अपने हृदय का द्वार खोलना और प्रभु की वापसी का स्वागत करना
1982 के नवंबर में, हमारा पूरा परिवार संयुक्त राज्य अमेरिका जाकर बस गया। मेरे दादा की पीढ़ी से ही हम सभी को परमेश्वर पर भरोसा रहा था, इसलिए हमने अमेरिका पहुँचने के तुरंत बाद न्यूयॉर्क के चाइनाटाउन में एक चीनी कलीसिया खोज ली, ताकि हम ख्रीस्तयाग में भाग ले सकें। हम कभी एक भी ख्रीस्तयाग नहीं चूकते थे, और मेरी माँ और बहन परमेश्वर का आशीर्वाद और सुरक्षा पाने के लिए, जब भी उनके पास समय होता था, धर्मशास्त्र पढने में विशेष रूप से उत्साही थीं। पादरी अक्सर कहते थे: "जब प्रभु आएगा, तो वह लोगों का सार्वजनिक रूप से न्याय करेगा और उन्हें श्रेणियों में विभाजित करेगा: जो लोग वास्तव में पश्चाताप एवं कबूल करते हैं और जो विश्वास करते हैं, वे स्वर्ग में जा सकेंगे; जो लोग मामूली पाप करते हैं, लेकिन गंभीर पाप नहीं, वे पाप-शोधन की पीड़ा को झेलेंगे, लेकिन फिर भी वे बचाए जाने और स्वर्ग में चढ़ने के योग्य होंगे; जो लोग परमेश्वर में विश्वास नहीं करते हैं या ऐसे पाप करते हैं जो बहुत गंभीर हों, वे नरक की सजा भुगतेंगे।" इन शब्दों ने मेरे दिल पर एक गहरी छाप छोड़ी, जैसे कि उन्हें वहाँ दाग दिया गया हो। उन्होंने मुझे उत्साहपूर्वक परमेश्वर में विश्वास करने के लिए प्रेरित किया, और चाहे मैं कितनी भी व्यस्त क्यों न रहूँ, मैं कभी भी ख्रीस्तयाग में भाग लेने से नहीं चूकती थी।
देखते-देखते, 2014 का साल आ गया। एक दिन अचानक, एक पल्लीवासी ने मुझसे कहा, "तुम्हारी बहन अब सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करती है...।" और इसके अलावा, उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की बदनामी और निंदा करते हुए कई बातें कहीं। इस अप्रत्याशित समाचार को सुनकर मुझे बहुत परेशानी हुई, और मैं बहुत चिंतित हुई कि मेरी बहन भटक गई है। मेरी बहन द्वारा अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने की ख़बर तेजी से पूरी कलीसिया में फैल गई। पादरी ने मुझे उससे दूरी बनाए रखने के लिए कहा, और कलीसिया के कई अन्य सदस्यों ने मेरे मुँह पर सर्वशक्तिमान परमेश्वर की बदनामी और निंदा करने वाली कई बातें कहीं। पादरी और अन्य पल्लीवासियों द्वारा इस तरह कई बार मेरी 'मदद' करने के बाद, मैंने उनकी बातों पर विश्वास करना शुरू कर दिया और मैंने तय किया कि मेरी बहन भटक गई थी। मैंने पादरी और अन्य पल्लीवासियों से कहा कि मैं अब अपनी बहन की बात नहीं सुनूँगी, और अगर मुझे अवसर मिला, तो मैं उसे हमारे संघ में वापस लाने की कोशिश करूँगी ताकि वह प्रभु के सामने पश्चाताप कर सके। घर पहुँचने के बाद मैंने अपने भाइयों को बुलाया, और उन्होंने मेरा साथ दिया। हम सभी ने मिलकर अपनी बहन को मनाने की कोशिश की, लेकिन न केवल वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अपने विश्वास पर दृढ़ थी, बल्कि उसने हमें इस बात की गवाही भी दी कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु है। उसने हमें अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने के लिए मनाने की कोशिश की, ताकि हम परमेश्वर के उद्धार को हासिल करने का अपना मौका चूक न जाएँ। लेकिन मेरा दिल पहले ही उन नकारात्मक विचारों से भर गया था, जो मुझे पादरी और अन्य पल्लीवासियों से मिले थे। चाहे मेरी बहन मेरे साथ जैसे भी सहभागिता करे या गवाही दे, मैंने बस सुना ही नहीं।
बाद में, मेरी माँ ने और मैंने मेरी बहन के साथ सर्वशक्तिमान परमेश्वर में उसके विश्वास को लेकर कई बार बहस की, लेकिन चाहे वह जो भी कहे, मैं पादरी और इंटरनेट पर पढ़ी अफ़वाहों पर विश्वास करती रही, मैंने कभी भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य के बारे में जानने या जांच करने की हिम्मत नहीं की। हमारी बहस का कभी कोई निराकरण नहीं हुआ, लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरी माँ धीरे-धीरे मेरी बहन की सहभागिता और गवाही से सहमत होने लगी थी। उसने वास्तव में मेरी बहन के साथ एक "संयुक्त मोर्चा" बना लिया और अंततः उसने अंतिम दिनों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लिया। यह देखकर मुझे चिंता होने लगी। अगर बात सचमुच वैसी ही थी जैसा कि पादरी और अन्य पल्लीवासियों ने दावा किया था, तब अगर मेरे परिवार के साथ कुछ हो जाए तो क्या होगा? हताश होकर, मैं बहन कियान्हे को खोजने गई, जिसके मेरी बहन के साथ और मेरे साथ भी अच्छे सम्बन्ध थे, और मैंने उसे मेरी माँ और मेरी बहन को मनाने और समझाने की कोशिश करने के लिए राजी किया। लेकिन न केवल वह उन्हें मनाने में विफल रही, बल्कि वह खुद भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने लगी। यह मेरे लिए बहुत हैरान करने वाली बात थी: यह बहन बहुत सच्ची और उत्साही साधक थी, इसलिए यह कैसे संभव था कि वह उन्हें तो मना न सकी, बल्कि वास्तव में खुद ही सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करने लगी थी? क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन में वास्तव में इतनी शक्ति होती है? क्या यह संभव है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन वास्तव में मानव जीवन को अवलम्ब प्रदान कर सकते हैं? हालाँकि, जैसे ही मैंने पादरी और अन्य पल्लीवासियों के सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर आक्षेप करने वाले शब्दों के बारे में, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया का विरोध और निंदा करने वाली जिन बातों को मैंने ऑनलाइन देखा था, उनके बारे में सोचा, तो मैंने एक बार फिर अपने दिल में डर महसूस किया और मैं उनके संपर्क में दुबारा नहीं आई। उसके बाद, मैं शायद ही कभी अपनी माँ को देखने गई। मैं कभी-कभार बस भेंट करने के लिए वहाँ जाती थी और फिर जल्दी से निकल जाती थी, और मैं अपनी माँ और बहन की सहभागिता सुनने से इंकार कर देती थी। मेरी माँ और बहन के साथ यह "शीत युद्ध" डेढ़ साल तक चलता रहा।
2016 के मार्च महीने में एक दिन, मैंने सुना कि कलीसिया के कुछ प्रमुख सदस्य भी मेरी बहन को मनाने के लिए गए थे, इसलिए मैंने जाकर यह देखना चाहा कि उसके हृदय में कोई परिवर्तन हुआ है या नहीं। जब मैं उससे मिली, तो मैंने उससे पूछा कि उसका क्या विचार था। उसने मुझसे कहा, "मैंने मेमने के कदमों के साथ कदम मिला लिए हैं और इस बात की पुष्टि कर ली है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का मार्ग सच्चा मार्ग है। सर्वशक्तिमान परमेश्वर लौटा हुआ प्रभु है और मैं बिल्कुल उससे दूर नहीं हटूँगी।" मेरी बहन की स्थिर दृष्टि और स्पष्ट और दृढ़ उत्तर ने मेरे दिल को कुछ हद तक हिला दिया, और मेरी जिज्ञासा को जगा दिया। मैंने सोचा: हमारे परिवार के सभी विश्वासियों में से, मेरी बहन सबसे अधिक उत्कट साधक थी, और कलीसिया में बहन कियान्हे भी एक साधक थीं और उनके पास विवेक था। मेरी माँ को भी, प्रभु पर हमेशा दृढ़ विश्वास था। अब, वे सभी सर्वशक्तिमान परमेश्वर में विश्वास करते हैं, और उसका अनुसरण करने के बाद उनका विश्वास और भी बढ़ गया है। वे अधिक से अधिक अंतर्दृष्टि के साथ बोलते हैं और कोई भी उन्हें न तो हिला सकता था और न ही उनकी बात का खंडन कर सकता था। वह कौन-सी शक्ति थी जिससे वे इतने सारे लोगों के विरोध के सामने इतना अधिक विश्वास बनाए रख सकते थे? क्या अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य वास्तव में सही मार्ग हो सकता है? क्या सर्वशक्तिमान परमेश्वर वास्तव में प्रभु का दूसरा आगमन हो सकता है? मेरी बहन, बहन कियान्हे, और मेरी माँ को सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार किए लगभग दो साल हो चुके थे, लेकिन जब मैंने देखा कि उनके लिए सब कुछ ठीक चल रहा था, तो मैं देख पाई कि पादरी की, और मैंने जो कुछ ऑनलाइन पढ़ा था उसकी, चौंकाने, डराने वाली रणनीति उनके मामले में सही साबित नहीं हुई थी...। यह समझ कर, मेरा दिल थोड़ा नर्म हुआ और मैंने भी सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और कार्य की जांच करना चाहा। मैंने अपनी बहन के साथ अपने विचार साझा किए। वह बहुत प्रसन्नता से सहमत हो गई और मुझे अपनी माँ के घर पर आमंत्रित किया, ताकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की एक बहन मेरे साथ सहभागिता कर सके और अंतिम दिनों में सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की गवाही दे सके।
उस सप्ताहांत में मैं अपनी माँ के घर की ओर निकल पड़ी। मेरी बहन, बहन कियान्हे, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की एक बहन झांग शिआओ वहाँ मौजूद थीं। बहन कियान्हे विशेष रूप से खुश थी जब उसने सुना कि मैं जानना और जांच करना चाहती हूँ। उसने मेरे साथ सहभागिता की: "परमेश्वर के अंतिम दिनों में आने का मुख्य कारण हम लोगों को पाप के बंधन से बचाने के लिए वचन को व्यक्त करना और लोगों का न्याय और शुद्धिकरण का कार्य करना है। वर्तमान में, अनुग्रह के युग में रहने वाले लोग पाप करने और फिर पाप को कबूल करने के चक्र में जी रहे हैं। भले ही हम ख्रीस्तयाग में जाने और धर्मशास्त्रों को पढ़ने, और साथ ही पादरी के सामने कबूल करने में डटे रहें, फिर भी हम झूठ बोलते और छल करते रहते हैं, और अहंकार, लालच और स्वार्थ वाले हमारे भ्रष्ट स्वभावों के भीतर जीते रहते हैं। न चाहते हुए भी, हम पाप करते हैं और परमेश्वर का विरोध करते हैं, और कोई भी ऐसा नहीं है जो इस पापी प्रकृति के बंधन से मुक्त हो सके, और न ही कोई स्वीकारोक्ति और पश्चाताप पर भरोसा कर शुद्धता और पवित्रता प्राप्त करने में सक्षम है। इसलिए हमें अभी भी लोगों के न्याय और उनकी ताड़ना के उस कार्य को स्वीकार करने की आवश्यकता है जिसे परमेश्वर अंतिम दिनों में करने आया है। केवल ऐसा करके ही हम पाप के बंधन से पूरी तरह से मुक्त हो सकते हैं, शुद्ध और परिवर्तित हो सकते हैं, और परमेश्वर का उद्धार पा सकते हैं।" यह सुनकर, मैंने भ्रम में आकर पूछा: "पादरी अक्सर कहते हैं: 'यदि लोग मामूली पाप करते हैं, तो जब प्रभु लोगों का खुलेआम न्याय करने के लिए लौटेगा, तो एक बार जब वे अपने पाप-शोधन की पीड़ा को पूरा कर लेंगे तो वे स्वर्ग में चढ़ सकेंगे। जो लोग बड़े पाप करते हैं, वे दंडित होने के लिए सीधे नरक में जाएँगे।' आप यह कैसे कह सकती हैं कि लौटने पर परमेश्वर जो न्याय का कार्य करेगा, वह लोगों को शुद्ध करने और बचाने के लिए होगा?" बहन कियान्हे ने कहा: "मैं भी पादरी की बातों पर विश्वास किया करती थी। मेरे मन में भी तुम्हारी तरह ये ही अवधारणाएँ थीं कि प्रभु न्याय का कार्य करने के लिए किस तरह लौटेगा, लेकिन अब हम इस बारे में सोचें, तो क्या पादरी की बात वास्तव में बाइबल के साथ मेल खाती है? क्या यह परमेश्वर के वचन पर आधारित है? क्या प्रभु यीशु ने कहा था कि पाप-शोधन का कोई स्थान है? क्या उसने कहा था कि जो लोग मामूली पाप करते हैं, वे पाप-शोधन की पीड़ा को पूरा करके स्वर्ग में चढ़ सकेंगे, और केवल वे ही जो बड़े पाप करते हैं, नरक में जाएँगे? बिल्कुल नहीं! तो ये शब्द कहाँ से आए हैं? स्पष्ट रूप से वे लोगों की अवधारणाओं और कल्पनाओं से निकले हैं, और वे केवल मनुष्य की अटकलें और अनुमान हैं। वे परमेश्वर के वचनों के अनुरूप ज़रा भी नहीं हैं, और न ही वे परमेश्वर के कार्य की वास्तविकता के अनुरूप हैं। हमारे लिए इसका समर्थन करने का क्या उपयोग है?" उसकी सहभागिता को सुनकर, मैंने खामोशी में सिर हिलाया। उसने आगे कहा: "इस समय, हम सभी पाप से भरे हुए हैं, और कोई भी ऐसा नहीं है जो शुद्ध हो। पादरी ने जो कहा उसके आधार पर, जब प्रभु सार्वजनिक रूप से सभी लोगों का न्याय करने लौटेगा, तो जो लोग छोटे पाप करते हैं, वे पाप-शोधन के स्थान पर जाएँगे, जबकि बड़े पाप करने वाले नरक में जाएँगे। उस परिस्थिति में, क्या हम सभी को दोषी ठहराए जाकर नरक जाने की सजा नहीं भुगतनी होगी? क्या मानव जाति को बचाने का परमेश्वर का कार्य व्यर्थ न हो जाएगा? क्या प्रभु के आने का कोई अर्थ होगा?" बहन ने जो सहभागिता की, उसने मेरे दिल को छू लिया। यह सच है—भले ही हम परमेश्वर में विश्वास करते हों, अगर हम लगातार पाप करते और फिर उन्हें स्वीकार करते रहते हैं, तो किसी को भी शुद्ध नहीं किया जाएगा। वास्तव में, कोई भी परमेश्वर को देखने के योग्य नहीं होगा, और अगर परमेश्वर खुलेआम लोगों का न्याय करने, उनकी निंदा करने और उन्हें दंडित करने के लिए आया है, तो हर किसी को नरक में जाना होगा। कोई भी उद्धार को प्राप्त नहीं कर सकेगा...। इसके बाद ही मुझे एहसास हुआ कि ये शब्द कितने अवास्तविक हैं कि "जब प्रभु फिर से सभी लोगों का खुले तौर पर न्याय करने के लिए लौटता है, तो जो बड़े पाप करते हैं वे सीधे नरक में जाएँगे, जबकि जो लोग छोटे पाप करते हैं वे पाप-शोधन के स्थान पर जाएँगे, और वहाँ उनकी पीड़ा पूरी हो जाने के बाद, वे स्वर्ग में चढ़ेंगे।" यह मानवजाति को बचाने के लिए परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप बिल्कुल नहीं है। बहन कियान्हे ने तब कहा: "जहाँ तक अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय के कार्य की बात है, आइए, हम सभी इस बात पर एक नज़र डालें कि इसे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन में कैसे वर्णित किया गया है! सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है: 'परमेश्वर मारने, या नष्ट करने के लिए नहीं, बल्कि न्याय करने, श्राप देने, ताड़ना देने, और बचाने के लिए हो आया है। अपनी 6000-वर्षीय प्रबंधन योजना के समापन से पहले—इससे पहले कि वे मनुष्य की प्रत्येक श्रेणी का अंत स्पष्ट करें—पृथ्वी पर परमेश्वर का कार्य उद्धार के लिए है, यह सब उन लोगों को पूरी तरह से पूर्ण बनाने, और उन्हें अपने प्रभुत्व के प्रति समर्पण में लाने के उद्देश्य है जो उसे प्रेम करते हैं। इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता है कि परमेश्वर लोगों को कैसे बचाता है, यह सब उन्हें उनके पुराने शैतानी स्वभाव से अलग करके किया जाता है; अर्थात्, वह उनसे जीवन की तलाश करवाने के द्वारा उन्हें बचाता है। यदि वे जीवन की तलाश नहीं करते हैं, तो उनके पास परमेश्वर के उद्धार को स्वीकार करने का कोई रास्ता नहीं होगा' ("वचन देह में प्रकट होता है" में "तुम लोगों को हैसियत के आशीषों को अलग रखना चाहिए और मनुष्य के उद्धार के लिए परमेश्वर की इच्छा को समझना चाहिए")। 'अंत के दिनों में, मसीह मनुष्य को सिखाने के लिए विभिन्न प्रकार के सत्यों का उपयोग करता है, मनुष्य के सार को उजागर करता है, और उसके वचनों और कर्मों का विश्लेषण करता है। इन वचनों में विभिन्न सत्यों का समावेश है, जैसे कि मनुष्य का कर्तव्य, मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर का आज्ञापालन करना चाहिए, हर व्यक्ति जो परमेश्वर के कार्य को करता है, मनुष्य को किस प्रकार परमेश्वर के प्रति निष्ठावान होना चाहिए, मनुष्य को किस प्रकार सामान्य मानवता से, और साथ ही परमेश्वर की बुद्धि और उसके स्वभाव इत्यादि को जीना चाहिए। ये सभी वचन मनुष्य के सार और उसके भ्रष्ट स्वभाव पर निर्देशित हैं। खासतौर पर, वे वचन जो यह उजागर करते हैं कि मनुष्य किस प्रकार से परमेश्वर का तिरस्कार करता है इस संबंध में बोले गए हैं कि किस प्रकार से मनुष्य शैतान का मूर्त रूप और परमेश्वर के विरुद्ध दुश्मन की शक्ति है। अपने न्याय का कार्य करने में, परमेश्वर केवल कुछ वचनों के माध्यम से मनुष्य की प्रकृति को स्पष्ट नहीं करता है; बल्कि वह लम्बे समय तक इसे उजागर करता है, इससे निपटता है, और इसकी काट-छाँट करता है। उजागर करने की इन विधियों, निपटने, और काट-छाँट को साधारण वचनों से नहीं, बल्कि सत्य से प्रतिस्थापित किया जा सकता है, जिसे मनुष्य बिल्कुल भी धारण नहीं करता है। केवल इस तरीके की विधियाँ ही न्याय समझी जाती हैं; केवल इसी तरह के न्याय के माध्यम से ही मनुष्य को वश में किया जा सकता है और परमेश्वर के प्रति समर्पण में पूरी तरह से आश्वस्त किया जा सकता है, और इसके अलावा मनुष्य परमेश्वर का सच्चा ज्ञान प्राप्त कर सकता है। न्याय का कार्य जिस चीज़ को उत्पन्न करता है वह है परमेश्वर के असली चेहरे और उसकी स्वयं की विद्रोहशीलता के सत्य के बारे में मनुष्य में समझ। न्याय का कार्य मनुष्य को परमेश्वर की इच्छा की, परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य की, और उन रहस्यों की अधिक समझ प्राप्त करने देता है जो उसके लिए समझ से परे हैं। यह मनुष्य को उसके भ्रष्ट सार तथा उसकी भ्रष्टता के मूल को पहचानने और जानने, साथ ही मनुष्य की कुरूपता को खोजने देता है। ये सभी प्रभाव न्याय के कार्य के द्वारा पूरे होते हैं, क्योंकि इस कार्य का सार वास्तव में उन सभी के लिए परमेश्वर के सत्य, मार्ग और जीवन का मार्ग प्रशस्त करने का कार्य है जिनका उस पर विश्वास है। यह कार्य परमेश्वर के द्वारा किया गया न्याय का कार्य है' (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मसीह न्याय का कार्य सत्य के साथ करता है)।"
परमेश्वर के वचन को पढ़ने के बाद, बहन झांग शिआओ ने सहभागिता देते हुए कहा, "सर्वशक्तिमान परमेश्वर का वचन अंतिम दिनों में न्याय के कार्य के महत्त्व को, न्याय की सटीक प्रकृति को, और मनुष्यों में न्याय के कार्य के परिणामों को पूरी तरह से स्पष्ट कर देता है। परमेश्वर के न्याय का कार्य लोगों को मारने या दंड देने के लिए नहीं है, जैसा कि यह हमारी धारणाओं और कल्पनाओं में है। इसके बजाय, यह कार्य लोगों के विचारों, उनकी वाणी और उनके कर्मों को उजागर करने के लिए वचन का उपयोग करता है, ताकि हमारे भीतर गहराई से जड़ित परमेश्वर-विरोधी शैतानी प्रकृति और भ्रष्ट स्वभावों को निर्मूल किया जा सके। यह हमें इस सच्चाई को पहचानने की अनुमति देता है कि हमें शैतान द्वारा कैसे भ्रष्ट किया गया है, साथ ही यह हमें परमेश्वर के धर्मी और पवित्र स्वभाव को भी जानने की अनुमति देता है। जब हमें इन बातों की समझ होने लगती है, तो हम खुद से नफ़रत करने लगते हैं, और इससे सच्चे पश्चाताप की, और परमेश्वर के प्रति श्रद्धा रखने वाले एक सच्चे दिल की, उत्पत्ति होती है। परमेश्वर के वचन के न्याय के माध्यम से, हम सत्य को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं और उस तक पहुँच सकते हैं, और सत्य पर भरोसा कर सहज रूप से जी सकते हैं। इस तरह, हमारे भीतर जो भी शैतानी चीज़ें हैं, वे धीरे-धीरे दूर कर दी जाएँगी, और हम परमेश्वर के साथ सामंजस्य स्थापित कर पाएँगे। उसके बाद आगे से, हम परमेश्वर के खिलाफ़ विद्रोह या विरोध नहीं करेंगे, बल्कि वास्तव में उसके प्रति आज्ञा-पालन करने में सक्षम होंगे—उद्धार प्राप्त करना केवल यही है। शैतान द्वारा भ्रष्ट होने के बाद, हम अब मानव के सदृश नहीं रह गए हैं और हम उस जमीर और विवेक को खो देते हैं जो एक उचित व्यक्ति के पास होना चाहिए। इसके बजाय, हम अहंकार, आत्म-आश्वासन, स्वार्थ और शैतानी स्वभाव के अन्य पहलुओं से भरे हुए हैं। चीज़ों के प्रति हमारा दृष्टिकोण और हमारी अवधारणाएँ भी अब परमेश्वर के अनुकूल नहीं हैं। उदाहरण के लिए: जब अंतिम दिनों में परमेश्वर के न्याय का कार्य हमारे सामने आता है, तो हम सभी के पास स्वीकार करने के लिए अलग-अलग चीज़ें होती हैं, और हम सभी अपनी-अपनी अवधारणाओं से चिपके रहते हैं, भले ही परमेश्वर के वचन में उनका कोई आधार हो या न हो। हम परमेश्वर की इच्छा की तलाश नहीं करते हैं, बल्कि हम आंख मूंदकर यह विश्वास करते हैं कि सोचने का हमारा अपना तरीका सही है। जब परमेश्वर का कार्य हमारी अवधारणाओं और कल्पनाओं के अनुरूप नहीं होता है, तो हम परमेश्वर के बारे में स्वयं अपने निर्णय ले लेते हैं, एवं हम उसे नकारते हैं, उस पर हमला करते हैं और उसकी निंदा करते हैं। यह हमारे अहंकारी स्वभाव का परिणाम है। इस तरह की शैतानी प्रकृति के कारण, हम सभी परमेश्वर का विरोध करने के लिए बहुत प्रवृत्त रहते हैं, इसलिए हमें इसकी तत्काल आवश्यकता है कि परमेश्वर न्याय के कार्य का एक चरण पूरा करे, और हमारे शैतानी स्वभाव को शुद्ध करे और उसे बदल दे। इसके बिना, कोई भी भ्रष्टता से मुक्त नहीं हो पाएगा और न ही उद्धार प्राप्त कर सकेगा।"
सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन और इस बहन की सहभागिता को सुनने के बाद, मेरा दिल अचानक स्पष्ट हो गया और खुल गया, और मुझे लगा कि यह बहुत अच्छी तरह से पेश किया गया था। हालाँकि कुछ चीज़ें ऐसी थीं जो मुझे अच्छी तरह समझ में नहीं आईं, फिर भी इसने मुझे परमेश्वर के कार्य में निहित ज्ञान के साथ-साथ परमेश्वर को मनुष्य से कितना प्रेम है, इनके बारे में जानकारी दी। अतीत में, जब भी मानवजाति का न्याय करने के लिए परमेश्वर के आने की बात होती थी, तो मैं सोचती थी कि लोग या तो नरक में जाएँगे या पाप-शोधन की पीड़ा झेलेंगे। वास्तव में, परमेश्वर के न्याय का कार्य बिल्कुल वैसा नहीं है जैसा कि हमने कल्पित किया था, बल्कि यह सत्य को व्यक्त करने और न्याय का कार्य करने के लिए परमेश्वर द्वारा देहधारण करना है। इसी तरह वह लोगों को शुद्ध करता और बचाता है। परमेश्वर का न्याय का कार्य बहुत अर्थपूर्ण है। यह बिल्कुल वही है जिसकी इस भ्रष्ट मानवजाति को ज़रूरत है!
जब मैं उत्सुकता से यह सब सुन रही थी, मेरे पति ने अचानक फोन किया कि उन्हें कार की ज़रूरत थी। यह देखकर कि इस बार मैं यह सब सुन पा रही थी, जैसे ही मैं जाने लगी, उसने मुझे 'मेमने ने पुस्तक को खोला' नामक एक पुस्तक दी और कहा कि इसके भीतर के शब्द स्वयं परमेश्वर की आवाज़ थे। उसने ज़ोर देकर मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने की सलाह दी। घर वापस आने के बाद, जब भी मेरे पास समय होता, मैं वह किताब पढ़ती थी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन को पढ़ने के माध्यम से, मैंने कई सच्चाइयों कोसमझा और काफी ज्ञान प्राप्त किया। साथ ही, मैंने वास्तव में परमेश्वर द्वारा मनुष्यों की आत्माओं की गहराई से जांच करने का अनुभव किया। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रत्येक वचन ने मेरे भीतर के भ्रष्ट स्वभाव को प्रकट करते हुए, सीधे मेरे हृदय को भेद दिया। कभी-कभी जब मैंने देखा कि परमेश्वर के वचन किस तरह हमारी भ्रष्टता को उजागर करते हैं, तो मैंने महसूस किया कि वह किस तरह से इससे विशेष रूप से घृणा करता है। ऐसा लग रहा था कि परमेश्वर हमारे प्रति अपना क्रोध व्यक्त कर रहा है, और मेरा सुन्न और शुष्क दिल तुरंत कम्पित हो उठा। मेरे दिल में परमेश्वर के लिए सम्मानयुक्त भय पैदाहुआ, और मैं अब पहले की तरह नहीं रही जब मैंने बिना किसी भय के पाप किए थे। कई अनुभवों और परमेश्वर के वचनों के प्रबोधन और मार्गदर्शन के माध्यम से, मैंने देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर का न्याय का कार्य वास्तव में लोगों को पाप से बचा सकता है और उन्हें पाप से हट जाने का अवसर दे सकता है। परमेश्वर के कार्य और वचन कितने व्यावहारिक हैं! यह सोचकर मुझे बहुत पश्चाताप हुआ कि पिछले दो वर्षों में अंतिम दिनों के परमेश्वर के कार्य का मैंने किस तरह विरोध किया था। इतनी मूर्ख और अज्ञानी होकर मैंने प्रभु की वापसी जैसे बड़े मुद्दे को समझने या जाँचने की कोशिश नहीं की, इस कारण मुझे खुद से नफ़रत हुई। लेकिन नहीं, मैंने उन अफ़वाहों को अंधे होकर सुना था, मैंने परमेश्वर को नकारा, मैंने परमेश्वर की निंदा की, और मैंने परमेश्वर का विरोध किया। मैंने अंतिम दिनों में परमेश्वर के उद्धार को लगभग खो दिया था। मैं वास्तव में कितनी अंधी थी! मैंने स्पष्ट रूप से देखा कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर के खिलाफ़ लांछन, निर्णय, ईशनिन्दा, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की बदनामी, ये सब शैतान से मिले झूठ थे। वे सब विशेष रूप से लोगों को भ्रमित करने और फंसाने के लिए और अंतिम दिनों में उन्हें परमेश्वर के कार्य को स्वीकार करने से रोकने के लिए, शैतान द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली तरकीबें हैं। अब मैं शैतान के झूठ पर विश्वास नहीं करूँगी। चाहे मैं भविष्य में किसी भी चीज़ का सामना करूँ या चाहे कुछ भी सुनूँ, मैं हमेशा परमेश्वर के वचन और वास्तविकता के अनुसार सही का गलत से अलग आकलन करूँगी। मैं अब शैतान के झूठ और फ़रेब को नहीं सुनूँगी—केवल ऐसा करके ही कोई परमेश्वर की इच्छा के अनुरूप हो सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए, मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर को उससे प्राप्त दया और उद्धार के लिए हृदय से धन्यवाद दिया। मेरे विद्रोह और प्रतिरोध के बावजूद परमेश्वर ने मुझे बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी, बल्कि उसने लोगों द्वारा मेरे प्रतिसुसमाचार को फैलाने, और मुझे परमेश्वर के घर में वापस लाने, की व्यवस्था करना जारी रखा। परमेश्वर का प्रेम कितना महान है! हर बार जब मैं "हार्दिक लगाव का गीत" नामक म्यूजिक वीडियो के ये बोल सुनती हूँ: "एक है देहधारी परमेश्वर। जो भी वो कहता, जो भी वो करता, सब सत्य है। उसकी धार्मिकता और बुद्धि से प्रेम है मुझे। उसे देखना, उसकी बात मानना, एक आशीष है," तो यह मेरे दिल को विशेष रूप से छू लेता और प्रेरित करता है। मुझे लगता है, परमेश्वर की वापसी का स्वागत करना और सीधे परमेश्वर के वचन का सामना करना, मेरा कितना बड़ा सौभाग्य है। यह कितना बड़ा आशीर्वाद है!
मैंने बाद में सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया के कलीसियाई जीवन में भाग लेना शुरू कर दिया। भाई-बहन भजन गाते हैं, नृत्य करते हैं, और साथ मिलकर परमेश्वर की स्तुति करते हैं। वे परमेश्वर के वचन पढ़ते हैं, और अगर कोई भ्रष्टता उजागर करनी हो, तो वे अपने दिल खोलकर इस पर सहभागिता करते हैं। हर कोई सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन के बारे में अपने ज्ञान और अनुभव पर चर्चा करता है और अभ्यास एवं प्रवेश करने का मार्ग खोजता है। कलीसिया में इस तरह का जीवन विशेष रूप से मुक्तिदायी है और मैं इससे बहुत अधिक संपोषण प्राप्त करती हूँ। मैंने वास्तव में महसूस किया है कि केवल एक ऐसी कलीसिया ही जिसमें पवित्र आत्मा कार्यरत हो, परमेश्वर का घर हो सकता है। मैं यहीं की हूँ। मैं अब पूरी तरह से दृढ़ हूँ कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर प्रभु का दूसरा आगमन है, और मैं बिल्कुल अंत तक सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अनुसरण करने के लिए दृढ़ हूँ!
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?