796 परमेश्वर के स्वभाव को समझने का प्रभाव

1

ईश्वर का सार जानना कोई छोटी बात नहीं।

तुम्हें समझना होगा स्वभाव उसका।

तब धीरे-धीरे जानोगे सार उसका।

ये ज्ञान तुम्हें और ऊंची अवस्था में ले जाएगा।

अपनी घिनौनी आत्मा पर शर्मिंदा होगे तुम,

शर्म से कहीं मुंह ना दिखा सकोगे तुम।


फिर ऐसी चीजें कम करोगे

जिससे ईश-स्वभाव का अपमान हो।

ईश्वर के दिल के करीब आ जाएगा दिल तुम्हारा,

धीरे-धीरे उससे प्रेम करने लगेगा दिल तुम्हारा।

यह चिह्न है इंसान के सुंदर राज में आने का।


पर तुम लोगों ने अब तक प्राप्त नहीं किया ये।

अपने भाग्य के लिए भागते,

ईश-सार में कोई रुचि नहीं तुम्हें।

अगर ऐसे ही चलते रहे,

तो ईश-आदेशों का उल्लंघन कर दोगे,

क्योंकि तुम लोग ईश्वर के

स्वभाव को बहुत कम समझते हो।


2

क्या तुम लोग वो नींव नहीं रख रहे

जिस पर तुम ईश-स्वभाव का अपमान करोगे?

ईश्वर का चाहना कि तुम उसका स्वभाव समझो

उसके काम के विपरीत नहीं है,

क्योंकि अगर तुम अक्सर उसके आदेश नहीं मानोगे,

तो उसके दंड से कैसे बच पाओगे?


क्या फिर व्यर्थ ना हो जाएगा ईश्वर का काम?

इसलिए ईश्वर चाहे कि तुम लोग

अपने व्यवहार की जांच करो,

सावधानी से अपने कदम उठाओ।

ये है एक बड़ी मांग जो ईश्वर तुमसे करे,

जिस पर तुम्हें ईमानदारी से सोचना चाहिए।


अगर किसी दिन

तुम्हारे काम ने भड़काया क्रोध ईश्वर का,

तो इसके नतीजे तुम ही भुगतोगे,

तुम्हारी जगह कोई और सज़ा न पाएगा।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर के स्वभाव को समझना बहुत महत्वपूर्ण है से रूपांतरित

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