105 कार्य के तीन चरण परमेश्वर के मानव-प्रबंधन को बयाँ करते हैं
1
तीन चरणों में बँटा है इंसान के प्रबंधन का काम,
यानी तीन चरणों में बँटा है इंसान को बचाने का काम।
इन तीन चरणों में शामिल नहीं ईश्वर का विश्व-निर्माण का काम।
वो हैं राज्य, व्यवस्था और अनुग्रह के युग के काम के तीन चरण।
ईश्वर के मानव-प्रबंधन की अंदरूनी कहानी हैं काम के तीन चरण।
पूरी दुनिया के सुसमाचार का आगमन।
है सबसे बड़ा रहस्य ये इंसानियत के लिए।
ये बुनियाद भी है सुसमाचार के प्रसार के लिए।
2
दुनिया बनाना, इंसान को बनाने का काम था,
उसे बचाने का नहीं, इससे उसका कोई संबंध नहीं।
जब दुनिया बनी थी,
तो शैतान ने इंसान को भ्रष्ट नहीं किया था।
इंसान के उद्धार की ज़रूरत न थी।
ईश्वर के मानव-प्रबंधन की अंदरूनी कहानी हैं काम के तीन चरण।
पूरी दुनिया के सुसमाचार का आगमन।
है सबसे बड़ा रहस्य ये इंसानियत के लिए।
ये बुनियाद भी है सुसमाचार के प्रसार के लिए।
3
इंसान को बचाने से शुरू हुआ ईश्वर का इंसान के प्रबंधन का काम।
दुनिया बनाने से शुरू नहीं हुआ उसका प्रबंधन।
ये शुरू हुआ जब इंसान का स्वभाव भ्रष्ट हुआ।
तब ईश्वर द्वारा इंसान का प्रबंधन शुरू हुआ।
ईश्वर के मानव-प्रबंधन की अंदरूनी कहानी हैं काम के तीन चरण।
पूरी दुनिया के सुसमाचार का आगमन।
है सबसे बड़ा रहस्य ये इंसानियत के लिए।
ये बुनियाद भी है सुसमाचार के प्रसार के लिए।
4
इंसान का प्रबंधन होता तीन हिस्सों में, न कि चार चरणों या चार युगों में।
ईश-प्रबंधन को बताने का यही सही तरीका है।
अंतिम युग के समापन के साथ ही,
ख़त्म होता इंसान के प्रबंधन का काम।
यानी इंसान को बचाने का काम पूरा हुआ, इंसान के लिए ये चरण पूरा हुआ।
ईश्वर के प्राणी के नाते जानो, उसी ने बनाया इंसान को।
ये भी पहचानो, इंसान कैसे भ्रष्ट होता, कैसे उसे बचाया जाता।
अगर उलझे हो बस जीवन के सरल सत्यों में,
महान रहस्य को न जानोगे,
तो क्या तुम्हारा जीवन बेकार नहीं, खराब पड़ी चीज़ नहीं?
ईश्वर के मानव-प्रबंधन की अंदरूनी कहानी हैं काम के तीन चरण।
पूरी दुनिया के सुसमाचार का आगमन।
है सबसे बड़ा रहस्य ये इंसानियत के लिए।
ये बुनियाद भी है सुसमाचार के प्रसार के लिए, प्रसार के लिए, प्रसार के लिए।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के कार्य के तीन चरणों को जानना ही परमेश्वर को जानने का मार्ग है