163 मसीह पृथ्वी पर कार्य करने क्यों आया है

1

यूँ तो मसीह ईश्वर की तरफ़ से कार्य करे,

पर यह देह में अपनी छवि दिखाने के लिए नहीं।

वो खुद को दिखाने नहीं आता,

वो इंसान को नए युग में ले जाने आता है।

देह में मसीह का कार्य स्वयं ईश्वर का कार्य करना है।

इंसान को अपनी देह का सार पहचानने में सक्षम करना नहीं।


मसीह चाहे जैसे कार्य करे, उसके कर्म देह में प्राप्त किए जाते,

सामान्य मानवता के भीतर किए जाते।

वे नहीं अलौकिक या अपरिमेय, जैसा इंसान माने।

वो इंसान को ईश्वर का चेहरा पूरी तरह नहीं दिखाता।


ईश्वर देह बनता अपना कार्य पूरा करने,

सिर्फ़ इसलिए नहीं कि इंसान उसे देख सकें।

उसका कार्य उसकी पहचान की पुष्टि करे।

उसका प्रकटन उसके सार की पुष्टि करे।

वो छीनकर न लाए अपनी पहचान,

यह उसके कार्य और सार से तय होती।


2

यूँ तो मसीह ईश्वर के लिए कार्य करे, वो स्वर्ग के ईश्वर को न नकारे।

वो अपने ही कर्मों की घोषणा न करे।

नहीं, वो छिपता नम्र होकर अपनी ही देह में।


ईश्वर देह बनता अपना कार्य पूरा करने,

सिर्फ़ इसलिए नहीं कि इंसान उसे देख सकें।

उसका कार्य उसकी पहचान की पुष्टि करे।

उसका प्रकटन उसके सार की पुष्टि करे।

वो छीनकर न लाए अपनी पहचान,

यह उसके कार्य और सार से तय होती।


3

जो मसीह होने का झूठा दावा करते उनमें उसके गुण नहीं होते।

उनके अभिमानी, आत्म-प्रशंसा वाले तरीकों से तुलना करने पर,

दिखता मसीह सच में कैसा है।

जितने ज्यादा वे नकली होते, उतने ज्यादा इठलाते,

उतने ज्यादा चमत्कारों से मानवता को भटकाते।

झूठे मसीहों में ईश्वर का कोई गुण नहीं होता,

और मसीह उनके लक्षणों से निष्कलंक रहता है।


ईश्वर देह बनता अपना कार्य पूरा करने,

सिर्फ़ इसलिए नहीं कि इंसान उसे देख सकें।

उसका कार्य उसकी पहचान की पुष्टि करे।

उसका प्रकटन उसके सार की पुष्टि करे।

वो छीनकर न लाए अपनी पहचान,

यह उसके कार्य और सार से तय होती।


—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, स्वर्गिक परमपिता की इच्छा के प्रति आज्ञाकारिता ही मसीह का सार है से रूपांतरित

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