3 सर्वशक्तिमान परमेश्वर, पहला और अंतिम

1

पूर्व से पश्चिम तक, सारा विश्व परमेश्वर का उल्लास मनाता है।

एक वैभवशाली, पवित्र नाम फैल चुका है।

ओह, सर्वशक्तिमान परमेश्वर अब देह बन गया है।

उसने राज्य को हासिल किया है और वह धरती पर उतर आया है।

उसने अपने सम्पूर्ण अधिकार से सिय्योन को बनाया है;

सभी राष्ट्रों के सामने, वह अपनी महिमा में प्रकट हुआ है।

उसके उद्धार के कारण, सभी संत स्तुति करते और गाते हैं,

इस नाम के कारण, वे निरंतर खुश हैं।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर (प्रतापी स्वरुप में) राजा की तरह शासन करता है,

धर्मिता में बोलता है, (अपने सामर्थ्य से) उद्धार ले आता है।

परमेश्वर के वचन सारी धरती पर प्रभावी हैं,

और उसके राज्य को कोई कभी हिला नहीं सकता।


सभी राष्ट्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उपासना करने आते हैं!

साथ में उल्लास मनाने और गाने के लिए हम अपनी आवाजों को उठाते हैं।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जो पहला और अंतिम है,

सर्जित प्राणी उसकी निरंतर स्तुति करते हैं।


2

सूर्योदय की जगह से सूर्यास्त की जगह तक,

सारे विश्व में परमेश्वर की महिमा चमकती है।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के लिए नए गीत गाए बिना हम रह नहीं सकते हैं।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर के महान कार्य कितने अद्भुत हैं!

परमेश्वर के वचन मानवजाति को जीत लेते हैं, उसने सभी शत्रुओं को हराया है,

और जिन्हें उसने पूर्वनिर्धारित और चयनित किया है, उन सब को बचाया है,

वह उन्हें नए स्वर्ग और नई धरती पर ले जाता है।

सभी लोगों ने अब परमेश्वर की महिमा को देख लिया है।

परमेश्वर का नाम कितना सुन्दर है (विश्व भर में)!

धरती के लोग! परमेश्वर का जयकार करो!

परमेश्वर विजयी है, सारे शत्रुओं को हराता है।

परमेश्वर के लिए गाओ, उसकी बुद्धिमत्ता और सर्वशक्तिमत्ता की प्रशंसा करो।


सभी राष्ट्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उपासना करने आते हैं!

साथ में उल्लास मनाने और गाने के लिए हम अपनी आवाजों को उठाते हैं।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जो पहला और अंतिम है,

सर्जित प्राणी उसकी निरंतर स्तुति करते हैं।


3

परमेश्वर ने शैतान को हराया है, समस्त महिमा को हासिल किया है।

उसने विजेताओं का एक समूह बनाया है,

जो मसीह के साथ विजयी हैं।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर स्तुति और सम्मान के योग्य है।

उसने पुस्तक को खोला है, सात मुहरों को खोला है।

उसके कहे वचन सारी धरती पर फैल जाते हैं।

परमेश्वर की धर्मिता एक तेजोमय प्रकाश की तरह,

और उसके वचन किसी जलती हुई मशाल की तरह, चमकते हैं।


सभी राष्ट्र सर्वशक्तिमान परमेश्वर की उपासना करने आते हैं!

साथ में उल्लास मनाने और गाने के लिए हम अपनी आवाजों को उठाते हैं।

सर्वशक्तिमान परमेश्वर, जो पहला और अंतिम है,

सर्जित प्राणी उसकी निरंतर स्तुति करते हैं।

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