275 परमेश्वर सभी राष्ट्रों और लोगों का भाग्यविधाता है
किसी देश के शासक ईश्वर को पूजते हैं या नहीं,
लोगों को उसके पास ले जाते हैं या नहीं,
उसकी आराधना में उनकी अगुआई करते या नहीं,
इसी पर निर्भर करे उस देश का भविष्य।
1
तुम्हारा देश भले हो खुशहाल, लेकिन गर तुम्हारे लोग ईश्वर से दूर जाएँगे,
तो ईश्वर के आशीष से ये वंचित होता जाएगा।
इसकी सभ्यता पाँवों के नीचे कुचली जाएगी,
इसके लोग ईश्वर के खिलाफ़ खड़े होंगे, स्वर्ग को कोसेंगे।
इंसान को पता न चलेगा। देश तबाह हो जाएगा।
ईश्वर उभारेगा ताकतवर देशों को, जो निपटेंगे शापित देशों से,
और धरती पर इन देशों का नामोनिशां न रह जाएगा।
ईश्वर इंसान की राजनीति में हिस्सा लेता नहीं,
पर देशों का भाग्य उसी के हाथ में है।
ईश्वर के काबू में है ये दुनिया और पूरी कायनात।
उसकी योजना और इंसान का भाग्य आपस में गुंथे हैं,
और कोई इंसान, कोई देश, कोई वतन ईश्वर की संप्रभुता से मुक्त नहीं।
2
धार्मिक ताक़तें धरती पर हैं पर उनका राज कमज़ोर है
वहाँ जहाँ लोगों के दिल में परमेश्वर नहीं।
ईश्वर के आशीष बिना, राजनैतिक क्षेत्र
कमज़ोर और अस्त-व्यस्त हो जाएगा।
ईश्वर के आशीष का न होना है सूरज का न होना।
इंसान चाहे करे जितनी भी धार्मिक सभाएं,
शासक अपनी जनता के लिए जितना भी काम करें,
पर इससे इंसान की किस्मत नहीं बदल सकती।
3
इंसान करे विश्वास, एक शांतिमय देश जो अपने लोगों को रोटी-कपड़ा दे
एक अच्छा देश है, यहाँ अच्छी सरकार है,
लेकिन ईश्वर कहे जिस देश में उसे न कोई पूजे
तबाह कर जड़ से मिटा देगा वो उसे।
इंसान के विचार परमेश्वर के विचारों से बहुत उल्टे हैं।
इसलिए अगर किसी देश का मुखिया ईश-आराधना नहीं करे,
तो उस देश का भविष्य दुखद होगा, उसकी कोई मंज़िल न होगी।
ईश्वर इंसान की राजनीति में हिस्सा लेता नहीं,
पर देशों का भाग्य उसी के हाथ में है।
ईश्वर के काबू में है ये दुनिया और पूरी कायनात।
उसकी योजना और इंसान का भाग्य आपस में गुंथे हैं,
और कोई इंसान, कोई देश, कोई वतन ईश्वर की संप्रभुता से मुक्त नहीं।
अपना भाग्य जानने, इंसान को ईश्वर के सामने आना होगा।
जो लोग उसका अनुसरण करते, उसे पूजते हैं,
वो उन्हें संपन्न बनाएगा, और विरोध करने, नकारने वालों को
गिरा कर धूल में मिला देगा।
—वचन, खंड 1, परमेश्वर का प्रकटन और कार्य, परिशिष्ट 2: परमेश्वर संपूर्ण मानवजाति के भाग्य का नियंता है से रूपांतरित