893 परमेश्वर मुक्त रूप से मनुष्य को सत्य और जीवन देता है

1 परमेश्वर ने इंसान को अपनी सबसे बहुमूल्य चीजें दी हैं। यानी, परमेश्वर ने मुक्त रूप से अपना जीवन और स्वरूप लोगों को दिया है ताकि वे उसे जी सकें, ताकि वे परमेश्वर के स्वरूप को और जो वो उन्हें देता है उसे जीने के लिए एक दिशा और मार्ग में रूपांतरित कर सकें, और उसके वचनों को अपने जीवन में रूपांतरित कर सकें, ताकि वे इस जीवन को जी सकें। लोगों को जीवन प्रदान करने के अलावा, एक अपेक्षा जो परमेश्वर उनसे करता है, वह यह है कि वे परमेश्वर के इस जीवन को लेकर इसे अपने जीवन में बदल दें, और इसे जीएं। जब परमेश्वर उन्हें इस जीवन को जीते हुए देखता है, तो वह संतुष्ट महसूस करता है।

2 परमेश्वर के वचनों को अपना जीवन स्वीकार करते हुए, लोग सत्य को भी समझ जाते हैं, मनुष्य होने के सिद्धांतों को प्राप्त करते हैं, उन जड़ों को विकसित करते हैं जिनकी उन्हें मनुष्य होने के लिए आवश्यकता होती है, और मनुष्य होने के लिए उन्हें जिस दिशा का अनुसरण करने की आवश्यकता होती है उसे प्राप्त करते हैं। वे अब शैतान से और धोखा नहीं खाते हैं, उसके द्वारा बांधे नहीं जाते हैं, दुष्ट लोगों द्वारा धोखा नहीं खाते और इस्तेमाल नहीं किए जाते, और न ही वे बुरी प्रवृत्तियों द्वारा प्रदूषित और अशुद्ध किए जाते, बांधे या बहकाये जाते हैं। मनुष्य स्वर्ग और पृथ्वी के बीच आज़ादी से रहते हैं, और वे मुक्त हो जाते हैं। वे वास्तव में परमेश्वर के प्रभुत्व में जीने में सक्षम हो जाते हैं, अब कोई भी बुरी या अंधकारमय ताकतें उन्हें नुकसान नहीं पहुंचा पाती हैं। इस तरह, परमेश्वर के कार्य का अनुभव करके, इंसान सबसे बड़ा लाभ उठाते हैं; वही सबसे बड़े लाभार्थी होते हैं।

3 जब वे इस जीवन को जी रहे होते हैं, तो उन्हें फिर किसी भी पीड़ा का अनुभव नहीं होता है, बल्कि वे खुशी से बिना कष्ट के रहते हैं; वे स्वतंत्र रूप से रहते हैं और परमेश्वर के साथ एक सामान्य संबंध रखते हैं। वे अब परमेश्वर के खिलाफ बगावत या विरोध नहीं कर सकते हैं; बल्कि, वे वास्तव में परमेश्वर के प्रभुत्व में रह सकते हैं। वे पूरी तरह से एक सही और उचित जीवन जीते हैं, और वास्तविक मनुष्य बन जाते हैं। सिर्फ़ परमेश्वर से आने वाले जीवन को स्वीकार करके ही तुम अपना जीवन बचा सकते हो। अगर तुम इस जीवन को हासिल करते हो, तो तुम्हारा जीवन अंतहीन होगा; यही शाश्वत जीवन है।

—वचन, खंड 3, अंत के दिनों के मसीह के प्रवचन, परमेश्‍वर की प्रबंधन योजना का सर्वाधिक लाभार्थी मनुष्‍य है से रूपांतरित

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