701 स्वभाव में बदलाव क्या हैं?
1 जब मनुष्य की प्रकृति को पहचानने की बात आती है, तो सबसे महत्वपूर्ण बात इसे मनुष्य के विश्व दृष्टिकोण, जीवन के दृष्टिकोण और मूल्यों के परिप्रेक्ष्य से देखना है। इंसान का जीवन दर्शन, काम करने के उसके तरीके, और उसकी सभी कहावतें बड़े लाल अजगर के विष से भरी हैं, और ये सभी शैतान से आते हैं। इस प्रकार, सभी चीजें जो लोगों की हड्डियों और रक्त में बहें, वह सभी शैतान की चीज़ें हैं। शैतान ने मनुष्य को गंभीर ढंग से दूषित कर दिया है। मनुष्य की प्रकृति दूषित, बुरी और प्रतिक्रियावादी है, शैतान के दर्शन से भरी हुई और उसमें डूबी हुई है—अपनी समग्रता में यह प्रकृति परमेश्वर के साथ विश्वासघात करती है। इसीलिए लोग परमेश्वर का विरोध करते हैं और परमेश्वर के विरूद्ध खड़े रहते हैं। यदि तुम अपने स्वभाव में कोई बदलाव लाना चाहते हो, तो पहले तुम्हें अपनी प्रकृति जाननी होगी।
2 स्वभाव में परिवर्तन तब होता है जब एक सत्य का प्रेमी, परमेश्वर के कार्य का अनुभव करते हुए, उसके वचनों के न्याय और उसकी ताड़ना को स्वीकार करता है, और सभी तरह की पीड़ाओं और परिशोधन का अनुभव करता है। इस तरह का व्यक्ति अपने भीतर उपस्थित शैतानी विष से शुद्ध हो जाता है ताकि वो परमेश्वर के सारे आयोजनों और व्यवस्थाओं के प्रति समर्पित हो सके और कभी परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह या प्रतिरोध न करे। यह स्वभाव में परिवर्तन है। स्वभाव में रूपांतरण का मतलब है कि एक व्यक्ति, क्योंकि वह सत्य को प्यार करता है और उसे स्वीकार कर सकता है, अंततः अपनी अवज्ञाकारी और परमेश्वर-विरोधी प्रकृति को जान जाता है; वह समझता है कि मनुष्य गहराई से भ्रष्ट है और मनुष्य के बेतुकेपन और धोखाधड़ी को समझता है, वह मनुष्य की कमजोरियों और दयनीयता को जानता है, और अंत में मनुष्य की प्रकृति और सार को समझ जाता है। यह सब जानकर, वह स्वयं को पूरी तरह अस्वीकार और त्यागने में समर्थ हो जाता है, परमेश्वर के वचन के अनुसार जीवन व्यतीत कर सकता है, और सभी बातों में सत्य पर चलने में समर्थ हो जाताहै। ऐसा व्यक्ति परमेश्वर को जानता है और उसका स्वभाव बदल चुका है।
—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, मनुष्य का स्वभाव कैसे जानें से रूपांतरित