630 परमेश्वर के लोगों के प्रबंधन के कार्य के बारे में सच्चाई

1 तुझे यह जानना चाहिए कि परमेश्वर का मनुष्यों को पूर्ण बनाना, उन्हें पूरा करना और उन्हें प्राप्त करना उसकी देह पर तलवारों और प्रहारों के, और साथ ही अंतहीन पीड़ा, अग्निकांड, निष्ठुर न्याय, ताड़ना, शाप और असीम परीक्षणों के सिवाय कुछ नहीं लाया है। ऐसी है मानव का प्रबंधन करने के कार्य की अंदर की कहानी और सच्चाई। किंतु ये सभी चीज़ें मनुष्य की देह पर निर्देशित हैं, और शत्रुता के सभी तीर निर्दयतापूर्वक मनुष्य की देह पर लक्षित हैं। यह सब परमेश्वर की महिमा और गवाही के लिए और उसके प्रबंधन के लिए है। इसका कारण यह है कि उसका कार्य केवल मानव-जाति के लिए नहीं है, बल्कि पूरी योजना के लिए भी है और साथ ही मानव-जाति के सृजन के समय की उसकी मूल इच्छा पूरी करने के लिए भी है।

2 इसलिए, मनुष्य जो अनुभव करता है, उसके शायद नब्बे प्रतिशत में पीड़ाएँ और अग्नि-परीक्षाएँ शामिल हैं, और वे मीठे और सुखद दिन बहुत कम या बिलकुल नहीं हैं, जिनके लिए मनुष्य की देह लालायित रही है। परमेश्वर के साथ खूबसूरत समय बिताते हुए देह में सुखद पलों का आनंद लेने में तो मनुष्य बिलकुल भी सक्षम नहीं है। देह मलिन है, इसलिए मनुष्य की देह जो देखती है या भोगती है, वह परमेश्वर की ताड़ना के अलावा और कुछ नहीं है, जिसे मनुष्य प्रतिकूल पाता है। इसका कारण यह है कि परमेश्वर अपने धार्मिक स्वभाव को प्रकट करेगा, जो मनुष्य को पसंद नहीं है, जो मनुष्य के अपराधों को बरदाश्त नहीं करता, और दुश्मनों से घृणा करता है। परमेश्वर अपना स्वभाव किसी भी तरीके से खुले तौर पर प्रकाशित करता है, और इस तरह शैतान के साथ अपने छह-हजार-वर्षीय युद्ध का कार्य पूरा करता है—जो संपूर्ण मानव-जाति के उद्धार और पुराने शैतान के विनाश का कार्य है!

—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, मानव-जाति के प्रबंधन का उद्देश्य से रूपांतरित

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