797 परमेश्वर का कार्य अथाह है
ईश्वर अथाह है,
वो बहुत बुद्धिमान और अद्भुत है;
यही सबसे पहले जानते लोग
उसके काम का अनुभव करके।
अनजाने ही वे श्रद्धानत हो जाते,
उसके काम के रहस्य को महसूस करते।
ये इंसान की सोच से परे है।
ईश्वर का काम अथाह है।
1
लोग ईश्वर की अपेक्षाएँ पूरी करना चाहें,
उसकी इच्छाएँ पूरी करना चाहें,
पर उससे बढ़कर न होना चाहें,
क्योंकि उसका काम इंसान की सोच से परे है,
उसकी कल्पनाओं से परे है,
ईश्वर की जगह इंसान ये काम न कर सके।
इंसान न जाने अपनी कमियाँ,
फिर भी ईश्वर ने उसके लिए नया रास्ता बनाया है,
उसे एक नई, अधिक सुंदर दुनिया में ला रहा है,
नई प्रगति, नई शुरुआत कर रहा है।
ईश्वर अथाह है,
वो बहुत बुद्धिमान और अद्भुत है;
यही सबसे पहले जानते लोग
उसके काम का अनुभव करके।
अनजाने ही वे श्रद्धानत हो जाते,
उसके काम के रहस्य को महसूस करते।
ये इंसान की सोच से परे है।
ईश्वर का काम अथाह है।
2
ईश्वर के प्रति लोगों में बस प्रशंसा नहीं,
बल्कि विस्मय और प्रेम महसूस करें।
उन्हें लगे ईश्वर वाकई अद्भुत है।
वो जो चीज़ें कहे, करे, वो इंसान कर ही न सके।
जब लोग उसके काम का अनुभव करें
उन्हें एक अवर्णनीय एहसास होता।
जिन्होंने गहराई से अनुभव किया है,
वे ईश्वर का प्रेम समझ सकते;
महसूस कर सकते उसकी मनोहरता,
और ये कि उसका काम बुद्धिपूर्ण है, अद्भुत है।
इससे उनमें एक शक्ति
उत्पन्न होती है जो सच में असीम है।
वो शक्ति भय या कभी-कभी का प्रेम, आदर नहीं,
बल्कि है गहरी समझ
ईश्वर की दया और सहनशीलता की,
जिन्होंने उसके न्याय का अनुभव किया है,
वो महसूस करें ईश्वर प्रतापी है, वो अपमान न सहे।
जिन्होंने उसके काम का अधिक अनुभव किया है,
वे भी उसे नहीं समझ पाते।
जो उस पर सच में श्रद्धा रखें,
वे जानें कि उसका काम
लोगों की धारणाओं के अनुरूप नहीं,
बल्कि हमेशा उनके विपरीत होता है।
ईश्वर अथाह है,
वो बहुत बुद्धिमान और अद्भुत है;
यही सबसे पहले जानते लोग
उसके काम का अनुभव करके।
अनजाने ही वे श्रद्धानत हो जाते,
उसके काम के रहस्य को महसूस करते।
ये इंसान की सोच से परे है।
ईश्वर का काम अथाह है।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परमेश्वर का कार्य और मनुष्य का कार्य से रूपांतरित