113 मेरा हृदय परमेश्वर के वचन को सँजोए रखता है

1

तुम्हारे कथन और वचन आगे बढ़ने में मेरा मार्गदर्शन करते हैं। मैंने देखा है कि जीवन में आशा है।

तुम्हारे वचन, जो मानवजाति का न्याय करते और उसे ताड़ना देते हैं, इस बात को प्रकट करते हैं कि लोग कितने भ्रष्ट हो चुके हैं।

तुम मेरी काट-छाँट करते हो, मुझसे निपटते हो, मुझे ताड़ना देते हो और मुझे अनुशासित करते हो, और मैं आज्ञाकारी होना सीखता हूँ।

तुम्हारे वचनों का अनुभव और अभ्यास करके मैं सत्य को समझता हूँ और तुम्हारे सामने रहता हूँ।

तुम्हारे वचनों पर भरोसा करके मैंने अब तक तुम्हारा अनुसरण किया है। धीरे-धीरे मैं बड़ा और परिपक्व हो गया हूँ।

यदि मैं तुम्हारे वचनों से दूर रहता, तो मुझे तुम्हारी उपस्थिति की कमी रहती, और मैं जीते-जी मर गया होता।

जीवन से भरे तुम्हारे वचनों ने आज तक मेरा साथ दिया है। मैंने तुम्हारा महान प्रेम चखा है।

मैं देखता हूँ कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है; केवल मसीह ही मेरा अपना है।


2

तुम्हारे वचन मेरी भ्रष्टता दूर करते हैं और मुझे नवजीवन प्रदान करते हैं।

पीड़ा, क्लेश, परीक्षण, शोधन—तुम्हारा वचन इन सबसे मेरा बेड़ा पार लगाता है।

हालाँकि मेरा शरीर पीड़ा में है, मैं शैतान की बुराई स्पष्ट देखता हूँ, और परमेश्वर के प्रति मेरा प्रेम विकसित होता है।

हो सकता है, आगे का मार्ग पथरीला और कठिन हो, लेकिन मेरा मार्गदर्शन करने के लिए तुम्हारे वचनों के रहते मुझे डर नहीं लगेगा।

सत्य को समझने से मेरा स्वभाव धीरे-धीरे बदल जाता है, यह सब तुम्हारे अनुग्रह से होता है।

तुम्हारे वचन का न्याय और परीक्षण मुझे सत्य और जीवन हासिल करने में सक्षम बनाते हैं।

मैं शैतान के बुरे प्रभाव से मुक्त हो गया हूँ और परमेश्वर का महान उद्धार प्राप्त करता हूँ।

मैं देखता हूँ कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है; केवल मसीह ही मेरा अपना है।


3

तुम सत्य, मार्ग और जीवन हो; तुम्हारे वचनों में सब-कुछ है।

तुम उद्धारकर्ता हो, और मानव-जाति को तुम्हारे द्वारा व्यक्त किए गए सभी वचनों की आवश्यकता है।

मैं जो अपनी भ्रष्टता को त्यागने और प्रकाश में जीने में सक्षम हूँ, वह केवल इसलिए कि तुम्हारे वचन ने मुझे बचा लिया है।

देहधारी, तुम्हारा प्रेम गहरा और तुम्हारा स्नेह सुदृढ़ है; तुम्हारे वचन सबसे अधिक मूल्यवान हैं।

परीक्षण चाहे कितने ही बड़े हों या क्लेश कितने भी भयानक, मैं तुम्हारे वचनों को अच्छी तरह याद रखूँगा।

मैं तुम्हारे वचनों का अभ्यास करूँगा और तुम्हारी गवाही दूँगा, ताकि तुम्हारा बलिदान व्यर्थ न हो।

प्रेम तुम्हारा सार है, धार्मिक तुम्हारा स्वभाव, और मैं सदैव तुम्हारी प्रशंसा करूँगा।

मैं देखता हूँ कि मसीह सत्य, मार्ग और जीवन है; केवल मसीह ही मेरा अपना है।

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