मेरे “आध्यात्मिक माता-पिता” का पर्दाफाश
मैं 11 वर्ष से प्रभु यीशु में विश्वास कर रही थी और पहले सिर्फ पादरी बेन की कलीसिया की सभाओं में जाती थी। पादरी बेन हमारे क्षेत्र का जाना-माना धर्मोपदेशक था। वह धर्मनिष्ठ और दयालु था, अनेक वर्षों से प्रभु की सेवा कर रहा था, और उसे बाइबल की अच्छी जानकारी थी। कलीसिया के बाइबल संबंधी तमाम प्रशिक्षण का संचालन वही करता था, इसलिए मैं सचमुच उसकी प्रशंसा करती थी। जब भी मुझे कुछ समझ में न आता तो मैं जाकर उससे पूछ लेती। जब भी हमारा परिवार किसी मुसीबत में होता तो वह हमारे लिए प्रार्थना करता। मैं अनजाने ही अपनी आस्था में उसे अपने आध्यात्मिक पिता की तरह देखने लगी थी।
2017 में मैंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का सुसमाचार सुना, और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों में मैंने देखा कि वह मानव जाति को बचाने की परमेश्वर की 6,000 वर्षीय प्रबंधन योजना के रहस्यों, परमेश्वर के तीन चरणों के कार्य की अंदरूनी कहानी और परमेश्वर के देहधारण के रहस्यों का खुलासा करता है, वह खुलासा करता है कि शैतान कैसे लोगों को भ्रष्ट करता है, मानवता को बचाने के लिए परमेश्वर कैसे कदम-दर-कदम काम करता है, परमेश्वर कैसे हरेक को उनकी किस्म के अनुसार श्रेणियों में डालता है, वह कैसे हमारा परिणाम और गंतव्य तय करता है, और उद्धार प्राप्त करने और राज्य में प्रवेश करने के लिए हमें किस तरह के लक्ष्यों का अनुसरण करना चाहिए। इन सब सत्यों और रहस्यों के बारे में मैंने इतने वर्षों तक ईसाई रहने के दौरान पहले कभी भी नहीं सुना था। यह सचमुच ही मनोरम था! मैं दिल-ही-दिल में निश्चित हो गई कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर वापस लौटा प्रभु यीशु है और मैं अपने दोनों बच्चों को भी परमेश्वर के सम्मुख ले आई। मैं पादरी बेन के बारे में सोचने लगी, जो बहुत बरसों से उपदेशक का काम कर रहा था। वह हमेशा हमसे प्रतीक्षा करने और नजर रखने के लिए कहता था, ताकि हम प्रभु द्वारा स्वर्गारोहण के अनुभव का अवसर न खो दें। अगर उसे पता होता कि प्रभु यीशु लौट आया है तो वह निश्चित ही इसे खुशी-खुशी स्वीकार कर लेता। मैंने जल्दी-से-जल्दी खुद को सत्य से सुसज्जित करने का फैसला किया ताकि उसके साथ सुसमाचार साझा कर सकूँ। पर इससे पहले पादरी बेन खुद ही मुझसे मिलने चला आया।
उस दिन वह हमारे परिवार की फलों की दुकान पर आया और मुस्कुराते हुए मुझसे बोला, “उपयाजक एलिसा, तुम्हें बहुत दिनों बाद देखा। मैंने सुना है कि तुम किसी दूसरी कलीसिया में जा रही हो, और मुझे लगा कि तुम किसी बड़ी कलीसिया में जा रही होगी। पर मुझे यह जानकर हैरानी हुई कि तुम सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया में जा रही हो। यह कलीसिया गवाही देती है कि प्रभु यीशु देहधारण कर वापस आया है। यह नामुमकिन है! यह विधर्म है और तुम्हारी आस्था गलत है। फौरन प्रभु के पास लौटकर प्रायश्चित्त करो।” उसके मुँह से यह बात सुनकर मैं सन्न रह गई। मैं सोचने लगी, “तुम उस कलीसिया के बारे में कुछ भी नहीं जानते हो, और न तुमने सर्वशक्तिमान परमेश्वर का अंत के दिनों का कार्य ही देखा है। तो तुम कैसे इतनी आसानी से उसकी निंदा कर सकते हो?” पर फिर मैंने सोचा, “मुझे लगता है उसने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन नहीं सुने, इसलिए उसे पता ही नहीं होगा कि यह सच्चा मार्ग है। वह बरसों से प्रभु की सेवा कर रहा है, और उसकी वापसी के लिए तड़प रहा है। अगर वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े, और यह देखे कि वे सब सत्य हैं, तो वह निश्चित ही उसे स्वीकार लेगा।” इसलिए मैंने उसे परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य की गवाही दी। मैंने कहा, “पादरी बेन, तुमने अभी कहा कि संभवतः प्रभु देहधारण करके नहीं लौट सकता। क्या यह प्रभु के वचनों पर आधारित है?” उसने बड़े विश्वास से कहा, “मत्ती 24:30 में कहा गया है, ‘तब मनुष्य के पुत्र का चिह्न आकाश में दिखाई देगा, और तब पृथ्वी के सब कुलों के लोग छाती पीटेंगे; और मनुष्य के पुत्र को बड़ी सामर्थ्य और ऐश्वर्य के साथ आकाश के बादलों पर आते देखेंगे।’ प्रभु यीशु ने साफ-साफ कहा है कि जब वह लौटेगा तो वह खुलेआम हरेक को बादलों पर सवार होकर भव्य महिमा के साथ प्रकट होते दिखेगा। इसलिए यह मुमकिन नहीं है कि प्रभु देहधारण करके लौटेगा। मैं तो यह कहूँगा कि प्रभु के देहधारण करके लौटने का कोई भी उपदेश देना एक झूठा मार्ग है, यह विधर्म है। मैं इसमें कभी भी विश्वास नहीं करूँगा।” मैंने झट-से कहा, “पादरी, बाइबल में प्रभु की वापसी के बारे में बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं। ऐसी भविष्यवाणियाँ भी हैं कि प्रभु एक बादल पर लौटेगा, और ऐसी भी बहुत-सी भविष्यवाणियाँ हैं कि प्रभु गुप्त रूप से लौटेगा, जैसे कि, ‘यदि तू जागृत न रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊँगा’ (प्रकाशितवाक्य 3:3)। ‘देख, मैं चोर के समान आता हूँ’ (प्रकाशितवाक्य 16:15)। ‘आधी रात को धूम मची : “देखो, दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो”’ (मत्ती 25:6)। प्रभु यीशु ने यह भी कहा है कि : ‘क्योंकि जैसे बिजली आकाश के एक छोर से कौंध कर आकाश के दूसरे छोर तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य का पुत्र भी अपने दिन में प्रगट होगा। परन्तु पहले अवश्य है कि वह बहुत दुःख उठाए, और इस युग के लोग उसे तुच्छ ठहराएँ’ (लूका 17:24-25)। ‘जैसे बिजली पूर्व से निकलकर पश्चिम तक चमकती है, वैसे ही मनुष्य के पुत्र का भी आना होगा’ (मत्ती 24:27)। ये छंद प्रभु की ‘चोर के समान’ वापसी और ‘मनुष्य के पुत्र का आना’ का उल्लेख करते हैं। क्या कोई खजाना चुराने वाला चोर खूब तमाशा करते हुए खुलेआम आएगा? बिल्कुल नहीं। वह रात को चुपके-से आएगा और ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं चलेगा। इसलिए एक चोर के रूप में प्रभु की वापसी का अर्थ है कि वह गुप्त रूप से आएगा, और यह मनुष्य के पुत्र के रूप में देहधारी प्रभु की वापसी होगी। अगर तुम केवल यही आग्रह करते रहोगे कि प्रभु बादलों पर सवार होकर आए, तो उसके गुप्त रूप से आने की भविष्यवाणियाँ कैसे साकार होंगी? अगर प्रभु बादल पर सवार होकर आएगा तो हर कोई उसे देख लेगा। क्या किसी को चिल्लाकर यह कहने की जरूरत होगी, ‘दूल्हा आ रहा है! उससे भेंट करने के लिये चलो’? इसलिए प्रभु की भविष्यवाणियों के आधार पर हम निश्चित हो सकते हैं कि उसकी वापसी दो चरणों में होगी। पहले वह गुप्त रूप से देहधारण करके आएगा, और फिर खुलेआम प्रकट होगा। इस तरह प्रभु के आने की ये भविष्यवाणियाँ एक-दूसरे से मेल खाती हैं।” मैंने यह कहा तो पादरी बेन के चेहरे पर अटपटे-से भाव उभर आए। मैंने आगे कहा, “पादरी, सर्वशक्तिमान परमेश्वर मानव जाति को स्वच्छ करने और बचाने के लिए सभी सत्य व्यक्त करता है, वह परमेश्वर के घर से शुरू करके न्याय का कार्य करता है, और पहले ही विजेताओं का एक समूह तैयार कर चुका है। परमेश्वर के गुप्त देहधारण का कार्य समाप्त होने वाला है, और फिर वह बड़ी तबाहियाँ लाएगा और अच्छे लोगों को पुरस्कृत करके बुरे लोगों को दंडित करेगा, और सभी लोगों को खुलेआम दिखाई देगा। उस समय सर्वशक्तिमान परमेश्वर का प्रतिरोध और निंदा करने वाले सभी लोग आपदाओं में गिर जाएँगे, रोएँगे और अपने दाँत पीसेंगे। यह प्रकाशितवाक्य 1:7 को साकार करता है, जिसमें कहा गया है, ‘देखो, वह बादलों के साथ आनेवाला है, और हर एक आँख उसे देखेगी, वरन् जिन्होंने उसे बेधा था वे भी उसे देखेंगे, और पृथ्वी के सारे कुल उसके कारण छाती पीटेंगे।’” यह सुनकर पादरी बेन ने मेरी तरफ तिरस्कार के भाव से देखा और कहा, “तुम्हें बाइबल की कुछ खास जानकारी नहीं है, पर तुम मुझे उपदेश झाड़ रही हो?” उसके इस रवैये को देखकर मुझे बहुत निराशा हुई। क्या यह वही पादरी बेन था जिसे मैं जानती थी? मैंने हमेशा यही सोचा था कि वह बहुत विनम्र व्यक्ति था। वह अक्सर हमसे बुद्धिमान कुंवारियाँ बनने और प्रभु यीशु की वापसी पर उसके स्वागत के लिए तैयार रहने को कहता था। उसमें प्रभु की वापसी की खबर को खोजने और इसकी जाँच करने की कोई इच्छा क्यों नहीं है? मैंने उसे सलाह दी, “पादरी, क्या बाइबल की बहुत सारी जानकारी होना और परमेश्वर को जानना एक ही बात है? क्या यह इस बात की गारंटी है कि ऐसा व्यक्ति परमेश्वर का प्रतिरोध नहीं करेगा? यहूदी फरीसियों ने धर्मग्रंथ रट रखे थे और उन्हें लगता था कि वे परमेश्वर को जानते हैं। पर जब प्रभु यीशु ने प्रकट होकर कार्य किया तो उन लोगों ने देखा कि उसके वचनों में सामर्थ्य और अधिकार है, पर उन्होंने इसको जानने और इसकी जाँच करने की कोशिश नहीं की। वे शाब्दिक धर्मग्रंथों से चिपके रहे और आग्रह करते रहे कि अगर उसे मसीहा नहीं कहा जाता तो वह परमेश्वर नहीं है। उन्होंने यह कहकर उसकी ईशनिंदा भी की कि उसने राक्षसों को भगाने के लिए बेलजेबूब की मदद ली थी। उन्होंने अपनी धारणाओं के आधार पर प्रभु यीशु के कार्य की निंदा की और उसका प्रतिरोध किया, और आखिर में उसे सलीब पर चढ़ा दिया। उन्होंने परमेश्वर के स्वभाव को को ठेस पहुँचाई और उसके दंड और शापों के भागी बने। पादरी बेन, हमें फरीसियों की नाकामी से सबक सीखना चाहिए।” वह एक क्षण के लिए अवाक रह गया, और फिर झुँझलाकर बोला, “तुम इतने बरसों तक अपनी आस्था में सत्य की खोज करती रही हो, इसलिए मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करूँगा। सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को इसी वक्त छोड़ दो!” और फिर वह गुस्से में चला गया।
उसके जाने के बाद मैं सोचने लगी कि प्रभु की वापसी को लेकर उसके रवैये को देखते हुए ऐसा नहीं लगता कि वह सचमुच इसके लिए तरस रहा था। वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन क्यों नहीं सुनता, इनकी जाँच क्यों नहीं करता, और फिर किसी नतीजे पर क्यों नहीं पहुँचता? इन तमाम बरसों में वह एक विश्वासी रहा था, उसने त्याग किए थे, खुद को खपाया था और कड़ी मेहनत की थी। अगर उसने स्वर्गारोहण के अपने अवसर को गंवा दिया तो यह बहुत शर्म की बात होगी। मैंने दोबारा किसी अवसर का इंतजार करने और उससे परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य पर फिर से बात करने का फैसला किया। स्पष्ट संगति करने के बाद शायद वह इसे स्वीकार कर ले। कुछ दिन बाद पादरी बेन फिर से हमारी फलों की दुकान पर आया। मैंने सोचा कि उसने जरूर बाइबल का अध्ययन किया होगा और प्रभु की वापसी के बारे में समझा होगा, और अब वह इसकी जाँच के लिए तैयार होगा। पर मुझे हैरानी में डालते हुए उसने कहा, “उपयाजक एलिसा, तुमने पिछली बार कहा था कि प्रभु पहले गुप्त रूप से देहधारण करके आता है और फिर खुलेआम प्रकट होता है। मैं इससे सहमत नहीं हूँ। बाइबल में कहा गया है : ‘हे गलीली पुरुषो, तुम क्यों खड़े आकाश की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा’ (प्रेरितों 1:11)। प्रभु यीशु एक यहूदी आदमी के रूप में एक सफेद बादल पर स्वर्ग में गया था, इसलिए वह सफेद बादल पर एक यहूदी आदमी के रूप में ही लौटेगा। तुम्हें गुमराह किया गया है। तुम्हें लौट आना चाहिए।” पादरी बेन बार-बार यही कहता रहा, जैसे मुझे यकीन दिलाने की ठानकर आया हो। उसे प्रभु के बादल पर सवार होकर लौटने के विचार पर अड़े हुए और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य की आलोचना और निंदा करते देखकर मैं बिल्कुल भी नहीं समझ पाई। प्रभु के देहधारण और गुप्त रूप से लौटने को लेकर बाइबल में कितनी ही भविष्यवाणियाँ हैं। वह इसकी खोज और छानबीन बिल्कुल भी क्यों नहीं कर रहा था? मैं उसके साथ कैसे संगति करूँ? मैंने मन-ही-मन प्रार्थना करके परमेश्वर से मुझे राह दिखाने के लिए कहा। तभी मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के एक अंश का ख्याल आया और मैंने इसे पादरी बेन को पढ़कर सुनाया, सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “बहुत से लोगों को शायद इसकी परवाह न हो कि मैं क्या कहता हूँ, किंतु मैं ऐसे हर तथाकथित संत को, जो यीशु का अनुसरण करते हैं, बताना चाहता हूँ कि जब तुम लोग यीशु को एक श्वेत बादल पर स्वर्ग से उतरते अपनी आँखों से देखोगे, तो यह धार्मिकता के सूर्य का सार्वजनिक प्रकटन होगा। शायद वह तुम्हारे लिए एक बड़ी उत्तेजना का समय होगा, मगर तुम्हें पता होना चाहिए कि जिस समय तुम यीशु को स्वर्ग से उतरते देखोगे, यही वह समय भी होगा जब तुम दंडित किए जाने के लिए नीचे नरक में जाओगे। वह परमेश्वर की प्रबंधन योजना की समाप्ति का समय होगा, और वह समय होगा, जब परमेश्वर सज्जन को पुरस्कार और कुकर्मी को दंड देगा। क्योंकि परमेश्वर का न्याय मनुष्य के चिह्न देखने से पहले ही समाप्त हो चुका होगा, जब सिर्फ़ सत्य की अभिव्यक्ति होगी। वे जो सत्य को स्वीकार करते हैं और संकेतों की खोज नहीं करते और इस प्रकार शुद्ध कर दिए गए हैं, वे परमेश्वर के सिंहासन के सामने लौट चुके होंगे और सृष्टिकर्ता के आलिंगन में प्रवेश कर चुके होंगे। सिर्फ़ वे जो इस विश्वास में बने रहते हैं कि ‘ऐसा यीशु जो श्वेत बादल पर सवारी नहीं करता, एक झूठा मसीह है’ अनंत दंड के अधीन कर दिए जाएँगे, क्योंकि वे सिर्फ़ उस यीशु में विश्वास करते हैं जो संकेत प्रदर्शित करता है, पर उस यीशु को स्वीकार नहीं करते, जो कड़े न्याय की घोषणा करता है और जीवन और सच्चा मार्ग जारी करता है। इसलिए केवल यही हो सकता है कि जब यीशु खुलेआम श्वेत बादल पर वापस लौटे, तो वह उनके साथ निपटे। वे बहुत हठधर्मी, अपने आप में बहुत आश्वस्त, बहुत अभिमानी हैं। ऐसे अधम लोग यीशु द्वारा कैसे पुरस्कृत किए जा सकते हैं? यीशु की वापसी उन लोगों के लिए एक महान उद्धार है, जो सत्य को स्वीकार करने में सक्षम हैं, पर उनके लिए जो सत्य को स्वीकार करने में असमर्थ हैं, यह दंडाज्ञा का संकेत है। तुम लोगों को अपना स्वयं का रास्ता चुनना चाहिए, और पवित्र आत्मा के खिलाफ निंदा नहीं करनी चाहिए और सत्य को अस्वीकार नहीं करना चाहिए। तुम लोगों को अज्ञानी और अभिमानी व्यक्ति नहीं बनना चाहिए, बल्कि ऐसा बनना चाहिए जो पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के प्रति समर्पण करता हो और सत्य के लिए लालायित होकर इसकी खोज करता हो; सिर्फ इसी तरीके से तुम लोग लाभान्वित होगे” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को फिर से बना चुका होगा)। यह पढ़ते हुए मैं सोच रही थी कि परमेश्वर के वचन कितने स्पष्ट हैं। पादरी बेन को अब तो समझ जाना चाहिए। लेकिन मेरे पढ़ना खत्म करते ही, इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, वह बुझे-से स्वर में बोला, “जो भी हो, मैं सिर्फ यह मानता हूँ कि प्रभु यीशु बादल पर सवार होकर ही आएगा। यह गलत नहीं हो सकता! मैं एक पादरी हूँ और बरसों से प्रभु की सेवा कर रहा हूँ। क्या तुम वास्तव में मुझसे ज्यादा जान सकती हो? और फिर धार्मिक दुनिया का पूरा पादरी वर्ग सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया की निंदा करता है। इसका अर्थ है कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर संभवतः वापस लौटा प्रभु यीशु नहीं हो सकता। मेरा सुझाव है कि तुम फौरन लौट आओ!” कुछ जानने-खोजने की मंशा के बिना ही उसे अपनी बात पर अड़े देखना चिंताजनक था, मैंने कहा, “पादरी बेन, क्या धार्मिक दुनिया का पादरी वर्ग परमेश्वर का प्रतिनिधि है? क्या धार्मिक दुनिया का हर दृष्टिकोण सत्य है? जब प्रभु यीशु कार्य करने आया था तो समूचे यहूदी धर्म ने पागलों की तरह उसकी निंदा की थी और उसका विरोध किया था। क्या तुम कह सकते हो कि उसका कार्य सच्चा मार्ग नहीं था। प्रभु के स्वागत के लिए हमें उसकी वाणी सुनने पर ध्यान देने की जरूरत है, न कि आँख मूंदकर धार्मिक चलनों का अनुसरण करने की। तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सुनने चाहिए और यह देखना चाहिए कि क्या यह सत्य है, क्या यह परमेश्वर की वाणी है...।” पर मेरी बात पूरी होने से पहले ही उसने मुझे टोकते हुए उपेक्षापूर्ण स्वर में कहा, “मैंने अरसा पहले सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े थे। मुझे नहीं लगता कि वह परमेश्वर की वाणी है, और तुम्हें भी उन्हें अब और नहीं पढ़ना चाहिए।” उसके चेहरे पर तिरस्कार के भाव देखकर मुझे घृणा होने लगी। मैंने सोचा, “सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने इतने सारे सत्य व्यक्त करके व्यवस्था के युग और अनुग्रह के युग में परमेश्वर द्वारा कही गई बातों को पीछे छोड़ दिया है। साथ ही, उसके सभी वचन कितने अधिकारपूर्ण हैं—कोई भी झट से कह सकता है कि यह परमेश्वर की वाणी है। हैरानी की बात है कि यह बात पादरी बेन की समझ में नहीं आ रही है। क्या वह सचमुच परमेश्वर की ही भेड़ है?”
अगले कई हफ्तों तक पादरी बेन समय-समय पर बात करने के लिए मेरे पास आता रहा, और मुझे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया को छोड़ने के लिए कहता रहा। एक दिन वह गुस्से से भड़कता हुआ फलों की दुकान पर आया और मुझे हमेशा की तरह उपयाजक एलिसा संबोधित न करके रौबीली आवाज में मुझ पर हुक्म चलाते हुए बोला, “तुम्हें सर्वशक्तिमान परमेश्वर में अब और विश्वास नहीं करना है और न ही अपने दोनों बच्चों को इसमें शामिल करना है! खासकर तुम कलीसिया के भाई-बहनों में इसका प्रचार नहीं कर सकतीं। वरना मैं घोषणा कर दूँगा कि तुम विधर्म में विश्वास करने लगी हो और मैं तुम्हें निष्कासित कर दूँगा। मैं हरेक से तुमसे दूर रहने और तुम्हें अस्वीकार करने के लिए कहूँगा!” मुझे सच में बहुत गुस्सा आया। मैं सोच रही थी कि सच्चे मार्ग को स्वीकार करना मेरी अपनी आजादी है और उसे मुझे रोकने का कोई अधिकार नहीं है। हम सभी विश्वासी प्रभु की वापसी की उम्मीद करते रहे हैं और अब मुझे यह शानदार खबर साझा करनी चाहिए कि मैंने दूसरों के साथ प्रभु की वापसी का स्वागत किया हैथा। वह मेरा रास्ता क्यों रोक रहाथा? मैंने उसे उचित और सख्त जवाब देते हुए कहा, “परमेश्वर की भेड़ें उसकी वाणी सुनती हैं और कोई भी इसे रोक नहीं सकता। मेरे बच्चों ने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन पढ़े हैं, परमेश्वर की वाणी को पहचाना है, और वे उसका अनुसरण करना चाहते हैं। यह उनकी आजादी है। तुम किस आधार पर विश्वास की उनकी आजादी पर अंकुश लगाना चाहते हो?” कुछ पलों के लिए उसे कोई जवाब नहीं सूझा, फिर गुस्से में मुझे कोसते हुए वह वहाँ से चला गया। कुछ समय बाद मैंने अपनी पुरानी कलीसिया की दो बहनों से सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का सुसमाचार साझा किया। वे सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन सुनकर बहुत खुश हुईं, और मुझसे नियमित रूप से संपर्क करने लगीं। कुछ दिन बाद ही पादरी बेन को इसका पता चल गया, उसने उन्हें गुमराह करके मुझसे मिलने से रोक दिया। उन्होंने मुझसे संपर्क करना बंद कर दिया और मुझसे कतराने लगीं। मैं बहुत परेशान और क्रोधित थी। मैं प्रभु यीशु की फरीसियों से कही बातों को सोचने लगी : “हे कपटी शास्त्रियो और फरीसियो, तुम पर हाय! तुम मनुष्यों के लिए स्वर्ग के राज्य का द्वार बन्द करते हो, न तो स्वयं ही उसमें प्रवेश करते हो और न उस में प्रवेश करनेवालों को प्रवेश करने देते हो” (मत्ती 23:13)। पादरी बेन ने परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को खोजने और जाँचने की कोशिश नहीं की, और दूसरों को इसकी जाँच करने और प्रभु का स्वागत करने से रोकने की हर संभव कोशिश की। क्या यह लोगों के राज्य में प्रवेश करने के अवसर को बरबाद करना नहीं था? फरीसियों ने जो कुछ किया, उससे यह किस तरह से अलग था? मैं इसकी कोई तुक नहीं समझ पा रही थी। पादरी बेन लंबे समय से विश्वासी था, बहुत निष्ठावान प्रतीत होता था, और प्रभु यीशु की वापसी का इंतजार कर रहा था। तो जब उसने प्रभु की वापसी की खबर सुनी तो इसकी जरा भी खोज क्यों नहीं की, बल्कि इसका प्रतिरोध और निंदा क्यों करने लगा?
बाद में एक सभा में मैंने भाई-बहनों को बताया कि क्या हुआ था। उन्होंने सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचनों के दो अंश पढ़कर सुनाए, और तब मैं इस समस्या की जड़ देख सकी। सर्वशक्तिमान परमेश्वर कहता है : “क्या तुम लोग इसकी जड़ जानना चाहते हो कि फरीसियों ने यीशु का विरोध क्यों किया? क्या तुम फरीसियों के सार को जानना चाहते हो? वे मसीहा के बारे में कल्पनाओं से भरे हुए थे। इससे भी ज़्यादा, उन्होंने केवल इस पर विश्वास किया कि मसीहा आएगा, फिर भी जीवन सत्य का अनुसरण नहीं किया। इसलिए, वे आज भी मसीहा की प्रतीक्षा करते हैं क्योंकि उन्हें जीवन के मार्ग के बारे में कोई ज्ञान नहीं है, और नहीं जानते कि सत्य का मार्ग क्या है। तुम लोग क्या कहते हो, ऐसे मूर्ख, हठधर्मी और अज्ञानी लोग परमेश्वर का आशीष कैसे प्राप्त करेंगे? वे मसीहा को कैसे देख सकते हैं? उन्होंने यीशु का विरोध किया क्योंकि वे पवित्र आत्मा के कार्य की दिशा नहीं जानते थे, क्योंकि वे यीशु द्वारा बताए गए सत्य के मार्ग को नहीं जानते थे और इसके अलावा क्योंकि उन्होंने मसीहा को नहीं समझा था। और चूँकि उन्होंने मसीहा को कभी नहीं देखा था और कभी मसीहा के साथ नहीं रहे थे, उन्होंने मसीहा के बस नाम के साथ चिपके रहने की ग़लती की, जबकि हर मुमकिन ढंग से मसीहा के सार का विरोध करते रहे। ये फरीसी सार रूप से हठधर्मी एवं अभिमानी थे और सत्य का आज्ञापालन नहीं करते थे। परमेश्वर में उनके विश्वास का सिद्धांत था : इससे फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा उपदेश कितना गहरा है, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि तुम्हारा अधिकार कितना ऊँचा है, जब तक तुम्हें मसीहा नहीं कहा जाता, तुम मसीह नहीं हो। क्या यह सोच हास्यास्पद और बेतुकी नहीं है?” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, जब तक तुम यीशु के आध्यात्मिक शरीर को देखोगे, परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी को फिर से बना चुका होगा)। “ऐसे भी लोग हैं जो बड़ी-बड़ी कलीसियाओं में दिन-भर बाइबल पढ़ते और याद करके सुनाते रहते हैं, फिर भी उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर के कार्य के उद्देश्य को समझता हो। उनमें से एक भी ऐसा नहीं होता जो परमेश्वर को जान पाता हो; उनमें से परमेश्वर के इरादों के अनुरूप तो एक भी नहीं होता। वे सबके सब निकम्मे और अधम लोग हैं, जिनमें से प्रत्येक परमेश्वर को सिखाने के लिए ऊँचे पायदान पर खड़ा रहता है। वे लोग परमेश्वर के नाम का झंडा उठाकर, जानबूझकर उसका विरोध करते हैं। वे परमेश्वर में विश्वास रखने का दावा करते हैं, फिर भी मनुष्यों का माँस खाते और रक्त पीते हैं। ऐसे सभी मनुष्य शैतान हैं जो मनुष्यों की आत्माओं को निगल जाते हैं, ऐसे मुख्य राक्षस हैं जो जानबूझकर उन्हें परेशान करते हैं जो सही मार्ग पर कदम बढ़ाने का प्रयास करते हैं और ऐसी बाधाएँ हैं जो परमेश्वर को खोजने वालों के मार्ग में रुकावट पैदा करते हैं। वे ‘मज़बूत देह’ वाले दिख सकते हैं, किंतु उसके अनुयायियों को कैसे पता चलेगा कि वे मसीह-विरोधी हैं जो लोगों से परमेश्वर का विरोध करवाते हैं? अनुयायी कैसे जानेंगे कि वे जीवित शैतान हैं जो इंसानी आत्माओं को निगलने को समर्पित हुए बैठे हैं?” (वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर को न जानने वाले सभी लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं)। सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन मेरे लिए प्रबुद्ध करने वाले वचन थे। पादरी और एल्डर परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य का इतना प्रबल प्रतिरोध और निंदा क्यों करते हैं? इसका मुख्य कारण यह है कि वे प्रकृति से अड़ियल और अहंकारी होते हैं। वे न सिर्फ सत्य को स्वीकार नहीं करते, बल्कि वे इससे चिढ़ते भी हैं। यह यहूदी फरीसियों जैसी बात है, जो हमेशा अपने आराधनालयों में धर्मग्रंथों की व्याख्याएँ करते रहते थे। पर जब प्रभु यीशु ने आकर कार्य शुरू किया तो यह जानते हुए भी कि उसके वचनों में अधिकार और सामर्थ्य था, फरीसियों ने इसकी खोज करने से इनकार कर दिया। वे शाब्दिक धर्मग्रंथों से दृढ़तापूर्वक चिपके रहे और पुराने नियम की व्यवस्था का इस्तेमाल करके उसकी निंदा करते रहे। अपने रुतबे और आजीविका को बचाने के लिए उन्होंने अफवाहें फैलाईं और प्रभु यीशु को फँसाने के लिए झूठी गवाहियाँ दीं, और आखिर में उसे सलीब पर जड़वा दिया। मैंने देखा कि पादरी बेन भी वैसा ही था। वह जानता था कि सर्वशक्तिमान परमेश्वर बहुत-से सत्य व्यक्त कर रहा है और न्याय का कार्य कर रहा है, पर उसने न सिर्फ इसे जाँचने की कोशिश नहीं की, बल्कि पागलों की तरह इसका प्रतिरोध और निंदा की। वह बाइबल के शब्दों और अपनी खुद की धारणाओं और कल्पनाओं से चिपका रहा। उसका मानना था कि अगर प्रभु यीशु बादल पर सवार होकर नहीं लौटता, तो यह परमेश्वर का प्रकटन और कार्य नहीं है। उसने विश्वासियों को सच्चे मार्ग की जाँच करने से रोकने के लिए हर तरह की विधर्मी बातें फैलाईं। उसने विश्वासियों को खुद के कड़े नियंत्रण में रखा। जितना मैं इसके बारे में सोचती, यह उतना ही डरावना प्रतीत होता था। वह किस तरह का पादरी था? यह प्रभु का सेवक होना कैसे हुआ? वह आधुनिक दौर का फरीसी था, एक जीता-जागता दानव, जो लोगों को राज्य से बाहर रखे हुए था! सर्वशक्तिमान परमेश्वर के अंत के दिनों का कार्य इन पादरियों और एल्डरों के पाखंडी चेहरों को उजागर करता है। ये सच्चे विश्वासी बिल्कुल भी नहीं हैं, न ही वे प्रभु के प्रकटन का स्वागत करने का इंतजार कर रहे हैं। वे प्रभु यीशु में सिर्फ नाम के लिए विश्वास करते हैं, सिर्फ इन दो शब्दों “प्रभु यीशु” में विश्वास करते हैं, पर उसके दिव्य सार के बारे में बिल्कुल भी नहीं जानते, और वे वास्तव में इस बात पर विश्वास नहीं करते कि वही मार्ग है, सत्य है, और जीवन है। यही कारण है कि जब वे सत्य के मार्ग को सुनते हैं तो कभी भी सत्य के आगे समर्पण नहीं करते, न ही उसे खोजते हैं। यहाँ तक कि वे सत्य को व्यक्त करने वाले मसीह से भी घृणा करते हैं और उसकी निंदा करते हैं। वे फरीसी हैं, मसीह-विरोधी हैं, जो परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य में उजागर हुुए हैं। पहले मैं सत्य को नहीं समझती थी, और मुझमें विवेक की कमी थी, तो मैं पादरी वर्ग की निष्ठा भरी प्रस्तुतियों से गुमराह हो जाती थी, यहाँ तक कि उन्हें अपने आध्यात्मिक माता-पिता की तरह देखने लगती थी। मैं कितनी अंधी थी! सर्वशक्तिमान परमेश्वर का धन्यवाद जिसने मुझे उनके असली और पाखंडी रंग, और सत्य से घृणा और परमेश्वर का विरोध करने का उनका मसीह-विरोधी सार देखने दिया। आखिरकार मैं धार्मिक दुनिया के फरीसियों और मसीह-विरोधियों से गुमराह होने और उनके बंधनों से मुक्त हो गई और मैं परमेश्वर के सिंहासन के सम्मुख लौट आई। सर्वशक्तिमान परमेश्वर को उसके उद्धार के लिए धन्यवाद!
परमेश्वर के बिना जीवन कठिन है। यदि आप सहमत हैं, तो क्या आप परमेश्वर पर भरोसा करने और उसकी सहायता प्राप्त करने के लिए उनके समक्ष आना चाहते हैं?