा कर रहे हैं जिसके हाथों पर कीलों के निशान होंगे और जो हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने के लिए बादल पर आएगा। भले ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर की हर बात सत्य हो, फिर भी मैं उसे स्वीकार नहीं करूँगा!” उपयाजकों ने भी कहा, “हाँ, हम प्रभु यीशु के बादल पर उतरने और हमें स्वर्ग के राज्य में ले जाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।” तब उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर की निंदा और तिरस्कार करने वाली कुछ बातें कहीं। उनका कठोर और अड़ियल रुख देखकर मुझे गुस्सा आ रहा था। मैंने कहा, “तुम लोग कलीसिया अगुआ हो, लेकिन प्रभु के लौट आने की गवाही सुनकर, खुले दिमाग से उसकी खोज और जाँच-पड़ताल करने के बजाय, भ्रम फैला रहे हो, सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य का विरोध और निंदा कर रहे हो। तुम लोग पूरी कोशिश कर रहे हो कि हम सच्चे मार्ग की जाँच-पड़ताल न करें और उसे स्वीकार न करें। तुम लोगों ने कभी अपने इस व्यवहार की प्रकृति के बारे में सोचा है कि इसके क्या परिणाम होंगे? फरीसी अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहे, उन्होंने प्रभु यीशु का बुरी तरह विरोध किया और उसकी निंदा की। उसे सूली पर चढ़ाकर परमेश्वर के स्वभाव को ठेस पहुँचाई और अंततः परमेश्वर द्वारा शापित और दंडित किए गए। क्या फरीसियों की असफलता का यह सबक वाकई तुम्हारे लिए एक चेतावनी नहीं है? कोई भी निर्णय लेने से पहले तुम लोगों को कम से कम सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सुनने चाहिए!” फिर मैंने उन्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों का एक अंश पढ़कर सुनाया : “जो लोग मसीह द्वारा बोले गए सत्य पर भरोसा किए बिना जीवन प्राप्त करना चाहते हैं, वे पृथ्वी पर सबसे बेतुके लोग हैं, और जो मसीह द्वारा लाए गए जीवन के मार्ग को स्वीकार नहीं करते, वे कोरी कल्पना में खोए हैं। और इसलिए मैं कहता हूँ कि जो लोग अंत के दिनों के मसीह को स्वीकार नहीं करते, उनसे परमेश्वर हमेशा घृणा करेगा। मसीह अंत के दिनों के दौरान राज्य में जाने के लिए मनुष्य का प्रवेशद्वार है, और ऐसा कोई नहीं जो उससे कन्नी काटकर जा सके। मसीह के माध्यम के अलावा किसी को भी परमेश्वर द्वारा पूर्ण नहीं बनाया जा सकता। तुम परमेश्वर में विश्वास करते हो, इसलिए तुम्हें उसके वचनों को स्वीकार करना और उसके मार्ग को समर्पित होना चाहिए। सत्य को स्वीकार करने या जीवन का पोषण स्वीकार करने में असमर्थ रहते हुए भी तुम केवल आशीष प्राप्त करने की नहीं सोच सकते। मसीह अंत के दिनों में इसलिए आया है, ताकि उन सबको जीवन प्रदान कर सके, जो उसमें सच्चा विश्वास रखते हैं। उसका कार्य पुराने युग को समाप्त करने और नए युग में प्रवेश करने के लिए है, और उसका कार्य वह मार्ग है, जिसे नए युग में प्रवेश करने वाले सभी लोगों को अपनाना चाहिए। यदि तुम उसे स्वीकारने में असमर्थ हो, और इसके बजाय उसकी भर्त्सना, निंदा, यहाँ तक कि उसका उत्पीड़न करते हो, तो तुम्हें अनंतकाल तक जलाया जाना तय है और तुम परमेश्वर के राज्य में कभी प्रवेश नहीं करोगे। क्योंकि यह मसीह स्वयं पवित्र आत्मा की अभिव्यक्ति है, परमेश्वर की अभिव्यक्ति है, वह जिसे परमेश्वर ने पृथ्वी पर करने के लिए अपना कार्य सौंपा है। और इसलिए मैं कहता हूँ कि यदि तुम वह सब स्वीकार नहीं करते, जो अंत के दिनों के मसीह द्वारा किया जाता है, तो तुम पवित्र आत्मा की निंदा करते हो। पवित्र आत्मा की निंदा करने वालों को जो प्रतिफल भोगना होगा, वह सभी के लिए स्वतः स्पष्ट है” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, केवल अंत के दिनों का मसीह ही मनुष्य को अनंत जीवन का मार्ग दे सकता है)। इससे पहले कि मैं पूरा पढ़ पाती, एक व्यवस्थापक खड़ा होकर चिल्लाया, उसका चेहरा तमतमा गया, “बस, बहुत हो गया! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में चाहे जितना भी सत्य हो, मैं उसे कभी स्वीकार नहीं करूँगा!” मैंने कहा, “तुम सब बहुत ही अहंकारी हो! ये सब पवित्र आत्मा के वचन हैं, स्वयं परमेश्वर के मुख से निकले हुए वचन हैं। क्या तुम्हें अंदाजा भी है? क्या तुम वाकई परमेश्वर की वाणी पहचानने योग्य हो? क्या तुम सच में परमेश्वर की भेड़ हो?” पादरी ली ने पहले की तरह तिरस्कारपूर्वक जवाब दिया, “मैं प्रभु यीशु के अलावा किसी और में विश्वास नहीं रखता!” मैंने देखा कि वे सब एकदम गलत थे, अब उनसे कुछ और कहने का फायदा नहीं था। जैसे ही मैं जाने लगी, पादरी ली ने मुझे धमकाया : “एक महीना और सोच लो। अगर फिर भी तुमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखा, तो तुम्हें निकाल दिया जाएगा!” मैंने गुस्से में कहा, “एक महीना इंतजार करने की जरूरत नहीं है—मुझे अभी निकाल सकते हो। मुझे कलीसिया से हटाए जाने का कोई डर नहीं है। मुझे डर इस बात का है कि मैं कहीं परमेश्वर की वाणी सुनने से वंचित न रह जाऊँ, कहीं प्रभु का प्रकटन देखने से चूक न जाऊँ, प्रभु का स्वागत करने से न रह जाऊँ और अनंत काल के लिए स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की आशीषों से वंचित न रह जाऊँ। मैंने अब परमेश्वर की वाणी सुन ली है, मैं परमेश्वर के सिंहासन के सामने उठा ली गई हूँ और मेमने के विवाह-भोज में शामिल हो रही हूँ। अगर तुम मुझे निष्कासित न भी करो, तो भी मैं यहाँ फिर कभी सेवा के लिए नहीं आऊँगी!” मुझे हैरानी हुई जब पादरी ली ने रुखाई से हँसते हुए कहा, “हम तुम्हें अभी हटा नहीं सकते, वरना भाई-बहन कहेंगे कि हम तुम्हारे साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार नहीं कर रहे। एक महीना पूरा हो जाने पर, हम उन्हें बता देंगे कि तुमने प्रभु को धोखा दे दिया है और कलीसिया छोड़ने पर अड़ी हो, हम तुम्हें समझाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं, लेकिन तुम अभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखने पर जोर दे रही हो। हम कहेंगे कि हमारे पास तुम्हें कलीसिया से निकालने के अलावा अब और कोई विकल्प नहीं बचा है।” उसकी यह बात सुनकर मैं आगबबूला हो गई। कितना बड़ा पाखंडी है! आम तौर पर वह अपनी कलीसिया-क्षेत्र के लोगों की बहुत परवाह करता था, लेकिन पता चला कि यह सब दिखावा था। यह सब वह सिर्फ अपनी छवि बनाए रखने, अपने पद को मजबूती देने और अपनी एक नकली छवि बनाए रखने के लिए किया करता था। इससे मुझे प्रभु यीशु की बात याद आ गई जो उसने फरीसियों को धिक्कारते हुए कही थी : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम चूना फिरी हुई कब्रों के समान हो जो ऊपर से तो सुन्दर दिखाई देती हैं, परन्तु भीतर मुर्दों की हड्डियों और सब प्रकार की मलिनता से भरी हैं। इसी रीति से तुम भी ऊपर से मनुष्यों को धर्मी दिखाई देते हो, परन्तु भीतर कपट और अधर्म से भरे हुए हो” (मत्ती 23:27-28)। मुझे ख्याल आया कि कैसे भाई-बहन वर्षों से विश्वासी बनकर प्रभु की वापसी का स्वागत करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं, लेकिन पादरी उन्हें गुमराह करके धोखा दे रहे हैं। वे लोग उनकी अफवाहों और शैतानी शब्दों पर विश्वास करके प्रभु की वापसी का स्वागत करने के अवसर से चूक रहे हैं। ये वाकई दुखद है। किसी ने कभी सोचा नहीं होगा कि याजक-वर्ग के सदस्य जो लगातार हमें झूठे मसीहों और मसीह-विरोधियों से सावधान रहने के लिए कहते रहे हैं, असल में वही मसीह-विरोधी निकलेंगे और लोगों को गुमराह करेंगे। वे खुद ही चोर हैं और “चोर! चोर!” चिल्ला रहे हैं—कितनी घृणित बात है! यह सोचकर मैं बिना उनसे कोई बात किए, वहाँ से निकल गई। पादरी ली ने जाते-जाते भी मुझे चेतावनी दी, “अगर तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास रखना चाहती हो, तो तुम्हारी मर्जी, लेकिन मैं तुम्हें दूसरे भाई-बहनों के साथ इस सुसमाचार को साझा नहीं करने दूंगा।”
अब जब भी मेरी उन भाई-बहनों से मुलाकात होती, जिनके साथ मैं पहले सेवा कर चुकी थी, वे मेरे प्रति रुखाई से पेश आते और कुछ तो मुझसे बचने की कोशिश भी करते। यह मेरे लिए परेशान करने वाली बात थी, लेकिन मैं समझ गई थी कि इसकी वजह पादरियों द्वारा उन्हें गुमराह करना, उकसाना और उत्तेजित करना था। मुझे परमेश्वर के वचनों का एक अंश याद आया जो मैंने पहले एक सभा में पढ़ा था : “ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते और याद करके सुनाते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर के इरादों के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें परेशान करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे ‘मज़बूत देह’ वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को समर्पित हुए बैठे हैं?” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। इसने मुझे पादरियों और एल्डरों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया। वे बाइबल से परिचित हैं, सतही तौर पर समर्पित और प्रेममय दिखाई देते हैं, ऐसा लगता है जैसे वे सतर्क रहकर प्रभु के आने की कामना कर रहे हैं। लेकिन जब वे किसी को गवाही देते हुए सुनते हैं कि प्रभु लौट आया है, तो वे न केवल खोज और जाँच-पड़ताल करने से इनकार कर देते हैं, बल्कि हठपूर्वक अपनी धार्मिक धारणाओं पर कायम रहते हैं और बाइबल की गलत व्याख्या करते हैं। वे अच्छी तरह जानते हैं कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने सभी प्रकार के सत्य व्यक्त किए हैं, लेकिन फिर भी वे उसे स्वीकार नहीं करते, बल्कि जानबूझकर उसका विरोध और निंदा करते हैं, यहां तक कि हर तरह का पाखंड और भ्रांतियाँ भी फैलाते हैं। वे यह कहकर बाइबल का उत्कर्ष करने और गवाही देने का हर संभव प्रयास करते हैं कि परमेश्वर के सभी कार्य और वचन इसमें समाहित हैं, इसके अलावा जो कुछ भी है, वह पाखंड और प्रभु के साथ विश्वासघात है और इस तरह आँख मूँदकर लोगों से बाइबल की ही पूजा-अर्चना करवाते हैं। यह विश्वासियों को दृढ़ता से अपने नियंत्रण में रखने के लिए बाइबल का उपयोग करने का प्रयास है। एक ओर तो वे मुखर होकर विश्वासियों के जीवन के लिए जिम्मेदार होने की बात कहते हैं, जबकि दूसरी ओर वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की खोज और जाँच-पड़ताल करने के उनके रास्ते में हर तरह से रोड़ा बनकर खड़े हो जाते हैं। यहां तक कि वे हमें डरा-धमका कर सेवा करने से रोकने और कलीसिया से निकाले जाने को घिनौने हथकंडे के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि हम पर सच्चे मार्ग को छोड़ने के लिए दबाव डाला जा सके। बल्कि वे तो लोगों को पवित्र आत्मा के कार्य के बिना धार्मिक बंजर भूमि में फंसे हुए देखना चाहते हैं ताकि विश्वासी उन्हें भेंट दें, उनके लिए आजीविका प्रदान करें और प्रभु की वापसी का स्वागत करने का विश्वासियों का अवसर हाथ से निकल जाए। वे लोगों को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़ने, परमेश्वर की वाणी सुनने या परमेश्वर की ओर मुड़ने की अनुमति नहीं देते। यह बेहद दुर्भावनापूर्ण है! वे ऐसे दुष्ट सेवक, मसीह-विरोधी और आधुनिक फरीसी हैं जिन्हें परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य ने उजागर कर दिया है। वे ऐसी दुष्टात्माएँ हैं जो स्वर्ग के राज्य में लोगों के प्रवेश के रास्ते में खड़ी हैं। उनके पाखंड का असली चेहरा देखकर मैंने एक संकल्प किया : चाहे वे मेरा कितना भी रास्ता रोकें या मुझे कितना भी बाधित करें, मैं कभी भी उनके हाथों विवश नहीं होऊंगी, मैं निरंतर परमेश्वर से प्रार्थना कर उस पर भरोसा करती रहूँगी और जो भाई-बहन सच में प्रभु में विश्वास रखते हैं, उनके साथ सुसमाचार साझा करने का अवसर तलाशती रहूँगी। इस तरह परमेश्वर की भेड़ें शीघ्र ही उसकी वाणी सुन सकती हैं, धार्मिक दुनिया के मसीह-विरोधियों के गुमराह करने और नियंत्रण से मुक्त होकर मेमने के नक्शेकदम पर चल सकती हैं।
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?