447 एक सामान्य स्थिति क्या होती है?
1 अपनी सामान्य स्थिति में, लोग न तो पीछे हटते हैं और न ही हिम्मत हारते हैं; वे अपने मन में परमेश्वर का चिंतन कर सकते हैं, परमेश्वर से आस रख सकते हैं, और परमेश्वर के वचनों के लिए तरस सकते हैं। वे अक्सर प्रार्थना करने में सक्षम होते हैं; वे परमेश्वर के करीब रह सकते हैं; वे अपने स्वयं के जीवन का भार उठा सकते हैं। वे सामान्य और व्यवस्थित जीवन जी सकते हैं, और उनके दिल परमेश्वर को छू सकते हैं। कभी-कभी ऐसी परिस्थितियाँ भी आ सकती हैं जो उनके दिलों को परेशान करती हैं, लेकिन प्रार्थना के माध्यम से, परमेश्वर के वचनों को खाने और पीने से, या भाइयों और बहनों के साथ सहभागिता के माध्यम से, वे जल्दी से अपनी स्थिति को बदल सकते हैं। भले ही ऐसे पल आते हैं जिसमें वे कमज़ोर पड़ जाते हैं, ऐसे पल आते हैं जब वे देह के सम्मोहन में बंध जाते हैं, पर वे इससे मुक्त रह सकते हैं; वे इसके कब्ज़े में नहीं आते हैं।
2 जब उनके साथ कुछ घटित होता है, तो वे देह की कमज़ोरी का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन यह उन पर नियंत्रण नहीं रखेगा। वे फिर भी परमेश्वर के सामने अपने दिलों को शांत करने और प्रार्थना करने, परमेश्वर की इच्छा को खोजने, भजन गाने, नृत्य करने और कलीसियाई जीवन जीने में सक्षम होंगे; इन अभ्यासों से वे कभी ऊबेंगे नहीं; वे आगे बढ़ते रहेंगे। ऐसे समय होंगे जब वे नकारात्मक होते हैं, ऐसे समय जब देह कमज़ोर होता है, लेकिन एक बार जब वे इसे पहचान लेते हैं, तो वे इससे मुक्त हो सकते हैं। नकारात्मकता के बीच भी वे परमेश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं और उसके करीब रह सकते हैं। ये सभी बातें एक सामान्य परिवेश, एक सामान्य स्थिति का गठन करते हैं।
—परमेश्वर की संगति से रूपांतरित